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सेक्टर-आधारित और थीम-आधारित फंड क्या होते हैं और कौन से फंड में पैसा लगाएं?

सेक्‍टोरल फंड का मतलब ऐसे फंडों से है, जो ऐसे शेयरों में निवेश करते हैं, जो विशेष उद्योग समूह या सेक्‍टर (जैसे फार्मा, बैंकिंग) के भाग होते हैं.

  • Paurav Joshi
  • Updated On - October 20, 2021 / लंबी अवधि के लिए क्रिप्टो में निवेश कर बनाए पैसा 11:47 AM IST

सेक्टर-आधारित और थीम-आधारित फंड क्या होते हैं और कौन से फंड में पैसा लगाएं?

धारणा यह है कि किसी परिसंपत्ति की कोई भी अत्यधिक कीमत अंततः लंबी अवधि में सामान्य हो जाएगी. इसलिए यह कमजोर इच्छा शक्ति वाले निवेशकों के लिए सही विकल्प नहीं है

कुछ वर्ष पहले की तुलना में निवेश की दुनिया में आजकल सेक्टोरल या थीम आधारित प्रोडक्‍ट्स काफी लोकप्रिय होते जा रहे हैं. सेक्टर-आधारित और थीम-आधारित फंड निवेशकों के लिए उपलब्ध एक तरह के इक्विटी म्यूचुअल फंड हैं. ये वैसी स्कीम हैं जो किसी खास थीम या सेक्टर में निवेश करती हैं. ये स्कीम या तो बहुत अच्छे रिटर्न दे सकती हैं या सालों तक नुकसान में रहती हैं. आइए सबसे पहले हम यह समझते हैं कि वे हैं क्या.

क्या होते हैं ये फंड

सेक्टर फंड के मामले में, किसी विशेष उद्योग या क्षेत्र से संबंधित शेयरों में निवेश किया जाता है. थीम-आधारित फंड विभिन्न क्षेत्रों या उद्योगों में निवेश कर सकते हैं लेकिन ऐसे उद्योग अक्सर किसी कॉमन थीम से जुड़े होते हैं.

सेक्‍टोरल फंड

सेक्‍टोरल फंड का मतलब ऐसे फंडों से है लंबी अवधि के लिए क्रिप्टो में निवेश कर बनाए पैसा जो ऐसे शेयरों में निवेश करते हैं जो विशेष उद्योग समूह या सेक्‍टर (जैसे फार्मा, बैंकिंग, इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर आदि) के भाग होते हैं. सेक्टर-आधारित इक्विटी फंड किसी विशेष उद्योग में ग्रोथ का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं. सेक्टर-आधारित मार्केट पैटर्न अनूठे होते हैं और सही सेक्टर में निवेश से रिटर्न मिल सकता है जो मार्केट रिटर्न की तुलना में बहुत ज़्यादा होता है. अगर निवेशक सही समय पर बाज़ार में एंट्री लेता है तो किसी सेक्टर में निवेश ज़्यादा रिटर्न दे सकता है. सेक्टर-आधारित रिटर्न आम तौर पर साइकिलिकल होते हैं. सेक्टर-आधारित को जोखिम भरा भी माना जाता है क्योंकि रिस्क विभिन्न सेक्टरों में डाइवर्सिफाई नहीं किया जाता है. सही समय पर एंट्री और एग्ज़िट की जानकारी रखने वाले अनुभवी निवेशकों की सलाह के अनुसार इसमें इंवेस्ट करना चाहिए.

थीम-आधारित फंड

थीम-आधारित फंड में सेमी-डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो होता है. ये फंड कई सेक्टरों में निवेश करते हैं जो एक कॉमन थीम से जुड़े होते हैं, जैसे की हाउसिंग, टुरिजम, मेक इन इंडिया इत्यादी. अब हाउसिंग थीमेटिक फंड उन कंपनी में इंवेस्ट करता है जो हाउसिंग थीम का हिस्सा है. इस थीम में सिमेंट कंपनी, पेइंट कंपनी, हाउसिंग फाइनांस कंपनी, स्टील कंपनी और वो सारी कंपनीज आएगी जो हाउसिंग थीम का हिस्सा है. चाहे ये कंपनी अलग अलग सेकटर की क्यों न हो. लेकिन उसकी थीम एक होगी. हाउसिंग थीमेटिक फंड इस सेकटर की सारी कंपनीज का एनालिसिस करेगा और उसमें से जो कंपनी उसे अच्छी लगती है उसमें इंवेस्ट करेगा. यानी वो हाउसिंग थीमेटीक फंड का कुछ हिस्सा सिमेन्ट कंपनी, कुछ हिस्सा पेइंट कंपनी इंवेस्ट करेंगे. इस प्रकार का इंवेस्टमेंट रिस्की होता है यानी अगर हाउसिंग की थीम चल गइ तो आपको फायदा होगा वरना नुकसान. इसलिए थीमेटीक इंवेस्टमेंट एक हाइ रिस्क और हाइ रिवोर्ड इंवेस्टमेंट होता है.

थीम-आधारित म्यूचुअल फंड लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न देने के लिए जाने जाते हैं. वे बाजार में उभरते रुझानों को पहचान कर उनमें निवेश करने की रणनीति बनाते हैं. इसलिए, जिन निवेशकों को फायदेमंद रुझानों की पहचान करने का अनुभव है, वे दीर्घकालिक निवेश के लिए थीम-आधारित फंड पर भरोसा कर सकते हैं.

सर्टिफाइड फाइनांसियल प्लानर बिरजु आाचार्य बताते हैं की ये हाइ रिस्क, हाइ रिटर्न फंड होते हैं. जैसे हम इक्विटी मार्केट के लिए ये कहते हैं की इसमें कमसे कम 3 से 5 साल के लिए निवेश करना चाहिए जबकी थीमटीक और सेक्टोरियल फंड में 5 से 7 साल के लिए निवेश करना चाहिए. जैसे फार्मा सेक्टर ने 2010 में और 2020 में अच्छा रिटर्न दिया और अब रियल एस्टेट और ओटो सेकटर अच्छे लग रहे हैं. आचार्य आगे बताते हैं की सेक्टोरियल और थीमेटिक फंड इकोनोमी के साथ जुडे हुए फंड हैं. भविष्य में कौन सा सेकटर अच्छा पर्फोर्म करेगा उसका किसी को पता नहीं. क्योंकी हर एक सेकटर की एक सायकल है.

केंद्र सरकार ने गेहूं के आटे के निर्यात पर लगाई रोक

श्नाइडर इलेक्ट्रिक बेंगलुरु में नये स्मार्ट कारखाने के विकास पर 425 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। कंपनी ने एक बयान में कहा, यह नई सुविधा बेंगलुरु में कंपनी के मौजूदा 10 कारखानों में से छह को एक जगह एकीकृत करेगी। बता दें, योजना के तहत नये कारखाने को मौजूदा पांच लाख वर्ग फुट क्षेत्र से बढ़ाकर 10 लाख वर्ग फुट किया जाएगा।

गोल्ड ईटीएफ में निवेश कैसे करें?

गोल्ड ईटीएफ में निवेश कैसे करें?

कई लोगों के दिमाग में आता है कि स्टॉक मार्केट एक्सचेंजों पर म्यूचुअल फंड इकाइयों का कारोबार कैसे होता है, गोल्ड ईटीएफ सोने की इकाइयां हैं जो एक अभौतिक रूप में आयोजित की जाती हैं। गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने के लिए आप अपनी ब्रोकरेज फर्म या फंड हाउस द्वारा स्टॉक मार्केट में पेश किए गए गोल्ड ईटीएफ में से अपना चुना हुआ गोल्ड ईटीएफ चुन सकते हैं, फिर अपने डीमैट खाते का उपयोग कर ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं।

Bajaj Finance ने भी बढ़ाया FD पर ब्याज दर

Bajaj Finance ने भी बढ़ाया FD पर ब्याज दर

Bajaj Finance ने इंटरेस्ट रेट में बढ़ोतरी की गई। ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की गई है। नई ब्याज दर आज(22 दिसंबर) से लागू है। इस नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, 15 हजार से लेकर 5 करोड़ तक के एफडी पर नई ब्याज दर लागू होगी।

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Cryptocurrency में निवेश से पहले न करें जल्दबाजी, जरूर याद रखें ये 10 बातें

Cryptocurrency Investment : लंबी अवधि के लिए क्रिप्टो में निवेश कर बनाए पैसा क्रिप्टोकरेंसी निवेशकों के बीच निवेश का एक पॉपुलर टूल बन गई हैं, लेकिन यह अब भी जबरदस्त उतार-चढ़ाव का शिकार होने वाला डिजिटल असेट है. ऐसे में लंबी अवधि के लिए क्रिप्टो में निवेश कर बनाए पैसा इस बाजार में निवेश करने से पहले कुछ चीजें हैं जो जानना जरूरी है.

Cryptocurrency में निवेश से पहले न करें जल्दबाजी, जरूर याद रखें ये 10 बातें

Cryptocurrency निवेश का पॉपुलर माध्यम बन चुकी हैं.

Cryptocurrency की दुनिया आज पिछले कुछ लंबी अवधि के लिए क्रिप्टो में निवेश कर बनाए पैसा सालों के मुकाबले कहीं ज्यादा आम हो गई है. शंका, डर और अनिश्चितता के फेज़ से गुजरकर आज के वक्त में क्रिप्टोकरेंसी निवेशकों के बीच निवेश का एक पॉपुलर टूल बन गई हैं. यहां तक कि इन्हें लेकर बड़ी कंपनियों में स्वीकार्यता भी बढ़ी है और पेमेंट के अल्टरनेट मोड में क्रिप्टोकरेंसी (payment in cryptocurrency) को स्वीकारा जाने लगा है. हालांकि, इस सबके बावजूद क्रिप्टोकरेंसी अब भी जबरदस्त उतार-चढ़ाव (highly volatile) का शिकार होने वाला डिजिटल असेट है. ऐसे में इस बाजार में निवेश करने से पहले कुछ चीजें हैं जो जान लीजिए और जिनके लिए खुद को तैयार कर लेना चाहिए.

1. गहरी रिसर्च जरूरी

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सबसे पहली बात है कि निवेश से पहले अपनी रिसर्च पक्की रखिए. पैसे-रुपयों के मामले में यह सबसे कॉमन बात है. कहीं भी पैसा लगाने से पहले आपको उस माध्यम की पूरी जानकारी होनी ही चाहिए. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी के लिए यह और भी जरूरी है क्योंकि यह मार्केट अभी नया है और ट्रेडिशनल निवेश के माध्यमों या तरीकों से काफी अलग है. इसलिए अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी के बारे में जान लीजिए. ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को समझ लीजिए, जान लीजिए कि क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में कैसे काम होता है.लंबी अवधि के लिए क्रिप्टो में निवेश कर बनाए पैसा

2. हर इन्फॉर्मेशन को वेरिफाई करें

क्रिप्टोकरेंसी का मार्केट डिसेंट्रलाइज्ड मार्केट है और इसको कोई रेगुलेट भी नहीं करता. यानी कि इसको कोई एक संस्था या व्यक्ति कंट्रोल नहीं करता है, वहीं ट्रेडिशनल करेंसी की तरह कोई सरकार या सरकारी संस्था इसका नियमन भी नहीं देखती. यह पूरी तरह स्वतंत्र है. ऐसे में जवाबदेही आप पर ही आकर रुकती है. इसमें धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े का डर होता है. ऐसे में किसी की बात में न आएं, किसी स्कीम के चक्कर में तो बिल्कुल न लंबी अवधि के लिए क्रिप्टो में निवेश कर बनाए पैसा पड़े. हर जानकारी किसी विश्वसनीय स्रोत से ही लें और वेरिफाई करें.

3. अपनी रिसर्च पर भरोसा करें

क्रिप्टोकरेंसी मार्केट को लेकर अकसर कहते हैं कि 'इस बारे में कोई कुछ नहीं जानता है.' हालांकि, फिर भी मार्केट में ढेरों मार्केट एनालिटिक्स, ट्रेंड एक्सपर्ट्स और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर हैं, जो आपको क्रिप्टो मार्केट पर स्ट्रेटजी और टिप्स देते हुए मिलेंगे. लेकिन आपके लिए जरूरी है कि आप हर किसी की बात पर भरोसा न करें, अपनी रिसर्च को देखें और अपने पर्सनल फाइनेंस को देखते हुए स्ट्रेटजी बनाएं.

4. छोटे निवेश से शुरू करें

क्रिप्टो निवेश में शुरुआत करते वक्त ध्यान रखें कि शुरुआती चरण में एक ही क्रिप्टो के साथ स्टिक करें. इधर-उधर पैर फैलाने की कोशिश न करें. क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में जबरदस्त उतार-चढ़ाव देखा जाता है, ऐसे में यही स्मार्ट होगा कि आप छोटे निवेश से शुरू करें. एक ही क्रिप्टो में निवेश करें और मार्केट की चाल को सीखें. जब थोड़ा कॉन्फिडेंट हो जाएं तब अपना निवेश बढ़ाएं.

5. थोड़ा धैर्य रखें

क्रिप्टोकरेंसी मार्केट की वॉलेटिलिटी यानी अस्थिरता के बारे में जितना चेताया जाए, उतना कम है. ऐसे में यह जरूरी है कि आप थोड़ा धैर्य रखें. मार्केट की चाल अच्छी है या बुरी, बदल जाएगी. हमेशा ठंडे दिमाग से रणनीति के तहत फैसले लें.

blockchain

6. एक नई ईमेल ID रखना बेहतर

क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग, क्रिप्टो एक्सचेंज पर या peer-to-peer नेटवर्क पर होती है. प्लेटफॉर्म्स पर ट्रेडिंग के लिए आपको ईमेल आईडी के जरिए अकाउंट खोलना पड़ता है. डेटा सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है कि आप क्रिप्टो का अपना पूरा निवेश और ट्रेडिंग वगैरह एक दूसरे आईडी पर रखें. इसके लिए एक अलग ईमेल आईडी बना लें.

7. क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट्स के बारे में पता होना चाहिए

क्रिप्टोकरेंसी को ऑनलाइन और ऑफलाइन वॉलेट में स्टोर किया जा सकता है. नए निवेशकों के लिए ऑनलाइन वॉलेट बेस्ट होता है, हालांकि, इसमें हैकिंग का डर ज्यादा होता है. ऐसे में दोनों वॉलेट को अच्छी तरह समझ लें और जो फिट लगे, वो चूज़ करें.

8. मोबाइल वॉलेट में अपनी पूरी करेंसी स्टोर न करें

इसमें कोई लंबी अवधि के लिए क्रिप्टो में निवेश कर बनाए पैसा दोराय नहीं है कि मोबाइल वॉलेट्स बहुत ही सुविधाजनक होते हैं, लेकिन इनका हैक होना भी बहुत आसान होता है. ऐसे में कभी भी अपनी पूरी क्रिप्टोकरेंसी मोबाइल वॉलेट में स्टोर न करें.

9. क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स को मत भूलें

चूंकि क्रिप्टोकरेंसी पर किसी संस्था का नियमन नहीं होता है, ऐसे में इससे होने वाले प्रॉफिट पर आपको भारी टैक्स देना पड़ सकता है. ऐसे में क्रिप्टोकरेंसी निवेश और टैक्स को लेकर देश में क्या नियम हैं, वो सब जानने के बाद ही निवेश शुरू करें.

10. जल्दबाजी न करें

क्रिप्टोकरेंसी मार्केट लुभावना माध्यम है और बहुत से लोग हर दिन इसमें निवेश और ट्रेडिंग के लिए जुड़ रहे हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप भी इसमें कूद जाएं. अपने फाइनेंस का आकलन कर लें, नियमों को अच्छे से जान लें. इसके बाद निवेश शुरू करें. और क्रिप्टो को लेकर खबरों पर भी नजर रखें कि कहीं कुछ बदलाव तो नहीं हो रहे.

पीई फर्मों को गहन संचालन क्षमताएं बनाने की जरूरत है

पीई फर्मों को गहन संचालन क्षमताएं बनाने की जरूरत है

पुराने निजी इक्विटी (पीई) निवेशकों के बीच एक कहावत है: एक सफल सौदा 70% सस्ता खरीदना, 20% उच्च बिक्री और 10% अच्छी तरह से संचालन करना है। इस सूत्र के दो परिणाम हैं। सबसे पहले, पीई फर्मों के भीतर, संचालन पर निवेश को प्रधानता दी जाती है। दूसरा, संस्थापकों को अक्सर अपने पीई निवेशकों से सार्थक परिचालन समर्थन नहीं मिलता है।

यह फॉर्मूला तेजी से बदल रहा है। तीन कारणों से पीई फर्मों के लिए सस्ता खरीदना कठिन होता जा रहा है:

सबसे पहले, संस्थापक समझदार हो रहे हैं। सलाहकारों, बैंकरों और साथी संस्थापकों का एक पारिस्थितिकी तंत्र है जो उन्हें पीई निवेशकों से अधिकतम मूल्य निकालने की सलाह देता है। सलाहकार सम्मोहक “कहानी” के निर्माण की सलाह देते हैं और उचित-परिश्रम प्रक्रिया को कैसे प्रभावित करते हैं। बैंकर पीई फर्मों के बीच प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करते हैं। साथी संस्थापक बेहतर बातचीत को सक्षम करने वाली सतर्क कहानियों को साझा करते हैं। अधिक संस्थापक अब जानते हैं कि डील वैल्यू को अधिकतम कैसे किया जाए।

दूसरा, पीई फर्मों की बढ़ती संख्या प्रतिस्पर्धा बढ़ा रही है और डील वैल्यू बढ़ा रही है। आसान पैसे के दशकों ने कई नए फंडों को उभरने में सक्षम बनाया है, कई दुर्जेय सूखे पाउडर के साथ, सस्ते सौदों को स्रोत के लिए और भी कठिन बना दिया है।

तीसरा, पत्रकारों, सलाहकारों और बैंकरों द्वारा बनाए गए सूचना नेटवर्क को देखते हुए जिनकी आजीविका सौदे की मात्रा पर निर्भर करती है, द्विपक्षीय सौदे करना मुश्किल हो रहा है। पीई कंपनियां प्रतिस्पर्धा को सीमित करने के लिए सीधे संस्थापकों के साथ द्विपक्षीय सौदे पसंद करती हैं। लेकिन गहन सूचना नेटवर्क द्विपक्षीय वार्ताओं को लपेटे में रखना उत्तरोत्तर कठिन बना रहे हैं।

अब सक्षम संस्थापकों वाली उच्च क्षमता वाली कंपनियों को सस्ते में खरीदना मुश्किल है। जो सस्ते में उपलब्ध हैं उन्हें किसी न किसी तरह से चुनौती दी जाती है (जैसे, कम सक्षम संस्थापक, कठिन उद्योग, खराब ग्राहक पोर्टफोलियो) और वे हैं जिन्हें निवेश के बाद असमान परिचालन हस्तक्षेप की आवश्यकता होगी।

उच्च बेचना उतना ही कठिन होता जा रहा है। माध्यमिक बिक्री अक्सर अन्य, अक्सर बड़ी, पीई फर्मों को होती है। विडंबना यह है कि जैसा कि ऊपर बताया गया है, पीई फर्मों को सस्ता खरीदने का जुनून है और इसलिए उचित बाजार मूल्य से ऊपर के सौदे करना कठिन है। आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के माध्यम से जनता को बेचने का विकल्प अभी भी मौजूद है, लेकिन यह केवल सबसे बड़ी पीई फर्मों के लिए उपलब्ध है जो बड़े, देर-चरण के सौदे कर सकती हैं। और संस्थापकों की तरह जनता भी गलतियों से सीख रही है और समझदार हो रही है।

इसलिए, पीई फर्मों के लिए रिटर्न बनाए रखने के लिए ऑपरेशंस लीवर तेजी से महत्वपूर्ण होता जा रहा है। हालांकि, पीई फर्मों में पारंपरिक रूप से प्रधानता का आनंद लेने वाली निवेश टीमें, संचालन लीवर को फ्लेक्स करने के लिए आदर्श रूप से अनुकूल नहीं हैं। वे बैंडविड्थ विवश हैं क्योंकि उनका काम अगला सौदा खोजना है। और वे क्षमता विवश हैं, क्योंकि अधिकांश सीमित परिचालन अनुभव के साथ बिजनेस स्कूलों या परामर्श फर्मों से सीधी भर्ती हैं। उन्हें पता हो सकता है कि क्या करना है, लेकिन जैसा कि ज्यादातर ऑपरेटर समझते हैं, यह इसे करने से अलग है। संस्थापक सलाहकारों को पसंद करते हैं जो जानते हैं कि काम कैसे करना है।

बड़ी पीई फर्मों ने इसे महसूस किया है और लगातार संचालन क्षमताओं का निर्माण कर रही हैं। केकेआर के पास कैपस्टोन है, जो ऑपरेटिंग विशेषज्ञों की इन-हाउस शाखा है जो पोर्टफोलियो कंपनियों के मूल्य को अधिकतम करना सुनिश्चित करती है। टीपीजी और जनरल अटलांटिक के पास निवेश टीमों के साथ एकीकृत डोमेन विशेषज्ञों के गहरे पूल हैं जो संचालन के माध्यम से मूल्य सुनिश्चित करते हैं। इनमें से कई विशेषज्ञ पूर्व-संस्थापक और पूर्व-सीईओ हैं जिन्होंने स्वयं व्यवसायों को बढ़ाया है। उदाहरण के लिए, क्रिसकैपिटल ने हाल ही में एलटीआई के पूर्व-सीईओ संजय जलोना को अपनी प्रौद्योगिकी और संबद्ध निवेशों को चलाने के लिए नियुक्त किया है।

लेकिन शीर्ष स्तरीय पीई फर्मों से परे, यह परिचालन चुनौती निरा है। मिड-मार्केट वह जगह है जहां प्रतिस्पर्धी तीव्रता में वृद्धि करते हुए अधिकांश नए फंड उभर कर आते हैं। अपेक्षाकृत कम आकार खरीदारी के दौरान मोलभाव करना कठिन बना देता है। अधिकांश मिड-मार्केट फंड द्वितीयक बिक्री के माध्यम से बड़ी पीई फर्मों से बाहर निकलते हैं, जो शायद ही कभी उच्च खरीदते हैं।

इसलिए, पीई फर्मों को सफल सौदों के इस बदलते फॉर्मूले के बारे में रणनीतिक रूप से सोचने की जरूरत है। यह एक आसान संक्रमण नहीं है – निवेश डीएनए (जो सस्ता खरीदने और उच्च बेचने पर ध्यान केंद्रित करता है) और संचालन डीएनए (जो लंबी अवधि में श्रमसाध्य वृद्धिशील सुधारों पर ध्यान केंद्रित करता है) मौलिक रूप से अलग हैं, जिसके लिए बहुत अलग टीमों की आवश्यकता होती है।

और संचालन टीमों के निर्माण के विभिन्न तरीके हैं – इन-हाउस या परामर्श फर्मों के साथ साझेदारी के माध्यम से, डोमेन-विशेषज्ञों या सामान्यज्ञों के रूप में जिन्हें पोर्टफोलियो कंपनियों में तैनात किया जा लंबी अवधि के लिए क्रिप्टो में निवेश कर बनाए पैसा सकता है, विशेषज्ञों के एक नेटवर्क के रूप में जिन्हें अंशकालिक रूप से लाभ उठाया जा सकता है (जैसा कि किया जा रहा है) इंडसगुरु जैसी कंपनियों द्वारा क्यूरेट किया गया) और इसी तरह।

आगे बढ़ते हुए, सबसे मजबूत संचालन क्षमताओं वाली पीई फर्मों के उच्चतम रिटर्न देने की संभावना है।

अभिषेक मुखर्जी ऑक्टस एडवाइजर्स के सह-संस्थापक और निदेशक हैं।

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