सरकारी स्कूलों में होगा 17 से 23 मई तक स्टूडेंट लर्निंग असेसमेंट सर्वे
बच्चों का लर्निंग लेवल चैक करने के लिए आयोजित की जायेगी परीक्षा
हिंदी, अंग्रेजी व गणित विषयों की होगी परीक्षा
गुरुग्राम, 11 मई। गुरुग्राम में शिक्षा विभाग द्वारा 17 से 23 मई तक स्टूडेंट लर्निंग असेसमेंट सर्वे के तहत परीक्षाएं आयोजित करवाई जाएंगी। इस सर्वे के तहत जिला के जिन विद्यार्थियों ने चौथी, छठीं व नौंवी कक्षाओ में दाखिला लिया है, उनके हिंदी, अंग्रेजी व गणित विषयो की परीक्षा ली जाएगी और सर्वे के लिए यह परीक्षा रैंडम तौर पर चयन किए जाने वाले कुछ स्कूलों में आयोजित होगी।
इस बारे में निर्देश आज शिक्षा विभाग के राज्य परियोजना निदेशक एस एस फुलिया ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला शिक्षा अधिकारियों को दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह परीक्षा उन बच्चों का लर्निंग लेवल चैक करने के लिए आयोजित की जा रही है और इस प्रकार की परीक्षा प्रदेश के सभी जिलों मे होगी ताकि विद्यार्थियों के शिक्षा स्तर का मूल्यांकन करके भविष्य की रूपरेखा तैयार की जा सके। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे इस परीक्षा को लेकर स्टॉफ की ड्यूटी लगाए और उन्हें परीक्षा निष्पक्षता से करवाने को लेकर दिशा-निर्देश जारी करें।
उन्होंने कहा कि जिस भी स्कूल में यह परीक्षा करवाई जाएगी, वहां पर परीक्षा वाले दिन स्टॉफ दूसरे स्कूल का ड्यूटी देगा।
वीडियो कान्फ्रेंसिंग के बाद जिला शिक्षा अधिकारी नीलम भंडारी ने बताया कि इस परीक्षा को लेकर अस्सिटेंट ब्लॉक रिसोर्स कोर्डिनेटरो ,विशेष अध्यापकों तथा बीआरपी की ड्यूटी लगाई जाएगी। उन्होंने बताया कि इस परीक्षा के लिए प्रत्येक ब्लॉक से 8-9 स्कूलों को रैंडमली चुना जाएगा और इस प्रकार का विद्यार्थियों के शिक्षा स्तर का मूल्यांकन हर साल होता है।
इस परीक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों के पाठ्यसामग्री की एक्चुअल नॉलेज का मूल्यांकन करना है क्योंकि परीक्षा के परिणाम आने के बाद इस डाटा का इस्तेमाल प्रदेश के बच्चों के शिक्षा स्तर में सुधार लाने के लिए किया जा सके। उन्होंने बताया कि यह परीक्षा प्रदेश के सभी जिलों मे आयोजित की जाती है ताकि बच्चों के शिक्षा के स्तर की वास्तविक स्थिति का पता लगाया जा सके और उनसे आने वाले परिणामों के आधार पर आगे की रूपरेखा तैयार की जा सके।
वीडियो कान्फ्रें सिंग में जिला शिक्षा अधिकारी नीलम भंडारी, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी रामकुमार फलसवाल, जिला परियोजना अधिकारी मुकेश यादव, जिला खंड शिक्षा अधिकारी इंदु बोकन सहित एबीआरसी, बीआरपी व अन्य अधिकारीगण उपस्थित होंगे।
सरकारी स्कूलों में होगा 17 से 23 मई तक स्टूडेंट लर्निंग असेसमेंट सर्वे
बच्चों का लर्निंग लेवल चैक करने के लिए आयोजित की जायेगी परीक्षा
हिंदी, अंग्रेजी व गणित विषयों की होगी परीक्षा
गुरुग्राम, 11 मई। गुरुग्राम में शिक्षा विभाग द्वारा 17 से 23 मई तक स्टूडेंट लर्निंग असेसमेंट सर्वे के तहत परीक्षाएं आयोजित करवाई जाएंगी। इस सर्वे के तहत जिला के जिन विद्यार्थियों ने चौथी, छठीं व नौंवी कक्षाओ में दाखिला लिया है, उनके हिंदी, अंग्रेजी व गणित विषयो की परीक्षा ली जाएगी और सर्वे के लिए यह परीक्षा रैंडम तौर पर चयन किए जाने वाले कुछ स्कूलों में आयोजित होगी।
इस बारे में निर्देश आज शिक्षा विभाग के राज्य परियोजना निदेशक एस एस फुलिया ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला शिक्षा अधिकारियों को दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह परीक्षा उन बच्चों का लर्निंग लेवल चैक करने के लिए आयोजित की जा रही है और इस प्रकार की परीक्षा प्रदेश के सभी जिलों मे होगी ताकि विद्यार्थियों के शिक्षा स्तर का मूल्यांकन करके भविष्य की रूपरेखा तैयार की जा सके। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे इस परीक्षा को लेकर स्टॉफ की ड्यूटी लगाए और उन्हें परीक्षा निष्पक्षता से करवाने को लेकर दिशा-निर्देश जारी करें।
उन्होंने कहा कि जिस भी स्कूल में यह परीक्षा करवाई जाएगी, वहां पर परीक्षा वाले दिन स्टॉफ दूसरे स्कूल का ड्यूटी देगा।
वीडियो कान्फ्रेंसिंग के बाद जिला शिक्षा अधिकारी नीलम भंडारी ने बताया कि इस परीक्षा को लेकर अस्सिटेंट ब्लॉक रिसोर्स कोर्डिनेटरो ,विशेष अध्यापकों तथा बीआरपी की ड्यूटी लगाई जाएगी। उन्होंने बताया कि तकनीकी और मौलिक अनुसंधान इस परीक्षा के लिए प्रत्येक ब्लॉक से 8-9 स्कूलों को रैंडमली चुना जाएगा और इस प्रकार का विद्यार्थियों के शिक्षा स्तर का मूल्यांकन हर साल होता है।
इस परीक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों के पाठ्यसामग्री की एक्चुअल नॉलेज का तकनीकी और मौलिक अनुसंधान मूल्यांकन करना है क्योंकि परीक्षा के परिणाम आने के बाद इस डाटा का इस्तेमाल प्रदेश के बच्चों के शिक्षा स्तर में सुधार लाने के लिए किया जा सके। उन्होंने बताया कि यह परीक्षा प्रदेश के सभी जिलों मे आयोजित की जाती है ताकि बच्चों के शिक्षा के स्तर की वास्तविक स्थिति का पता लगाया जा सके और उनसे आने वाले परिणामों के आधार पर आगे की रूपरेखा तैयार की जा सके।
वीडियो कान्फ्रें सिंग में जिला शिक्षा अधिकारी नीलम भंडारी, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी रामकुमार फलसवाल, जिला परियोजना अधिकारी मुकेश यादव, जिला खंड शिक्षा अधिकारी इंदु बोकन सहित एबीआरसी, बीआरपी व अन्य अधिकारीगण उपस्थित होंगे।
मंडलायुक्त ने डीपीएसजी सहित दो स्कूलों को फीस वृद्धि नहीं करने का दिया निर्देश
गुरुग्राम, 08 मई: गुरुग्राम मण्डल के आयुक्त एवं फीस व फण्ड रैगुलेटरी कमेटी के अध्यक्ष डा. डी सुरेश ने आज अपने कार्यालय में गुरुग्राम के चार स्कूलों के प्रबंधन तथा उनमें पढने वाले बच्चों के अभिभावकों की फीस बढौत्तरी के मामले में सुनवाई की। उन्होंने आज गुरुग्राम के डीपीएसजी स्कूल पालम विहार, वैगा स्कूल सैक्टर-48, शिव नादर स्कूल तथा प्रसिडियम स्कूल के फीस बढौत्तरी के मामलों की सुनवाई की।
इस सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि दो स्कूल डीपीएसजी तथा वैगा स्कूल ने हरियाणा विद्यालय शिक्षा नियम के तहत फार्म 6 नही जमा करवाया है इसलिए ये स्कूल अभी फीस बढौत्तरी करने के लिए सक्षम नही हैं।
इन स्कूलों को अभी हरियाणा सरकार से अनुमति तो मिल गई है लेकिन मान्यता विचाराधीन है। इन्होंने मान्यता के लिए सरकार के पास आवेदन किया हुआ है। मण्डलायुक्त ने कहा कि जब तक ये स्कूल फार्म-6 भरकर नही देते तब तक ये फीस के ढांचे में बदलाव करने के लिए सक्षम नही है। राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त होने के बाद ही स्कूलों के लिए 31 दिसंबर तक अगले शैक्षणिक सत्र के लिए फार्म-6 भरकर शिक्षा विभाग में जमा करवाना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में इन दोनों स्कूलों को फीस व फण्ड रेगुलेटरी कमेटी के अध्यक्ष होने के नाते वे आदेश जारी करेंगे। यदि स्कूलों द्वारा इन आदेशों की उल्लंघना की जाती है तो वे शिक्षा विभाग को इन्हें मान्यता नही देने की सिफारिश कर सकते हैं। मण्डलायुक्त ने कहा कि इस दौरान ये स्कूल किसी भी बच्चे को स्कूल से नहीं निकाल सकते और तकनीकी और मौलिक अनुसंधान ना ही किसी प्रकार की पैनलटी लगा सकते हैं।
पालम विहार के डीपीएसजी स्कूल के मामले में प्रबंधन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उन्होंने चिरंजीव भारती स्कूल की बिल्डिंग लेकर उसमें नया स्कूल शुरू किया है, इसलिए उन्होंने फीस के नए ढांचे का प्रस्ताव भी किया है। अभिभावकों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उन्होंने अपनी हैसियत के हिसाब से चिरंजीव भारती स्कूल में बच्चों का दाखिला करवाया था, जिसकी फीस अब के मुकाबले काफी कम थी और वे बढी हुई फीस भरने में अपने आपको असक्षम मानते हैं। उन्होंने कहा कि शुरू में डीपीएसजी द्वारा फीस में 200 प्रतिशत वृद्धि की गई थी और अब भी पिछले वर्ष के मुकाबले वृद्धि 70 प्रतिशत है, जोकि अनुचित है। जिला शिक्षा अधिकारी नीलम भण्डारी ने भी अपना मत देते हुए कहा कि स्कूल प्रबंधन द्वारा फीस बढाना न्याय संगत नही है। साथ ही उन्होंने बताया कि डीपीएसजी के पास तीसरी कक्षा तक स्कूल चलाने की अनुमति है। वर्तमान में इस स्कूल में चिरंजीव भारती स्कूल मे शिक्षारत लगभग 3500 बच्चे पढ रहे हैं। डीपीएसजी स्कूल में फीस बढौत्तरी का मामला प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राव नरबीर सिंह के संज्ञान में आया था जिसके बाद उन्होंने स्थानीय अधिकारियों को इसे हल करने की हिदायत दी थी। मंत्री के हस्तक्षेप से आज अभिभावकों को काफी राहत मिली है।
इसी प्रकार वैगा स्कूल ने भी राज्य सरकार को मान्यता के लिए आवेदन किया हुआ है। मण्डलायुक्त ने कहा कि पहले स्कूल मान्यता प्राप्त करे और उसके बाद फार्म-6 भरकर पब्लिक डोमेन में डाले ताकि सभी अभिभावकों को पता चल सके कि उनका फीस स्ट्रक्चर क्या होगा और उसी अनुरूप वे अपने बच्चों को इस स्कूल में पढाने या नहीं पढाने के बारे में फैसला ले सकते हैं। इस स्कूल के मामले में भी मण्डलायुक्त के फैसले ने अभिभावकों को काफी राहत प्रदान की है। अभिभावकों का आरोप था कि फीस बढौत्तरी नाजायज है जबकि प्रबंधन का कहना था कि अच्छे शिक्षक नियुक्त करने के लिए 10 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
इसी प्रकार आज दोपहर बाद मण्डलायुक्त ने शिव नादर स्कूल प्रबंधन तथा अभिभावकों का पक्ष सुना। प्रबंधन ने पक्ष रखा कि उनके स्कूल द्वारा शैक्षणिक सत्र 2016-2017 के लिए दो बार फार्म-6 जमा करवाया है। एक फार्म 30 दिसंबर 2015 तथा दूसरा 11 मार्च 2016 को शिक्षा विभाग में जमा करवाया गया और जो फीस फार्म 6 में दर्शाई कई है उसी के अनुसार फीस ली जा रही है। लगभग 91 प्रतिशत अभिभावक फीस की अदायगी भी कर चुके हैं। अभिभावकों ने कहा कि फार्म-6 के बिंदु नंबर 7 में जो फीस दर्शाई गई है, उतनी राशि वे भरने को तैयार हैं परंतु प्रबंधन का कहना है कि वार्षिक फीस को बिंदु नबंर 6 (डी) में दर्शाया गया है। प्रबंधन ने यह भी कहा कि शिक्षा विभाग के फॉर्मेट के अनुसार ही फीस दर्शाई गई है और उसमें वार्षिक फीस का कॉलम नही था। उन्होंने कहा कि उनका मकसद अभिभावकों से कुछ भी छिपाना नही है।
शिव नादर स्कूल के मामले में मण्डलायुक्त ने जांच के आदेश दिए हैं जिसमें यह देखा जाएगा कि विद्यालय द्वारा दो बार फार्म 6 क्यों भरा गया, क्या फार्म 6 समय पर भरा गया था और इस बारे में भी शिक्षा विभाग से सुझाव मांगा जाएगा कि क्या स्कूल अपनी फीस बिंदु नबंर 6 में भी दर्शा सकता है। उन्होंने कहा कि इसमें 15 से 30 दिन लग सकते हैं। साथ ही आदेश दिए कि इस दौरान अभिभावक बिंदु नबंर 7 के हिसाब से फीस अदा कर सकते हैं, लेकिन प्रबंधन को भी यह छूट रहेगी कि वह उसे स्वीकार करें या फैसला आने तक इंतजार करे। इस दौरान विद्यालय प्रबंधन किसी भी अभिभावक या विद्यार्थी को प्रताडि़त नही करेगा और ना ही किसी बच्चे के खिलाफ कोई कार्यवाही करेगा। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी तथा जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को आदेश दिए गए कि वे एक सप्ताह के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
प्रसिडियम स्कूल के मामले में प्रबंधन ने बताया कि स्कूल द्वारा समय पर फार्म-6 जमा करवाया गया है और फीस में बढौत्तरी 10 प्रतिशत से कम है। अभिभावकों का आरोप था कि उन्हें फार्म-6 नही दिखाया गया और बार-बार पूछने पर भी यह नहीं बताया गया कि हर साल स्कूल द्वारा लिए जाने वाले वार्षिक चार्जिज और डवलैपमेंट फीस का कहा प्रयोग हुआ है। इस पर मण्डलायुक्त ने कहा कि उनके मामले में संवादहीनता नजर आ रही है। उन्होंने स्कूल प्रबंधन को आदेश दिए कि वह अपने स्कूल के नोटिस बोर्ड पर फार्म-6 की प्रति प्रदर्शित करे और उसे अपने स्कूल की वैबसाईट पर भी अपलोड करे ताकि कोई भी व्यक्ति उसे देखकर अपने बच्चे को वहां पढाने या नही पढाने के बारे में निर्णय ले सके। जहां तक डवलैपमेंट फण्ड के खर्च का सवाल है, यह उनकी अध्यक्षता वाली कमेटी के दायरे में नही आता और इस बारे में वे शिक्षा विभाग को अपनी शिकायत भेज सकते हैं।
इस मौके पर गुरुग्राम उत्तरी के एसडीएम भारत भूषण गोगिया, जिला शिक्षा अधिकारी नीलम भण्डारी व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी राम कुमार फलसवाल भी उपस्थित थे
Varanasi News: वाराणसी में पूर्वोत्तर रेलवे के रेल प्रबंधक की अध्यक्षता में भीमराव अंबेडकर की मनाई गई पुण्यतिथि
वाराणसी। पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी मंडल के भारतेंदु सभागार में मंडल रेल प्रबंधक रामाश्रय पाण्डेय की अध्यक्षता में भारत रत्न बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का 67 वाँ महापरिनिर्वाण दिवस मनाया गया। इस अवसर पर अपर मंडल रेल प्रबंधक(इन्फ्रा) ज्ञानेश त्रिपाठी, अपर मंडल रेल प्रबंधक (परिचालन) शिव प्रताप सिंह यादव, अपर मंडल रेल प्रबंधक(प्रशासन) राहुल श्रीवास्तव, वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक ए.पी.सिंह, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक संजीव शर्मा,वरिष्ठ मंडल इंजीनियर समन्वय राकेश रंजन, वरिष्ठ मंडल सिगनल एवं दूरसंचार इंजीनियर रजत प्रिय, वरिष्ठ तकनीकी और मौलिक अनुसंधान मंडल विद्युत इंजीनियर (सामान्य) पंकज केशरवानी, वरिष्ठ मंडल विद्युत इंजिनियर(ऑपरेशन) अनिल श्रीवास्तव,
वरिष्ठ मंडल संरक्षा अधिकारी आशुतोष शुक्ला,मंडल कार्मिक अधिकारी विवेक मिश्रा, मंडल वित्त प्रबंधक एस.आर.के.मिश्रा, सहायक कार्मिक अधिकारी आनन्द कुमार, कार्मिक विभाग के निरीक्षकों समेत अनुसूचित जाति/जनजाति कर्मचारी एशोसियेशन के सदस्यों,मजदूर यूनियन के पदाधिकारी एवं कर्मचारियों ने बाबा साहब के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजली दी। अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में रामाश्रय पाण्डेय ने कहा भारत रत्न बाबा साहब डा० भीमराव अम्बेडकर, भारत ही नही बल्कि सम्पूर्ण विश्व की एक महान विभूति थे। अपने जीवन के संघर्षो को अपनी अटूट लगन, ज्ञान एवं परिश्रम के सहारे उन्होंने पीछे छोड़ा और सम्पूर्ण समाज के लिए एक मिसाल छोड़ गये।
बाबा साहब ने समाज मे व्याप्त बिखराव और असमानता की संकीर्णताओं से बाहर निकलने का रास्ता खोजा और दूसरों के लिए राह आसान बनायी इसके पीछे उनके स्वयं के जीवन में घटी घटनायें और विषमताएं थीं। जिसे महसूस करके आने वाली पीढियों को उनसे मुक्त रखने के लिए उन्होंने दृढ निश्चय किया था। महिला उत्थान के लिए भी आजीवन संघर्षशील रहे। नारी शिक्षा और समानता के सन्दर्भ में उन्हीं के प्रयासों से बहुत सारी कल्याणकारी योजनाओं को मूर्त रुत मिला, जिनसे आज सारा समाज लाभान्वित हो रहा है।
बाबा साहब ने अपने जीवन में एक अद्वितीय उदाहरण बनकर, तमाम वंचितों- उपेक्षितों और बेसहारा लोगों के लिये प्रेरणास्रोत बनकर एवं मार्गदर्शन देकर उनका उद्धार कर दिया। शिक्षा और समानता को मौलिक अधिकार के रूप में स्थापित करके सारे समाज को एक राह पर लाने का अविस्मरणीय कार्य किया। सम्पूर्ण देश उनके द्वारा की गयी अनमोल सेवाओं के लिए उनका आभारी रहेगा एवं उनके द्वारा दिखाये गये मार्ग पर चलकर सामूहिक रुप से एक शिक्षित, सभ्य, संवेदशील समाज के रूप में समग्र उन्नति करेगा, ऐसा मेरा विश्वास है।
शिक्षा का महत्व हम सभी जानते हैं प्रत्येक मनुष्य के लिए ,चाहे वह नर नारी हो किसी धर्म का, किसी वर्ग का, किसी क्षेत्र का हो ,शिक्षा उसके लिए सबसे अमूल्य है। शिक्षित होने के पश्चात समाज में जब व्यक्ति पदार्पण करता है, तो विभिन्न प्रकार की समस्याओं का, परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे समय में व्यक्ति के धैर्य और संघर्ष की कसौटी होती है। बिना विचलित हुए अपने मार्ग पर अविरल भाव से लगन पूर्वक चलते रहना यही प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है, और वह लक्ष्य सिद्धि के लिए परम आवश्यक है।
संगठन के बारे में आप सभी जानते हैं कि संगठन में शक्ति है, एक धारा में सबको एक साथ एक विचार से एक लक्ष्य के लिए बढ़ना, यही किसी भी संगठन का मूल मंत्र है ।बाबा साहब ने अपने संपूर्ण जीवन में विभिन्न विषयों को अध्ययन किया गहनता से उसका मनन किया और उसके निचोड़ के रूप में भारत के संविधान के प्रमुख कर्ता-धर्ता के रूप में अपना योगदान उन्होंने दिया और भारतीय संविधान के रूप में एक ऐसी मिसाल रखी है, जिसकी पूरी दुनिया में नजीर भी दी जाती है।
हम सब का कर्तव्य है कि उसी भाव को उसी दृष्टि को और उसी परिश्रम को अनुसरण करते हुए बाबा साहब के बताए हुए मार्ग पर चलें और देश के विकास में अपना अपना योगदान करें।
इस अवसर पर आयोजित विचार गोष्ठी में कल्लू राम सोनकर/मंडल मंत्री अनुसूचित जाति एवं जनजाति कर्मचारी एशोसियेशन, राम हरख यादव मंडल मंत्री/पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कर्मचारी एशोसियेशन तथा मंडल मंत्री एन इ रेलवे मजदूर यूनियन एन.बी.सिंह ने बाबा साहब के संघर्षो एवं जनहितकारी उद्देश्यों पर अपने विचार व्यक्त किये ।
कार्यक्रम का संचलन एवं धन्यवाद ज्ञापन मंडल कार्मिक अधिकारी विवेक मिश्रा ने किया।
मंडलायुक्त ने डीपीएसजी सहित दो स्कूलों को फीस वृद्धि नहीं करने का दिया निर्देश
गुरुग्राम, 08 मई: गुरुग्राम मण्डल के आयुक्त एवं फीस व फण्ड रैगुलेटरी कमेटी के अध्यक्ष डा. डी सुरेश ने आज अपने कार्यालय में गुरुग्राम के चार स्कूलों के प्रबंधन तथा उनमें पढने वाले बच्चों के अभिभावकों की फीस बढौत्तरी के मामले में सुनवाई की। उन्होंने आज गुरुग्राम के डीपीएसजी स्कूल पालम विहार, वैगा स्कूल सैक्टर-48, शिव नादर स्कूल तथा प्रसिडियम स्कूल के फीस बढौत्तरी के मामलों की सुनवाई की।
इस सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि दो स्कूल डीपीएसजी तथा वैगा स्कूल ने हरियाणा विद्यालय शिक्षा नियम के तहत फार्म 6 नही जमा करवाया है इसलिए ये स्कूल अभी फीस बढौत्तरी करने के लिए सक्षम नही हैं।
इन स्कूलों को अभी हरियाणा सरकार से अनुमति तकनीकी और मौलिक अनुसंधान तो मिल गई है लेकिन मान्यता विचाराधीन है। इन्होंने मान्यता के लिए सरकार के पास आवेदन किया हुआ है। मण्डलायुक्त ने कहा कि जब तक ये स्कूल फार्म-6 भरकर नही देते तब तक ये फीस के ढांचे में बदलाव करने के लिए सक्षम नही है। राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त होने के बाद ही स्कूलों के लिए 31 दिसंबर तक अगले शैक्षणिक सत्र के लिए फार्म-6 भरकर शिक्षा विभाग में जमा करवाना अनिवार्य है। तकनीकी और मौलिक अनुसंधान उन्होंने कहा कि इस संबंध में इन दोनों स्कूलों को फीस व फण्ड रेगुलेटरी कमेटी के अध्यक्ष होने के नाते वे आदेश जारी करेंगे। यदि स्कूलों द्वारा इन आदेशों की उल्लंघना की जाती है तो वे शिक्षा तकनीकी और मौलिक अनुसंधान विभाग को इन्हें मान्यता नही देने की सिफारिश कर सकते हैं। मण्डलायुक्त ने कहा कि इस दौरान ये स्कूल किसी भी बच्चे को स्कूल से नहीं निकाल सकते और ना ही किसी प्रकार की पैनलटी लगा सकते हैं।
पालम विहार के डीपीएसजी स्कूल के मामले में प्रबंधन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उन्होंने चिरंजीव भारती स्कूल की बिल्डिंग लेकर उसमें नया स्कूल शुरू किया है, इसलिए उन्होंने फीस के नए ढांचे का प्रस्ताव तकनीकी और मौलिक अनुसंधान भी किया है। अभिभावकों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उन्होंने अपनी हैसियत के हिसाब से चिरंजीव भारती स्कूल में बच्चों का दाखिला करवाया था, जिसकी फीस अब के मुकाबले काफी कम थी और वे बढी हुई फीस भरने में अपने आपको असक्षम मानते हैं। उन्होंने कहा कि शुरू में डीपीएसजी द्वारा फीस में 200 प्रतिशत वृद्धि की गई थी और अब भी पिछले वर्ष के मुकाबले वृद्धि 70 प्रतिशत है, जोकि अनुचित है। जिला शिक्षा अधिकारी नीलम भण्डारी ने भी अपना मत देते हुए कहा कि स्कूल प्रबंधन द्वारा फीस बढाना न्याय संगत नही है। साथ ही उन्होंने बताया कि डीपीएसजी के पास तीसरी कक्षा तक स्कूल चलाने की अनुमति है। वर्तमान में इस स्कूल में चिरंजीव भारती स्कूल मे शिक्षारत लगभग 3500 बच्चे पढ रहे हैं। डीपीएसजी स्कूल में फीस बढौत्तरी का मामला प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राव नरबीर सिंह के संज्ञान में आया था जिसके बाद उन्होंने स्थानीय अधिकारियों को इसे हल करने की हिदायत दी थी। मंत्री के हस्तक्षेप से आज अभिभावकों को काफी राहत मिली है।
इसी प्रकार वैगा स्कूल ने भी राज्य सरकार को मान्यता के लिए आवेदन किया हुआ है। मण्डलायुक्त ने कहा कि पहले स्कूल मान्यता प्राप्त करे और उसके बाद फार्म-6 भरकर पब्लिक डोमेन में डाले ताकि सभी अभिभावकों को पता चल सके कि उनका फीस स्ट्रक्चर क्या होगा और उसी अनुरूप वे अपने बच्चों को इस स्कूल में पढाने या नहीं पढाने के बारे में फैसला ले सकते हैं। इस स्कूल के मामले में भी मण्डलायुक्त के फैसले ने अभिभावकों को काफी राहत प्रदान की है। अभिभावकों का आरोप था कि फीस बढौत्तरी नाजायज है जबकि प्रबंधन का कहना था कि अच्छे शिक्षक नियुक्त करने के लिए 10 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
इसी प्रकार आज दोपहर बाद मण्डलायुक्त ने शिव नादर स्कूल प्रबंधन तथा अभिभावकों का पक्ष सुना। प्रबंधन ने पक्ष रखा कि उनके स्कूल द्वारा शैक्षणिक सत्र 2016-2017 के लिए दो बार फार्म-6 जमा करवाया है। एक फार्म 30 दिसंबर 2015 तथा दूसरा 11 मार्च 2016 को शिक्षा विभाग में जमा करवाया गया और जो फीस फार्म 6 में दर्शाई कई है उसी के अनुसार फीस ली जा रही है। लगभग 91 प्रतिशत अभिभावक फीस की अदायगी भी कर चुके हैं। अभिभावकों ने कहा कि फार्म-6 के बिंदु नंबर 7 में जो फीस दर्शाई गई है, उतनी राशि वे भरने को तैयार हैं परंतु प्रबंधन का कहना है कि वार्षिक फीस को बिंदु नबंर 6 (डी) में दर्शाया गया है। प्रबंधन ने यह भी कहा कि शिक्षा विभाग के फॉर्मेट के अनुसार ही फीस दर्शाई गई है और उसमें वार्षिक फीस का कॉलम नही था। उन्होंने कहा कि उनका मकसद अभिभावकों से कुछ भी छिपाना नही है।
शिव नादर स्कूल के मामले में मण्डलायुक्त ने जांच के आदेश दिए हैं जिसमें यह देखा जाएगा कि विद्यालय द्वारा दो बार फार्म 6 क्यों भरा गया, क्या फार्म 6 समय पर भरा गया था और इस बारे में भी शिक्षा विभाग से सुझाव मांगा जाएगा कि क्या स्कूल अपनी फीस बिंदु नबंर 6 में भी दर्शा सकता है। उन्होंने कहा कि इसमें 15 से 30 दिन लग सकते हैं। साथ ही आदेश दिए कि इस दौरान अभिभावक बिंदु नबंर 7 के हिसाब से फीस अदा कर सकते हैं, लेकिन प्रबंधन को भी यह छूट रहेगी कि वह उसे स्वीकार करें या फैसला आने तक इंतजार करे। इस दौरान विद्यालय प्रबंधन किसी भी अभिभावक या विद्यार्थी को प्रताडि़त नही करेगा और ना ही किसी बच्चे के खिलाफ कोई कार्यवाही करेगा। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी तथा जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को आदेश दिए गए कि वे एक सप्ताह के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
प्रसिडियम स्कूल के मामले में प्रबंधन ने बताया कि स्कूल द्वारा समय पर फार्म-6 जमा करवाया गया है और फीस में बढौत्तरी 10 प्रतिशत से कम है। अभिभावकों का आरोप था कि उन्हें फार्म-6 नही दिखाया गया और बार-बार पूछने पर भी यह नहीं बताया गया कि हर साल स्कूल द्वारा लिए जाने वाले वार्षिक चार्जिज और डवलैपमेंट फीस का कहा प्रयोग हुआ है। इस पर मण्डलायुक्त ने कहा कि उनके मामले में संवादहीनता नजर आ रही है। उन्होंने स्कूल प्रबंधन को आदेश दिए कि वह अपने स्कूल के नोटिस बोर्ड पर फार्म-6 की प्रति प्रदर्शित करे और उसे अपने स्कूल की वैबसाईट पर भी अपलोड करे ताकि कोई भी व्यक्ति उसे देखकर अपने बच्चे को वहां पढाने या नही पढाने के बारे में निर्णय ले सके। जहां तक डवलैपमेंट फण्ड के खर्च का सवाल है, यह उनकी अध्यक्षता वाली कमेटी के दायरे में नही आता तकनीकी और मौलिक अनुसंधान और इस बारे में वे शिक्षा विभाग को अपनी शिकायत भेज सकते हैं।
इस मौके पर गुरुग्राम उत्तरी के एसडीएम भारत भूषण गोगिया, जिला शिक्षा अधिकारी नीलम भण्डारी व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी राम कुमार फलसवाल भी उपस्थित थे
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