गोल्ड ईटीएफ बेहतर या सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड
हालिया दिनों कीमतों में आई नरमी के बाद निवेश के नजरिये से सोने के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। लोग यह भी समझने लगे हैं कि फिजिकल गोल्ड के बजाय पेपर गोल्ड में निवेश करना ज्यादा बेहतर है। लेकिन ज्यादातर लोग इस बात को लेकर दुविधा में होते हैं कि पेपर गोल्ड में निवेश के दो पॉपुलर विकल्प यानी गोल्ड ईटीएफ और सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड में से किसमें निवेश किया जाए। आज अलग-अलग कसौटियों पर इन्हीं दो विकल्पों को परखते हैं ताकि निवेशकों को किसी एक विकल्प के चयन में आसानी हो सके।
निवेश की सीमा
सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड ईटीएफ दोनो में निवेशकों को प्रति यूनिट गोल्ड में निवेश का मौका मिलता है। लेकिन इसके लिए उन्हें फिजिकल फॉर्म में सोना रखने की जरूरत नहीं होती। गोल्ड ईटीएफ और बॉन्ड दोनों में एक यूनिट की कीमत 1 ग्राम सोने की कीमत के बराबर होती है। मतलब आप सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड ईटीएफ दोनों में कम से कम 1 ग्राम गोल्ड के बराबर वैल्यू की एक यूनिट में निवेश कर सकते हैं। गोल्ड ईटीएफ में अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है। जबकि सॉवरिन बॉन्ड में एक व्यक्ति एक वित्त वर्ष में अधिकतम 4 किलोग्राम सोने की कीमत के बराबर यूनिट में निवेश कर सकता है। ध्यान रहे गोल्ड ईटीएफ और सॉवरिन बॉन्ड दोनों में सोना सिर्फ अंडरलाइंग एसेट है इसलिए रिडेम्प्शन के बाद फिजिकल गोल्ड नहीं बल्कि अंडरलाइंग ऐसेट यानी सोने की कीमत भारतीय रुपये में मिलेगी।
खरीद-बेच की सुविधा
गोल्ड ईटीएफ को आप स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर कैश ट्रेडिंग के लिए निर्धारित समय के दौरान कभी भी खरीद या बेच सकते हैं। लेकिन सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड सरकार की तरफ से आरबीआई समय-समय/ निश्चित अंतराल पर जारी करती है। इसे कभी भी बेचा नहीं जा सकता है। बॉन्ड की मैच्योरिटी पीरियड आठ वर्ष की है। लेकिन पांचवें, छठे और सातवें वर्ष में बॉन्ड को बेचने का विकल्प यानी एग्जिट ऑप्शन है, जिसका इस्तेमाल ब्याज भुगतान की तारीख पर किया जा सकता है। हां, डीमैट फॉर्म में इस बॉन्ड को लेने वाले इसे स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडिंग आवर्स के दौरान कभी भी बेच सकते हैं।
डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट
गोल्ड ईटीएफ के लिए डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट का होना जरूरी है। जबकि सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड के लिए डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट का होना गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडिंग फंड जरूरी नहीं है। हां, अगर आप सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड की एक्सचेंज पर ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको बॉन्ड को डीमैट फॉर्म में लेना होगा। जिसके लिए डीमैट अकाउंट का होना जरूरी है। सबसि्क्रप्शन के दौरान ही आपको सॉवरिन बॉन्ड फिजिकल फॉर्म (सर्टिफिकेट) के अतिरिक्त डीमैट फार्म में भी लेने का विकल्प मिलता है।
जोखिम
सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड सरकार की तरफ से आरबीआई जारी करती है। इसलिए इसमें डिफॉल्ट का कोई जोखिम नहीं है। जबकि प्राइवेट असेट मैनेजमेंट कंपनियां गोल्ड ईटीएफ मैनेज करती है। इसमें भी डिफॉल्ट का खतरा काफी कम होता है।
ब्याज
सॉवरिन बॉन्ड में इनिशियल इन्वेस्टमेंट / इश्यू प्राइस पर 2.5 फीसदी वार्षिक ब्याज मिलता है। यह हर 6 महीने में देय होता है। अंतिम ब्याज मैच्योरिटी पर इनिशियल इन्वेस्टमेंट यानी प्रिंसिपल अमाउंट के साथ दिया जाता है। लेकिन ब्याज की कंपाउंडिंग नहीं होती है। ब्याज की रकम भी टैक्सेबल है। हालांकि ब्याज पर कोई टीडीएस नहीं कटता है। जबकि गोल्ड ईटीएफ पर आपको कुछ भी ब्याज नहीं मिलता।
एक्सपेंस/खर्च
गोल्ड ईटीएफ मैनेज करने के एवज में फंड हाउस निवेशक से चार्ज वसूलते हैं। जिसे टोटल एक्सपेंस रेश्यो (टीईआर) कहते हैं। इसके अतिरिक्त जब भी आप यूनिट खरीदते या बेचते हो ब्रोकर को ब्रोकरेज चार्ज देना होता है। जबकि सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड में इस तरह का कोई अतिरिक्त एक्सपेंस नहीं है। हां, अगर आप सॉवरिन बॉन्ड को एक्सचेंज पर खरीदोगे या बेचोगे तो आपको ब्रोकरेज चार्ज देना होगा।
लोन
जरूरत पड़ने पर गोल्ड बॉन्ड के एवज में बैंक से लोन भी लिया जा सकता है। मतलब लोन के लिए गोल्ड बॉन्ड पेपर को कोलैटरल यानी जमानत/गारंटी के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन गोल्ड ईटीएफ पर यह सुविधा नहीं है।
टैक्स
अगर सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड को मैच्योरिटी के बाद रिडीम करते हैं तो आपको रिटर्न पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। लेकिन गोल्ड ईटीएफ पर इस तरह का टैक्स बेनिफिट नहीं है। गोल्ड ईटीएफ पर टैक्स डेट फंड की तरह लगता है। मतलब अगर खरीदने के बाद 36 महीने पूरे होने से पहले रिडीम करते हैं तो जिस वर्ष आप रिडीम करते हैं उस वर्ष रिटर्न/लाभ आपके एनुअल इनकम में जुड़ जाएगा और आपको टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना पडेगा। लेकिन अगर 36 महीने पूरे होने के बाद रिडीम करते हैं तो इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (सेस और सरचार्ज मिलाकर 20.8 फीसदी) लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना पडेगा।
लेकिन सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड को भी अगर मैच्योरिटी से पहले यानी 8 साल से पहले रिडीम करते हैं तो गोल्ड ईटीएफ की तरह ही टैक्स देना होगा। कहने का मतलब सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड पर टैक्स बेनिफिट तभी है जब आप उसे मैच्योरिटी पीरियड तक होल्ड करते हो। फिजिकल गोल्ड पर भी गोल्ड ईटीएफ की तर्ज पर ही टैक्स लगता है।
लिक्विडिटी
गोल्ड ईटीएफ को स्टॉक एक्सचेंज पर कभी भी खरीदा बेचा जा सकता है। मतलब लिक्विडिटी की समस्या यहां नहीं है। लेकिन सॉवरिन बॉन्ड को कम से कम 5 साल के बाद ही रिडीम किया जा सकता है। लेकिन मैच्योरिटी से पहले रिडीम करने पर टैक्स बेनिफिट से हाथ धोना पड़ेगा। दूसरी बात अगर आप स्टॉक एक्सचेंज पर कभी भी शार्ट यानी बेचना चाहेंगे तो आपको या तो पर्याप्त खरीदार नहीं मिलेंगे या मिलेंगे भी तो मार्केट प्राइस के नीचे यानी डिस्काउंट पर। यानी गोल्ड ईटीएफ की तुलना में सॉवरिन बॉन्ड में लिक्विडिटी निश्चित रूप से कम है।
निष्कर्ष / सलाह
अगर आप बॉन्ड को उसकी मैच्योरिटी पीरियड तक होल्ड कर सकते हैं तो आपके लिए सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड बेहतर है। लेकिन अगर आप कभी खरीदना बेचना चाहते हैं, यानी 8 साल तक होल्ड नहीं कर सकते हैं तो आपको गोल्ड ईटीएफ में निवेश करना चाहिए।
गोल्ड ईटीएफ क्या है
सदियों से सोना भारतीयों की पसंदीदा धातु रही है सोने के आभूषण, सिक्के इत्यादि महिलाओ के लिए सर्वदा आकर्षण का मुख्य बिंदु रहे है समय के साथ-साथ इस उत्पाद के मूल्य में भी वृद्धि होती रहती है तथा सोना एक अच्छे निवेश के रूप में भी लोकप्रिय हुआ है | बहुत समय से यह निवेश के उत्पाद के रूप में जाना जाता है वर्तमान समय में सोना भौतिक से अभौतिक रूप में अधिक विकसित हुआ हैV | सोने के भौतिक रूप में आभूषण को खरीदने, बेचने या बनाने में अधिक लागत आती है, जबकि सोने में निवेश करने पर गोल्ड ईटीऍफ़ (Gold ETF) के द्वारा सोने की वास्तविक कीमत के आस-पास ही लागत आती है |
प्राचीन काल से सोना सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता रहा है, लेकिन वर्तमान में सोने को भौतिक रूप में न खरीद कर गोल्ड ईटीऍफ़ (Gold ETF) के तहत निवेश ज्यादा सुरक्षित है | यदि आप भी भविष्य में गोल्ड पर निवेश करना चाहते है तो गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) में निवेश करना अधिक बेहतर होगा | यह आपको गोल्ड के निवेश के साथ साथ स्टॉक कारोबार से भी जोड़ती है | यहाँ पर आपको “गोल्ड ईटीएफ क्या है, Gold ETF Explained in Hindi” इसके विषय में आपको पूरी जानकारी उपलब्ध कराई गयी है |
गोल्ड ईटीएफ का क्या मतलब होता है?
Table of Contents
वह लोग जो सोने पर निवेश करना चाहते है उनके लिए गोल्ड ईटीऍफ़ (Gold ETF) निवेश का बेहतर माध्यम है | गोल्ड ईटीऍफ़ (Gold ETF) एक म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) योजना है, गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडिंग फंड जिसमे सोने के भौतिक रूप की आवश्यकता नहीं होती है | सोना खरीदने के स्थान पर गोल्ड ईटीऍफ़ (Gold ETF) में निवेश करके शेयर के समान शेयर बाजार में ख़रीदा तथा बेचा जा सकता है |
आपके द्वारा खरीदे गए गोल्ड ईटीऍफ़ फण्ड (Gold ETF Fund) को डीमैट खाते में जमा कर दिया जाता है | गोल्ड ईटीऍफ़ फण्ड (Gold ETF Fund) के तहत शेयर के मूल्य का निर्धारण सोने की कीमत के आधार पर होता है, सोने की बढ़ती तथा घटती कीमत के आधार पर गोल्ड ईटीऍफ़ फंड (Gold ETF Fund) के शेयर के मूल्य में भी परिवर्तन होता रहता है, जबकि यह सोने की वास्तविक कीमत से सम्बंधित होता है गोल्ड ईटीऍफ़ (Gold ETF) के तहत आप 1 ग्राम से लेकर 10 ग्राम या उससे अधिक सोने पर भी निवेश कर सकते है | भौतिक रूप से आप सोने के मालिक नहीं होते है, जब आपको गोल्ड ईटीऍफ़ (Gold ETF) नगद करना हो आप गोल्ड शेयर को ऑनलाइन ब्रोकर के द्वारा बेच कर गोल्ड ईटीऍफ़ (Gold ETF) के मूल्य के बराबर नगद या सोना प्राप्त कर सकते है |
गोल्ड ईटीएफ में निवेश कैसे करे ? (How to Invest for Gold ITF) गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडिंग फंड
यदि किसी कंपनी के शेयर खरीदते है, उसी प्रकार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange) से गोल्ड ईटीएफ़ (Gold ETF) बाजार की कीमत पर खरीद तथा बेच सकते है, तथा गोल्ड ईटीएफ़ (Gold ETF) में कारोबार करने के लिए आपको डीमैट खाता और ट्रेडिंग खाता खुलवाना होता है | शेयर ब्रोकर की सहायता से या सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (Systematic Investment Plan) के द्वारा आप गोल्ड ईटीएफ़ (Gold ETF) को ऑनलाइन खरीद सकते है तथा इस प्रकार गोल्ड ईटीएफ़ (Gold ETF) में निवेश कर सकते है इसके लिए –
- शेयर ब्रोकर की सहायता से या ऑनलाइन डीमैट और ट्रेडिंग खाता खुलवाना होगा |
- ब्रोकर के ऑनलाइन पोर्टल पर लॉगिन करके गोल्ड ईटीएफ फण्ड (Gold ETF Fund) चुने जिसे आप खरीदना चाहते है |
- गोल्ड ईटीएफ फण्ड (Gold ETF Fund) की निर्दिष्ट इकाइयों के आधार पर अपना आर्डर स्थापित करें |
- स्टॉक एक्सचेंज में गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) के तहत दिए गए आर्डर तथा बिक्री आर्डर सामान होने पर आपके ईमेल पुष्टिकरण के लिए भेजा जायेगा |
- यदि आप चाहे तो गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) की ईकाईयो को एकमुश्त या व्यवस्थित रूप से नियमित अंतराल पर भी खरीद सकते हैं |
- अगले दिन आपके डीमैट खाते में इकाईया ब्रोकर के द्वारा स्थानांतरित कर दी जाती है |
गोल्ड ईटीएफ में निवेश से लाभ (Benefits to Invest of Gold ETF)
- गोल्ड ईटीएफ को खरीदने तथा बेचने की प्रक्रिया बहुत ही सरल है, इसे ऑनलाइन या ब्रोकर द्वारा या म्यूच्यूअल फण्ड (Mutual Fund) के माध्यम से खरीद या बेच सकते है |
- गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF)गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडिंग फंड गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडिंग फंड अधिक समय तक निकास न होने पर कोइ भार नहीं होता, जितना अधिक समय रहता है, उतना ही लाभ दायक होता है |
- गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) का कारोबार सोने की वास्तविक कीमत के आधार पर किया जाता है, इसकी कीमत सार्वजानिक रूप से उपलब्ध रहती है |
- गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) डीमेट खाते में जमा होने के कारण सोने के चोरी या खोने का खतरा नहीं होता है, तथा इसकी सुरक्षित स्थान पर रहने की भी आवश्यकता नहीं होती है |
- गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) डीमेट खाते में होने के कारण इसमें सोने के भौतिक रूप के समान मिलावट, शुद्धता तथा गारंटी आदि की भी आशंका नहीं होती है, तथा गोल्ड ईटीएफ को अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है |
- गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) से होने वाली आय को लम्बे समय तक पूंजीगत लाभ कर के रूप में माना जाता है।
- सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के तहत प्रति माह एक निश्चित राशि में सोना खरीद सकते है इसके अंतर्गत 1 ग्राम या 1/2 ग्राम भी सोना ख़रीदा जा सकता है |
निवेश के लिए मुख्य गोल्ड ईटीएफ (Best Gold ETF for Invest)
- इन्वेस्को इंडिया गोल्ड ईटीएफ (Invesco India Gold ETF)
- केनरा रोबेको गोल्ड ईटीएफ (Canara Robeko Gold ETF )
- आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल गोल्ड ईटीएफ (ICICI PrudentialGold ETF)
- आईडीबीआई I गोल्ड ईटीएफ (IDBI Gold ETF)
- यूटीआई गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड स्कीम (UTI Gold Exchange Traded Scheme)
- कोटक गोल्ड एग्सचेंज ट्रेडेड स्कीम (Kodak Gold Exchange Traded Scheme )
- एसबीआईगोल्ड ईटीएफ (SBI Gold ETF)
- एचडीएफसीगोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (HDFC Exchange Traded Fund )
- क्वांटम गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड स्कीम (Quantum Gold Exchange Traded Scheme )
- रिलायंस ईटीएफ गोल्ड BeES (Reliance ETF Gold BeES)
सही गोल्ड ईटीएफ़ का चुनाव (Selection of Right Gold ETF)
शेयर बाज़ार में अनेक प्रकार गोल्ड ईटीएफ़ (Gold ETF) उपलब्ध है, जिनमे आप निवेश कर सकते हैं। भौतिक सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव के आधार पर इनका प्रदर्शन रहता है। इसके लिए आपको गोल्ड ईटीएफ़ (Gold ETF) की ट्रेकिंग एरर तथा ट्रेडिंग वॉल्यूम पर ध्यान देना होगा| जिस गोल्ड ईटीएफ़ (Gold ETF) की ट्रेकिंग एरर कम तथा ट्रेडिंग वॉल्यूम अधिक हो वह ही ख़रीदे। इसके लिए आप सुबह 9:15 से लेकर दोपहर 3:30 तक किसी भी समय ट्रेडिंग कर सकते हैं |
यहाँ आपको गोल्ड ईटीएफ़ (Gold ETF) की जानकारी से अवगत कराया गया है यदि आप इससे सम्बधित अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो कमेंट करे और अपना सुझाव प्रकट करे, आपकी प्रतिक्रिया का जल्द ही जवाब देने का प्रयास किया जायेगा | अधिक जानकारी के लिए गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडिंग फंड hindiraj.com पोर्टल पर विजिट करते रहे |
Gold ETF बेहतर या सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, निवेश से पहले ये जानकारी आएगी बहुत काम
Gold ETF बेहतर या सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, निवेश से पहले ये जानकारी आएगी बहुत काम Gold ETF is better or sovereign gold bond know very useful information before investing
Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: August 18, 2022 16:46 IST
Photo:INDIA TV Gold ETF vs sovereign gold bond
Gold ETF और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को लेकर निवेशकों में हमेशा कनफ्यूजन की स्थिति होती है। एक बार फिर से RBI सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की दूसरी सीरीज 22 अगस्त से शुरू करने जा रहा है। इसमें निवेशक 26 अगस्त तक निवेश कर पाएंगे। अब सवाल उठता है कि गोल्ड ईटीएफ में निवेश करना बेहतर होगा या सॉवरेन बॉन्ड? अगर गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडिंग फंड आपके मन में भी यह सवाल हैं तो हम उसका पूरा समाधान यहां दे रहे हैं।
दोनों उत्पाद में निवेश की सीमा
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड ईटीएफ, दोनो में निवेशकों प्रति 1 ग्राम गोल्ड की कीमत से निवेश की शुरुआत कर सकते हैं। वहीं, गोल्ड ईटीएफ में अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है। यानी आप अपनी मर्जी के अनुसार निवेश कर सकते हैं, जबकि सॉवरेन बॉन्ड में एक व्यक्ति एक वित्त वर्ष में अधिकतम 4 किलोग्राम सोने की कीमत के बराबर ही निवेश कर सकता है।
किसे खरीदना-बेचना आसान
गोल्ड ईटीएफ को आप स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर कैश ट्रेडिंग के लिए निर्धारित समय के दौरान कभी भी खरीद या बेच सकते हैं। लेकिन सॉवरे गोल्ड बॉन्ड सरकार की तरफ से आरबीआई समय-समय पर जारी करती है। ऐसे में जब चाहें इसे बेच नहीं सकते हैं। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की मैच्योरिटी पीरियड आठ वर्ष की है। लेकिन पांचवें, छठे और सातवें वर्ष में बॉन्ड को बेचने का विकल्प यानी एग्जिट ऑप्शन है। वहीं, डीमैट फॉर्म में इस बॉन्ड को लेने वाले इसे स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडिंग आवर्स के दौरान कभी भी बेच सकते हैं। ऐसे में अगर आप वैसे निवेशक हैं जो कभी भी अपना पैसा निकालने में यकीन रखते हैं तो आपके लिए गोल्ड ईटीएफ बेहतर होगा।
डीमैट अकाउंट की जरूरत?
गोल्ड ईटीएफ के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है। वहीं, साॅवरेन गोल्ड बॉन्ड के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी नहीं है। हां, अगर आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की एक्सचेंज पर ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको बॉन्ड को डीमैट फॉर्म में लेना होगा, जिसके लिए डीमैट अकाउंट का होना जरूरी है। सबस्क्रिप्शन के दौरान ही आपको सॉवरिन बॉन्ड फिजिकल फॉर्म (सर्टिफिकेट) के अतिरिक्त डीमैट फार्म में भी लेने का विकल्प मिलता है।
निवेश पर किसमें ज्यादा जोखिम
साॅवरेन गोल्ड बॉन्ड सरकार की तरफ से आरबीआई जारी करती है। इसलिए इसमें डिफॉल्ट का कोई जोखिम नहीं है। वहीं, गोल्ड ईटीएफ म्यूचुअल फंड हाउस कंपनियों द्वारा जारी किया जाता है। ऐसे में इसमें डिफॉल्ट का खतरा होता है लेकिन वह काफी कम होता है।
किस पर कितना ब्याज
साॅवरेन बॉन्ड पर 2.5 फीसदी की दर से सालाना ब्याज मिलता है। यह हर 6 महीने में देय होता है। अंतिम ब्याज मैच्योरिटी पर मूलधन के साथ दिया जाता है। ब्याज की रकम टैक्सेबल होती है। वहीं, गोल्ड ईटीएफ पर आपको कुछ भी ब्याज नहीं मिलता। यानी आप ब्याज से इनकम चाहते हैं और सोने की बढ़ी कीमत का लाभ तो सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड एक बेहतर उत्पाद है।
ब्रोकरेज चार्ज
गोल्ड ईटीएफ मैनेज करने के एवज में म्यूचुअल फंड हाउस निवेशक से टोटल एक्सपेंस रेश्यो (टीईआर) चार्ज गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडिंग फंड वसूलते हैं। जब भी आप यूनिट खरीदते या बेचते हो ब्रोकर को ब्रोकरेज चार्ज देना होता है। जबकि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में इस तरह का कोई अतिरिक्त एक्सपेंस नहीं है। हां, अगर आप सॉवरिन बॉन्ड को एक्सचेंज पर खरीदोगे या बेचोगे तो आपको ब्रोकरेज चार्ज देना होगा। जरूरत पड़ने पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के एवज में बैंक से लोन भी लिया जा सकता है। वहीं, गोल्ड ईटीएफ पर यह सुविधा नहीं है।
टैक्स का बोझ
अगर सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड को मैच्योरिटी के बाद रिडीम करते हैं तो आपको रिटर्न पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। लेकिन गोल्ड ईटीएफ पर इस तरह का टैक्स बेनिफिट नहीं है। गोल्ड ईटीएफ पर टैक्स डेट फंड की तरह लगता है। अगर तरलता की बात करें तो गोल्ड ईटीएफ को स्टॉक एक्सचेंज पर कभी भी खरीदा बेचा जा सकता है। मतलब लिक्विडिटी की समस्या यहां नहीं है। लेकिन सॉवरेन बॉन्ड को कम से कम 5 साल के बाद ही रिडीम किया जा सकता है। लेकिन मैच्योरिटी से पहले रिडीम करने पर टैक्स बेनिफिट से हाथ धोना पड़ेगा।
क्या है गोल्ड ETF? जानें इसमें निवेश करके कैसे कर सकते हैं कमाई
सोना प्राचीन काल से निवेश का आकर्षक माध्यम रहा है. हालांकि इसकी सुरक्षा की चिंता जरूर रहती है. इस चिंता को दूर करता है गोल्ड ईटीएफ.
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नई दिल्ली: शेयर मार्केट में रोजाना की गिरावट और उछाल के चलते सोने में निवेश सबसे सुरक्षित माना जाता है. हालांकि, सोना प्राचीन काल से निवेश का आकर्षक माध्यम रहा है. हालांकि इसकी सुरक्षा की चिंता जरूर रहती है. इस चिंता को दूर करता है गोल्ड ईटीएफ. यानी सोने को खरीदने की जगह आप गोल्ड ईटीएफ में निवेश करते हैं.
आसान शब्दों में समझें क्या है गोल्ड ईटीएफ
गोल्ड ईटीएफ का अर्थ होता है गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड. इसकी ट्रेडिंग सभी बड़े स्टॉक एक्सचेंजेज में होती है. ट्रेडिंग के दौरान निवेशक किसी भी समय इन फंड को खरीद सकता है. इनकी वैल्यू मांग और आपूर्ति के आधार पर शेयर के दाम की तरह तय होती है. उसी तरह बदलती भी रहती है. इन फंड की एनएवी सोने की कीमत के साथ जु़ड़ी रहती है. इसका अर्थ है कि फंड की कीमत सोने की कीमत के आधार पर बदलती रहती है. ये फंड उन निवेशकों के लिए हैं जो सोने की बदलती कीमतों के आधार पर मुनाफा कमाना चाहते हैं. चूंकि कारोबार के आखिर में निवेशकों को पैसे के रूप में रिर्टन मिलता है तो वो इस पैसे से सोना या और कोई माध्यम खरीद सकते हैं.
डीमेट अकाउंट के जरिये होती है खरीदी-बिक्री
गोल्ड ईटीएफ में आप सोने की खरीद ऑनलाइन करते हैं. इसे वहीं बेच भी सकते हैं. खरीदी-बिक्री डीमेट अकाउंट के जरिये होती है. गोल्ड ईटीएफ फंड बड़े पैमाने पर फिजिकल गोल्ड की खरीद करता है और उसे स्टोर करता है. यह ईटीएफ के पास होता है और निवेशकों को उनके निवेश के बदले शेयर ऑफर किए जाते हैं.
गोल्ड ईटीएफ के फायदे
- इसमें निवेशक जितनी चाहें उतनी चाहें उतनी यूनिट खरीद सकते हैं. इससे निवेशक जितनी चाहें उतनी राशि से फंड खरीद सकते हैं.
- एक कारोबारी दिन में निवेशकों को अलग-अलग वैल्यू मिलती है और वो किसी भी तरह का ट्रांजेक्शन कर सकते हैं. इसके जरिये निवेशक इंट्राडे मूवमेंट में भी पैसा कमा सकते हैं.
- निवेशकों को सोने को सुरक्षित रखने के जोखिम की चिंता नहीं रहती. इसमें सोने को खरीदने की तरह कई अन्य तरह के चार्ज नहीं होते.
- इसमें निवेशक अपनी सहूलियत के अनुसार एंट्री और एक्जिट ले पाता है तो फिजिकल गोल्ड में नहीं हो पाता है.
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