निवेशकों के शेयरों की हिफाजत के लिए #SEBI का नया सर्कुलर #Circular में क्या है खास ?
कल्याण ज्वैलर्स की 2023 में 52 शोरुम खोलने का लक्ष्य
कंपनी 2023 में अपने शोरुम की संख्या में 30 फीसदी की बढ़ोतरी करना चाहती है। कंपनी अपने इस विस्तार योजना के तहत मुख्य फोकस गैर दक्षिणी क्षेत्रों में रखना चाहती है जिसका योगदान भारतीय कारोबार में करीब 35 फीसदी का है। कंपनी अपने विस्तार योजना को फ्रेंचाइजी मॉडल के तहत करेगी। आपको बता दें कि कंपनी एफओसीओ (FOCO) यानी फ्रेंचाइजी ओन्ड कंपनी ऑपरेटेड मॉडल 2023 का सबसे तेजी से बढ़ने वाला ब्रोकर है के तहत काम करती है। कंपनी की मौजूदा ऑपरेशंस का दायरा बढ़ाने की योजना है। इसके तहत मेट्रो के अलावा उत्तर, पूर्व और पश्चिमी क्षेत्रों के टियर-2 और टियर-3 शहर शामिल होंगे। जहां तक वैश्विक कारोबार का सवाल है तो वहां पर मांग में तेजी देखने को मिल रही है। मध्य-पूर्व कारोबार में ग्राहकों के सेंटिमेंट में सुधार देखने को मिला है। मध्य-पूर्व क्षेत्रों का कारोबारी आय में कंसो आधार पर 17 फीसदी का योगदान है। कंपनी इन क्षेत्रों में पायलट आधार पर फ्रेंचाइजी मॉडल पर विचार कर रही है। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय कारोबार के बड़े स्तर पर विस्तार की योजना है। 30 सितंबर 2022 तक कंपनी का मुनाफा 425 करोड़ 2023 का सबसे तेजी से बढ़ने वाला ब्रोकर है रुपये रहा है। पिछले 12 महीने में कंपनी की आय करीब 13000 करोड़ रुपये रही है। ज्वैलरी कारोबार अब और संगठित होने की तरफ बढ़ रहा है। कंपनी की विस्तार योजना के जरिए बाजार हिस्सेदारी बढ़ाना मकसद है। कंपनी की 2025 तक गैर दक्षिणी क्षेत्रों से आय बढ़ाकर 50% करने का लक्ष्य जो फिलहाल 35% है।
बड़ी खबर! निवेशकों के शेयरों की हिफाजत के लिए SEBI ने उठाया बड़ा कदम, 31 मार्च 2023 से लागू होगा नया नियम
नए सर्कुलर के मुताबिक, क्लाइंट को जानकारी देनी होगी कि पेमेंट न होने से ऑटो प्लेज हुआ है. अगर पेमेंट नहीं होगा तो ब्रोकर, क्लाइंट के शेयर को बेच सकेगा. लेकिन अनपेड शेयर की बिक्री से पहले क्लाइंट को बताना जरूरी है.
पे-आउट के 1 कामकाजी दिन बाद शेयर पूल से क्लाइंट खाते में जाएंगे. (File Photo)
शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश करने वालों के लिए बड़ी खबर है. निवेशकों के शेयरों (Stocks) की हिफाजत के लिए मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (Sebi) ने एक नया सर्कुलर जारी किया है. नए सर्कुलर के मुताबिक, पे-आउट के 1 कामकाजी दिन बाद शेयर पूल से क्लाइंट खाते में जाएंगे. क्लाइंट के अनपेड शेयर क्लाइंट के डीमैट खाते (Demat Account) में ही ऑटो प्लेज होंगे. नया नियम 31 मार्च 2023 से लागू होंगे.
अनपेड शेयरों पर आया सर्कुलर
नए सर्कुलर के मुताबिक, क्लाइंट को जानकारी देनी होगी कि पेमेंट न होने से ऑटो प्लेज हुआ है. अगर पेमेंट नहीं होगा तो ब्रोकर, क्लाइंट के शेयर को बेच सकेगा. लेकिन अनपेड शेयर की बिक्री से पहले क्लाइंट को बताना जरूरी है.
सेबी के सर्कुलर के अनुसार, शेयर की बिक्री पर घाटा/मुनाफा क्लाइंट के खाते से एडजस्ट होगा. पे-आउट के 7 दिन में प्लेज/रिलीज नहीं तो शेयर फ्री माना जाएगा. हालांकि ऐसे शेयर को मार्जिन के लिए इस्तेमाल नहीं किये जाएंगे.
निवेशकों के शेयरों की हिफाजत के लिए #SEBI का नया सर्कुलर #Circular में क्या है खास ?
सभी अनपेड सिक्योरिटीज के लिए 15 अप्रैल तक समय
मौजूदा अनपेड क्लाइंट सिक्योरिटीज को 15 अप्रैल तक खत्म करना होगा. शेयर या तो क्लाइंट खाते में वापस जाएं या फिर बाजार में बेचे जाएं. न बेचा न क्लाइंट को दिया तो ऐसे शेयर की खरीद-बिक्री फ्रीज होगी.
भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में शीर्ष स्थान पर बरकरार : रिपोर्ट
India GDP: संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में शीर्ष स्थान पर बरकरार है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वित्तवर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था में 8.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो जनवरी के 9 प्रतिशत के पूवार्नुमान से थोड़ा कम है.
Published: May 19, 2022 8:34 AM IST
India GDP: संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक विकास दर 6.4 प्रतिशत रहने के अनुमान के साथ भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था होगा. संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक आर्थिक निगरानी शाखा के प्रमुख हामिद राशिद ने बुधवार को वल्र्ड इकोनॉमिक 2023 का सबसे तेजी से बढ़ने वाला ब्रोकर है सिचुएशन एंड प्रॉस्पेक्ट्स (WESP) की मध्य वर्ष की रिपोर्ट जारी होने पर कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि अगले साल निकट अवधि में और दो साल भारतीय रिकवरी मजबूत रहेगी.”
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रिपोर्ट के अनुसार, भारत की वृद्धि वैश्विक विकास दर के विपरीत है जो इस वर्ष और अगले वर्ष 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
डब्ल्यूईएसपी के अनुसार, इसका सकल घरेलू उत्पाद (GDP), जो अर्थव्यवस्था का समग्र संकेतक है, अगले वित्त वर्ष में 6 प्रतिशत तक नीचे जाने की उम्मीद है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वित्तवर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था में 8.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो जनवरी के 9 प्रतिशत के पूवार्नुमान से थोड़ा कम है.
इसने पिछले वर्ष की तुलना में 2022-23 के लिए कम विकास अनुमानों को 2023 का सबसे तेजी से बढ़ने वाला ब्रोकर है ‘उच्च मुद्रास्फीति दबाव और श्रम बाजार की असमान वसूली (वह) निजी खपत और निवेश पर अंकुश लगाने के लिए जिम्मेदार ठहराया’.
यूक्रेन संघर्ष से वैश्विक उथल-पुथल के बीच, जनवरी से चालू वित्तवर्ष के पूवार्नुमान में मामूली रूप से 0.3 प्रतिशत की कमी की गई है.
कुल वैश्विक तस्वीर पर टिप्पणी करते हुए आर्थिक नीति और विश्लेषण के निदेशक, शांतनु मुखर्जी ने कहा : “यूक्रेन में युद्ध और इससे पहले कोविड महामारी के बावजूद आर्थिक सुधार को बरकरार रखा है, हमारे पिछले पूवार्नुमान के बाद से वैश्विक आर्थिक संभावनाएं नाटकीय रूप से बदल गई हैं. जनवरी, 2022 में हम 4 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद कर रहे थे.”
उन्होंने कहा कि विकास की संभावनाओं में गिरावट व्यापक आधारित है और अमेरिका, यूरोपीय संघ, चीन और कई विकासशील देशों सहित दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित करती है.
दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में शुमार चीन के इस साल 4.5 फीसदी और अगले साल 5.2 फीसदी बढ़ने का अनुमान है.
अमेरिका के इस साल 2.6 फीसदी और अगले साल 1.8 फीसदी बढ़ने का अनुमान है.
अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत के बेहतर आर्थिक प्रदर्शन और संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर राशिद ने इसके लिए अपेक्षाकृत कम मुद्रास्फीति को जिम्मेदार ठहराया, जिसके लिए अन्य देशों के समान मौद्रिक सख्ती की जरूरत नहीं है.
उन्होंने कहा, “पूर्वी एशिया और दक्षिण एशिया को छोड़कर दुनिया के लगभग सभी क्षेत्रों में उच्च मुद्रास्फीति दर्ज की गई है.”
उन्होंने कहा, “तो भारत इस मायने में कुछ बेहतर स्थिति में है कि उन्हें कुछ अन्य देशों की तरह आक्रामक रूप से मौद्रिक सख्ती नहीं करनी है.”
लेकिन राशिद ने सावधानी का एक नोट भी जोड़ा : “हम बाहरी चैनलों से नकारात्मक जोखिम को पूरी तरह से छूट नहीं दे सकते, ताकि वह जोखिम अभी भी बना रहे.”
दक्षिण एशिया क्षेत्र के लिए, डब्ल्यूईएसपी ने इस वर्ष विकास दर 5.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है – जनवरी के पूवार्नुमान से 0.4 प्रतिशत कम.
रिपोर्ट में कहा गया है, “यूक्रेन में चल रहे संघर्ष, कमोडिटी की ऊंची कीमतों और संयुक्त राज्य अमेरिका में मौद्रिक सख्ती से संभावित नकारात्मक स्पिलओवर प्रभावों की पृष्ठभूमि के खिलाफ हाल के महीनों में दक्षिण एशिया में दृष्टिकोण खराब हो गया है.”
(With IANS Inputs)
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वित्त वर्ष 2023 की दूसरी छमाही में कम होगी महंगाई: आरबीआई गवर्नर
शेयर बाजार 09 जुलाई 2022 ,17:15
© Reuters. वित्त वर्ष 2023 की दूसरी छमाही में कम होगी महंगाई: आरबीआई गवर्नर
में स्थिति को सफलतापूर्वक जोड़ा गया:
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नई दिल्ली, 9 जुलाई (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शनिवार को कहा कि वित्त वर्ष 2023 की दूसरी छमाही में भारत में मुद्रास्फीति (महंगाई) धीरे-धीरे कम होने की उम्मीद है।इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ, नई दिल्ली द्वारा आयोजित कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में बोलते हुए, दास ने कहा, बाजार आपूर्ति के ²ष्टिकोण से सही दिखाई दे रहा है और कई उच्च आवृत्ति संकेतक 2022-23 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में रिकवरी की ओर इशारा कर रहे हैं। हमारा वर्तमान आकलन यह है कि 2022-23 की दूसरी छमाही में महंगाई धीरे-धीरे कम हो सकती है।
भारत में महंगाई के इतिहास पर बात करते हुए, आरबीआई गवर्नर ने आगे कहा, 2022 की शुरुआत में महंगाई वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही तक चार प्रतिशत के लक्ष्य दर से काफी कम होने की उम्मीद थी, 2022-23 के लिए अनुमानित औसत महंगाई दर 4.5 प्रतिशत है।
आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा है कि वर्तमान दौर मुद्रास्फीति के ग्लोबलाइजेशन का है। पूरी दुनिया इससे प्रभावित हो रही है। आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि कोरोना महामारी से प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था में सुधार होने लगा है मगर महंगाई अब भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है और यह अब भी केंद्रीय बैंकों के अनुमानों के ऊपर है।
दास ने कहा, मैक्रो-इकनॉमिक और फाइनेंशियल स्टैबिलिटी बनाए रखने के लिए मूल्य स्थिरता जरूरी है। इसलिए केंद्रीय बैंक व्यापक आर्थिक स्थिरता बनाए रखने और इसे बढ़ावा देने के उपाय करेगा। हमारे नियंत्रण से परे कारक अल्पावधि में मुद्रास्फीति को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन मध्यम अवधि में इसकी चाल मौद्रिक नीति द्वारा निर्धारित होगी।
उन्होंने आगे कहा, इसलिए, मौद्रिक नीति को मुद्रास्फीति को स्थिर करने के लिए समय 2023 का सबसे तेजी से बढ़ने वाला ब्रोकर है पर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि अर्थव्यवस्था को मजबूत स्थिति में और सतत वृद्धि की राह पर कायम रखा जा सके।
उन्होंने कहा कि 2022-23 के लिए व्यावसायिक पूवार्नुमानकर्ताओं के सर्वेक्षण से पांच प्रतिशत पर औसत मुद्रास्फीति अनुमान भी काफी सौम्य रहा।
उन्होंने कहा कि हालांकि, यह फरवरी 2022 से रूस-यूक्रेन युद्ध से आगे निकल गया, जिससे वैश्विक कच्चे तेल और अन्य कमोडिटी की कीमतों में तेज उछाल आया।
दास ने कहा, वैश्विक खाद्य कीमतें मार्च में ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गईं और उनका प्रभाव खाद्य तेल, फीड लागत और घरेलू गेहूं की कीमतों में महसूस किया गया। अभूतपूर्व गर्मी की लहर के कारण रबी गेहूं के उत्पादन में कमी ने गेहूं की कीमतों पर और दबाव डाला।
उनके अनुसार, आरबीआई का उद्देश्य अर्थव्यवस्था की रक्षा करना और वित्तीय स्थिरता को बनाए रखना है।
उन्होंने कहा, हमारा प्रयास सॉफ्ट लैंडिंग सुनिश्चित करने का रहा है। ये उद्देश्य आज भी हमारे कार्यों का मार्गदर्शन करते हैं और भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा।
दास ने कहा कि वैश्वीकरण के लाभ कुछ जोखिमों और चुनौतियों के साथ आते हैं। जटिल आपूर्ति श्रृंखलाओं के माध्यम से दुनिया भर में खाद्य, ऊर्जा, वस्तुओं और महत्वपूर्ण आदानों की कीमतों पर आघात पहुंचाया जाता है।
उन्होंने कहा, वास्तव में, हाल के घटनाक्रम घरेलू मुद्रास्फीति की गतिशीलता और व्यापक आर्थिक विकास में वैश्विक कारकों की अधिक मान्यता के लिए कहते हैं, जो बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए देशों के बीच नीतिगत समन्वय और संवाद को बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।
उनके अनुसार, इस तरह के अपरिहार्य वैश्विक झटकों के खिलाफ इंश्योरेंस अंतत: ठोस आर्थिक बुनियादी बातों, मजबूत संस्थानों और स्मार्ट नीतियों पर बनाया गया है। व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए मूल्य स्थिरता महत्वपूर्ण है।
दास ने कहा, हम व्यापक आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने और बढ़ावा देने के व्यापक लक्ष्य के साथ अपनी नीतियों को जांचना जारी रखेंगे। इस प्रयास में, हम अपने संचार में स्पष्ट और पारदर्शी रहते हुए अपने ²ष्टिकोण में लचीला बने रहेंगे।
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