Share Bazar में गिरावट
गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) गिरावट के साथ खुला. बॉम्बे स्टॉक शेयर का मूल्य बढ़ता या घटता क्यों है? एक्सचेंज का सेंसेक्स (Sensex) 168 अंकों की गिरावट के साथ 61,812 के स्तर पर ओपन हुआ. वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी (Nifty) ने 51 अंक फिसलकर 18,358 के लेवल पर कारोबार की शुरुआत की. पिछले कारोबारी दिन बुधवार सेंसेक्स 108 अंकों की बढ़त के साथ बंद हुआ था.

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शेयरों के भाव में उतार-चढ़ाव क्यों होता है?

शेयरों के भाव में उतार-चढ़ाव क्यों होता है?

अब हम आपको बताते हैं कि किस वजह से शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव आता है और शेयरों के भाव चढ़ते-गिरते हैं:
आम समझ यह है कि जब किसी कंपनी के शेयरों को खरीदने वाले लोग अधिक हों और उसके कम शेयर बिक्री के लिए उपलब्ध हों, तो शेयरों का भाव बढ़ जाता है. इसके साथ ही कई अन्य वजहें भी हैं, जिनकी वजह से शेयरों के भाव में उतार-चढ़ाव आता है.

यदि दो देशों के बीच कारोबारी और रणनीतिक संबंध बेहतर बनने की उम्मीद हो तो अर्थव्यवस्था की तरक्की के हिसाब से निवेशक शेयर बाजार में पैसे लगाते हैं.

मसलन भारत-चीन के बीच बेहतर कारोबारी संबंध से अमेरिकी या यूरोपीय निवेशकों को भारत की ग्रोथ रेट बेहतर होने की उम्मीद बढ़ जाती है. वे भारतीय शेयर बाजार में निवेश करना शुरू करते हैं.

जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित

  • शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है
  • अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो उसके शेयर के दाम बढ़ेंगे
  • राजनीतिक घटनाओं का भी शेयर मार्केट पर पड़ता है असर

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कंपनी के भविष्य को परख कर करते हैं निवेश

आपको पता होगा कि कंपनी शेयर मार्केट में उतरती हैं. इन कंपनियों के शेयरों पर निवेशक पैसा लगाते हैं. कंपनी के भविष्य को परख कर ही निवेशक और विश्लेषक शेयरों में शेयर का मूल्य बढ़ता या घटता क्यों है? निवेश करते हैं. जब कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके शेयरों को लोग ज्यादा खरीदते हैं और उसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे ही जब किसी कंपनी के बारे में ये अनुमान लगाया जाए कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा, तो कंपनी के शेयर गिर जाते हैं.

डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर शेयर का मूल्य बढ़ता या घटता क्यों है? काम करता है शेयर

शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्‍थितियों में शेयरों का मूल्‍य घटता या बढ़ता जाता है. इस बात को ऐसे लसमझिए कि किसी कंपनी का शेयर आज 100 रुपये का है, लेकिन कल ये घट कर 80 रुपये का हो गया. ऐसे में निवेशक को सीधे तौर पर घाटा हुआ. वहीं जिसने 80 रुपये में शेयर खरीदा उसको भी कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन अगर फिर से ये शेयर 100 रुपये का हो जाता है, तब दूसरे निवेशक को फायदा होगा.

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जेएम फाइनेंशियल के शेयरों ने लॉन्ग टर्म इन्वेटर्स को कराया जोरदार फायदा

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 नवंबर 2022,
  • (अपडेटेड 17 नवंबर 2022, 1:06 PM IST)

आमतौर पर कहा जाता है कि शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश जोखिमों के अधीन है. ये सच भी है क्योंकि स्टॉक मार्केट में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं. लेकिन ये कुछ निवेशकों के लिए किस्मत खोलने वाले भी साबित हो सकते हैं. कब कौन सा शेयर इन्वेस्टर्स को फर्श से अर्श पर पहुंचा दे कहा नहीं जा सकता है. लेकिन कुछ ऐसा ही कमाल किया है JM Financial के शेयर ने जिसमें लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट करने वाले निवेशक आज करोड़पति बन चुके हैं.

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लंबी अवधि में ऐसे दिया फायदा
इस इन्वेस्टमेंट बैंकिंग फर्म (Investment Banking Firm) के शेयरों के सफर और इस दौरान आए उतार चढ़ाव के प्रमुख पड़ावों पर नजर दौड़ाएं तो 2002 के बाद इसमें बढ़त का सिलसिला शुरू हुआ और फरवरी 2003 में शेयर की कीमत 6 रुपये के करीब हो गई. नवंबर 2006 में एक शेयर 30 रुपये का हो गया. नवंबर 2007 में इसने 100 रुपये प्रति शेयर का लेवल पार कर लिया था. इसके बाद सालों तक इसमें उतार-चढ़ाव आए और नवंबर 2017 में इस शेयर की कीमत बढ़कर 175 रुपये पर पहुंच गई. इस साल की बात करें तो 2022 की शुरुआत से इसमें कुछ शेयर का मूल्य बढ़ता या घटता क्यों है? गिरावट देखने को मिल रही है और अब तक यह करीब 4 फीसदी टूट चुका है.

ब्रोकरेज फर्म को ये उम्मीद
स्टॉक मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि JM Financial के शेयरों में आगे तेजी आने की पूरी उम्मीद है. ऐसे में इसमें निवेश निवेशकों को अच्छा खासा फायदा दे सकता है. ब्रोकरेज फर्म आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज (ICICI Securities) ने इसके शेयरों में निवेश की के लिए Buy रेटिंग को कायम रखा है. इसके साथ ही कंपनी के शेयरों के लिए टारगेट प्राइस 119 रुपये सेट किया है. हालांकि, शेयरों में निवेश से पहले निवेशक अपने बाजार एक्सपर्ट की सलाह ले सकते हैं.

Stock Exchange: जाने, शेयर बाजार में क्या है अपर सर्किट और लोअर सर्किट?

शेयर बाजार में क्या है अपर सर्किट

शेयर बाजार में क्या है अपर सर्किट

  • भारतीय शेयर बाजार में गुरुवार को कुछ सरकारी बैंकों के शेयरों में भारी तेजी दिखी
  • इस दिन कुछ सरकारी बैंकों के शेयरों में भारी तेजी देखी गई
  • कुछ बैंकों के कारोबार पर सर्किट ब्रेकर भी लगा
  • आपको मालूम है कि क्या होता है सर्किट ब्रेकर
  1. क्यों घटता-बढ़ता है शेयर का मूल्य?
    सामान्य निवेशक इस बात को लेकर कभी कभी बहुत हैरान रहते हैं कि शेयर का मूल्य किस हिसाब से बढ़ता और घटता रहता है। शेयर का मूल्य दो कारणों से बढ़ता या घटता रहता है। पहला कारण शेयर की सप्लाई और डिमांड और दूसरा कारण कंपनी द्वारा मुनाफा कमाना या कंपनी का घाटा। लेकिन, अगर हम स्टॉक ट्रेडिंग में देखें तो शेयर की सप्लाई और डिमांड की वजह से अधिकतर शेयर का मूल्य घटता बढ़ता रहता है। जब भी शेयर की डिमांड बढ़ती है यानी ज्यादा लोग खरीदते हैं तो उसका दाम बढ़ जाता है। और, जब लोग शेयर को बेचना स्टार्ट कर देते हैं तब शेयर का मूल्य घटने लगता है यह इस तरह से काम करता है।
  2. क्या है लोअर सर्किट?
    मान लीजिए आपके पास किसी कंपनी का शेयर हैं। किसी वर्ष के दौरान उस कंपनी को किसी कारणवश घाटा लगना शुरू हो जाता है। ऐसे में आप उस कंपनी का शेयर बेचने लगेंगे। ऐसे ही बहुत से लोग जो उस कंपनी के शेयर को लिए होंगे वह भी बेचना शुरू कर देंगे। जब सब बेचना शुरू कर देंगे तो एक ही दिन में उस कंपनी का शेयर शून्य तक पहुंच सकता है। ऐसी स्थिति में शेयर का मूल्य एक निश्चित सीमा तक गिरे इसके लिए NSE तथा BSE स्टॉक एक्सचेंज ने कुछ नियम बनाए हैं। जिनके अंतर्गत जब किसी कंपनी में अचानक सब लोग शेयर बेचना शुरू कर दें तो एक निश्चित सीमा तक ही उस शेयर का मूल्य घटेगा। उसके बाद उस शेयर की ट्रेडिंग बंद हो जाएगी। यह जो मूल्य घटने की सीमा है, उसे ही लोअर सर्किट कहते हैं।
  3. लोअर सर्किट का इस्तेमाल कब होता है?
    लोअर सर्किट के तीन चरण होते हैं। यह 10 फीसदी, 15 फीसदी और 20 फीसदी की गिरावट पर लगता है। यदि 10 फीसदी की गिरावट दिन में 1 बजे से पहले आती है, तो बाजार में एक घंटे के लिए कारोबार रोक दिया जाता है। इसमें शुरुआती 45 मिनट तक कारोबार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का प्री-ओपन सेशन होता है। यदि 10 फीसदी का सर्किट दोपहर 1 बजे के बाद लगता है, तो कारोबार 30 मिनट के लिए रुक जाता है। इसमें शुरुआती 15 मिनट तक कारोबार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का प्री-ओपन सेशन होता है। यदि 2.30 बजे के बाद 10 फीसदी का लोअर सर्किट लगता है, तो कारोबार सत्र के अंत तक यानी 03.30 बजे तक जारी रहता है।
  4. क्या है 15 फीसदी का सर्किट नियम?
    यदि 15 फीसदी की गिरावट 1 बजे से पहले आती है, तो बाजार में दो घंटे के लिए कारोबार रोक दिया जाता है। इसमें शुरुआती 1 घंटा और 45 मिनट तक कारोबार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का प्री-ओपन सेशन होता है। यदि 15 फीसदी का सर्किट दोपहर 1 बजे के बाद लगता है, तो कारोबार एक घंटे के लिए रुक जाता है. इसमें शुरुआती 45 मिनट तक कारोबार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का प्री-ओपन सेशन होता है। यदि 2.30 बजे के बाद 15 फीसदी का लोअर सर्किट लगता है, तो कारोबार के अंत तक यह लगा रहता है।
  5. क्या है अपर सर्किट
    अपर सर्किट को एक उदाहरण के जरिए समझते हैं। मान लीजिए कि आपके पास किसी कंपनी के शेयर हैं। उस कंपनी को खूब मुनाफा होता है या किसी कारणवश उस कंपनी में निवेशकों की रूचि बढ़ जाती है। ऐसे में उस कंपनी के शेयर का दाम खूब चढ़ने लगता है। ऐसे में किसी कंपनी के शेयर का मूल्य एक ही दिन में आसमान में पहुंच जाएगा। इसी हालत से बचने के लिए शेयर बाजार में अपर सर्किट का प्रावधान है। उस निश्चित मूल्य सीमा तक उस कंपनी के शेयर का दाम पहुंचते ही उसमें अपर सर्किट लग जाएगा और उसकी ट्रेडिंग बंद हो जाएगी। जिस तरह से लोअर सर्किट पर 10, 15 और 20 फीसदी का नियम लागू होता है, वही नियम अपर सर्किट पर भी लागू होता है।
  6. कारोबार रुकने के बाद कब और कैसे शुरू होता है?
    सर्किट लगने पर कारोबार रुक जाता है। जब बाजार दोबारा खुलता है तो पहले 15 मिनट का प्री-ओपन सत्र होता है। इसके बाद सामान्य कारोबार शुरू होता है और यह अगला सर्किट लगने या सत्र के अंत (जो भी पहले हो) तक जारी रहता है।
  7. सर्किट का इस्तेमाल क्यों किया जाता है?
    सर्किट के स्तर स्टॉक एक्सचेंज द्वारा तय किए जाते हैं। इन्हें निवेशकों और ब्रोकरों के हितों को ध्यान में रख कर लगाया जाता है ताकि उन्हें बाजार के बड़े झटकों से बचाया जा सके। बाजार के उतार-चढ़ाव के दौरान कारोबारियों को करारा झटका लगता है। ऐसी स्थिति में बाजार पर दबाव बढ़ जाता है।
  8. भारतीय शेयर बाजार में कब से हुआ सर्किट का प्रावधान?
    भारतीय शेयर बाजार में अपर सर्किट और लोअर सर्किट का इतिहास 28 जून 2001 से शुरू होता है। उसी दिन बाजार नियामक सेबी ने सर्किट ब्रेकर की व्यवस्था की थी। यह व्यवस्था लागू होने के बाद इसका पहली बार इस्तेमाल 17 मई 2004 को हुआ था।

निवेश की शुरुआत कैसे करें

स्टॉक में या शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए सबसे पहले डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होता है. ट्रेडिंग अकाउंट का इस्तेमाल शेयर या बांड खरीदने और बेचने के लिए किया जाता है. वहीं एक डीमैट अकाउंट बैंक अकाउंट की तरह काम करता है, जहां आपके शेयर इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में जमा होते हैं.

जब आप शेयर खरीदते और बेचते हैं तो यह आपके अकाउंट में क्रेडिट और डेबिट हो जाते हैं. ट्रेडिंग अकाउंट में लॉग इन करके आप उस स्टॉक को चुन सकते हैं जिसे आप खरीदना या बेचना चाहते हैं. खरीदने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपके अकाउंट में शेयर खरीदने के लिए पर्याप्त पैसा है. फिर वह कीमत तय करें जिस पर आप शेयर खरीदना या बेचना चाहते हैं.

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