Quantitative analysis में हम किसी भी कंपनी के बारे में नंबर में जान सकते हैं। इसमें कंपनी की बैलेंस शीट को देखा फंडामेंटल एनालिसिस कैसे करें जाता है, जिसमें की कंपनी का PE Ratio, Earning, EPS Ratio, Dividend, Cash Flow आदि चीजों के आधार पर इन्वेस्ट किया जाता है। यदि ये सब चीजें कंपनी की खराब रहती है, तो कंपनी को कमजोर समझा जा सकता है।

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क्या होता है PEG Ratio, कैसे करते हैं किसी कंपनी के PEG Ratio को कैलकुलेट,

किसी कंपनी का मूल्यांकन उस कंपनी के एसेट के एनालिसिस से किया जाता है। वहीं मूल्यांकन कई टेक्निकल के माध्यम से किया जाता है। मूल्यांकन Ratio की गणना और एनालिसिस कंपनी का मूल्यांकन का एक सामान्य और बुनियादी तरीका हो सकता है।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। कंपनी में इन्वेस्टमेंट करने से सबसे पहले उस कंपनी के बारे में अच्छी तरह से मूल्यांकन करना जरूरी होता है। बता दें कि, कंपनी का मूल्यांकन करने के कई स्केल या पैरामीटर होते है। वहीं, इसके लिए कोई पैरामीटर नहीं होता हैं। इसके लिए इन्वेस्टर को कई इन्डिकैटर का एनालाइसिस करना पड़ता है। इसी में एक PEG Ratio होता हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से जानते हैं कि क्या होता है PEG Ratio

बता दें कि, किसी कंपनी का मूल्यांकन उस कंपनी के एसेट के एनालिसिस से किया जाता है। वहीं, मूल्यांकन कई टेक्निकल के माध्यम से किया जाता है। मूल्यांकन Ratio की गणना और एनालिसिस कंपनी का मूल्यांकन का एक सामान्य और बुनियादी तरीका हो सकता है। बता दें कि, Price Earning To Growth Ratio या PEG Ratio एक मूल्यांकन Ratio होता है, जो फंडामेंटल एनालिसिस कैसे करें कंपनी के एनालिसिस में हेल्प करता है। और ये कंपनी को पहचानने में मदद करता है कि स्टॉक Overvalued है, Undervalued है या Fair Valued हैं या नहीं। एक तरीके से यह किसी कंपनी के फंडामेंटल एनालाइसिस करने में भी हेल्प करता है और नये इन्वेस्टर के लिए ये स्टॉक मार्केट में एक Indicator की तरह काम करता है। जैसा कि, Price Per Earning Ratio या PE Ratio वह प्राइस होता है जो खरीदार कंपनी द्वारा अर्जित प्रत्येक रुपये के लिए पेमेंट करता है। इसी प्रोसेस के अनुसार, PEG Ratio कंपनी के प्रॉफ़िट या प्रॉफ़िट वृद्धि दर की वृद्धि दर के मुकाबले P/E का Ratio होता है।

PEG Ratio का मतलब

दरअसल, PEG Ratio में PE, P/E Ratio के लिए होता है, और G प्रॉफ़िट के लिए होता है। किसी कंपनी का PEG Ratio उसके P/E Ratio और उसकी Profit Growth Rate का Ratio होता है। यानि कि PEG Ratio = Price Per Earning Ratio (P/E Ratio) / Profit Growth Rate over the years, ये यह बताता है कि किसी कंपनी का Price Earnings Ratio उसकी प्रॉफ़िट में बढोतरी दर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। PE को वर्षों में लाभ वृद्धि से कम या उसके बराबर होना चाहिए। इसका मतलब यह है कि PEG Ratio को 1 या थोड़ा 1 के आसपास होना चाहिए। आमतौर पर, PEG Ratio स्थिर आय वाली कंपनियों के लिए उचित मूल्यांकन तकनीक है। यह FMCG और Pharma और यहां तक कि कुछ IT कंपनियों के लिए भी होता है, जहां आय नियमित रूप से बढ़ती रहती है।

भारतीय स्टॉक मार्केट में शेयरों के PEG Ratio पर विचार करते समय अवधि पर ध्यान देना चाहिए। वहीं आपको हमेशा कंपनी के हर अपडेट को जानना भी जरूरी होता है। यदि पिछले 1 वर्ष की बढ़ोतरी दर पिछले 3 वर्षों में बढोतरी दर के साथ अधिक समान है, तो तीन वर्षों के लिए लाभ बढोतरी दर पर विचार करना चाहिए। वहीं, यदि कंपनी ने लगातार पांच वर्षों में समान प्रदर्शन किया है तो 5 वर्ष की टर्म यानी फंडामेंटल एनालिसिस कैसे करें कि लॉंग टर्म पर विचार किया जाना चाहिए। साथ ही, आदर्श रूप से उस समय अवधि पर विचार करना चाहिए जो हाल की अनुमान के साथ ज्यादा consistent हो, जैसे कि पिछले एक वर्ष में जो हुआ हो। यदि न तो तीन और न ही पांच साल की अवधि के लिए समान हो तो यह Ratio हेल्प नहीं करेगा। क्योंकि यह उन कंपनियों के मामलों में उपयोगी होता है जिनकी आय समान है।

Price to Cash Flow Ratio

Price to Cash Flow Ratio एक प्रकार का कंपनी का Ratio होता है जो किसी कंपनी के स्टॉक के प्राइस का बेसिक संकेत होता है। Cash flow वह राशि है जो एक कंपनी वास्तव में वस्तुओं या सेवाओं की बिक्री के लिए प्राप्त करती है। एक कंपनी जो प्रॉफ़िट दिखाती है वह उसकी सेल्स पर आधारित होती है न कि रियल कैस पर, इसलिए इसका मतलब यह नहीं है कि कंपनी को अपनी सभी सेवाओं के लिए रियल पेमेंट प्राप्त हो गया हो। आदर्श रूप से, P/E Ratio, Price To Cash Flow Ratio से मेल खाना चाहिए। फिर भी, कम P/E की तुलना में उच्च Price To Cash Flow Ratio यह दर्शाता है कि कंपनी अपने द्वारा बेची गई सेवाओं/उत्पादों के लिए प्राप्त होने वाले पेमेंट को प्राप्त करने में असमर्थ रही है। एक कंपनी का EPS लाभ के आधार पर कंपनी की प्रति स्टॉक आय को दर्शाता है। फिर भी, Price to Cash Flow उस राशि को व्यक्त करता है जो आपको वास्तविक कमाई के रूप में मिल रही है। तो अगर Price To Cash Flow Ratio 5 है तो इसका मतलब है कि आप कंपनी के नकदी प्रवाह का 5 गुना पेमेंट कर रहे हैं। अन्य मूल्यांकन अनुपातों की तरह, PCF Ratio भी सिर्फ एक संकेत होता है।

क्या होता है PEG Ratio, कैसे करते हैं किसी कंपनी के PEG Ratio को कैलकुलेट,

किसी कंपनी का मूल्यांकन फंडामेंटल एनालिसिस कैसे करें उस कंपनी के एसेट के एनालिसिस से किया जाता है। वहीं मूल्यांकन कई टेक्निकल के माध्यम से किया जाता है। मूल्यांकन Ratio की गणना और एनालिसिस कंपनी का मूल्यांकन का एक सामान्य और बुनियादी तरीका हो सकता है।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। कंपनी में इन्वेस्टमेंट करने से सबसे पहले उस कंपनी के बारे में अच्छी तरह से मूल्यांकन करना जरूरी होता है। बता दें कि, कंपनी का मूल्यांकन करने के कई स्केल या पैरामीटर होते है। वहीं, इसके लिए कोई पैरामीटर नहीं होता हैं। इसके लिए इन्वेस्टर को कई इन्डिकैटर का एनालाइसिस करना पड़ता है। इसी में एक PEG Ratio होता हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से जानते हैं कि क्या होता है PEG Ratio

बता दें कि, किसी कंपनी का मूल्यांकन उस कंपनी के एसेट के एनालिसिस से किया जाता है। वहीं, मूल्यांकन कई टेक्निकल के माध्यम से किया जाता है। मूल्यांकन Ratio की गणना और एनालिसिस कंपनी का मूल्यांकन का एक सामान्य और बुनियादी तरीका हो सकता है। बता दें कि, Price Earning To Growth Ratio या PEG Ratio एक मूल्यांकन Ratio होता है, जो कंपनी के एनालिसिस में हेल्प करता है। और ये कंपनी को पहचानने में मदद करता है कि स्टॉक Overvalued है, Undervalued है या Fair Valued हैं या नहीं। एक तरीके से यह किसी कंपनी के फंडामेंटल एनालाइसिस करने में भी हेल्प करता है और नये इन्वेस्टर के लिए ये स्टॉक मार्केट में एक Indicator की तरह काम करता है। जैसा कि, Price Per Earning Ratio या PE Ratio वह प्राइस होता है जो खरीदार कंपनी द्वारा अर्जित प्रत्येक रुपये के लिए पेमेंट करता है। इसी प्रोसेस के अनुसार, PEG Ratio कंपनी के प्रॉफ़िट या प्रॉफ़िट वृद्धि दर की वृद्धि दर के मुकाबले P/E का Ratio होता है।

PEG Ratio का मतलब

दरअसल, PEG Ratio में PE, P/E Ratio के लिए होता है, और G प्रॉफ़िट के लिए होता है। किसी कंपनी का PEG Ratio उसके P/E Ratio और उसकी Profit Growth Rate का Ratio होता है। यानि कि PEG Ratio = Price Per Earning Ratio (P/E Ratio) / Profit Growth Rate over the years, ये यह बताता है कि किसी कंपनी का Price Earnings Ratio उसकी प्रॉफ़िट में बढोतरी दर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। PE को वर्षों में लाभ वृद्धि से कम या उसके बराबर होना चाहिए। इसका मतलब यह है कि PEG Ratio को 1 या थोड़ा 1 के आसपास होना चाहिए। आमतौर पर, PEG Ratio स्थिर आय वाली कंपनियों के लिए उचित मूल्यांकन तकनीक है। यह FMCG और Pharma और यहां तक कि कुछ IT कंपनियों के लिए भी होता है, जहां आय नियमित रूप से बढ़ती रहती है।

भारतीय स्टॉक मार्केट में शेयरों के PEG Ratio पर विचार करते समय अवधि पर ध्यान देना चाहिए। वहीं आपको हमेशा कंपनी के हर अपडेट को जानना भी जरूरी होता है। यदि पिछले 1 वर्ष की बढ़ोतरी दर पिछले 3 वर्षों में बढोतरी दर के साथ अधिक समान है, तो तीन वर्षों के लिए लाभ बढोतरी दर पर विचार करना चाहिए। वहीं, यदि कंपनी ने लगातार पांच वर्षों में समान प्रदर्शन किया है तो 5 वर्ष की टर्म यानी कि लॉंग टर्म पर विचार किया जाना चाहिए। साथ ही, आदर्श रूप से उस समय अवधि पर विचार करना चाहिए जो हाल की अनुमान के साथ ज्यादा consistent हो, जैसे कि पिछले एक वर्ष में जो फंडामेंटल एनालिसिस कैसे करें हुआ हो। यदि न तो तीन और न ही पांच साल की अवधि के लिए समान हो तो यह Ratio हेल्प नहीं करेगा। क्योंकि यह उन कंपनियों के मामलों में उपयोगी होता है जिनकी आय समान है।

Price to Cash Flow Ratio

Price to Cash Flow Ratio एक प्रकार का कंपनी का Ratio होता है जो किसी कंपनी के स्टॉक के प्राइस का बेसिक संकेत होता है। Cash flow वह राशि है जो एक कंपनी वास्तव में वस्तुओं या सेवाओं की बिक्री के लिए प्राप्त करती है। एक कंपनी जो प्रॉफ़िट दिखाती है वह उसकी सेल्स पर आधारित होती है न कि रियल कैस पर, इसलिए इसका मतलब यह नहीं है कि कंपनी को अपनी सभी सेवाओं के लिए रियल पेमेंट प्राप्त हो गया हो। आदर्श रूप से, P/E Ratio, Price To Cash Flow Ratio से मेल खाना चाहिए। फिर भी, कम P/E की तुलना में उच्च Price To Cash Flow Ratio यह दर्शाता है कि कंपनी अपने द्वारा बेची गई सेवाओं/उत्पादों के लिए प्राप्त होने वाले पेमेंट को प्राप्त करने में असमर्थ रही है। एक कंपनी का EPS लाभ के आधार पर कंपनी की प्रति स्टॉक आय को दर्शाता है। फिर भी, Price to Cash Flow उस राशि को व्यक्त करता है जो आपको वास्तविक कमाई के रूप में मिल रही है। तो अगर Price To Cash Flow Ratio 5 है तो इसका मतलब है कि आप कंपनी के नकदी प्रवाह का 5 गुना पेमेंट कर रहे हैं। अन्य मूल्यांकन अनुपातों की तरह, PCF Ratio भी सिर्फ एक संकेत होता है।

शेयर बाजार में पैसे कमाने के 7 गोल्‍डेन टिप्‍स, देखते-देखते बन जाएंगे मालामाल

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how to make money from stock market: शेयर बाजार एक ऐसी जगह है, जहां निवेशकों को लगता है कि रातोंरात कमाई की जा सकती है. कई बार ऐसा होता है कि कुछ घंटे में ही शेयर से मोटा मुनाफा हो जाता है. बावजूद इसके यह ध्‍यान रखना चाहिए कि इक्विटी में ट्रेडिंग हमेशा से आसान नहीं है. बाजार में आपको अनुशासन और धैर्य की जरूरत पड़ती है. मार्केट में निवेश से पहले अच्‍छी तरह रिसर्च कर लेनी चाहिए. आइए जानते हैं 7 ऐसे गोल्‍डेन टिप्‍स, जिनका अगर ध्‍यान रखा जाए तो शेयर बाजार से जमकर कमाई की जा सकती है.

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मासिक करेंट अफेयर्स पत्रिका, PT 365 और Mains 365 तथा न्यूज़ टुडे - दैनिक करेंट अफेयर्स जैसी प्रासंगिक एवं अद्यतित अध्ययन सामग्री, जिसे विशेषज्ञों की एक समर्पित टीम द्वारा संकलित किया जाता है।

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ऑल इंडिया टेस्ट सीरीज़

चयनित होने वाले समस्त अभ्यर्थियों में से लगभग दो-तिहाई अभ्यर्थी इस प्रोग्राम का चयन करते हैं। VisionIAS के पोस्ट टेस्ट एनालिसिस TM प्रोग्राम के तहत ठोस सुधारात्मक उपाय प्रदान किए जाते हैं तथा यह अभ्यर्थियों के प्रदर्शन में निरंतर सुधार भी सुनिश्चित करता है।

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निरंतर व्यक्तिगत आकलन

अभ्यर्थियों को नियमित ट्यूटोरियल्स, मिनी टेस्ट एवं ऑल इंडिया टेस्ट सीरीज़ के माध्यम से व्यक्तिगत, विशिष्ट और प्रभावी फीडबैक उपलब्ध कराया जाता है।

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Fundamental analysis

बहुत से लोगों को Fundamental analysis के नाम से ही डर लगने लगता है, लेकिन यदि शेयर मार्केट (Stock market) में किसी कंपनी में इन्वेस्ट करना है, तो Fundamental analysis सबसे जरूरी होती है। जिसका मतलब होता है, कि किसी भी कंपनी की पूरी डिटेल्स को निकालना। स्टॉक मार्केट में कंपनी का दो तरीके से एनालिसिस किया जाता है। पहला Technical analysis और दूसरा Fundamental analysis,

तो चलिए दोस्तों आज की इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपको बताऊंगा की Fundamental analysis क्या होता है।

फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental analysis)

फंडामेंटल एनालिसिस वह प्रोसेस होती है, जिसमें की निवेशकों को किसी स्टॉक्स के चयन के लिए उसकी पुरानी हिस्ट्री जाननी होती है, जिससे की निवेशक उसके पुराने सारे रिकॉर्ड्स को अच्छे से जान कर उसमें इन्वेस्ट कर सकें।

Fundamental analysis

किसी भी कंपनी के पिछले रिकॉर्ड्स निकालने से मतलब उस कंपनी के प्रॉफिट–लॉस, रेवेन्यू, कंपनी का मैनेजमेंट, कंपनी क्या प्रोडक्ट बनाती है, उस प्रोडक्ट की डिमांड कितनी है, आदि चीजों से है। कोई भी कंपनी हो यदि उसमें स्मार्ट इंवेस्टर इन्वेस्ट करे तो वह कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental analysis) जरूर करेगा।

फंडामेटल एनालिसिस को देखने से हमें कंपनी की ग्रोथ का यह पता भी लग जाता है, कि कंपनी प्रॉफिट कर रही है, या फिर लॉस। क्योंकि इसमें कंपनी का बहुत ही बारीकी से विश्लेषण किया जाता है। Fundamental analysis में यह देखा जाता है, कि वह कंपनी आर्थिक रूप से कितनी मजबूत है, क्या यह कंपनी हमें लॉन्ग टर्म में एक अच्छा रिटर्न्स दे सकती है।

कंपनी का फंडामेटल एनालिसिस कैसे करें

किसी भी किसी कंपनी का जब हमें Fundamental analysis करना होता है, तो हम सबसे पहले उस कंपनी का बैलेंस शीट देखेंगे। इससे हमें कंपनी की पूरी जानकारी मिल जाती है। यदि हमें कंपनी का फंडामेंटल चेक करना है, तो हम गूगल में जा कर के NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) की वेबसाइट में VISIT कर सकते हैं। जोकि एक सेबी रजिस्टर्ड वेबसाइट है। इसमें हमें किसी एक्सपर्ट की भी जरूरत नहीं पड़ती है। और कंपनी के बारे में अच्छे से जानकारी भी मिल जाती है। और फिर हम एक अच्छी कंपनी में इन्वेस्ट भी कर सकते हैं।

जो भी इंवेस्टर लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग करते हैं, उनके लिए फंडामेंटल एनालिसिस करना बहुत जरूरी होता है, एनालिसिस करने से उनको वे स्टॉक्स बड़ी आसानी फंडामेंटल एनालिसिस कैसे करें से मिल जाते हैं, जिनसे की उन्हें आने वाले समय में एक अच्छा रिटर्न्स मिल सकता है। साथ ही अच्छे बिसनेस वाली कंपनियां भी फंडामेंटल एनालिसिस कैसे करें आसानी से मिल जाती है। फंडामेंटल एनालिसिस का उपयोग हमेशा लंबे समय के लिए इन्वेस्ट के लिए किया जाता है। इसमें जल्दी पैसा कमाने का टारगेट नही रखा जाता है। बल्कि इन्वेस्ट किए गए शेयर में सही रेट ऑफ रिटर्न्स पर कंपाउंडिंग करने में ध्यान दिया जाता है।

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