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सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स

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सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स

सिक्योरिटी ट्रांसक्शन टैक्स एक डायरेक्ट टैक्स है जिसे आपको उन सिक्योरिटीज को खरीदने और बेचने पर देना होता है जो कि भारत के स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड होती है। STT हमेशा एवरेज प्राइस से कैलकुलेट होता है। STT निकालने के लिए एक्सचेंज FIFO (First In First Out) या LIFO (Last In First Out) मेथड का उपयोग नहीं करता है।

STT कैलकुलेट करने के पहले, हमें एवरेज प्राइस को तय करना होगा :

एवरेज प्राइस = (Buy Qty*Buy Price) + (Sell Qty*Sell Price) / (Buy Qty+Sell Qty)

उदाहरण के लिए , आपने 500 शेयर्स Rs. 100/- पर ख़रीदे और 500 शेयर्स Rs 105 पर बेच दिए और फिर से आपने 200 शेयर्स Rs. 110/- पर ख़रीदे।

इस केस में, एवरेज प्राइस = [पहली खरीद (500*100) + दूसरी खरीद (200*110) + बेचें (500*105)] / [पहली खरीद (500) + दूसरी खरीद (200) + बेचें (500)] = (50000 + 22000 + 52500)/1200 = 103.75।

क्या होता है SST? सरकार ने क्यों बढ़ाया इसका लक्ष्य?

क्या होता है SST? सरकार ने क्यों बढ़ाया इसका लक्ष्य?

शेयर बाजार (Share Market) में नए निवेशकों (Investors) की फौज देख सरकार ने भी अपनी जेब बड़ी कर ली है. शेयर बाजार में आप मुनाफे (Profit) में शेयर (Stocks) बेचे या नुकसान में, दोनों ही स्थितियों में फायदा सरकार को होता है. दरअसल, सरकार शेयरों की खरीद-बिक्री पर सिक्‍योरिटी ट्रांजेक्‍शन टैक्‍स यानी SST लगाती है. अब शेयरों की खरीद-बिक्री जितनी ज्‍यादा होगी, सरकार को टैक्‍स भी उतना ही ज्‍यादा मिलेगा. कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन लगने और वर्क फॉर्म होम कल्चर शुरू होने से शेयर बाजार को बहुत फायदा हुआ है. लाखों युवा पहली बार निवेशक के रूप में बाजार में आए हैं. नवंबर 2021 तक डीमैट अकाउंट्स की संख्या दोगुनी से अधिक होकर 7.7 करोड़ हो गई है, जो मार्च 2019 में 3.6 करोड़ थी.

सरकार को मिला बंपर कलेक्शन

डीमैट्स अकाउंट्स में जितना ज्‍यादा लेन-देन होगा, सरकार को उतना ज्‍यादा ही एसटीटी राजस्‍व मिलेगा. शेयरों की बिक्री पर सेलर को 0.025 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. यह टैक्स शेयरों के बिक्री मूल्य पर देना पड़ता है. डिलीवरी बेस्ड शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिट्स की बिक्री पर 0.001 फीसदी की दर से टैक्स लगता है. पिछले साल शेयर बाजार में जो आंधी-तूफान आया, उससे सरकार की बल्‍ले-बल्‍ले हो गई. सरकार ने इस फाइनेंशियल ईयर में एसटीटी के कलेक्‍शन का जो 12 हजार 500 करोड़ रुपये टारगेट रखा था अभी तक उससे ज्‍यादा कलेक्‍शन आ चुका है.

सरकार इससे इतनी सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स उत्‍साहित है कि उसने अगले फाइनेंशियल ईयर में एसटीटी का टारगेट 20 हजार करोड़ रुपए तय किया है. अगर पिछले 6 सालों के एसटीटी कलेक्‍शन का एवरेज देखें, तो इस बार अभी तक इससे 65 फीसदी ज्‍यादा एसटीटी कलेक्‍शन जमा हुआ है. एसटीटी कलेक्‍शन में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स है.

STT in Hindi : सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स क्या है? | What is Security Transaction Tax in Hindi

STT in Hindi: भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध प्रतिभूतियों की प्रत्येक खरीद या बिक्री पर एसटीटी लगाया जाता है। इसमें शेयर, डेरिवेटिव या इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड इकाइयां शामिल होंगी। आइये लेख में और विस्तार से जानें कि सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स क्या है? (What is STT in Hindi)

STT in Hindi: भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध प्रतिभूतियों की खरीद (Buy) या बिक्री (Sell) पर एसटीटी (STT) लगाया जाता है। इसमें शेयर, डेरिवेटिव, या इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड इकाइयां शामिल सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स होंगी। पूंजीगत लाभ (Capital Gain) पर टैक्स से बचने के लिए कुछ साल पहले भारत में सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (Securities Transaction Tax) पेश किया गया था। पहले कई लोग आमतौर पर शेयरों की बिक्री से अपने लाभ की घोषणा नहीं करते थे और कैपिटल गेन टैक्स का भुगतान करने से बचते थे। नतीजतन सरकार केवल उन मुनाफे पर टैक्स लगा सकती थी जो घोषित किए गए थे, इस प्रकार पूर्व की सरकारों को राजस्व की हानि होती थी।

Taxation: शेयर बाजार से करनी है कमाई, निवेश के पहले जान लें टैक्स का हिसाब सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स किताब

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Equity Taxation: शेयर बाजार को लेकर निवेशकों का आकर्षण लगातार बढ़ रहा है. बहुत से निवेशक सीधे शेयर में निवेश कर रहे हैं तो बहुत से निवेशक म्यूचुअल फंड के जरिए इक्विटी में पैसे लगा रहे हैं. इक्विटी को लेकर क्रेज बढ़ना वाजिब भी है क्यों कि यहां आप अपने पैसे पर हाई रिटर्न पा सकते हैं. जहां सुरक्षित माने जाने वाले एफडी और आरडी जैसे विकल्पों पर रिटर्न घट रहा है, अब खास तौर से यंग इन्वेस्टर्स बाजार का रिस्क लेने का तैयार हैं. आपने अक्सर सुना होगा इस शेयर ने 5 साल में 60 फीसदी या 80 फीसदी रिटर्न दिया है. या इस शेयर ने शॉर्ट टर्म में जोरदार रिटर्न दिया. लेकिन बाजार से होने वाले मुनाफे पर टैक्स भी लगता है. इसलिए असल रिटर्न यह टैक्स कटने के बाद मिलेगा. अगर आप भी शेयर बाजार में पैसे लगाकर कमाई करना चाहते हैं तो पहले टैक्स का हिसाब किताब समझ लेना चाहिए.

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