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What is Asset Allocation in Hindi : निवेश में एसेट एलोकेशन का मतलब क्या है? जानिए
Asset किस एसेट क्लास में निवेश Allocation in Hindi: अगर आपने कभी खाना बनाया है, तो आप यह अच्छे से जानते होंगे कि व्यंजन में डालने के लिए आप जो सामग्री का इस्तेमाल करते है अगर उसकी मात्रा कम या ज्यादा हो जाएं तो खाने का स्वाद बिगड़ सकता है। आपका किस एसेट क्लास में निवेश निवेश पोर्टफोलियो भी कुछ ऐसा ही होता। आप अपने पोर्टफोलियो में किस एसेट क्लास (इक्विटी, डेट, कैश या गोल्ड) को जोड़ना चाहते हैं और कितने रेश्यो में जोड़ना चाहते है यही एसेट एलोकेशन (Asset Allocation) किस एसेट क्लास में निवेश कहा जाता है। यह आपके पोर्टफोलियो को बना या बिगाड़ सकता है। Asset Allocation Kya Hai? (What is Asset Allocation in Hindi) यह और विस्तार से जानने आगे पढें।
Mutual Fund: मल्टी असेट फंड में निवेश से मिलते हैं कई तरह के लाभ, जानिए इसकी क्या है विशेषता
मल्टी असेट क्लास में इक्विटी, बॉण्ड, कैश सभी का होता है समावेश
- लोग म्यूचुअल फंड में निवेश के वक्त इस बात को समझना भूल जाते हैं कि उनके फंड में किस तरह का असेट है
- विशेषज्ञ कहते हैं कि आपके फंड में कई तरह के असेट क्लास हो
- इंवेस्टमेंट पोर्टफोलियो को कई असेट क्लास में फैलाने का एक महत्वपूर्ण लाभ यह होता है कि इससे रिस्क काफी हद तक कम हो जाता है
मुंबई
बात जब म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में इंवेस्टमेंट (Investment in Mutual Fund) की आती है तो एक अहम सवाल सामने आता है। यह सवाल है पोर्टफोलियो (Portfolio) में किस तरह का असेट क्लास (Asset Class) हो? इंवेस्टमेंट पोर्टफोलियो (Investment Portfolio) को कई असेट क्लास में फैलाने का एक महत्वपूर्ण लाभ यह होता है कि इससे रिस्क (Risk) काफी हद तक कम हो जाता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी असेट क्लास एक निश्चित समय में समान तरीके से प्रदर्शन नहीं करते हैं। आज हम बात करेंगे मल्टी असेट फंड (Multi Asset Fund) की। इसमें निवेश से आपको कई तरह के लाभ मिलते हैं जो कि अन्य फंड में नहीं मिलते।
इक्विटी में कहां करें निवेश
उनका कहना है कि इक्विटी में अभी लार्ज एंड मिड कैप और मल्टीकैप कटेगिरी बेहतर है. जबकि डेट में शॉर्ट मैच्योरिटी वाले फंड और डायनमिक बॉन्ड फंड बेहतर विकल्प हो सकते हैं.
स्टैंडर्ड एसेट अलोकेशन के रूप में, पोर्टफोलियो का 10 फीसदी आमतौर पर जोखिम वाले निवेश से हेज के लिए गोल्ड में रखा जाता है. इसके लिए सॉवरेन गोल्ड बांड भी बेहतर विकल्प है, जिसमें 2.5 फीसदी सालाना रिटर्न अतिरिक्त बेनेफिट मिलता है. वहीं मैच्येारिटी पर लांग टर्म गेंस टैक्स से छूट मिलती है. गोल्ड हेजिंग का काम भी करता है. इसमें बाजार की वोलेटिलिटी या मंदी जैसी स्थिति में सुरक्षा मिलती है, लिक्विडिटी भी बेहतर है.
(Disclaimer: कैपिटल मार्केट में निवेश जोखिमों के अधीन है. निवेश से पहले अपने स्तर पर पड़ताल कर लें या अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से परामर्श कर लें. फाइनेंशियल एक्सप्रेस किसी भी एसेट क्लास में निवेश की सलाह नहीं देता है.)
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