जिस तरह से एक बैंक अकाउंट में पैसा होता है, उसी तरह से एक डीमैट अकाउंट आपके इन्वेस्टमेंट को इलेक्ट्रॉनिक फार्म में रखता है, जो लैपटॉप या स्मार्ट डिवाइस और इंटरनेट के साथ आसानी से एक्सेस हो सकता है। जिसको एक्सेस करने के लिए आपके पास एक यूनिक लॉगिन आईडी और पासवर्ड होना चाहिए। हालांकि, बैंक अकाउंट के विपरीत, आपके डीमैट अकाउंट में किसी भी प्रकार का 'न्यूनतम बैलेंस' होना आवश्यक नहीं है।

News Trading

डीमैट अकाउंट क्या है ?

डीमैट अकाउंट एक बैंक अकाउंट की तरह है, जिसमें आप शेयर सर्टिफिकेट और अन्य सिक्योरिटीज को इलेक्ट्रॉनिक फार्म में रख सकते हैं। डीमैट अकाउंट का मतलब डिमैटेरियलाइजेशन अकाउंट होता है। इसमें शेयर, बॉन्ड्स, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज , म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस और ईटीएफ जैसे इन्वेस्टमेंट को रखने की प्रक्रिया आसान हो जाती है। इस अकाउंट के माध्यम से शेयरों और संबंधित डॉक्युमेंट्स के रखरखाव की परेशानियों दूर हो जाती हैं।

डीमैट अकाउंट का अर्थ हम एक उदाहरण के माध्यम से समझ सकते हैं। मान लीजिए आप कंपनी X का शेयर खरीदना चाहते है, शेयर खरीदने के साथ का वह आपके नाम पर ट्रांसफर भी होंगे। पहले आपको अपने नाम के साथ शेयर सर्टिफिकेट भी मिलते थे। जिसमें पेपर वर्क की कार्रवाई भी शामिल है। जितनी बार कोई शेयर खरीदा या बेचा जाता था तो उतनी बार सर्टिफिकेट बनाने पड़ते थे। इस कागजी कार्रवाई की प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाने के लिए भारत ने एनएसई पर व्यापार के लिए 1996 में डीमैट अकाउंट प्रणाली की शुरुआत की।

Most Important News Releases for Forex Trading

Economic news releases vary in the extent to which they impact the market. Economic news from the United States typically moves the market the most, since the U.S. dollar is part of about 90% of all currency transactions.

The most important economic releases for any country are interest rate decisions from central banks, retail sales, inflation figures, unemployment and industrial production.

The forex market’s initial reaction to a news release usually lasts from 30 minutes to two hours, but the broader impact can last for days.

Which Currency Pairs to Trade on Forex

The major currency pairs (EUR/USD, GBP/USD, USD/JPY, USD/CHF) are the most liquid and have the tightest spreads, and for this reason they make a good place to start in trading news releases. This helps to minimise your risk in periods of high volatility.

Economic Calendar

OctaFX global economic calendar is available online, listing the economic news events of the day. Each release is rated as and high, medium or low impact.

Additionally the calendar will list the analyst forecast (consensus number) and the result of the previous release.

Forex traders will watch to see if the actual data hits, misses or exceeds the forecast level. Typically, the most volatility occurs when the data misses analyst expectations by a wide margin.

Strategies for Forex Trading the News

There are several different approaches to trading the news. Firstly, some forex traders try to forecast what the result of the economic releases will be and place a trade prior to the release based on this.

When predicting economic data there are sometime clues in prior economic releases. For example, in forecasting U.S. jobs data you can use the employment component of PMI reports. If the employment component of the three reports has increased from the previous month, it suggests that the number of new jobs created also increased.

A second strategy of forex trading the news is to wait until the figure has been released and trade based on how the market typically reacts to such a scenario. For example, if U.S. retail sales beat expectations by a wide margin, you might sell EUR/USD, based on anticipated strength in the US dollar.

Risks in Trading the News on Forex

Bid-offer spreads typically widen before major news releases. This increases your cost in getting in and out of the market.

Slippage is another challenge. Slippage occurs when you try to enter the market at a certain price, but due to the extreme volatility after a news release, you actually get filled at a worse price.

Volatility is also a major challenge. Even if you are right about the direction of the market, sometimes the swings are so wild that you can get stopped out of your position.

ट्रेड लाइसेंस (अवलोकन)

एक ट्रेड लाइसेंस (व्यापार अधिकार पत्र) स्थानीय नगरपालिका द्वारा जारी किया गया एक कानूनी दस्तावेज है जो किसी व्यक्ति या किसी पार्टी को व्यवसाय संचालन शुरू करने के लिए प्राधिकरण (अधिकार) प्रदान करता है। एक व्यापार लाइसेंस केवल तभी दिया जाता है जब व्यवसाय निगम, और सुरक्षा अधिकारियों द्वारा संबंधित राज्य के सभी नियमों और विनियमों ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है का पालन करता है जिसमें व्यवसाय स्थित है।

व्यवसाय शुरू होने से 30 दिन पहले निगम में आयुक्त के पास ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है आवेदन दायर किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान, व्यवसाय को सभी अनिवार्य दस्तावेज जमा करने होते हैं।

ट्रेड लाइसेंस के क्या लाभ हैं?

  • कानूनी इकाई:किसी व्यवसाय को कानूनी इकाई के रूप में माना जाने के लिए उसके पास व्यापार लाइसेंस होना आवश्यक है।
  • मांग नियम और विनियम:जैसा कि नगरपालिका प्राधिकरण द्वारा कहा गया है जिसमें व्यवसाय स्थित है।
  • सक्षमता का एक उपाय:एक व्यापार लाइसेंस के साथ, कोई व्यवसाय बंद होने के डर के बिना, एक वाणिज्यिक (व्यवसायिक) स्थान में काम कर सकता है। यह व्यवसाय और उद्यमी ( कारोबारी) में आत्मविश्वास और ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है क्षमता का प्रदर्शन प्रदान करता है।

ट्रेड लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय कुछ लोगों की कुछ श्रेणियां होती हैं, जो ट्रेड लाइसेंस के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं।

  • नाबालिग:18 वर्ष से कम आयु का व्यक्ति
  • आपराधिक पृष्ठभूमि:आपराधिक रिकॉर्ड वाला व्यक्ति ट्रेड लाइसेंस के लिए आवेदन नहीं कर सकता है।

ट्रेड लाइसेंस के विभिन्न प्रकार क्या हैं?

तीन प्रकार के व्यापार लाइसेंस हैं जो एक कंपनी या व्यक्ति व्यापार या व्यवसाय के प्रकार के आधार पर आवेदन कर सकते हैं।

दुकान का लाइसेंस

इस प्रकार के लाइसेंस की आवश्यकता उन लोगों के लिए होती है, जो किसी दुकान या प्रतिष्ठान को सामान या सेवाएं बेचना चाहते हैं।

औद्योगिक लाइसेंस

इस प्रकार के लाइसेंस के लिए एक कंपनी की आवश्यकता होती है जो एक छोटी या मध्यम आकार की औद्योगिक इकाई खोलना चाहती है।

खाद्य प्रतिष्ठान का लाइसेंस

कोई भी प्रतिष्ठान जो खाद्य (खाने के लिए) और पेय (पीने संबंधी) उद्योग में प्रवेश करने की योजना बना रहा है उसे इस लाइसेंस की आवश्यकता है। लाइसेंस रेस्तरां, कैफे, मांस की दुकानों, बेकरी और सब्जी की दुकानों पर लागू होता है।

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भारत में सबसे बड़ा शेयर बाजार कौन सा है अगर आपका इस बात से यह मतलब है कि भारत का Share Bazaar यानी भारत के स्टॉक एक्सचेंज में से कौन सा स्टॉक एक्सचेंज सबसे बड़ा है तो आइए इस पोस्ट में हम यही जानने वाले हैं

भारत में सबसे बड़ा शेयर बाजार कौन है

भारत में सबसे बड़ा शेयर बाजार कौन है?

BSE (BOMBAY STOCK EXCHANGE) एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है इसकी शुरुआत अट्ठारह सौ 75 में हुई थी यह भारत का पहला स्टॉक एक्सचेंज था जिससे आप किसी भी कंपनी के शेयर के Buying & Selling कर सकते थे. पहले समय में जब हम बीएससी से किसी कंपनी के शेयर को खरीदते थे तो उसमें काफी ज्यादा वक्त लगता था अगर आपको किसी कंपनी के शेयर को खरीदना है तो उसे ट्रांसफर होने में कई दिन का समय लग जाता था जिसके बाद धीरे-धीरे समय बदला और फिर आया NSE (NATIONAL STOCK EXCHANGE) यानी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज जिसकी शुरुआत 1992 में हुई और यह एक तरह का इलेक्ट्रिक स्टॉक एक्सचेंज था जिससे आप अपने कंप्यूटर के माध्यम से स्टोक्स को खरीद या बेच सकते थे और धीरे-धीरे वक्त ने रफ्तार पकड़ी और उसके बाद ज्यादातर सभी स्टॉक एक्सचेंज डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक हो गए। शेयर मार्केट हफ्ते में कितने दिन खुलता है

शेयर मार्केट में ब्रोकर क्या है? ब्रोकरेज चार्जेस की गणना किस प्रकार की जाती है?

शेयर मार्केट में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के शेयर की खरीद बेच होती है जिसके लिए हमारे पास डीमैट अकाउंट तथा ट्रेडिंग अकाउंट का होना आवश्यक है परंतु हमें पता होना चाहिए कि हम सीधे तौर पर शेयर मार्केट (Share Market) में शेयर की खरीद बेच नहीं कर सकते हैं इसके लिए हमें एक माध्यम की आवश्यकता होती है जिसे ब्रोकर (Broker) कहा जाता है। ब्रोकर द्वारा हमें इंटरनेट पर एक ब्रोकिंग प्लेटफार्म प्रदान किया जाता है जिसकी मदद से हम शेयर संबंधित लेन देन कर पाते हैं।

ब्रोकर(Broker) एक वित्तीय माध्यम बिचौलिया अथवा एजेंट होता है जिसके माध्यम से हम शेयर मार्केट में शेयर को खरीद बेच कर पाते हैं। ब्रोकर हमें विभिन्न वित्तीय साधनों जैसे Stocks Futures तथा derivative की खरीद बेच में मदद करता है।

शेयर ब्रोकर क्या है?

ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं?

वे शुल्क जो ब्रोकर द्वारा अपनी सुविधाओं के एवज में लिया जाता है उसे ब्रोकिंग चार्जेस कहते हैं सभी ब्रोकरो के चार्ज एक से नहीं होते हैं यह इस पर भी निर्भर करते हैं कि किस प्रकार के ट्रांजैक्शन हमारे द्वारा किए जाते हैं यह शुल्क ब्रोकर द्वारा समय समय पर घटाया या बढ़ाया भी जा सकता है।

भारत में ब्रोकर द्वारा बता दो प्रकार के प्लान प्रदान किए जाते हैं

  1. Monthly Unlimited trading plan इसके अंतर्गत निवेशकों अथवा शेयरधारकों को एक निश्चित मासिक राशि शुल्क के रूप में ब्रोकर(Broker) को प्रदान की जाती है इसके तहत वे एक माह में असीमित stocks तथा securities की खरीद बेच कर सकते हैं।
  2. Flat per trade brokerage इसके अंतर्गत निवेशकों अथवा शेयरधारकों को प्रति सौदा के हिसाब से ब्रोकर ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है को शुल्क चुकाना पड़ता है।

ट्रेडिंग हेतु ब्रोकरेज चार्ज की गणना किस प्रकार की जाती है?

ब्रोकर(Broker) शुल्क या ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है ब्रोकरेज की गणना शेयर की खरीद बेच पर कुल कीमत के आधार पर एक निश्चित प्रतिशत के रूप में ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है तय की जाती है यह मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है

  • Intraday Trading जब किसी व्यक्ति द्वारा शेयर की खरीद तथा बेच एक ही दिन में की जाती है उस स्थिति में व्यक्ति द्वारा किए गए सौदे पर Intraday Trading शुल्क चुकाया जाता है।

जैसे किसी व्यक्ति द्वारा शेयर को खरीद कर उसी दिन ट्रेडिंग सेशन की समाप्ति के पूर्व शेयर को बेच दिया जाता है एसएसबी में ब्रोकर(Broker) शुल्क की गणना इंट्राडे ट्रेडिंग के अंतर्गत की जाती है इस स्थिति के लिए बेचे गाए और खरीदे गाए शेयर की संख्या समान होना आवश्यक है। इस प्रकार के सौदे पर ब्रोकर द्वारा लगाया गया intraday Trading शुल्क 0.01% से 0.05% के मध्य खरीद बेच किए गए शेयर की संख्या पर आधारित होता है। Intraday ब्रोकिंग शुल्क की गणना के लिए शेयर की बाजार कीमत को शेयर की संख्या तथा इंट्राडे शुल्क प्रतिशत के साथ गुणा कर की जाती है

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग शुल्क के अलावा अन्य कौन-कौन से शुल्क होते हैं?

ब्रोकर के सभी चार्ज

  • Transaction Charges शेयर मार्केट(Share Market) में शेयर की खरीद बेच के दौरान स्टॉक एक्सचेंज द्वारा शुल्क लिया जाता है जिसे ट्रांजैक्शन चार्जेस कहा जाता है यह ट्रांजैक्शन चार्ज मुख्य रूप से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज एनएसई तथा मुंबई स्टॉक एक्सचेंज बीएसई द्वारा लिए जाते हैं।
  • Security Transaction charges यह शुल्क सौदे (trade) में उपयुक्त securities की कीमत के आधार पर लगाया जाता है।
  • Commodity transaction charges यह शुल्क स्टॉक एक्सचेंज में commodity derivative के सौदे (trade) पर लगाया जाता है।
  • Stamp duty (स्टांप शुल्क) यह शुल्क राज्य सरकार द्वारा securities इसकी trading पर लगाया जाता है।
  • GST (goods and service tax)वस्तु एवम सेवा कर यह शुल्क केंद्र सरकार द्वारा ट्रांजैक्शन चार्जेस तथा ब्रोकिंग शुल्क पर लगाया जाता है। वर्तमान में यह 18% है।
  • SEBI turnover charges यह शुल्क बाजार नियामक संस्था सेबी द्वारा सभी प्रकार के वित्तीय लेन देन जैसे stocks तथा सभी securities (debt को छोड़कर आदि पर लगाया जाता है।
  • DP( Depository Participants)
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