AdSense के काम करने का तरीका
Google AdSense की मदद से, पब्लिशर अपने ऑनलाइन कॉन्टेंट से पैसे कमा सकते हैं. AdSense आपके कॉन्टेंट और वेबसाइट पर आने वाले लोगों के हिसाब से, विज्ञापनों का मिलान करता है. विज्ञापन देने वाले जो लोग अपने प्रॉडक्ट का प्रमोशन करना चाहते हैं वे इन विज्ञापनों को बनाते हैं और उनके लिए पैसे चुकाते हैं. विज्ञापन देने वाले लोग, अलग-अलग विज्ञापनों के लिए अलग-अलग पैसे चुकाते हैं, इसलिए इनसे होने वाली कमाई में अंतर होता है.
इन तीन चरणों में AdSense की पूरी जानकारी दी गई है
1. आप अपनी साइट पर विज्ञापन स्पेस उपलब्ध करवाते हैं
2. आपकी साइट में सबसे ज़्यादा पैसे चुकाने वाले विज्ञापन दिखाए जाते हैं
3. इससे आपकी कमाई होती है
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
हमने पब्लिशर से मिले ये 'अक्सर पूछे जाने वाले सवाल' इकट्ठा किए हैं, ताकि आपको AdSense के काम करने के तरीके के बारे में ज़्यादा जानकारी मिल सके:
AdSense के बारे में जानकारी
AdSense, अपने ऑनलाइन कॉन्टेंट के बगल में विज्ञापन दिखाकर, बिना किसी शुल्क के पैसे कमाने का एक आसान तरीका है. AdSense की मदद से, अपनी साइट पर आने वाले लोगों को सही और दिलचस्प विज्ञापन दिखाए जा सकते हैं. यहां तक कि विज्ञापनों को अपनी पसंद के मुताबिक बनाया जा सकता है, ताकि वे आपकी साइट में एकदम आकर्षक और दिलचस्प दिखें.
AdSense प्रोग्राम दूसरों से अलग है, क्योंकि यह आपकी साइट पर Google Ads के दिए गए विज्ञापन दिखाता है. फिर Google आपकी साइट पर दिखाए गए विज्ञापनों के टाइप के हिसाब से, विज्ञापनों को मिले उपयोगकर्ता क्लिक या विज्ञापन इंप्रेशन के आधार पर आपको पेमेंट करता है. AdSense के ज़रिए आपको विज्ञापन देने वालों के बड़े सोर्स का तुरंत और ऑटोमैटिक ऐक्सेस मिल जाता है. इसका मतलब यह है कि विज्ञापन स्पेस, आपके पेज के हिसाब से ज़्यादा सही विज्ञापन, और आपकी पूरे ऑनलाइन कॉन्टेंट के लिए विज्ञापन देने वालों में प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है.
नहीं. AdSense अपने-आप आपकी साइट पर ऐसे विज्ञापन दिखाता है जो आपके कॉन्टेंट या ऑडियंस को टारगेट करके बनाए जाते हैं. जानें बोली और कीमत पूछना क्या है? कि Google आपकी साइट पर विज्ञापनों को कैसे टारगेट करता है.
AdSense, विज्ञापन नीलामी का इस्तेमाल करके, अपने-आप ऐसे विज्ञापन चुनता है जो आपके पेजों पर दिखाए जाएंगे. आपकी साइट पर सबसे ज़्यादा पैसे चुकाने वाले विज्ञापन दिखाए जाएंगे. विज्ञापन नीलामी के बारे में ज़्यादा जानें.
हां, जब आपके विज्ञापन साइट पर आने लगेंगे, तब उन्हें देखा जा सकता है. हालांकि एक बात का ध्यान रखना ज़रूरी है कि आप अपने विज्ञापन पर क्लिक न करें. AdSense कार्यक्रम की नीतियां आपको किसी भी वजह से आपके अपने विज्ञापन पर क्लिक करने की मंज़ूरी नहीं देती हैं.
हां. AdSense खाते में, ब्रैंड की सुरक्षा पेज पर अलग-अलग विज्ञापनों की समीक्षा की जा सकती है. इससे, आपके पास यह तय करने का विकल्प होगा कि उन विज्ञापनों को आपके पेजों पर दिखाना है या नहीं. साइट पर विज्ञापनों को मंज़ूरी देने और ब्लॉक करने की गाइड देखें.
लागतें
नहीं, AdSense को बिना किसी शुल्क के इस्तेमाल किया जा सकता है. अच्छी बात यह है कि Google आपकी साइट पर दिखाए जाने वाले Google Ads के लिए क्लिक, इंप्रेशन, और दूसरे इंटरैक्शन के हिसाब से आपको पैसा देगा. AdSense के ज़रिए हो सकने वाली आय के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए, AdSense से पैसे कमाने के बारे में पढ़ें.
साइन अप करें
अगर आपको AdSense का इस्तेमाल करना है, तो यहां साइन अप करें. हम आपकी साइट की समीक्षा करके देखेंगे कि वह कार्यक्रम की नीतियों के मुताबिक है या नहीं.
पब्लिशर को AdSense सेवा का इस्तेमाल करने के लिए, कार्यक्रम की नीतियों का पालन करना ज़रूरी है. इन नीतियों का पालन न करने पर, हम आपका AdSense खाता बंद कर सकते हैं. कई मामलों में, हम नीति का पालन पक्का करने के लिए पब्लिशर साथ काम करना पसंद करते हैं. हालांकि, हमारे पास इन नीतियों का उल्लंघन करने वाले विज्ञापनों को न दिखाने, इन नीतियों का उल्लंघन करने वाले पेजों पर विज्ञापनों को न दिखाने, पेमेंट रोकने या नियम उल्लंघन करने वाले खातों को बंद करने का अधिकार हैं.
कृपया ध्यान दें कि हम अपनी नीतियों में कभी भी बदलाव कर सकते हैं और जैसा कि नियमों और शर्तों में बताया गया है, कार्यक्रम की नीतियों के बारे में अपडेट रखना और उनका पालन करना आपकी ज़िम्मेदारी है.
हम AdSense पब्लिशर पर नज़र रखकर यह पता लगाते हैं कि वे हमारी कार्यक्रम की नीतियों का पालन लगातार कर रहे हैं या नहीं. अगर हमें ऐसे पब्लिशर मिलते हैं जो हमारी नीतियों या नियमों और शर्तों का पालन नहीं करते, तो हम उनके खाते को निलंबित या बंद कर सकते हैं.
कांग्रेस बोली- उपचुनाव हारते ही मोदी सरकार ने घटाए पेट्रोल-डीजल के दाम, पूछा- कब होगा 2014 वाला रेट?
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि टैक्सजीवी मोदी सरकार को सबक सिखाने के लिए देशवासियों को बधाई. प्रजातंत्र में “वोट की चोट” से भाजपा को सच का आईना दिखा ही दिया.
aajtak.in
- नई दिल्ली ,
- 03 नवंबर 2021,
- (अपडेटेड 03 नवंबर 2021, 11:01 PM IST)
- केंद्र ने किया एक्साइज ड्यूटी घटाने का ऐलान
- मोदी सरकर के रियायत पर कांग्रेस का हमला
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बेतहाशा बढ़ोतरी के बीच भारत सरकार ने थोड़ी राहत दी है. सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने का ऐलान किया है. पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क गुरुवार से 5 रुपये और 10 रुपये कम हो जाएगा. हालांकि मोदी सरकर के इस रियायत वाले फैसले पर कांग्रेस ने तीखा हमला बोला है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाल ने ट्वीट करके कहा कि इस साल पेट्रोल ₹28 और डीजल के दाम ₹26 बढ़ाए गए. देश में 14 सीटों पर उपचुनाव हारते ही पेट्रोल और डीजल के रेट को क्रमशः ₹5 और ₹10 घटाना भी प्रधानमंत्री का दिवाली का तोहफा हो गया है? हे राम! हद है.
मोदीनॉमिक्स के जुमले समझिए !
इस साल 2021 में पेट्रोल को ₹28 और डीजल के दाम ₹26 बढाए।
देश में 14 सीटों पर उपचुनाव हारते ही पेट्रोल और डीजल के रेट को क्रमशः ₹5 और ₹10 घटाना भी प्रधानमंत्री का दिवाली का तोहफा हो गया है ?
हे राम! हद है …#Petrol
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) November 3, 2021रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि टैक्सजीवी मोदी सरकार को सबक सिखाने के लिए देशवासियों को बधाई. प्रजातंत्र में “वोट की चोट” से भाजपा को सच का आईना दिखा ही दिया. याद करें- मई 2014 में पेट्रोल ₹71.41 व डीजल ₹55.49 था, तब कच्चा तेल 105.71 डॉलर/बैरल था. आज कच्चा तेल $82 बैरल है. ऐसे में 2014 के बराबर कीमत कब होगी?
टैक्सजीवी मोदी सरकार को सबक़ सिखाने के लिए देशवासियों को बधाई।
प्रजातंत्र में “वोट की चोट” से भाजपा को सच का आईना दिखा ही दिया।
याद करें-
मई 2014 में पेट्रोल ₹71.41 व डीजल ₹55.49 था, तब कच्चा तेल 105.71 डॉलर/बैरल था..
आज कच्चा तेल $82 बैरल है..
2014 के बराबर क़ीमत कब होगी?
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) November 3, 2021इधर, कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि उपचुनावों के नतीजे देखकर भाजपा को झटके लगे और आज पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कौटती कर दी. जो एक्साइज ड्यूटी कम की गई है उस पर सरकार शर्म आनी चाहिए. हम फिर से दोहराते हैं कि राहत देनी है तो पूरी राहत दीजिए. वहीं, प्रमोद तिवारी ने कहा कि आज मोदी सरकार ने 5 ₹ पेट्रोल और 10 ₹ डीजल पर टैक्स कम करके बता दिया लूट कौन रहा था?
2जी नीलामी में घपला पकड़ने वाली संस्था ‘कैग’कहाँ है? ये जो 5जी नीलामी के वक्त हुआ है, क्या वो घोटाला नहीं?
आपने थोक फल मंडी में केले की घवद नीलाम होते देखा है? व्यापारी केले की घवद का बेस प्राइस 40 रुपये रख देता है। उसके बाद छोटे कारोबारी यानी ठेले वाले उसकी बोली लगाते हैं और जो सबसे ऊंची बोली लगाता है, उसे केले की घवद दे दी जाती है। यह बोली औसतन 150 से 200 रुपये तक जाती है, जो घवद के आकार और व्यापारियों के उत्साह/मांग पर निर्भर होता है।
भारत में 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी हुई है। सरकार ने 4.3 लाख करोड़ रुपये स्पेक्ट्रम की बेस प्राइस रखी थी। नीलामी से उसको महज 1.5 लाख करोड़ रुपये मिले हैं।
2010 में जब स्पेक्ट्रम बेचा गया था तो कैग विनोद राय ने अनुमान लगाया कि अंतरराष्ट्रीय कीमत के हिसाब से 1.73 लाख करोड़ रुपये मिलने चाहिए थे। न्यायालय में मामला गया। तत्कालीन संचार मंत्री ए राजा को बोली और कीमत पूछना क्या है? घोटाले के आरोप में जेल भेज दिया गया।
कोर्ट से लेकर कैग तक बारह तेरह साल पहले उसे नीलामी करके 1.73 लाख करोड़ रुपये में बेच रहे थे। अब 5जी की नीलामी हुई है। सरकार ने अनुमान लगाया कि कम से कम 4.3 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे। अगर केले की नीलामी या किसी अन्य नीलामी से तुलना करें तो सरकार को कम से कम 10-11 लाख करोड़ रुपये मिलने चाहिए थे। वास्तव में बोली और कीमत पूछना क्या है? मिलने बोली और कीमत पूछना क्या है? जा रहे हैं 1.5 लाख करोड़ रुपये।
क्या किसी अखबार, जांच एजेंसी, कैग, सुप्रीम कोर्ट में यह क्षमता है कि वह सरकार को बताए कि 5जी स्पेक्ट्रम की अंतरराष्ट्रीय कीमत के हिसाब से कितना मूल्य था और बोली लगाने वाली 3 कम्पनियों से कार्टलाइजेशन कराकर उसे सरकार ने औने पौने भाव बेचकर कितने लाख करोड़ रुपये की कमाई की है?
बहुत आसान तरीका है। अमेरिका यूरोप में 5जी जितने में बिका, उसका दाम निकालिए। उसमें महंगाई दर जोड़कर वर्तमान मूल्य निकालिए और भारत मे जितने में स्पेक्ट्रम बिका है उससे अंतर देख लीजिए। विशेषज्ञों से बात करके बता बोली और कीमत पूछना क्या है? दीजिए कि 5जी की नीलामी में करीब 9.5 लाख करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है और कमीशन अश्विनी वैष्णव ने खाए हैं और उनको जेल में डाल दीजिए जैसे ए राजा को डाला गया था।
गिरीश मालवीय-
बहुत से लोग कहते हैं कि मोदी सरकार में भ्रष्टाचार नही हुआ, उन लोगो से एक बात पूछना चाहता हूं क्या आपने पिछ्ले 7-8 सालो में मोदी सरकार के कामकाज के बारे में कैग की रिपोर्ट की कोई भी ख़बर पढ़ी ?
“भारत का नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (Comptroller & Auditor General of India-CAG) संभवतः भारत के संविधान का सबसे महत्त्वपूर्ण अधिकारी है। वह ऐसा व्यक्ति है जो देखता है कि संसद द्वारा अनुमन्य खर्चों की सीमा से अधिक धन खर्च न होने पाए या संसद द्वारा विनियोग अधिनियम में निर्धारित मदों पर ही धन खर्च किया जाए।” ये डॉ. भीम राव अम्बेडकर का कथन हैं।
CAG के माध्यम से ही संसद की अन्य बोली और कीमत पूछना क्या है? सार्वजनिक प्राधिकरणों की, जो सार्वजनिक धन खर्च करते हैं उनकी जवाबदेही सुनिश्चित की जाती है और यह जानकारी प्रतिवर्ष जनता के सामने रखना जरूरी होता है।
2015 से पहले हर साल संसद में कैग की रिपोर्ट पर हंगामा होता था, घोटाला हुआ या नहीं हुआ बात दीगर है लेकिन 2जी नीलामी, कोयला ब्लॉक नीलामी, आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाला और 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स जैसे अनेक प्रकरण उस वक्त कैग रिपोर्ट के द्वारा ही हमारी जानकारी में आए थे।
आज कैग की क्या हालत है कभी आपने जानने की कोशिश की ? क्या मीडिया ने कभी आपको कैग की रिपोर्ट के लिए अवेयर किया ?
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मोदी सरकार में कैग का किस तरह से गला घोंटा गया है।
इंडियन एक्सप्रेस द्वारा दायर आरटीआई आवेदन के जवाब में दी गई जानकारी से पता चला कि केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों से संबंधित सीएजी रिपोर्ट 2015 में 55 से घटकर 2020 में केवल 14 रह गई।
यानि मोदी जी के रहते संसद में यूपीए सरकार से लगभग 75% कम रिपोर्ट CAG की पेश हुई है, और जो पेश हुई है उनमें भी लीपापोती करने की कोशिश साफ़ नजर आती है।
भ्रष्टाचार का ताजा उदाहरण आपके सामने है केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी द्वारा कुछ ही दिन पहले 25 जुलाई को सदन में दिए गए एक लिखित उत्तर में बताया गया कि देश में कोयले की कोई कमी नहीं है भारत में बोली और कीमत पूछना क्या है? कोयले का उत्पादन 31% बढ़ा है,………तो फिर आप ही बताइए कि एनटीपीसी पर और देश के विभिन्न राज्यो पर, विदेशो से बेहद महंगे कोयले के आयात का दबाव क्यों बनाया जा रहा है ?
देश की कोल इंडिया लिमिटेड मात्र तीन हजार रुपये प्रति टन की दर से कोयला राज्यों को दे रही है। जबकि अडाणी से कोयला खरीदने के लिये जो टेंडर डाले गए उसमे अडानी ने 30 से 40 हजार रुपये प्रति टन की दर से कोयला आयात के रेट दिए हैं।
और अभी खबरे आ रही है कि दस गुना रेट पर कोयला आयात करने के टेंडर पास भी हो गए हैं इस तरह से जबरन 10 गुना महंगा विदेशी कोयला खरीदेगे तो देश के करोड़ों उपभोक्ताओं को महंगी बिजली खरीदना पड़ेगी।
कल ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि वे बिजली मंत्रालय को राज्यों और उसकी बिजली उत्पादन कंपनियों बोली और कीमत पूछना क्या है? को कोयले के आयात के लिए अपने “जबरदस्ती दिए गए निर्देश” को वापस लेने के लिए कहें, जिनकी उन्हें आवश्यकता नहीं है। फेडेरेशन ने कहा कि 25 जुलाई को संसद में कोयला मंत्रालय के जवाब को देखते हुए महंगा विदेशी कोयला आयात जरूरी ही नहीं है।
इतनी बड़ी लूट खुले आम बोली और कीमत पूछना क्या है? चल रही है लेकिन न कोई कुछ समझने को तैयार हैं न कुछ करने को ? कैग जेसी संस्था को किनारे लगा दिया गया है तो भ्रष्टाचार की रिपोर्ट देगा ही कौन , लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जानें वाला मीडिया तो पहले ही बिक चुका है !
पुलिस ने खाद जब्त बोली और कीमत पूछना क्या है? की, लोगों ने लूट लिया तो बोली- हम क्या करें
बाइक को छोड़ जब्त खाद को कुछ लोगों ने लूट लिया। पुलिस से जब पूछा गया कि कौन लोग खाद को लूटे हैं, तो जवाब मिला कि इस बारे में जानकारी नहीं है। यह हमारे विभाग का मामला नहीं है। हम क्या करें।
बिहार के सुपौल जिले में जहां एक ओर किसान रबी फसल की बुआई के लिए एक बार फिर से खाद की किल्लत से जूझ रहे हैं वहीं भीमपुर थाना क्षेत्र में खाद की तस्करी चरम सीमा पर है। विभागीय अधिकारी आए दिन तस्करों के खिलाफ लगातार छापेमारी अभियान चलाकर खाद की कालाबाजारी पर लगाम लगाने का प्रयास कर रहे हैं। भीमपुर थाना क्षेत्र के ठूठी पंचायत के चैनपुर मिडिल स्कूल के पास रविवार की दोपहर दो बाइक से सात बोरा कालाबाजारी का खाद और एक बाइक को पुलिस ने जब्त किया था। इस दौरान पुलिस के सामने से एक बोरा खाद गायब हो गई।
इसके बाद पुलिस एक तस्कर सहित छह बोरा खाद और एक बाइक को अपनी देखरेख में एक निजी दरवाजे पर रख दिया। बताया जाता है कि यहां से मौका पाकर तस्कर भी पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया। हालांकि पुलिस ने फरार तस्कर को काफी तलाशने की कोशिश की लेकिन वो पुलिस के हाथ नहीं लगा।
हद तो तब हो गई जब जब्त खाद को थाना लाने के बजाय एक निजी घर में रख दिया गया। बताया जाता है कि वहां से खाद को कुछ लोगों ने लूट लिया। उधर, थानाध्यक्ष रामाशंकर ने बताया कि बाइक को छोड़ जब्त खाद को कुछ लोगों ने लूट लिया। उनसे जब पूछा गया कि कौन लोग खाद को लूटा है तो कहा कि कौन लूटा इसके बारे में जानकारी नहीं है, जब लूट लिया तो उसमें हम क्या कर सकते हैं। यह काम तो संबंधित विभाग का है।
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