जिस तरह अपने घर की समस्या का समाधान करने के लिए उन्होंने माँ रोबोट बनाया; आशा है आने वाले दिनों में भी बिपिन आम आदमी की समस्या के लिए ऐसी ही मशीनें बनाते रहेंगे।

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इस कंपनी के रोबोट को चाहिए आपका 'चेहरा', मिलेंगे 92 लाख रुपये

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इंग्लैंड की दिग्गज टेक कंपनी जियोमीक अपने खास रोबोट्स के लिए इंसानी चेहरे की तलाश कर रही हैं। वहीं, इन रोबोट्स के लिए जिन इंसानों का चेहरा इस्तेमाल होगा, उनको 92 लाख रुपये दिए जाएंगे। लेकिन कंपनी ने शर्त भी रखी है कि चेहरा शांत और फ्रेंडली होना चाहिए। साथ ही चेहरे के लिए एग्रीमेंट भी कराया जाएगा। आपको बता दें कि जियोमीक ऐसा रोबोट तैयार करेगा, जो इंसानों की तरह काम करने के साथ इंसान जैसा दिखाई देगा।

जियोमीक के अनुसार, इस रोबोट का नाम वर्चुअल फ्रेंड होगा। वहीं, इसका निर्माण कार्य अगले वर्ष से शुरू हो जाएगा। फिलहाल, इस रोबोट को लेकर अधिक जानकारी नहीं मिली है। जो भी व्यक्ति इस डिवाइस के लिए अपना चेहरा देगा, कंपनी उसे पैसा देगी।

रोबोट को मिला नाम

जियोमीक के अनुसार, इस रोबोट का नाम वर्चुअल फ्रेंड होगा। वहीं, इसका निर्माण कार्य अगले वर्ष से शुरू हो जाएगा। फिलहाल, इस रोबोट को लेकर अधिक जानकारी नहीं मिली है। जो भी व्यक्ति इस डिवाइस के लिए अपना चेहरा देगा, कंपनी उसे पैसा देगी।

कंपनी ने इस रोबोट को लेकर कहा है कि यह डिवाइस इंसान की तरह दिखेगा। वहीं, किसी भी शख्स के लिए चेहरे का एग्रीमेंट करवाना एक बड़ा फैसला होगा। जियोमीक ने आगे कहा है कि हमारा रोबोट मशीन की तरह नहीं दिखाई देगा, बल्कि उसकी एक अलग पहचान होगी।

ह्यूमेनॉयड रोबोट पर चल रहा है पांच साल के काम

जियोमीक इस खास टेक्नोलॉजी वाले रोबोट पर करीब पांच साल से काम कर रहा है। साथ ही कंपनी ने प्रोडक्ट आइडिया को लीक होने से भी कई बार बचाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में ह्यूमेनॉयड रोबोट्स इंसानों की नौकरी रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें छीन लेंगे।

अगर आप भी रोबोट के लिए अपना चेहरा देना चाहते है, तो आप जियोमीक की आईडी [email protected] पर अपनी फोटो मेल कर सकते है। इसके साथ ही आप कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर जानकारी हासिल कर सकेंगे।

पैसों के आभाव में पढ़ाई छूटी लेकिन सीखना नहीं

बिपिन मूल रूप से महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के रहने वाले हैं। उनके पिता गाँव में खेती करते हैं। दसवीं पास करने के बाद पैसों की कमी की वजह से वह आगे पढ़ नहीं पाए। इसके बाद वह गोवा की एक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में काम करने आ गए। वह कहते हैं, “जैसे ही पढ़ाई छूटी वैसे ही मैं मशीनों से चिपक गया। ऐसा कह सकते हैं कि मैं मशीनों के जंगल में रहता हूँ।”

Bipin Kadam while Receiving one Award

Bipin Kadam while Receiving one Award

उन्होंने एक हेल्पर के तौर पर काम करने की शुरुआत की थी; लेकिन अपने हुनर के दम पर जल्दी ही सफलता हासिल कर ली। आज वह सीएनसी प्रोग्रामर और 3डी डिज़ाइनर के पद पर काम कर रहे हैं। उनको कंप्यूटर का भी अच्छा ज्ञान है, इसलिए बिपिन जुगाड़ से ज़्यादा आविष्कार में मानते हैं।

कैसे आया ‘माँ रोबोट’ बनाने का ख़्याल

बिपिन के दिमाग में हमेशा मशीन और डिज़ाइनिंग चलती रहती हैं। वह अकेले ही किसी मशीन को बनाने के योग्य हैं। उनका सपना है कि वह दुनिया का सबसे बड़ा रोबोट बनाएं। इसकी डिज़ाइनिंग के साथ-साथ हार्डवेयर के बारे में भी वह रिसर्च करते रहते हैं।

इसी दौरान उनका ध्यान अपने घर की एक समस्या पर पड़ा। दरअसल उनकी बड़ी बेटी प्राजक्ता 17 साल की हैं, लेकिन दिव्यांग होने की वजह से उनका दिमाग एक दो साल के बच्चे जैसा है। प्राजक्ता को खाने से रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें लेकर अपने रोज़ के कामों के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। बिपिन ने जब देखा कि कभी-कभी उनकी पत्नी प्रेरणा अपने काम के कारण प्राजक्ता को समय पर खाना नहीं खिला पाती, तब उन्हें लगा कि क्यों न अपने ज्ञान का इस्तेमाल अपनी बेटी को आत्मनिर्भर बनाने के लिए किया जाए।

Ma-Robot Innovation by bipin kadam

कैसे काम करता है ‘माँ रोबोट’?

यह रोबोट, रेकॉर्डेड आवाज़ के ज़रिए काम करता है। इसमें उन्होंने तीन-चार कटोरे और एक चम्मच लगाई है। अलग-अलग खाने के नाम उन्होंने इस रोबोट की मेमोरी में फिट कर दिए हैं। इस तरह जब रोबोट को चावल खिलाने का आदेश दिया जाएगा तो यह चावल लेकर खिलाएगा। इसी तरह बाक़ी की चीज़ें भी रेकॉर्डेड हैं।

उनका बनाया एक दूसरे किस्म का मॉडल पैरों से बटन के ज़रिए चलता है। इसमें बैठने के लिए एक सीट भी दी गई है। यानी यह रोबोट आपको एहसास कराएगा कि इंसान माँ की गोद में बैठकर खा रहा है।

UP के शिक्षक दिनेश पटेल ने किया कमाल, छठवीं से लेकर 11वीं तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए रोबोट ‘शालू’ बनाया

India TV Paisa Desk

Edited By: India TV Paisa Desk
Published on: August 28, 2022 14:08 IST

Female Robot- India TV Hindi

Photo:FILE Female Robot

Highlights

  • दिनेश कहते हैं कि शालू को आसपास के अन्य स्कूलों ने भी पढ़ाने के लिए आमंत्रित किया है
  • यह महिला रोबोट 47 भाषाओं में शिक्षा देने में सक्षम है
  • उनके इस काम की केंद्रीय विद्यालय, आईआईटी पवई (मुंबई) ने सराहना की है

UP: अभी तक स्कूल-कॉलेजों में केवल इंसान ही शिक्षक के रूप में छात्रों को पढ़ाता रहा है। लेकिन अब महिला रोबोट छात्र-छात्राओं को पढ़ा रही है, उन्हें शैक्षिक ज्ञान दे रही है। इस महिला रोबोट को बनाया है, यूपी के जौनपुर के शिक्षक दिनेश पटेल ने। यह महिला रोबोट 47 भाषाओं में रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें शिक्षा देने में सक्षम है। उनके इस काम की केंद्रीय विद्यालय, आईआईटी पवई (मुंबई) ने सराहना की है। जौनपुर जिले के मड़ियाहूं के रजमलपुर गांव निवासी केंद्रीय विद्यालय के शिक्षक दिनेश ने इंसान जैसा रोबोट तैयार किया है, जिसका नाम शालू है। नौ भारतीय और 38 विदेशी भाषा बोलने में सक्षम यह रोबोट कृत्रिम बुद्धि से लैस है।

6 से लेकर 11वीं तक के बच्चों को पढ़ा रही

दिनेश ने बताया कि इस सत्र से शालू ने केंद्रीय विद्यालय पवई में कक्षाओं की शुरूआत कर दी है। पटेल ने बताया कि शालू कक्षा 6 से लेकर 11वीं तक कंप्यूटर साइंस के बच्चों को पढ़ा रही है। बच्चे भी उनसे पढ़कर काफी संतुष्ट हैं। अभी शालू तकरीबन 10 से 11 कक्षाएं ले चुकी हैं। इसका निर्माण कोरोना के पहले किया गया था, लेकिन पढ़ाने की शुरूआत इस सत्र से हुई है। शिक्षक दिनेश ने बताया कि शालू को अंग्रेजी, जर्मन, जापानी, स्पेनिश, इटैलियन, अरेबिक, चाइनीज सहित 38 विदेशी भाषाओं के अलावा नौ भारतीय भाषाएं जिनमें हिंदी, भोजपुरी, मराठी, बांगला, रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें गुजराती, तमिल, तेलुगु, मलयालम, उर्दू और नेपाली बोल सकती है। उन्होंने आगे कहा, शालू विश्व की पहली मानवीय रोबोट है, जिसकी तुलना कई रोबोटिक्स इंजीनियरों द्वारा निर्मित बड़ी रोबोटिक्स प्रयोगशालाओं से आने वाले महंगे रोबोटों से की जा सकती है।

दिन-रात की कड़ी मेहनत के बाद रोबोट बनाया

दिनेश कहते हैं कि शालू को आसपास के अन्य स्कूलों ने भी पढ़ाने के लिए आमंत्रित किया है। शालू को 16 अगस्त को एशिया के सबसे बड़े अन्तरराष्ट्रीय ऑटोमेशन रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें एक्सपो के उद्घाटन समारोह में अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। दिनेश ने बताया कि दिन-रात की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने सोफिया रोबोट जैसे ह्यूमनॉइड रोबोट विकसित किया। खास बात यह कि इसका निर्माण बेहद साधारण प्लास्टिक, गत्ता, लकड़ी व एल्युमिनियम की वस्तुओं से किया गया है। इसे बनाने में तीन वर्ष का समय और 50 हजार रुपये की लागत आई है।

आईआईटी पवई, मुंबई के प्राचार्य मिथलेश सिंह ने रोबोट शालू की कक्षा रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें का निरीक्षण भी किया। सिंह ने रोबोट शालू द्वारा विभिन्न कक्षाओं में पढ़ाए जाने की सराहना की और बताया कि तकनीक व रोबोट के माध्यम से कक्षा में पढ़ाए जाने से बच्चे अति उत्साहित हैं, और उनका मानना है कि इससे शिक्षण तकनीकी शिक्षा को और गति मिलेगी। यूपी के रहने वाले दिनेश पटेल ने एमसीए की पढ़ाई की है। रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें वह मुंबई आईआईटी के केंद्रीय विद्यालय में कंप्यूटर साइंस के शिक्षक हैं। फिल्म रोबोट से प्रभावित होकर उन्होंने मानवीय रोबोट बनाने की पहल की। हांगकांग की रोबोटिक्स कंपनी हैंसन रोबोटिक्स रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें की सोफिया रोबोट उनकी प्रेरणा बनी।

Robot to Clean Septic Tank: अब नहीं होगी सेप्टिक टैंक की सफाई के वक्त श्रमिकों की मौत, IIT Madras ने बनाया 'होमोसेप' रोबोट

इआइटी मद्रास (IIT Madras) के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा रोबोट बनाया है जो सेप्टिक टैंक की सफाई करने रेडीमेड रोबोट कहां से खरीदें में सक्षम है। इसके इस्तेमाल से श्रमिकों को सेप्टिक टैंक (Septic Tank) की सफाई के लिए टैंक में नहीं उतरना पड़ेगा। इसका नाम होमोसेप है।

नई दिल्ली, प्रेट्र: आइआइटी मद्रास (IIT Madras) के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा रोबोट बनाया है, जो सेप्टिक टैंक की सफाई करने में सक्षम है। इसके इस्तेमाल से श्रमिकों को सेप्टिक टैंक (Septic Tank) की सफाई के लिए टैंक में नहीं उतरना पड़ेगा। इसका नाम 'होमोसेप' है। होमोसेप को हाथ से मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान होने वाली श्रमिकों की मौत की दुर्घटनाओं की संभावना को खत्म करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि 10 रोबोट को तमिलनाडु में तैनात करने की योजना है।

Robot: 17 साल के लड़के ने बनाई महिला रोबोट, परोसती है खाना..पिलाती है पानी

Robot For Kitchen: खास बात यह है कि लड़के ने इसे तब बनाया जब उसकी मां को किचन में काफी मेहनत करनी पड़ती थी. एक और हैरानी वाली बात है कि इसे बनाने के लिए लड़के ने सिर्फ दस हजार रुपये खर्च किए हैं.

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