अभी भारत में बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी गैर कानूनी नहीं हैं, लेकिन रेगुलेटेड भी नहीं हैं इसका मतलब अगर क्रिप्टोकरेंसी क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन लेनदेन में कुछ भी गलत होता हैं तो आप किसी अथॉरिटी, बैंक और सरकार के पास नहीं जा सकते।

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Cryptocurrency की लेन-देन के लिए भारतीय बाजार में आने वाला है ये प्लेटफॉर्म, जानिए डिटेल

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  • News18Hindi
  • Last Updated : July 14, 2021, 15:38 IST

नई दिल्ली . भारत में भी क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) का रास्ता थोड़ा आसान होता दिख रहा है. हालांकि देश में आरबीआई के निर्देशों के चलते क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजेस (Crypto Currency exchanges ) कई तरह की बैंकिंग समस्याओं का सामना कर रहे हैं. इसी कड़ी में यूके स्थित नेक्स्ट-जनरेशन क्रिप्टोकरेंसी बैंकिंग प्लेटफॉर्म (UK -based next-generation banking platform) कैशा (Cashaa) भारत आने की तैयारी कर रही है. वह अगस्त से यहां अपना ऑपरेशन शुरू कर सकती है. ये क्रिप्टो बैंक, क्रिप्टो ट्रेडर्स के बीच पीयर-टू-पीयर (P2P) ट्रेडिंग में मदद करेगा.

क्रिप्टो करेंसी क्या है (Cryptocurrency in Hindi)

क्रिप्टो करेंसी एक डिजिटल, क्रिप्टोग्राफ़ी द्वारा सुरक्षित और ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी पर आधारित मुद्रा है।

Cryptocurrency is a digital, cryptographically secured and blockchain technology based currency.

क्रिप्टो करेंसी का मतलब | Cryptocurrency Meaning in Hindi

टेक्नोलॉजी बहुत तेजी से बदल रही है जिससे लोगों के काम करने, संवाद करने, खरीदने और भुगतान करने का तरीका भी बदल गया है। यह सब समय के साथ बढ़ती टेक्नोलॉजी के साथ साथ बदलता रहता है।

आज के समय में लोगों ने कैश रखना बहुत कम कर दिया है जो लेनदेन हो रहे है उसमें ज्यादातर डिजिटल होते है, और यह डिजिटल लेनदेन आम जनमानस का हिस्सा बन गए है। कॉर्पोरेट्स और कंस्यूमर धीरे धीरे कैश से लेनदेन कम करते जा रहे हैं और स्मार्टफोन ने इस डिजिटल लेनदेन की प्रक्रिया को आसान और तेज कर दिया है।

डिजिटल लेनदेन के साथ डिजिटल करेंसी भी पैर जमा रही है, यह डिजिटल करेंसी क्रिप्टोकरेंसी है।

क्रिप्टोकरेंसी शब्द की उत्पत्ति | Origin of Cryptocurrency word in Hindi

क्रिप्टोकरेंसी शब्द कह सकते हैं नया शब्द है, जो 21 वीं सदी की शुरुआत से ही आया है। यह दो शब्दों – ग्रीक शब्द ‘kryptos’ जिससे ‘क्रिप्टो’ लिया गया है जिसका अर्थ है ‘छिपा हुआ या गुप्त’ और लैटिन शब्द ‘currere’ जिससे ‘करेंसी’ लिया गया है जिसका अर्थ है ‘चलाना’ से मिलकर बना है।

क्रिप्टो करेंसी डिजिटल मनी है जिसे आप छू नहीं सकते, जेब में नहीं रख सकते यानी यह करेंसी का डिजिटल रूप है और यह पूरी तरह से ऑनलाइन है। इसे क्रिप्टोग्राफी द्वारा सुरक्षित किया जाता है। कई क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी पर आधारित हैं और इनकी कोई भी सेंट्रल अथॉरिटी नहीं है।

क्रिप्टोक्यूरेंसी एक नयी डिजिटल भुगतान प्रणाली है जिसका लेनदेन का सत्यापन बैंकों पर निर्भर नहीं होता है और क्रिप्टोक्यूरेंसी का इस्तेमाल वस्तुओं और सेवाओं के भुगतान के लिए ऑनलाइन आदान-प्रदान किया जा सकता है।

करेंसी किसे कहते हैं | What is Currency in Hindi

हर देश की अपनी मुद्रा (Currency) होती है जैसे कि अमेरिका की डॉलर, यूरोपियन यूनियन की यूरो, भारत की रुपया, पाकिस्तान की पाकिस्तानी रुपया, चीन की युआन है यानी एक ऐसी भुगतान प्रणाली जो किसी देश द्वारा मान्य/अधिकृत हो और वहां के लोग इसके इस्तेमाल से चीजें खरीद सकते हों, जिसकी कोई वैल्यू हो, करेंसी (Currency) कहलाती है।

ज्यादातर क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का उपयोग करके बनाई जाती है। ब्लॉकचेन डिजिटल कोड में लेनदेन को रिकॉर्ड करता है। यह एक काफी जटिल, तकनीकी प्रक्रिया है जिससे हैकर्स के लिए छेड़छाड़ करना मुश्किल है।

इसके अलावा, क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन के लिए two-factor authentication की प्रक्रिया भी होती है। जैसे, लेनदेन शुरू करने के लिए आपको Username और Password दर्ज करने के लिए कहा जा सकता है। या फिर, आपको एक authentication code दर्ज करना पड़ सकता है जो आपके व्यक्तिगत मोबाइल फ़ोन पर टेक्स्ट के माध्यम से आता है।

Cryptocurrency में करते हैं लेनदेन या क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन निवेश? जानिए भारत में कितनी लगती है ट्रांजैक्शन फीस समेत अन्य चार्जेज

Cryptocurrency में करते हैं लेनदेन या निवेश? जानिए भारत में कितनी लगती है ट्रांजैक्शन फीस समेत अन्य चार्जेज

Cryptocurrency के प्रति लोगों की दीवानगी बढ़ती ही जा रही है. युवा और महिलाएं इसमें खुलकर निवेश कर रही हैं. अपने देश में इसकी ट्रेडिंग गैर-कानूनी नहीं है, हालांकि अभी तक यह रेग्युलेटेड भी नहीं है. रेग्युलेशन नहीं होने के बावजूद डिजिटल करेंसी में आसानी से निवेश और ट्रेडिंग की जा सकती है. हालांकि इसके लिए आपको चार्ज चुकाना होता है. आइए जानते हैं क्या-क्या चार्जेज लगते हैं.

इस समय देश में कई क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज हैं. शेयर मार्केट की तरह इसमें भी निवेश किया जाता है. ये तमाम एक्सचेंज यूजर फ्रेंडली बनाए गए हैं और मोबाइल ऐप पर भी इनकी सुविधा उपलब्ध है. हालांकि इसके बदले वे ट्रांजैक्शन चार्ज समेत कई तरह के चार्ज वसूलते हैं. crypto exchanges की मदद से डिजिटल करेंसी में ट्रांजैक्शन किया जाता है तो आपको एक्सचेंज फीस देना होता है. एक्सचेंज की कमाई का यही जरिया होता है. ये एक्सचेंज 0.10 फीसदी से 1 फीसदी तक चार्ज करते हैं.

नेटवर्क फीस

जैसा कि हम जानते हैं बिटक्वॉइन समेत कई क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग की जाती है. इसमें एनर्जी का बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता है. ऐसे में ट्रांजैक्शन करने पर नेटवर्क फीस भी जमा करना होता है. यह आपके ट्रांजैक्शन को पुख्ता करने के लिए होती है. इस फीस पर एक्सचेंज का कंट्रोल नहीं होता है. यह फीस कितनी होगी, यह डिमांड और माइनर्स पर निर्भर करता है. डिमांड बढ़ने पर नेटवर्क फीस ज्यादा हो जाती है.

क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने पर वह आपके वॉलेट में सेव होता है. यह एक तरीके से ऑनलाइन बैंक की तरह है जो डिजिटल क्वॉइन को स्टोर करता है. पेटीएम वॉलेट इसी तरह का एक वॉलेट है. अमूमन वॉलेट फीस नहीं ली जाती है, लेकिन कोई निवेशक अगर क्रिप्टो वॉलेट का इस्तेमाल करना चाहता है तो यह फीस वसूली जाती है.

क्या क्रिप्टोकरेंसी को खत्म कर देगा RBI का ई-रुपी, समझिए पूरा मामला

क्या क्रिप्टोकरेंसी को खत्म कर देगा RBI का ई-रुपी, समझिए पूरा मामला

(आर श्रीधरण) भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने पिछले महीने अपनी डिजिटल करेंसी पर एक कॉन्सेप्ट नोट प्रकाशित किया. यह आरबीआई को कई केंद्रीय बैंकों (अंतिम गणना में 60 से ज्यादा) में से एक बनाता है, जो अत्यधिक संदिग्ध और अस्थिर क्रिप्टोकरेंसी के जवाब में अपनी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) पर काम कर रहे हैं. केंद्रीय बैंक अपनी CBDC के बारे में क्या सोच रहे हैं. जवाब साफ है. क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता ने उन्हें चिंतित कर दिया है. करीब 900 बिलियन डॉलर की वैश्विक पूंजी के साथ आज 20,000 से अधिक क्रिप्टोकरेंसी चलन में हैं (उनके मूल्यों में भारी गिरावट के बावजूद – 9 नवंबर, 2021 को अकेले बिटकॉइन का मार्केट कैप 1.28 ट्रिलियन डॉलर था).

ई-रुपी बनाम क्रिप्टो

इससे पहले कि हम जानें की ई-रुपी क्या है और यह कैसे काम करेगा, आइए सबसे पहले सारांश में ई-रुपी और क्रिप्टोकरेंसी के बीच का अंतर जान लें:

• बिटकॉइन के विपरीत ई-रुपी एक फिएट मुद्रा होगी, जिसके पीछे एक जारी करने वाला प्राधिकरण (अथॉरिटी) होगा. जबकि बिटकॉइन के पीछे कोई जारी करने वाला प्राधिकरण नहीं होता है.

• ई-रुपी का मूल्य पारंपरिक रुपये के बराबर होगा और इसमें विनिमय करने की शक्ति होगी, इसलिए यह क्रिप्टो की तरह अस्थिर नहीं होगा.

• ई-रुपी को क्रिप्टो की तरह एक डिस्ट्रीब्यूटेड पब्लिक लेजर (Ledger) की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि रिकॉर्ड रखने का काम केंद्रीय बैंक करेगा. हालांकि, यह मध्यस्थ बैंकों को खत्म करने के लिए स्मार्ट टोकन जैसी ब्लॉकचेन तकनीक की कुछ विशेषताओं का इस्तेमाल कर सकता है.

• क्रिप्टो की तरह, ई-रुपी लेन-देन को रफ्तार देगा और लेन-देन की लागत को कम या खत्म कर देगा. क्रिप्टो की तरह, टोकन-आधारित ईरुपी के मामले में अकाउंट को रखने वाला इसका स्वामी होगा.

सीबीडीसी कैसे काम करेगी?

अब अगर आप सोच रहे हैं कि ई-रुपी और डिजिटल बैंकिंग में क्या अंतर है, तो इसका जवाब यह है कि ई-रुपी केंद्रीय बैंक (रिजर्व बैंक) की देनदारी होगी, जो इसकी बही-खातों में दिखाई गई होगी. इसके विपरीत आपके कमर्शियल बैंक खाते में मौजूद डिजिटल पैसा बैंक की देनदारी होती है और वह अकेले ही लेनदेन का रिकॉर्ड रखता है. इसके अलावा बैंक में जमा पैसा आपको ब्याज से आय देता है, लेकिन ई-रुपी के साथ होल्डिंग्स पर ब्याज के भुगतान के पक्ष और विपक्ष दोनों के अपने तर्क हैं. कारण: सीबीडीसी को बैंक में जमा धन के साथ प्रतिस्पर्धा करने से रोकना है. आरबीआई आखिर में, जो भी निर्णय ले मगर यह निश्चित है कि ई-रुपी पारंपरिक रुपये के साथ सह-अस्तित्व में होगा.

आरबीआई की नोट की तरह, सीबीडीसी के दो अलग-अलग यूजर्स होंगे: पहला, खुदरा (आप और मेरे जैसे लोग) और दूसरा थोक यानी बैंक. बैंक सीबीडीसी का इस्तेमाल दूसरे बैंकों से लेन-देन में करेंगे. जबकि आप और हम नियमित लेनदेन के लिए इसके टोकन-आधारिक वर्जन का इस्तेमाल करेंगे.

क्या सीबीडीसी क्रिप्टो को खत्म कर देगा?

क्रिप्टो जमा करने वाले सीबीडीसी पर पैनी नजर रखे हुए हैं. उन्हें केंद्रीय बैंकों के अपने क्षेत्र में दखल देने का विचार पसंद नहीं आ रहा है. आखिरकार, बिटकॉइन मौद्रिक रुपये को खत्म करने के उद्देश्य से सामने आया. यह किसी देश के मुद्रा पर कब्जे के खिलाफ एक विद्रोह जैसा था. बिटकॉइन के समर्थकों ने सवाल किया कि किसी मुद्रा को जारी करने, क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन बढ़ाने या मूल्य कम करने की शक्ति केवल उसे जारी करने वाले देश के हाथ में ही क्यों हो? राष्ट्र के बजाय लोगों का एक समूह अपनी निजी मुद्रा क्यों नहीं चला सकता, जिसे राजनेताओं और नौकरशाहों की इच्छा के मुताबिक नहीं, बल्कि कंप्यूटर एल्गोरिथम के तर्क के अनुसार प्रबंधित किया जा सकता हो. विचार के रूप में तो यह बहुत ही अच्छा है मगर यह अनजाने खतरों से खाली नहीं है. क्रिप्टो बाजार में साल भर की उथल-पुथल ने यह साबित भी कर दिया है.

क्या क्रिप्टोकरेंसी को खत्म कर देगा RBI का ई-रुपी, समझिए पूरा मामला

क्या क्रिप्टोकरेंसी को खत्म कर देगा RBI का ई-रुपी, समझिए पूरा मामला

(आर श्रीधरण) भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने पिछले महीने अपनी डिजिटल करेंसी पर एक कॉन्सेप्ट नोट प्रकाशित किया. यह आरबीआई को कई केंद्रीय बैंकों (अंतिम गणना में 60 से ज्यादा) में से एक बनाता है, जो अत्यधिक संदिग्ध और अस्थिर क्रिप्टोकरेंसी के जवाब में अपनी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) पर काम कर रहे हैं. केंद्रीय बैंक अपनी CBDC के बारे में क्या सोच रहे हैं. जवाब साफ है. क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता ने उन्हें चिंतित कर दिया है. करीब 900 बिलियन डॉलर की वैश्विक पूंजी के साथ आज 20,000 से अधिक क्रिप्टोकरेंसी चलन में हैं (उनके मूल्यों में भारी गिरावट के बावजूद – 9 नवंबर, 2021 को अकेले बिटकॉइन का मार्केट कैप 1.28 ट्रिलियन डॉलर था).

ई-रुपी बनाम क्रिप्टो

इससे पहले कि हम जानें की ई-रुपी क्या है और यह कैसे काम करेगा, आइए सबसे पहले सारांश में ई-रुपी और क्रिप्टोकरेंसी के बीच का अंतर जान लें:

• बिटकॉइन के विपरीत ई-रुपी एक फिएट मुद्रा होगी, जिसके पीछे एक जारी करने वाला प्राधिकरण (अथॉरिटी) होगा. जबकि बिटकॉइन के पीछे कोई जारी करने वाला प्राधिकरण नहीं होता है.

• ई-रुपी का मूल्य पारंपरिक रुपये के बराबर होगा और इसमें विनिमय करने की शक्ति होगी, इसलिए यह क्रिप्टो की तरह अस्थिर नहीं होगा.

• ई-रुपी को क्रिप्टो की तरह एक डिस्ट्रीब्यूटेड पब्लिक लेजर (Ledger) की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि रिकॉर्ड रखने का काम केंद्रीय बैंक करेगा. हालांकि, यह मध्यस्थ बैंकों को खत्म करने के लिए स्मार्ट टोकन जैसी ब्लॉकचेन तकनीक की कुछ विशेषताओं का इस्तेमाल कर सकता है.

• क्रिप्टो की तरह, ई-रुपी लेन-देन को रफ्तार देगा और लेन-देन की लागत को कम या खत्म कर देगा. क्रिप्टो की तरह, टोकन-आधारित ईरुपी के मामले में अकाउंट को रखने वाला इसका स्वामी होगा.

सीबीडीसी कैसे काम करेगी?

अब अगर आप सोच रहे हैं कि ई-रुपी और डिजिटल बैंकिंग में क्या अंतर है, तो इसका जवाब यह है कि ई-रुपी केंद्रीय बैंक (रिजर्व बैंक) की देनदारी होगी, जो इसकी बही-खातों में दिखाई गई होगी. इसके विपरीत आपके कमर्शियल बैंक खाते में मौजूद डिजिटल पैसा बैंक की देनदारी होती है और वह अकेले ही लेनदेन का रिकॉर्ड रखता है. इसके अलावा बैंक में जमा पैसा आपको ब्याज से आय देता है, लेकिन ई-रुपी के साथ होल्डिंग्स पर ब्याज के भुगतान के पक्ष और विपक्ष दोनों के अपने तर्क हैं. कारण: सीबीडीसी को बैंक में जमा धन के साथ प्रतिस्पर्धा करने से रोकना है. आरबीआई आखिर में, जो भी निर्णय ले मगर यह निश्चित है कि ई-रुपी पारंपरिक रुपये के साथ सह-अस्तित्व में होगा.

आरबीआई की नोट की तरह, सीबीडीसी के दो अलग-अलग क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन यूजर्स होंगे: पहला, खुदरा (आप और मेरे जैसे लोग) और दूसरा थोक यानी बैंक. बैंक सीबीडीसी का इस्तेमाल दूसरे बैंकों से लेन-देन में करेंगे. जबकि आप और हम नियमित लेनदेन के लिए इसके टोकन-आधारिक वर्जन का इस्तेमाल करेंगे.

क्या सीबीडीसी क्रिप्टो को खत्म कर देगा?

क्रिप्टो जमा करने वाले सीबीडीसी पर पैनी नजर रखे हुए हैं. उन्हें केंद्रीय बैंकों के अपने क्षेत्र में दखल देने का विचार पसंद नहीं आ रहा है. आखिरकार, बिटकॉइन मौद्रिक रुपये को खत्म करने के उद्देश्य से सामने आया. यह किसी देश के मुद्रा पर कब्जे के खिलाफ एक विद्रोह जैसा था. बिटकॉइन के समर्थकों ने सवाल किया कि किसी मुद्रा को जारी करने, बढ़ाने या मूल्य कम करने की शक्ति केवल उसे जारी करने वाले देश के हाथ में ही क्यों हो? राष्ट्र के बजाय लोगों का एक समूह अपनी निजी मुद्रा क्यों नहीं चला सकता, जिसे राजनेताओं और नौकरशाहों की इच्छा के मुताबिक नहीं, बल्कि कंप्यूटर एल्गोरिथम के तर्क के अनुसार प्रबंधित किया जा सकता हो. विचार के रूप में तो यह बहुत ही अच्छा है मगर यह अनजाने खतरों से खाली नहीं है. क्रिप्टो बाजार में साल भर की उथल-पुथल ने यह साबित भी कर दिया है.

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