ओपनिंग बेल के पहले जानें, निफ्टी और बैंक निफ्टी में आज क्या हो कमाई की रणनीति
राजेश सतपुते ने कहा कि 17800 के नीचे निफ्टी फ्यूचर्स की बिकवाली करें इसके लिए 17850 का स्टॉप-लॉस और 17600 - 17500 का टारगेट रखें
SGX Nifty के ट्रेंड से इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि भारतीय बाजार आज लाल निशान में खुल सकते हैं। SGX Nifty निफ्टी फिलहाल 85 अंकों की कमजोरी दिखा रहा है। वहीं, पिछले कारोबारी दिन की बात करें तो 19 अगस्त को सेंसेक्स 652 अंक गिरकर 59646 के स्तर पर बंद हुआ था। वहीं, निफ्टी 198 अंकों की कमजोरी के साथ 17758 के स्तर पर बंद हुआ था। निफ्टी ने डेली चार्ट पर बियरिश इंगल्फिंग पैटर्न बनाया था।
वहीं, आज निफ्टी के लिए पहला सपोर्ट 17649 और उसके बाद दूसरा सपोर्ट 17539 पर स्थित है। अगर इंडेक्स ऊपर की तरफ रुख करता है तो 17930 फिर 18102 पर इसको रजिस्टेंस का सामना करना पड़ सकता है।
निफ्टी और बैंक निफ्टी में आज के लिए क्या हो रणनीत
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निफ्टी और बैंक निफ्टी में आज के लिए क्या हो कमाई की रणनीति इस पर बात करते हुए rajeshsatpute .com के राजेश सतपुते का कहना है कि आज 39100 के नीचे बैंक निफ्टी फ्यूचर्स की बिक्री करें इसके लिए 39300 का स्टॉप-लॉस और 38400 का टारगेट रखें। ऑप्शन के जरिए ट्रेड करना चाहते हैं तो 39000 का बैंक निफ्टी का पुट 340 के भाव पर खरीदें, इसके लिए 200 का स्टॉप-लॉस लगाएं जबकि टारगेट 600+ का रखें।
निफ्टी पर बात करते हुए राजेश सतपुते ने कहा कि 17800 के नीचे निफ्टी फ्यूचर्स की बिकवाली करें इसके लिए 17850 का स्टॉप-लॉस और 17600 - 17500 का टारगेट रखें। निफ्टी में ऑप्शन के जरिए ट्रेड करना चाहते हैं तो 17700 का निफ्टी का पुट 100 के भाव पर खरीदें, इसके लिए 50 का स्टॉप-लॉस लगाएं जबकि टारगेट 220 - 250 का रखें।
सीएनबीसी-आवाज़ के वीरेंद्र कुमार का कहना है कि निफ्टी के लिए पहला रेजिस्टेंस 17806-17852 पर और Nifty में ट्रेडिंग कैसे करें? दूसरा बड़ा रजिस्टेंस 17910-18554/84 पर है। इसका पहला बेस 17652-17594 पर दूसरा बड़ा बेस 17556-17510 पर है। शानदार स्विंग के बाद अगस्त में पहली बार निफ्टी रीट्रेस हुआ Nifty में ट्रेडिंग कैसे करें? है। निफ्टी ने नीचे की ओर 10 DEMA (17652) को अभी नहीं छुआ है। पुट राइटर्स 17600-500 के जोन में जमे हैं। कॉल राइटर्स 17800-18000 पर आक्रामक हैं। DIIs और FIIs के बीच कड़ी टक्कर की उम्मीद है। इस हफ्ते के लिए पहला बेस बेहद अहम होगा। पहले बेच के नीचे फिसलने पर गिरावट बढ़ेगी। वहीं, पहला रेजिस्टेंस पार हुआ तो तेजी बढ़ेगी। पहला बेस टूटने के बाद ही शॉर्ट करें, दूसरा बेस टारगेट रखें। वहीं, पहला रेजिस्टेंस पार हो तो खरीदारी करें।
बैंक निफ्टी पर रणनीति की बात करते हुए वीरेंद्र कुमार का कहना है कि निफ्टी के लिए पहला रेजिस्टेंस 39133-39271 पर और दूसरा बड़ा रजिस्टेंस 39426-39590 पर है। इसका पहला बेस 38633-38410 पर दूसरा बड़ा बेस 38201-38020 पर है। शुक्रवार को 39000 का बेस टूट गया। बैंक निफ्टी 10 DEMA के करीब पहुंच गया है। क्रूड में नरमी से बैंक निफ्टी को फायदा होगा। पहला बेस और रेजिस्टेंस दोनों अहम हैं। पहले बेस के नीचे ट्रेड होता रहे तो सिर्फ शॉर्ट करें। पहले बेस के नीचे बैंक निफ्टी 20 Nifty में ट्रेडिंग कैसे करें? DEMA Nifty में ट्रेडिंग कैसे करें? तक फिसल सकता है। पहले रेजिस्टेंस के ऊपर टिके तो लॉन्ग के बारे में सोचें।
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First Published: Aug 22, 2022 8:16 AM
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Nifty में करना चाहते है ट्रेडिंग? तो यहां जानिए निफ्टी में निवेश कैसे करें? | How to Invest in Nifty
How to Invest in Nifty: निफ्टी एक इंडेक्स है, आप इसे सीधे किसी कंपनी के स्टॉक की तरह नहीं खरीद सकते। हालांकि, ऐसे अन्य तरीके भी हैं जिनसे आप सूचकांक का उपयोग इसके मूवमेंट से लाभ प्राप्त करने के लिए कर सकते हैं। निफ्टी में कैसे ट्रेड करना है? (How to Trade in Nifty) आइए जानते है।
How to Trade in Nifty: निफ्टी 50 (Nifty 50) भारत के व्यापक बाजार बेंचमार्क सूचकांकों में से एक है जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में सूचीबद्ध 50 सबसे बड़ी कंपनियों के प्राइस मूवमेंट को ट्रैक करता है। ट्रेडर्स द्वारा व्यापक रूप से शेयर मार्केट के परफॉर्मेंस को मापने के लिए इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
Nifty को शेयर बाजार के प्रदर्शन का एक अच्छा संकेतक क्यों माना जाता है, इसका एक प्राथमिक कारण यह है कि यह 14 विभिन्न सेक्टर की कंपनियों को कवर करता है। नतीजतन, एक निवेशक जो निफ्टी 50 इंडेक्स में अपनी पूंजी का निवेश करता है, वह खुद को कई प्रकार की कंपनियों में उजागर कर सकता है और बदले में, निवेश जोखिम को काफी कम कर सकता है।
लेकिन अब सवाल उठता है कि आपको निफ्टी में कैसे निवेश करना चाहिए? (How to Invest in Nifty) चूंकि यह एक इंडेक्स है, आप इसे सीधे किसी कंपनी के स्टॉक की तरह नहीं खरीद सकते। हालांकि, ऐसे अन्य तरीके भी हैं जिनसे आप सूचकांक का उपयोग इसके मूवमेंट से लाभ प्राप्त करने के लिए कर सकते हैं। यह कैसे करना है आइए इस लेख में जानते है।
निफ्टी में ट्रेडिंग कैसे करें? | How to Trade in Nifty?
निफ्टी इंडेक्स में आप दो प्राथमिक तरीके से निवेश कर सकते हैं, डेरिवेटिव और म्यूचुअल फंड के माध्यम से। आइए गहराई से समझें।
डेरिवेटिव के माध्यम से निफ्टी में निवेश
निफ्टी डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स जैसे फ्यूचर्स और ऑप्शंस इंडेक्स को अंडरलाइंग एसेट के रूप में इस्तेमाल करते हैं। इसका अनिवार्य रूप से मतलब है कि डेरिवेटिव का प्राइस मूवमेंट सूचकांक से जुड़ा हुआ है। चूंकि सूचकांक एक स्टॉक नहीं है, आप इसके डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति पर इसकी डिलीवरी नहीं ले सकते। इसके बजाय, सभी इंडेक्स डेरिवेटिव्स को समाप्ति के अंत में अनिवार्य रूप से नकद-निपटान किया जाएगा।
इस अवधारणा की व्याख्या के साथ, आइए थोड़ा और गहराई से समझें और यह समझने की कोशिश करें कि आप Futures Contracts and Options Contracts के माध्यम से निफ्टी में कैसे व्यापार कर सकते हैं।
1) निफ्टी में फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स के जरिए निवेश
अगर आपके पास निफ्टी इंडेक्स के बारे में एक तेजी या मंदी का नजरिया है, तो आप कीमतों में उतार-चढ़ाव से लाभ के लिए इंडेक्स फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स का उपयोग कर सकते हैं। उदाहरण के लिए मान लें कि निफ्टी वर्तमान में 12,000 पर कारोबार कर रहा है। आपको उम्मीद है कि सूचकांक समाप्त होने तक लगभग 13,000 तक बढ़ जाएगा।
आपको बस निफ्टी NOV FUT कॉन्ट्रैक्ट को 12,000 पर खरीदना है। अगर सूचकांक आपकी अपेक्षाओं के अनुसार चलता है और कॉन्ट्रैक्ट समाप्त होने से पहले 13,000 को छूता है, तो आप अपनी स्थिति को आसानी से समाप्त कर सकते हैं।
इसी तरह आइए अब मान लें कि सूचकांक समाप्त होने तक लगभग 11,000 तक गिर जाएगा। इस मामले में आपको बस इतना करना है कि निफ्टी NOV FUT कॉन्ट्रैक्ट को 12,000 पर शॉर्ट-सेल करें। यदि सूचकांक आपकी अपेक्षाओं के अनुसार चलता है और कॉन्ट्रैक्ट समाप्त होने से पहले 12,000 से नीचे गिर जाता है, तो आप बस अपनी स्थिति को समाप्त कर सकते हैं और लाभ का आनंद ले सकते हैं।
2 ) निफ्टी में ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के माध्यम से निवेश
फ्यूचर्स की तरह ही, आप निफ्टी ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स का इस्तेमाल प्राइस मूवमेंट से मुनाफा कमाने के लिए भी कर सकते हैं। आइए ऊपर के समान उदाहरण का उपयोग करें। मान लें कि निफ्टी वर्तमान में 12,000 पर कारोबार कर रहा है। आप उम्मीद करते हैं कि सूचकांक समाप्त होने तक लगभग 13,000 तक बढ़ जाएगा।
तो, आप इंडेक्स के कॉल ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को अपनी पसंद के स्ट्राइक प्राइस के साथ खरीदते हैं। अधिक विशिष्ट होने के लिए आप निफ्टी 13000 CE ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट खरीद सकते हैं क्योंकि आप उम्मीद करते हैं कि सूचकांक लगभग 13,000 तक बढ़ जाएगा। वैकल्पिक रूप से आप इंडेक्स कॉल ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को स्ट्राइक प्राइस के साथ खरीद सकते हैं जो इंडेक्स के मौजूदा ट्रेडिंग प्राइस से कम है। हालांकि, इसके लिए आपको अधिक प्रीमियम देना होगा, जिससे आपकी शुरुआती निवेश लागत बढ़ सकती है। कॉल ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट खरीदने पर अगर इंडेक्स आपकी उम्मीदों के अनुसार ऊपर जाता है, तो आपको बस अपनी पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करना होगा।
इसी तरह, अगर आपके उम्मीद है कि सूचकांक समाप्त होने तक लगभग 11,000 तक गिर जाएगा, तो आपको अपनी पसंद के स्ट्राइक वैल्यू के साथ सूचकांक का पुट ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट खरीदना चाहिए। अधिक विशिष्ट होने के लिए, आप निफ्टी 11,000 PE ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट खरीद सकते हैं क्योंकि आप इसे लगभग 11,000 तक गिरने की उम्मीद करते हैं। जब सूचकांक गिरता है, तो आप आसानी से अपनी स्थिति को स्क्वायर ऑफ कर सकते हैं और अपने निवेश पर लाभ का आनंद ले सकते हैं।
म्यूचुअल फंड के जरिए निफ्टी में निवेश
इंडेक्स फंड जैसे म्यूचुअल फंड में शेयरों का वही पोर्टफोलियो होता है जो निफ्टी जैसे इंडेक्स में होता है।यह प्रभावी रूप से इन फंडों को एक सूचकांक के प्रदर्शन को ट्रैक करने की अनुमति देता है, जिससे निवेशकों को सूचकांक द्वारा वहन की जाने वाली मूल्य निर्माण प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति मिलती है। अन्य म्यूचुअल फंडों के विपरीत, इंडेक्स फंड अधिक लागत प्रभावी होते हैं और बेहतर डायवर्सिफिकेशन की पेशकश करते हैं, और निवेशकों को अच्छा रिटर्न प्रदान करने की अधिक संभावना रखते हैं। निफ्टी इंडेक्स फंड में निवेश करके, आप निफ्टी 50 इंडेक्स के सभी 50 घटकों में प्रभावी ढंग से निवेश करेंगे, जिससे आपको व्यापक बाजार में एक्सपोजर मिलेगा।
Conclusion -
निफ्टी डेरिवेटिव में निवेश करना व्यापार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है, यह एक शार्ट टर्म स्ट्रेटेजी है। इसका कारण यह है कि आप एक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट में निवेशित रहने की अधिकतम अवधि 3 समाप्ति महीनों तक सीमित है। इसके अतिरिक्त, डेरिवेटिव भी काफी जोखिम भरे होते हैं और आपको सक्रिय रूप से प्रदर्शन की निगरानी करने की आवश्यकता होती है। अगर आप कम जोखिम वाली लंबी अवधि की निफ्टी ट्रेडिंग रणनीति की तलाश कर रहे हैं और नियमित निगरानी की आवश्यकता नहीं है, तो निफ्टी इंडेक्स फंड में निवेश करना सबसे अच्छा विकल्प होगा।
Trading Tips: ट्रेडिंग करते समय इन पांच बातों का रखें ख्याल, नहीं डूबेगा शेयर मार्केट में पैसा
Trading Tips: किसी भी तरीके से आप फैसले लें, ट्रेडिंग करते समय कुछ चीजों का आपको हमेशा ख्याल रखना चाहिए.
Trading Tips: बाजार की मौजूदा उतार-चढ़ाव के बीच ट्रेडर्स को मॉनीटरी रूझान पर निगाह बनाए रखना चाहिए ताकि अपने पैसों को डूबने से बचा सकें. (Image- Pixabay)
Trading Tips:Nifty में ट्रेडिंग कैसे करें? बाजार की मौजूदा उतार-चढ़ाव के बीच ट्रेडर्स को मॉनीटरी रूझान पर निगाह बनाए रखना चाहिए ताकि अपने पैसों को डूबने से बचा सकें. चाहे आप मार्केट में ट्रेड करें या इंवेस्टमेंट, बाजार की इस उतार-चढ़ाव के बीच बेहतर फैसला लेना होता है ताकि रिस्क को घटा सकें और अपने रिटर्न को बढ़ा सकें. हालांकि किसी भी तरीके से आप फैसले लें, ट्रेडिंग करते समय कुछ चीजों का आपको हमेशा ख्याल रखना चाहिए.
अफोर्डेबल रिल्क
अगर सब कुछ आपकी रणनीति के मुताबिक ही रहा तो शेयरों की ट्रेडिंग से आप शानदार मुनाफा कमा सकते हैं लेकिन शेयर मार्केट में उतना ही रिस्क लेना चाहिए जितनी आपकी क्षमता हो. रिस्क का मतलब है कि आप कितनी पूंजी गंवाने की क्षमता रखते हैं. कभी भी ऐसे पैसे को निवेश करें जिसे आप गंवाना नहीं अफोर्ड कर सकते हैं. कोशिश करें कि शेयर मार्केट में ट्रेडि्ंग पिरामिड अप्रोच के साथ करें. रिस्क पिरामिड का मतलब है कि रिस्क के हिसाब से अपनी पूंजी को बांटकर ट्रेडिंग करना.
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‘स्टॉप लॉस’ और ‘टेक प्रॉफिट’ के साथ करें ट्रे़डिंग
ट्रेडिंग के दौरान भाव में उतार-चढ़ाव को लगातार ट्रैक करना लगभग असंभव है. चूकने पर भारी नुकसान भी हो सकता है और बंपर मुनाफा भी. हालांकि रिस्क मैनेज करने के लिए जरूरी है कि आप स्टॉप लॉस का इस्तेमाल करें और बाजार की विपरीत परिस्थितियों में अपने प्रॉफिट को सुरक्षित करें. स्टॉप लॉस का मतलब सौदा शुरू करने से पहले ऐसा प्राइस लेवल तय करना है जिसके नीचे आप रिस्क नहीं लेना चाहते हैं. वहीं दूसरी तरफ टेक प्रॉफिट एक लिमिट ऑर्डर है जिसका इस्तेमाल एक खास भाव पहुंचने पर मुनाफा कमाने के लिए किया जाता है.
तकनीकी का करें इस्तेमाल
ट्रेडिंग में संभवतः टाइम फैक्टर सबसे महत्वपूर्ण टूल है. बाजार को लेकर सटीक अनुमान से आप बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं. काफी समय पहले फॉरेक्स ट्रेडर्स को स्टॉक एक्सचेंज ऑफिसों से फॉरेक्स मार्केट के उतार-चढ़ाव की जानकारी लेनी होती थी लेकिन अब तकनीक का जमाना आ गया है जिससे ट्रेडर्स को रीयल टाइम में मार्केट डेटा मिल जाता है.
अपना रिसर्च करें
शेयरों की खरीद-बिक्री से पहले रिसर्च जरूर करना चाहिए. इससे आपको यह तय करने में आसानी होगी कि किस भाव पर आपको अपनी पोजिशन को स्क्वॉयर ऑफ करना है. शेयर मार्केट से पैसे बनाने के लिए हमेशा किस्मत ही नहीं, एनालिसिस भी बहुत महत्पूर्ण भूमिका निभाती है. बाजार के रूझानों की बजाय स्पष्ट संकेत मिलने पर ही ट्रेडिंग करें. फंडामेंटल रूप से मजबूत कंपनी में निवेश कपना बेहतर फैसला है.
स्ट्रेटजी के साथ करें ट्रेडिंग
अगर आप शेयरों की खरीद-बिक्री यानी ट्रेडिंग करते हैं तो आपको एक स्ट्रेटजी के साथ मार्केट में प्रवेश करना चाहिए. इससे आपको यह स्पष्ट रूप से पता रहेगा कि आप किस तरह से ट्रेड करना चाहिए. जब आप स्ट्रेटजी के हिसाब से चलेंगे तो न सिर्फ आपका समय बचेगा बल्कि आप बड़े स्तर पर चीजों को देख-समझ सकेंगे जो समय, इकनॉमिक ट्रेंड और मार्केट एक्सपेक्ट्स के हिसाब से बदलती रहती हैं.
(Article: Marc Despallieres, Chief Strategy & Trading Officer at Vantage)
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Trading Tips: बाजार में सही लेवल पर एंट्री करने का क्या है आसान फॉर्मूला? जानें अनिल सिंघवी से टिप्स
Index Trading Tips: इंडेक्स में ट्रेड करने वालों के लिए यह समझना जरूरी है कि पहले सपोर्ट लेवल और इंम्पॉर्टेंट लेवल में क्या अंतर है और इन लेवल पर कब खरीददारी करनी चाहिए. इस पर ही मार्केट गुरु अनिल सिंघवी आपको टिप्स दे रहे हैं.
Index Trading Tips: इंडेक्स पर ट्रेडिंग के लिए ट्रेडर्स को सही फॉर्मूला पता होना बहुत जरूरी है. इंडेक्स ट्रेडिंग स्टॉक ट्रेडिंग के मुकाबले कम बड़ा उतार-चढ़ाव देखता है, लेकिन यहां अमाउंट बड़ा होता है, जिसके चलते ट्रेडर्स को अपनी स्ट्रेटेजी सोच-समझकर बनानी चाहिए. अब अगर निफ्टी इंडेक्स (Nifty Index Trading) की बात करें तो एंट्री करने के लिए आपको सही लेवल पता होने चाहिए. इंडेक्स में ट्रेड करने वालों के लिए यह समझना जरूरी है कि पहले सपोर्ट लेवल और इंम्पॉर्टेंट लेवल में क्या अंतर है और इन लेवल पर कब खरीददारी करनी चाहिए. इस पर ही Zee Business के मैनेजिंग एडिटर और मार्केट गुरु अनिल सिंघवी आपको टिप्स दे रहे हैं.
1. प्राइस सेक्शन के हिसाब से पहला फॉर्मूला
जब आप करेक्शन के बाद ऊपर जाते हैं और आपको क्लोजिंग डे हाई पर मिलती है, तो इसका बड़ा फायदा होता है कि अगले दिन आपको ऊपर गैप मिलता है. तो आपको पता होता है कि आपका सपोर्ट लेवल क्या है. बाजार अगर डे लो पर बंद होता है तो आपको बॉटम लेवल भी पता होता है. आपको गैप से खुलने पर पहले सपोर्ट पर ही खरीदारी करनी चाहिए. आप कल की रिकवरी और आज का गैपअप देखकर पहले सपोर्ट लेवल पर खरीद सकते हैं.
नीचे की रिस्क और सेंटिमेंट के दम पर बाजार में कैसे करें ट्रेड?
बाजार में सही लेवल पर एंट्री करने का क्या है आसान फॉर्मूला?#Index में ट्रेड करने वाले जरूर देखें @AnilSinghvi_ का ये वीडियो.
2. सेंटीमेंट पर आधारित फॉर्मूला
दूसरा फॉर्मूला सेंटीमेंट को लेकर चल सकते हैं. अगर आपका सेंटीमेंट इतना मजबूत नहीं है कि जहां खुले वहां से ले लिया. अगर आपको पता है कि चार-पांच सेशन से खुलने पर हमेशा नीचे जा रहे हैं, तो सेंटीमेंट कमजोर रहेगा. लेकिन रिकवरी आने से कॉन्फिडेंस बढ़ता है तो सेंटीमेंट मजबूत होगा. यहां आप पहले सपोर्ट लेवल पर ले सकते हैं. अगर आपका सेंटीमेंट इंप्रूव नहीं है तो आपको इंपॉर्टेंट लेवल पर खरीदारी करनी चाहिए. पहला सपोर्ट लेवल जल्दी आता है, वहीं, इंपॉर्टेंट लेवल थोड़ा नीचे आता है. यह मजबूत डेटा पर आधारित होता है.
ये ध्यान रखें कि अगर आप ट्रेडिंग में सही एंट्री पॉइंट चुनते हैं तो आपका 80% काम तो ऐसे ही हो जाता है. अगर सही एंट्री पॉइंट नहीं रहा, तो आप बाकी फैक्टर्स में भले ही अच्छा कर रहे हों, लेकिन पैसा नहीं बनेगा.
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