• क्या सुचेता दलाल धूम्रपान करती हैं ?: अनजान
  • क्या सुचेता दलाल शराब पीती हैं ?: अनजान
  • सुचेता ने कर्नाटक कॉलेज से सांख्यिकी में बीए किया और फिर बॉम्बे विश्वविद्यालय से एलएलबी और एलएलएम किया।
  • उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1984 में एक निवेश पत्रिका: फॉर्च्यून इंडिया से की थी।
  • 1990 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया के मुंबई सर्कुलेशन में बिजनेस और इकोनॉमिक्स विंग के दलाल कौन बन सकता है? लिए एक पत्रकार के रूप में काम करना शुरू किया।
  • एक पत्रकार के रूप में काम करने से उनके लिए अवसरों का एक बड़ा द्वार खुला और वह टाइम्स ऑफ इंडिया की वित्तीय संपादक बन गईं।
  • उन्होंने कई प्रसिद्ध व्यावसायिक पत्रिकाओं: बिजनेस स्टैंडर्ड और द इकोनॉमिक टाइम्स के साथ भी काम किया है।
  • सुचेता अपने निजी जीवन को गुप्त रखना पसंद करती है और इसलिए उसने इसे मीडिया के लिए कभी नहीं खोला, सिवाय इसके कि उसकी शादी एक लेखक देबाशीष बसु से हुई है।
  • उनकी विशेष रूप से पूंजी बाजार, उपभोक्ता मुद्दों, बुनियादी ढांचा क्षेत्र और निवेशक से संबंधित मुद्दों पर लिखने और दलाल कौन बन सकता है? लिखने में गहरी रुचि है।
  • सुचेता के काम को तब प्रसिद्धि मिली जब उन्होंने 1992 में सुरक्षा घोटाले को कवर किया, जिसे भारतीय इतिहास के सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में से एक माना जाता है।
  • उन्होंने अपने पति देबाशीष के साथ 1993 में “द स्कैम: हू वोन, हू लॉस्ट, हू गॉट अवे” नामक स्टॉक घोटाले के बारे में एक किताब लिखी, जो जनता के बीच सनसनी बन गई।
  • मार्च 2000 में, उन्होंने भारत के एक प्रख्यात उद्योगपति, बैंकर और अर्थशास्त्री एडी श्रॉफ की आत्मकथा लिखी जिसका शीर्षक था “एडी श्रॉफ: टाइटन ऑफ फाइनेंस एंड फ्री एंटरप्राइज”।
  • 2006 में, उन्होंने अपने पति द्वारा शुरू की गई द्वि-साप्ताहिक निवेश पत्रिका मनीलाइफ के लिए अपनी रुचियों को लेखन में बदल दिया।
  • सुचेता को डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा 2006 में पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
  • 2008 तक, उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के लिए एक स्तंभकार और परामर्श संपादक के रूप में काम किया।
  • सुचेता अब मनीलाइफ पत्रिका की प्रधान संपादक हैं।
  • उसने अपने पति के साथ, मुंबई में मनीलाइफ फाउंडेशन की स्थापना की, जो एक गैर-लाभकारी संगठन है जो भारत में खराब वित्तीय शिक्षा को उजागर करता है।
  • वह हमेशा विभिन्न उपयोगी विषयों पर लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए सेमिनार और चर्चा करते हैं। यहां एक वीडियो है जहां सुचेता दलाल इस बारे में बात करती है कि क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ता और बैंकर के जीवन को कैसे प्रभावित करता है:

Bharat Jodo Yatra: 'राहुल गांधी इतनी सर्दी में एक टी-शर्ट में कर रहे यात्रा', BJP सरकार के मंत्री ने पूछा- कौन सी दवा.

राहुल गांधी की टी-शर्ट (T-Shirt) को महंगा बताने वाली बीजेपी (BJP) अब उनके सर्दी में सिर्फ टी-शर्ट पहनने पर सवाल कर रही है. पूछ रही है कि उनको सर्दी ना लगने का क्या कारण है.

By: ABP Live | Updated at : 24 Dec 2022 07:27 AM (IST)

भारत जोड़ो यात्रा में टी-शर्ट पहने हुए राहुल गांधी

Bharat Jodo Yatra News: कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने जब से भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) की शुरूआत की है तबसे वो अक्सर चर्चाओं में ही कभी अपने जूतों को लेकर तो कभी अपनी टी-शर्ट की कीमत को लेकर तो कभी फिर फोटो में उनके साथ दिखाई दी लड़की को लेकर. बीजेपी (BJP) हर बार उन्हें किसी ना किसी मुद्दे पर घेरती नजर आई है. वही अब हर बार फिर राहुल गांधी की टी-शर्ट (T-Shirt) को लेकर सियासत शुरू हो गई है.

राहुल को टी-शर्ट में सर्दी क्यों नहीं लगती?
अब उनकी टी-शर्ट को लेकर सियासत इसलिए शुरू हो गई है कि इतनी सर्दी होने के बावजूद राहुल गांधी सिर्फ टी-शर्ट (T-Shirts) पहनकर ही क्यों भारत जोड़ो यात्रा में चल रहे है. अब बीजेपी ने इसको लेकर भी सवाल उठा दिया है. हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल (J.P Dalal) ने कहा है कि मैं जहां-जहां जाता हूं लोग मुझसे यही सवाल पूछ रहे है कि राहुल गांधी इतनी सर्दी में भी कैसे सिर्फ एक टी-शर्ट में यात्रा कर रहे है ऐसी कौन सी दवा वो खाते है. कि उन्हें ठंड ही नहीं लगती. अगर सर्दी ना लगने का उनका यह फार्मूला पता चल जाए तो जो सैनिक हिमालय में देश की रक्षा करते है उन्हें यह फार्मूला बताया जाए. राहुल का इससे देश की प्रति बड़ा योगदान होगा.

थिक स्किन होने से नहीं लगती सर्दी!
कृषि मंत्री जेपी दलाल के सवाल को लेकर जब कांग्रेस नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनकी थिक स्किन 'उनकी मोटी चमड़ी (Think skin) है. इसकी वजह से उनको ठंड नहीं लगती. इसको लेकर और क्या जवाब दें.

वही आपको बता दें कि इससे पहले भी बीजेपी ने टी-शर्ट को लेकर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर सवाल उठाये थे. गृह मंत्री अमित दलाल कौन बन सकता है? शाह ने (Amit Shah) राहुल की टी-शर्ट को लेकर कहा था कि राहुल एक टी-शर्ट पहनकर भारत जोड़ो यात्रा पर निकले है. शाह की प्रतिक्रिया आने के बाद बीजेपी के ट्वीटर हैंडल से राहुल की टी-शर्ट में एक फोटो शेयर की गई थी. जिसकी टी-शर्ट की कीमत 41,257 रुपये बताई गई थी.

Published at : 24 Dec 2022 07:27 AM (IST) Tags: T-Shirt Bharat Jodo Yatra RAHUL GANDHI हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi

बाहर ही नही, अंदर भी चलता है राज

बाहर ही नही, अंदर भी चलता है राज

ALLAHABAD: आरटीओ ऑफिस में दलालों का राज बाहर ही नहीं बल्कि कार्यालय के भीतर भी चलता है। उनकी घुसपैठ कहां तक है, इसका अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल है। अगर कोई व्यक्ति अंडर प्रॉसेस काम कराने चला गया तो जरूरी नहीं कि उसका काम हो जाए। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने आरटीओ कार्यालय का माहौल खंगाला तो कई महत्वपूर्ण तथ्य उभरकर सामने आए जो दलालों की मनमानी की पोल खोल रहे थे।

ऑनलाइन एग्जाम में भी सेंध

सरकार ने दलालों से छुटकारा दिलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन कर दिया। इसे क्वालिफाई करने के लिए अभ्यर्थी को ऑनलाइन एग्जाम देना पड़ता है। इसके नंबर फिक्स होते हैं और पास करने के लिए कम से कम 40 फीसदी सवालों के सही जवाब देने होते हैं। इसमें भी दलालों ने सेंध लगा रखी है। उनकी सेटिंग ऐसी है कि परीक्षा देने वाले को न चाहते हुए भी सुविधा शुल्क देना पड़ता है। उसे ऐसा गुमराह किया जाता है कि उसे लगता है दलाल कौन बन सकता है? वह किसी आईएएस परीक्षा में बैठा हो।

बाहर हो जाती है सेटिंग

दलाल ऑनलाइन एग्जाम की ऐसी दहशत फैलाते हैं कि कैंपस के बाहर ही पूरी सेटिंग हो जाती है। सरकार द्वारा ड्राइविंग लाइसेंस की निर्धारित फीस से चार से पांच गुना लेकर दलाल एग्जाम मे पास कराने का दावा करते हैं। बस यहीं से शुरू होता है दलालों का चक्रव्यूह। जो लोग पैसा देते हैं उनको किसी न किसी बहाने से सवालों के सही जवाब बता दिए जाते हैं। यह इतनी सफाई से होता है कि अधिकारियों को भी भनक नहीं लगती। हॉल में लगे सीसीटीवी कैमरे भी इस खेल को पकड़ने में नाकामयाब रहते हैं। आम जनता को कैसे दलाल अपनी बातों में फांसते हैं, आप भी जानें

रिपोर्टर- भाईसाहब मुझे ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना है?

दलाल- बनवा लीजिए। आवेदन किया है कि नही?

रिपोर्टर- अभी नहीं किया। सुना है कि ऑनलाइन एग्जाम देना पड़ता है।

दलाल- हां वो तो है। कोई पक्का नहीं कि एग्जाम में आप पास हो जाएं। फेल हो गए तो नए सिरे से आवेदन करना पड़ेगा। फीस का पैसा भी चला जाएगा।

रिपोर्टर- तो क्या किया जाए? आप कितने पैसे में लाइसेंस बनवा देंगे।

दलाल- एक हजार रुपया लग जाएगा।

रिपोर्टर- यह तो बहुत ज्यादा है? कुछ कम कर दीजिए।

दलाल- आठ सौ रुपए दे दो। अब इससे कम नहीं होगा।

रिपोर्टर- कब तक बन जाएगा?

दलाल- एक सप्ताह के भीतर हाथों-हाथ दे देंगे। ऑनलाइन एग्जाम भी पास करा देंगे।

रिपोर्टर- वह कैसे करा देंगे?

दलाल- वह मत सोचो। हमारी सब सेटिंग है। पहले पैसा दो फिर आगे की बात करना।

रिपोर्टर- ठीक है। दो घंटे बाद आपको कागज और पैसा मिल जाएगा।

दलाल- हां देख लो। सीधे जाओगे तो हो सकता है अगले एक से दो महीने तक लाइसेंस नहीं मिले। फेल हो गए तो फिर से फार्म भरना पड़ेगा।

(इस बातचीत के बाद रिपोर्टर वहां से चला गया, दलाल के पास पहले से आधा दर्जन लाइसेंस बनवाने का ठेका मौजूद था)

ये है विभाग दलाल कौन बन सकता है? की निर्धारित फीस

लाइसेंस का प्रकार निर्धारित फीस (रुपए में)

लर्निग लाइसेंस फीस प्रत्येक वर्ग के यान के लिए 150 रुपए

लर्निग लाइसेंस परिणाम फीसस/परीक्षण पुनरावृत्ति फीस 50 रुपए

ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने के लिए 200

अंतरराष्ट्रीय ड्राइविंग लाइसेंस फीस 1000

चालक अनुज्ञप्ति की नवीनीकरण फीस 200

नही होता नियमों का पालन

यह भी अजीब बात है कि लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस हाथों हाथ दिए जाते हैं, जबकि नियमानुसार लाइसेंस का कार्ड कूरियर के जरिए घर भेजना होता है। इसके लिए लोगों से बीस रुपए का स्टैंप खरीदवाया जाता है, लेकिन इसका यूज नहीं होता। यह स्टैंप कहा जाता है यह भी एक बड़ा सवाल है। कुल मिलाकर आरटीओ कार्यालय के दलाल कौन बन सकता है? अधिकारियों के नाक के नीचे जमकर खेल खेला जा रहा है, जिसने ऑनलाइन सिस्टम की हवा निकालने में कसर नही छोड़ी है।

दलालों को निष्क्रिय करने की कोशिश की जा रही है। काफी छानबीन के बाद ही लाइसेंस जारी किया जाता है। यूपी में सबसे कम लाइसेंस इलाहाबाद से ही जारी होते हैं। जो लोग सही होते हैं उन्ही को लाइसेंस दिया जाता है।

Tarla Dalal Biopic: शेफ बन हुमा कुरैशी खोलेंगी स्वादिष्ट राज, बदले लुक में पहचानना हुआ मुश्किल

हुमा कुरैशी इस बार शेफ के रूप में दर्शकों के बीच पेश होने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. उन्हें शेफ तरला दलाल की बायोपिक में देखा जाने वाला है. अब उनका लुक भी वायरल होने लगा है.

  • हुमा जल्द ही तरला दलाल की बायोपिक में दिखेंगी
  • फिल्म से हुमा कुरैशी का लुक भी सामने आ चुकी हैं

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Tarla Dalal Biopic: शेफ बन हुमा कुरैशी खोलेंगी स्वादिष्ट राज, बदले लुक में पहचानना हुआ मुश्किल

नई दिल्ली: बॉलीवुड एक्ट्रेस हुमा कुरैशी (Huma Qureshi) ने अपने हर किरदार को बहुत शिद्दत से दर्शकों के बीच उतारा है. अब वह अपनी अगली फिल्म 'तरला' (Biopic Tarla) को लेकर चर्चा में आ गई हैं. पीयूष गुप्ता के निर्देशन में अपनी यह फिल्म एक बायोपिक हैं, जो भारत की पहली होम शेफ तरला दलाल (Tarla Dalal) पर आधारित है. फिल्म में हुमा को तरला की भूमिका में देखा जाएगा.

ताजा हुईं हुमा की बचपन की यादें

अपनी इस फिल्म को लेकर हुमा कहती हैं, 'तरला दलाल मुझे अपने बचपन की याद दिलाती हैं. मेरी मां के पास रसोई में उनकी किताब की एक कॉपी थी और वह अक्सर मेरे स्कूल के टिफिन के लिए उनके द्वारा बताए गए कई व्यंजन बनाती थीं.

मां के साथ हुमा ने बनाई थी रेसपी

हुमा ने आगे कहा, 'मुझे वह समय भी अच्छी तरह से याद है जब मैंने मां को तरला दलाल की रेसपी घर का बनी मैंगो आइसक्रीम बनाने में मदद की थी. इस भूमिका ने मेरी बचपन की उन मीठी यादों को ताजा कर दिया है. मैं रॉनी, अश्विनी और नितेश की बहुत आभारी हूं कि मुझ पर इस विस्मय को निभाने के लिए विश्वास किया.'

निर्माता भी फिल्म के लिए उत्साहित

फिल्म का निर्माण रॉनी स्क्रूवाला, अश्विनी अय्यर तिवारी और नितेश तिवारी ने मिलकर किया है. दिवंगत शेफ तरला दलाल के जीवन पर एक फिल्म बनाने के उनके फैसले के बारे में बात करते हुए, निर्माता अश्विनी अय्यर तिवारी ने कहा, तरला की कहानी एक प्रतिष्ठित शेफ होने की तुलना में बहुत अधिक है.

तरला दलाल ने खाने को दिया नया रूप- निर्माता

निर्माता का कहना है, यह एक कामकाजी मां की कहानी है जिसने अकेले ही चीजें बदल दीं. भारत में शाकाहारी खाना पकाने और ऐसे कई घरेलू रसोइयों और स्टार्टअप के लिए अपने सपनों को पूरा करने का मार्ग प्रशस्त किया. रोनी स्क्रूवाला ने साझा किया कि तरला दलाल ने भारत में घरेलू खाने को एक नया रूप दिया. उनकी कहानी की किताब में एक अदाहरण दिया गया है कि अपनी महत्वाकांक्षाओं की दिशा में काम करने में कभी देरी नहीं करनी चाहिए.

अपने अनुभव को जोड़ते हुए, नितेश तिवारी कहते हैं, 'हर महाकाव्य व्यक्तित्व पर कई बायोपिक्स से भरी दुनिया में, तरला दलाल पर एक बायोपिक लंबे समय से प्रतीक्षित थी. उनकी कहानी के माध्यम से, हम ऐसे कई युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करना चाहते हैं जो अपने अपने घरों से व्यापार शुरु करना चाहते हैं.'

तरला दलाल थीं वो पहली भारतीय

तरला दलाल एक भारतीय खाद्य लेखक, शेफ, कुक बुक लेखक और कुकिंग शो के मेजबान थे. वह पहली भारतीय थीं जिन्हें 2007 में पाक कौशल श्रेणी में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. यह पहली बार है जब बॉलीवुड स्क्रीन पर एक शेफ के जीवन कहानी का चित्रण किया जा रहा है.

बेहद खुश हैं लेखक पीयूष गुप्ता

'दंगल' और 'छिछोरे' जैसी फिल्मों के लेखक रह चुके पीयूष गुप्ता, तरला दलाल के जीवन को पर्दे पर दिखाने का मौका पाकर बेहद खुश हैं. उन्होंने आगे कहा, 'खुद एक खाने का शौकीन होने के नाते, इस फिल्म को सभी खाद्य प्रेमियों के लिए एक ट्रीट बनाने का इरादा है.' पीयूष गुप्ता और गौतम वेद द्वारा लिखित, RSVP द्वारा निर्मित, और अर्थ स्काई, 'तरला' सभी को भोजन के भ्रमण पर ले जाने के लिए तैयार है.

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Sucheta Dalal (Journalist) उम्र, Biography, पति, बच्चे, परिवार, Facts in Hindi

Sucheta Dalal

  • क्या सुचेता दलाल धूम्रपान करती हैं ?: अनजान
  • क्या सुचेता दलाल शराब पीती हैं ?: अनजान
  • सुचेता ने कर्नाटक कॉलेज से सांख्यिकी में बीए किया और फिर बॉम्बे विश्वविद्यालय से एलएलबी और एलएलएम किया।
  • उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1984 में एक निवेश पत्रिका: फॉर्च्यून इंडिया से की थी।
  • 1990 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया के मुंबई सर्कुलेशन में बिजनेस और इकोनॉमिक्स विंग के लिए एक पत्रकार के रूप में काम करना शुरू किया।
  • एक पत्रकार के रूप में काम करने से उनके लिए अवसरों का एक बड़ा द्वार खुला और वह टाइम्स ऑफ इंडिया की वित्तीय संपादक बन गईं।
  • उन्होंने कई प्रसिद्ध व्यावसायिक पत्रिकाओं: बिजनेस स्टैंडर्ड और द इकोनॉमिक टाइम्स के साथ भी काम किया है।
  • सुचेता अपने निजी जीवन को गुप्त रखना पसंद करती है और इसलिए उसने इसे मीडिया के लिए कभी नहीं खोला, सिवाय इसके कि उसकी शादी एक लेखक देबाशीष बसु से हुई है।
  • उनकी विशेष रूप से पूंजी बाजार, उपभोक्ता मुद्दों, बुनियादी ढांचा क्षेत्र और निवेशक से संबंधित मुद्दों पर लिखने और लिखने में गहरी रुचि है।
  • सुचेता के काम को तब प्रसिद्धि मिली जब उन्होंने 1992 में सुरक्षा घोटाले को कवर किया, जिसे भारतीय इतिहास के सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में से एक माना जाता है।
  • उन्होंने अपने पति देबाशीष के साथ 1993 में “द स्कैम: हू वोन, हू लॉस्ट, हू गॉट अवे” नामक स्टॉक घोटाले के बारे में एक किताब लिखी, जो जनता के बीच सनसनी बन गई।
  • मार्च 2000 में, उन्होंने भारत के एक प्रख्यात उद्योगपति, बैंकर और अर्थशास्त्री एडी श्रॉफ की आत्मकथा लिखी जिसका शीर्षक था “एडी श्रॉफ: टाइटन ऑफ फाइनेंस एंड फ्री एंटरप्राइज”।
  • 2006 में, उन्होंने अपने पति द्वारा शुरू की गई द्वि-साप्ताहिक निवेश पत्रिका मनीलाइफ के लिए अपनी रुचियों को लेखन में बदल दिया।
  • सुचेता को डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा 2006 में पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
  • 2008 तक, उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के लिए एक स्तंभकार और परामर्श संपादक के रूप में काम किया।
  • सुचेता अब मनीलाइफ पत्रिका की प्रधान संपादक हैं।
  • उसने अपने पति के साथ, मुंबई में मनीलाइफ फाउंडेशन की स्थापना की, जो एक गैर-लाभकारी संगठन है जो भारत में खराब वित्तीय शिक्षा को उजागर करता है।
  • वह हमेशा विभिन्न उपयोगी विषयों पर लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए सेमिनार और चर्चा करते हैं। यहां एक वीडियो है जहां सुचेता दलाल इस बारे में बात करती है कि क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ता और बैंकर के जीवन को कैसे प्रभावित करता है:

  • वह 1992 के हर्षद मेहता घोटाला, एनरॉन घोटाला, भारतीय औद्योगिक विकास बैंक घोटाला, केतन पारेख घोटाले में पाए गए विभिन्न जांच मामलों पर अपने अविश्वसनीय रूप से उत्कृष्ट कार्य के लिए व्यापक रूप से जानी जाती हैं।
  • पत्रकारिता के अलावा, वह मनीलाइफ स्मार्ट सेवर्स नेटवर्क चलाते हैं, जिसका लक्ष्य व्यक्तिगत निवेशकों को निवेश में बेहतर और अधिक प्रतिभाशाली बनने के लिए शिक्षित करना है।
  • यह लोगों को एक क्रेडिट हेल्पलाइन के माध्यम से म्यूचुअल फंड, निवेश, बीमा क्षतिपूर्ति तंत्र और अन्य वित्तीय समस्याओं से संबंधित कठिनाइयों में भी मदद करता है।
  • उन्हें हर्षद मेहता घोटाले पर उनके काम के लिए फेमिना वुमन ऑफ सब्सटेंस अवार्ड और पत्रकारिता में उनकी श्रेष्ठता के लिए मीडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित चमेली देवी पुरस्कार भी मिला।
  • उनकी स्थापित फाउंडेशन मनीलाइफ फाउंडेशन को प्रतिष्ठित 10वें एमआर पाई मेमोरियल अवार्ड से सम्मानित किया गया।

हरियाणा: BJP, JJP और निर्दलीय विधायकों में से कौन बन सकता है मनोहर सरकार का मंत्री?

हरियाणा में कौन बनेगा मंत्री का खेल शुरू

हरियाणा: BJP नेता कैप्टन अभिमन्यु को हराने वाले JJP विधायक को मंत्री बनाने की तैयारी! जननायक जनता पार्टी (JJP), बीजेपी . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 30, 2019, 16:37 IST

नई दिल्ली. हरियाणा में मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री बनने के बाद अब मंत्री पद के लिए जंग शुरू हो गई है. बीजेपी, जेजेपी और निर्दलीय विधायक अपने-अपने सियासी आकाओं से सिफारिश लगवा रहे हैं. हरियाणा (Haryana) में बीजेपी (BJP) के कद्दावर नेताओं में से एक कैप्टन अभिमन्यु को विधानसभा चुनाव 2019 (Assembly Election 2019) में हराने वाले जननायक जनता पार्टी (JJP) विधायक को मंत्री बनाने की तैयारी है. गठबंधन की मजबूरी में बीजेपी को यह फैसला करना पड़ रहा है. मनोहरलाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) की पहली सरकार में आठ महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे कैप्टन को नारनौंद सीट से हराकर जेजेपी नेता राम कुमार गौतम विधानसभा पहुंचे हैं. दोनों पार्टियों के सूत्र बता रहे हैं कि दुष्यंत चौटाला गौतम को मंत्रिमंडल (Haryana Cabinet Minister) में शामिल करवाएंगे. जानते हैं कि किसके कोटे से कौन हरियाणा सरकार (Haryana Government) में मंत्री बनने की दौड़ में शामिल है.

जननायक जनता पार्टी का कोटा

मंत्रिमंडल में जेजेपी जाट (Jat), दलित (Dalit) और ब्राह्मण (Brahmin) पर फोकस करेगी. जेजेपी के चार दलित विधायक जीते हैं, इनमें से एक का मंत्री बनना तय माना जा रहा है. जेजीपी कोटा में जाट समाज से दुष्यंत चौटाला, उपमुख्यमंत्री बने हैं. इसके अलावा ब्राह्मण समाज से राम कुमार गौतम को कैबिनेट मंत्री का पद मिल सकता है. जबकि दलित समाज से ईश्वर सिंह और अनूप धानक में से किसी एक को जगह मिलने की संभावना है.

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मंत्रिमंडल में जेजेपी जाट, दलित और ब्राह्मण समाज को प्रतिनिधित्व देगी!

बीजेपी का कोटा

बीजेपी के दिग्गजों के हारने के बाद मंत्रिमंडल गठन में मनोहरलाल खट्टर का रास्ता आसान हो गया है. वर्ष 2014 में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल रहे कैप्टन अभिमन्यु और रामबिलास शर्मा चुनाव हार चुके हैं. बीजेपी कोटे में पंजाबी समाज से आने वाले मनोहरलाल खट्टर दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं. अनिल विज का कैबिनेट मंत्री लगभग तय माना जा रहा है. बताया जा रहा है कि गुर्जर समाज से आने वाले कंवरपाल गुर्जर को कैबिनेट मंत्री का पद मिल सकता है. वो विधानसभा के स्पीकर रह चुके दलाल कौन बन सकता है? हैं. मुख्यमंत्री के खासमखास माने जाने वाले दीपक मंगला को कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की चर्चा है. वैश्य समाज से मंगला और कमल गुप्ता में से किसी एक का नंबर लग सकता है. मंगला सीएम दलाल कौन बन सकता है? के राजनीतिक सलाहकार रह चुके हैं. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समधी करण सिंह दलाल को पलवल सीट से हराया है.

यादव समाज को प्रतिनिधित्व देने के लिए नांगल चौधरी क्षेत्र के दलाल कौन बन सकता है? विधायक अभय यादव को कैबिनेट मंत्री का पद दिया जा सका है. वो दूसरी बार चुनाव जीते हैं. इससे दक्षिण हरियाणा भी सध जाएगा. यादव आईएएस रहे हैं. बीजेपी कोटे में दलित समाज से बनवारी लाल या विशम्बर सिंह में कोई एक कैबिनेट मंत्री बन सकता है. महिला कोटे में बड़खल की विधायक सीमा त्रिखा, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाई जा सकती हैं. वो पिछली सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रही हैं. बीजेपी से सिर्फ दो महिलाएं जीतकर आई हैं जिनमें सीमा त्रिखा सीनियर हैं. जाट समाज से महिपाल ढांडा को राज्यमंत्री बनाया जा सकता है. वो पानीपत ग्रामीण से दूसरी बार जीते हैं. बीजेपी ने 20 जाटों को टिकट दिया था जिनमें से सिर्फ चार जीतकर आए हैं.

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बीजेपी अपने कोटे में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधेगी!

निर्दलीय कोटा

इस बार हरियाणा में सात निर्दलीय जीतकर आए हैं. इसमें रानिया विधानसभा क्षेत्र से जीतकर आए रणजीत सिंह चौटाला को मंत्री बनाए जाने की चर्चा है. वो टिकट न पाने की वजह से कांग्रेस से बागी हुए थे. रणजीत सिंह ओम प्रकाश चौटाला के छोटे भाई हैं. राज्य मंत्री के लिए एक नाम चल रहा है पुंडरी से रणधीर सिंह गोलेन का. वो बीजेपी के पूर्व प्रत्याशी रह चुके हैं. इस बार पार्टी से बगावत कर के मैदान में उतरे थे. राज्य मंत्री के तौर पर नीलोखेड़ी (सुरक्षित सीट) से धर्मपाल का भी नाम चल रहा है. वो भी बीजेपी के बागी हैं. हरियाणा में मुख्यमंत्री के अलावा 13 मंत्री बनाए जा सकते हैं.

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