Published - Monday, 06 June, 2016
रिकॉर्ड ऊंचाई से सोने का भाव 19% गिरा, क्या यह निवेश के लिए सही समय है?
पिछले एक साल में चांदी का प्रदर्शन सोने की तुलना में बेहतर रहा है. गिरावट के दौर में भी इसने मजबूती दिखाई है. जहां घरेलू बाजार में सोने की कीमतें अपने शिखर से 19 फीसदी नीचे आई हैं. वहीं, चांदी में यह गिरावट सिर्फ 10 फीसदी रही है.
आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स में डायरेक्टर (कमोडिटीज एंड करेंसीज) नवीन माथुर कहते हैं, ''टीकाकरण रफ्तार टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू पकड़ रहा है. इसने जोखिम से बचने वाले एसेट के तौर पर इसकी उपयोगिता कम की है. ऐसे में सोने के दोबारा अपने पुराने स्तरों पर पहुंचने के आसार कम हैं.''
युद्ध, महामारी जैसी चीजों के अलावा सोने की कीमतों पर केंद्रीय बैंकों के कदमों का भी असर पड़ता है. हाल में दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं. अतिरिक्त लिक्विडिटी के कारण कई एसेट क्लास में पैसा गया है. यह सिर्फ सोने तक सीमित नहीं है. निवेश को लेकर लोगों का नजरिया बदलता रहता है. कभी वे ज्यादा जोखिम लेने के लिए तैयार रहते हैं. तो, कभी ऐसा करने से बचते हैं. ज्यादा जोखिम लेने की स्थिति में वे शेयर बाजार, निचली रेटिंग के कॉरपोरेट बॉन्ड इत्यादि में पैसा लगाते हैं.
वहीं, जब निवेशक जोखिम लेने से बचते हैं तो पैसा सोने, सरकारी बॉन्ड, हाई क्वालिटी बॉन्ड में जाता है. जोखिम लेने के मूड में जब निवेशक होते हैं तो पैसा विकसित बाजारों से उभरते बाजारों की तरफ चलता है. कोटक टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू म्यूचुअल फंड में सीआईओ-फिक्स्ड इनकम और हेड लक्ष्मी अय्यर कहती हैं कि हाल में सोने में बिकवाली का दबाव बनने का कारण शायद यही हो सकता है.
चूंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना अमेरिकी डॉलर में ट्रेड होता है. इसलिए टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू डॉलर का टूटना 2019 और 2020 में सोने की तेजी आने के पीछे एक तकनीकी कारण हो सकता है. हालांकि, अब डॉलर स्थिर हो रहा है.
हालांकि, अभी कई ऐसी बातें हैं जो सोने के पक्ष में जाती हैं. इनमें 1.9 लाख करोड़ डॉलर का अमेरिकी राहत पैकेज और महंगाई की दर बढ़ने की आशंका शामिल हैं. इनसे वैसे तो तकनीकी तौर पर तेजी का झोंका आ सकता है. लेकिन, एक्सपर्ट्स को लगता है कि अगले कुछ साल के लिए सोने में तेजी का दौर खत्म हो चुका है.
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज में कमोडिटी रिसर्च के हेड हरीश वी कहते हैं कि हम मान सकते हैं कि गोल्ड रैली अब करीब-करीब खत्म हो चुकी है. कारण टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू है कि सोना पहले ही 1,760 डॉलर के टेक्निकल सपोर्ट को पार कर चुका है. अमेरिका का राहत पैकेज जैसे कुछ सकारात्मक पहलू जरूर हैं. लेकिन, ये सोने को पुराने स्तरों पर पहुंचाने में कामयाब नहीं होंगे.टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू
आपको क्या करना चाहिए?
चूंकि सोने में तेजी का दौर पहले ही खत्म हो चुका है. लिहाजा, लोगों को अभी अतिरिक्त रिटर्न जेनरेट करने के लिए सोना खरीदने की जरूरत नहीं है. यह अलग बात है कि सोने की आपके पोर्टफोलियो में अब भी उपयोगिता है. अय्यर कहती है कि सोना कई तरह से फायदेमंद है. यह पोर्टफोलियो का रिस्क कम करने में मददगार टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू होता है. महंगाई से बचाव करता है. लिहाजा, लंबी अवधि के निवेशकों को छोटी अवधि की उठापटक से चिंता करने की जरूरत नहीं है. वे पोर्टफोलियो में गोल्ड का एलोकेशन 10 फीसदी के आसपास बनाए रख सकते हैं. जिनका गोल्ड में अभी कोई निवेश नहीं है. वे गिरावट का इस्तेमाल इसे खरीदने के लिए कर सकते हैं.
चांदी सोने से बेहतर
पिछले एक साल में चांदी का प्रदर्शन सोने की तुलना में बेहतर रहा है. गिरावट के दौर में टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू भी इसने मजबूती दिखाई है. जहां घरेलू बाजार में सोने की कीमतें अपने शिखर से 19 फीसदी नीचे आई हैं. वहीं, चांदी में यह गिरावट सिर्फ 10 फीसदी रही है.
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आज भारतीय पत्रकारिता में नकारात्मक प्रवृति बढ़ रही है: डॉ. अरुण कुमार भगत
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। भारतीय साहित्य और पत्रकारिता में नकारात्मक प्रवृति बढ़ रही हैं। आज जब हम समाचार टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू पत्र पढ़ते हैं तो हत्या चोरी लूटपाट अपहरण भ्रस्टाचार घपले और घोटालो के समाचारों की भरमार ही दृष्टिगोचेर होती हैं। समाज जीवन के सकारात्मक पहलू और उदाप्त चिंतन आज समाचार नहीं बनता यह दुर्भाग्य पूर्ण हैं। साहित्य के लेखन में भी हता
by समाचार4मीडिया ब्यूरो
Published - Monday, 06 June, 2016
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।। भारतीय साहित्य और पत्रकारिता में नकारात्मक प्रवृति बढ़ रही हैं। आज जब टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू हम समाचार पत्र पढ़ते हैं तो हत्या चोरी लूटपाट अपहरण भ्रस्टाचार घपले और घोटालो के समाचारों की भरमार ही दृष्टिगोचेर होती हैं। समाज जीवन के सकारात्मक पहलू और उदाप्त चिंतन आज समाचार नहीं बनता यह दुर्भाग्य पूर्ण हैं। साहित्य के लेखन में भी हताशा और निराशा से उपजी मानसिकता ही सर्वत्र दिखाई देती हैं। इस से समाज का अहित हो रहा हैं। अगर पत्रकारिता और साहित्य का दर्पण है तो उसे समाज जीबन के सबल और दुर्बल दोनों ही पक्ष को उजागर करना होगा। ये कहना है माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में बतौर एसोसिएट प्रफेतर कारर्यत डॉ अरुण कुमार भगत का। उन्होंने भारतीय साहित्य संस्कृति न्यास द्वारा सेक्टर 62 स्थित एडिटवर्क्स में आयोजित कार्यक्रम में अध्यक्षीय संबोधन दिया। इस कार्यक्रम में दो साहित्यकारों को सम्मानित किया गया । समारोह के मुख्य अतिथि थे केंद्रीय हिंदी निदेशालय के निदेशक डॉ रविप्रकाश टेकचंदानी समारोह की अध्यक्षता डॉ अरुण कुमार भगत ने की । विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय व्यवस्था प्रमुख ललित कुमार, अंग्रेजी भाषा के साहित्यकार डॉ बीरबल झा, वरिष्ठ पत्रकार राकेश योगी रहे । कार्यक्रम संयोजक विश्वगौरव के अनुसार हिंदी के वरिष्ठ पत्रकार अजय अनुराग को 'डॉ राममूर्ति त्रिपाठी साहित्य सम्मान 2016' और डॉ कृष्ण चन्द्र गोस्वामी ‘विभाष’ को ‘आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री साहित्य सम्मान 2016’ से नवाजा गया। सम्मान मुख्य अतिथि डॉ रविप्रकाश टेकचंदानी निदेशक केंद्रीय हिंदी निदेशालय दिल्ली द्वारा प्रदान किये गए। समारोह को संबोधित करते हुए डॉ. रविप्रकाश टेकचंदानी ने कहा भारतीय साहित्य चिंतन धारा और उसके चिंतन परंपरा में भारतीय साहित्य को लेकर जो सकारात्मक लेखन होना चाहिए उतना भी नहीं हो रहा है। वर्तमान सन्दर्भ में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। भारतीय साहित्य को भारतीय संस्कृति की सम्पनता को प्रदर्शित करना चाहिए। संस्कृति के सकारात्मक पहलु पर लेखन होना चाहिए । भारतीय समाज में जो तत्वा निकटता लेट हैं, मित्रता बढ़ाते हैं उन्हें साहित्य में स्थान मिलना चाहिए । कार्यक्रम में राकेश योगी ने कहा, 'साहित्य समाज का दर्पण होता है। भारत विविधताओं का देश है। यहाँ अनेक भाषा और बोलियांं हैं । हमारे संविधान में 22 भाषाओँ को राजकीय भाषा का दर्ज़ा मिला है। इस दिशा में भाषाई समरसता का ध्यान रखते हुए राष्ट्र के कल्याण की बात होनी चाहिए। भाषा किसी राष्ट्र के विकास में अवरोधक नहीं है। डॉ. बीरबल झा ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, किसी राष्ट्र की पहचान उसकी भाषा में समाहित होती है जिस देश के निवासी अपनी भाषा पे गर्व नहीं करते, उस राष्ट्र का विकास अवरुद्ध हो जाता है। उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक इस देश को एक माला में अगर किसी चीज ने गूंथा है तो वह भारत की भाषाई विविधता है। भाषाई विकास के प्रसार के लिए ना सिर्फ सरकार बल्कि नागरिकों को भी आगे आना होगा । समाचार4मीडिया देश के प्रतिष्ठित और नं.1 मीडियापोर्टल exchange4media.com की हिंदी वेबसाइट है। समाचार4मीडिया.कॉम में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय, सुझाव और ख़बरें हमें [email protected] पर भेज सकते हैं या 01204007700 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज टाइम ट्रेडिंग का नकारात्मक पहलू पर भी फॉलो कर सकते हैं। समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।
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