जीडीपी अनुपात के लिए मार्केट कैप = एक राष्ट्र में सभी सार्वजनिक शेयरों का मूल्य ÷ राष्ट्र का सकल घरेलू उत्पाद × 100

जीडीपी अनुपात के लिए मार्केट कैप

मंडी सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात की सीमा एक राष्ट्र में सार्वजनिक रूप से कारोबार किए गए और देश द्वारा विभाजित सभी शेयरों के कुल मूल्य के माप को संदर्भित करती है।सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)। बाजार पूंजीकरण से जीडीपी अनुपात को बुफे संकेतक के रूप में भी जाना जाता है। इसका उपयोग यह जांचने के तरीके के रूप में किया जाता है कि क्या देश का शेयर बाजार ऐतिहासिक औसत की तुलना में कम या अधिक है। यह पूरे देश के लिए मूल्य मूल्यांकन गुणक का एक रूप भी है।

Market Cap to GDP Ratio

वारेन बफे ने एक बार कहा था कि बुफे संकेतक शायद सबसे अच्छा एकल उपाय है जहां मूल्यांकन किसी भी समय होता है। एक कारण उन्होंने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि यह सभी शेयरों के मूल्य को समग्र स्तर पर देखने और फिर उस मूल्य की देश के कुल उत्पादन जो कि जीडीपी है, से तुलना करने का एक सरल तरीका है। यह मूल्य-से-बिक्री-अनुपात से निकटता से संबंधित है। यह उच्च स्तर का मूल्यांकन है।

मार्केट कैप से जीडीपी अनुपात के बारे में महत्वपूर्ण बिंदु

यदि आप मार्केट कैप को जीडीपी अनुपात में समझना चाहते हैं, तो समझें कि मूल्यांकन में मूल्य/बिक्री या ईवी/बिक्री का उपयोग मूल्यांकन के मीट्रिक माप के रूप में किया जाता है। कंपनी के मूल्यांकन को ठीक से समझने के लिए मार्जिन और ग्रोथ जैसे अन्य तत्वों को भी ध्यान में रखना होगा। यह बफर इंडिकेटर की व्याख्या के अनुरूप है जो पूरी तरह से समझ में आता है क्योंकि यह समान अनुपात के बारे में है। हालाँकि, यह पूरे देश के लिए है न कि केवल एक कंपनी के लिए।

बुफे संकेतक की सीमाएं

अब आप जानते हैं कि संकेतक एक महान उच्च-स्तरीय मीट्रिक है, हालांकि, मूल्य/बिक्री अनुपात भी काफी कच्चा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह व्यावसायिक लाभप्रदता को ध्यान में नहीं रखता है, लेकिन केवल शीर्ष-पंक्ति राजस्व का आंकड़ा है, जो भ्रामक हो सकता है।

इसके अलावा, अनुपात लंबे समय से अधिक चलन में रहा है, जिसके कारण पैसा निवेश करना है और उचित औसत अनुपात क्या होना चाहिए, यह सवाल है। बहुत से लोग मानते हैं कि औसत 100% से अधिक है, जो इंगित करता है कि एक बाजार का मूल्य अधिक है, कुछ अन्य लोग हैं जो मानते हैं कि नया सामान्य 100% के करीब है।

अंत में, अनुपात प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के रुझानों से प्रभावित होता है। यह उन कंपनियों के प्रतिशत से भी प्रभावित होता है जिनका सार्वजनिक रूप से कारोबार होता है। यदि सब कुछ समान है और सार्वजनिक बनाम निजी कंपनियों के प्रतिशत में बड़ी वृद्धि हुई है, तो बाजार पूंजीकरण से जीडीपी अनुपात में वृद्धि होगी, भले ही मूल्यांकन के दृष्टिकोण से कुछ भी नहीं बदला है।

जीडीपी से मार्केट कैप का फॉर्मूला

जीडीपी अनुपात के लिए मार्केट कैप = एक राष्ट्र में सभी सार्वजनिक शेयरों का मूल्य ÷ राष्ट्र का सकल घरेलू उत्पाद × 100

देश के अनुसार मार्केट कैप से जीडीपी अनुपात

दिसंबर 2020 के मध्य के लिए भारत का वर्तमान कुल बाजार पूंजीकरण जीडीपी अनुपात 72.35% है। अपेक्षित भविष्य का वार्षिक रिटर्न 8% है।

Market Cap क्या होता है ! What Is Market Cap In Hindi ! और इसकी गणना कैसे होती है

शेयर मार्किट की दुनिया में कोनसी कंपनी बड़ी है कोनसी कंपनी छोटी यह कंपनी की मार्किट कैप फैसला करती है आज के इस लेख में हम जानेंगे मार्किट कैप क्या है Market Cap Meaning & Calculation In Hindi इसकी गणना कैसे की जाती और साथ ही जानेंगे लार्ज कैप, मिड कैप, स्माल कैप कंपनियों के बारे में विस्तारपूर्वक से।

Market Cap क्या होता है ! What Is Market Cap In Hindi ! और इसकी गणना कैसे होती है

मार्केट कैप क्या होता है? What is Market Cap

मार्केट कैप को आसान भाषा मे बताए तो यह कंपनी की Total Market Value से होता है। जिसे उस कम्पनी द्वारा जारी किये गए कुल बचे हुए शेयर की संख्या को वर्तमान में चल रही मौजूदा शेयर की कीमत से गुणा करके निकाला जाता है। इससे कंपनी की मार्किट कैप का पता चलता है, और इसकी मदद से निवेश करने वाले भविष्य की संभावना (Future Potential) का अंदाजा लगा पाता है और Risk & Reward को इन्ही बातों का ध्यान में रखते हुए कंपनी में इन्वेस्ट कर पाता है।

उदाहरण के तौर पर: अगर फिलहाल टाटा मोटर्स के 1 शेयर की कीमत ₹400 रुपये है और टाटा मोटर्स के द्वारा कुल 10,000 शेयर्स जारी किए गए हैं तो ऐसे में Tata कंपनी का कुल मार्केट कैप होगा = ₹40 लाख रुपये (₹400×10,000)

मार्केट कैप की गणना कैसे की जाती है? Market Cap Calculation In Hindi

इसका फार्मूला होता है Market Cap = Current Share Price x Total Outstanding Shares

बाजार पूंजीकरण = वर्तमान शेयर मूल्य x कंपनी द्वारा जारी कुल शेयर

Open Market – सुबह 9:15 बजे से शाम 3:30 बजे तक खुली रहती है।

Current Share Price – मार्किट ओपन होने के बाद और खत्म होने से पहले मार्किट चलती है उस समय किस भी कंपनी का जो Running Price चल रही होती है उसे करंट शेयर प्राइस कहा जाता है। और यह Company Growth, Demand & Supply, Financial Data अन्य कई और तथ्यों के आधार पर लगातार बदलती रहती है।

आउटस्टैंडिंग शेयर (Outstanding Shares) – ये शेयर कंपनी के द्वारा जारी किये गये कुल स्वीकृत शेयर्स से होता है जो हर प्रकार के प्रमोटर, इन्वेस्टर, एम्प्लॉई, ऑफिसर, के पास मौजूद होते है। और इसमें राज्य-कोष (Treasury Shares) मौजूद नहीं होते है और इन्हें कंपनी वापस खरीद लेती है।

भारत की टॉप 10 हाई मार्केट कैप कम्पनियाँ

Company. Market Cap.

1. Reliance. 1,787,716

4. INFOSYS. 801,068

5. ICICI BANK. 509,629

8. BAJAJ FINANCE. 439,344.86

9. HDFC. 435,997.04

10. BHARTI AIRTEL. 415,987,.23

मार्केट कैप कितने प्रकार के होते है?

मार्किट कैप (Market Capitalization) को 3 भागों में बाटा गया है –

Company Market Cap

Large Cap. ₹20,000 करोड़ से अधिक

Mid Cap. ₹5,000 करोड़ से ₹20,000 करोड़

Small Cap . ₹5,000 करोड़ से कम

1. Large Cap (बड़ा पूंजीकरण)

लार्ज कैप कंपनियों के अधीन वह कंपनियां आती है जिनकी मार्किट कैपिटलाइजेशन (Market Capitalization) ₹20,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की होती मार्केट कैप क्या है? है। मार्केट कैप क्या है? और इन्हें इन्हें Blue Chip Stocks कहाँ जाता है और ये पिछले कई दशकों से शेयर मार्केट में काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही है और इनमें निवेश करने वालो को लगातार अच्छा रिटर्न देती आ रही है।

लार्ज कैप कंपनीया मंदी के वक़्त में भी Stable बनी रहती है और अपनी कंपनी को नुकसान में नही जाने देती। हमेशा कंपनी को फायदे में रखती है। Present में लार्ज मार्किट कैप में 185 के आस-पास कंपनियों को भारतीय शेयर मार्केट में लिस्ट किया गया है।

उदाहरण: निफ़्टी 50 के अंतर्गत आने वाली सभी कंपनियां भी लार्ज कैप में ही आती है।

2. Mid Cap (मध्य पूंजीकरण)

मिड कैप कम्पनियों का मार्केट कैप ₹5000 करोड़ रुपए से लेकर ₹20000 करोड़ रुपए के बीच में होता है

लार्ज कैप कंपनियों के मुकाबले में इन कंपनियों में ज्यादा अस्थिरता (Volatility) होने से इनमें निवेश करना थोड़ा रिस्की हो जाता है।

लेकिन इनकी एक खास बात करे तो इन कंपनियों को नियर लीडर (Near Leader) माना जाता है और भविष्य में आगे चलकर इसकी संभावना बढ़ जाती है जिसे हाई ग्रोथ और एक लार्ज कैप कंपनी बनने के Chances अधिक होते है।

3 Small Cap (छोटा पूंजीकरण)

Stock Market में सभी Listed कंपनियों में से 85% स्माल कैप कंपनियां है। और इनका मार्केट कैप 5000 करोड़ रुपए से कम का होता है। बेसक ये मार्किट कैप में में छोटी होती है लेकिन इनकी Growth Possibility भी High होती है। और मार्केट कैप क्या है? इसी वजह से अधिकतर खुदरा निवेशक (Retail Investor) इसमें निवेश करते है।

लेकिन Small Market Cap होने की वजह से इसमें बहुत ही ज्यादा रिस्क होता है, और यह मंदी के समय मे अपने आप को Stable नही रख पाती। इसके कारण यह नुकसान में चली जाती है।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्यों जरूरी है? (Why Is Market Capitallization Important)

Market Cap छोटी या बड़ी कंपनी की वास्तविक आकार (Actual Size) को बताता है। मार्किट कैप से निवेशक जितनी मर्जी कंपनियों की तुलना करके जोखिम लेने की क्षमता का अच्छे से पता लगा सकते है। और साथ ही investment के लिए एक अच्छी कंपनी को चुन सकते है।

मार्किट कैप द्वारा हम कंपनी की Growth, Returns, Future Possibility को अच्छे से देख सकते है और समझ सकते है जितनी बड़ी मार्किट कैप होती है उतनी ही ज्यादा ग्रोथ होने की संभावना होती है। वैसे अधिक कंपनियों द्वारा देखा गया है की लार्ज कैप कंपनी स्टेबल रिटर्न्स प्रदान करती है।

इसी तरह स्माल कैप कंपनियों में High Risk होता है और लेकिन ज्यादा रिटर्न्स की तो कोई भी संभावना नही होती।

PoetryDukan द्वारा लिखे गए इस लेख से आपने जाना “मार्केट कैप क्या है” इसकी गणना कैसे की जाती है, और यह कितना जरूरी होता है। अगर आपका मार्किट कैप से जुड़ा कोई भी सवाल हो तो आप कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट कर सकते है धन्यवाद।

मार्केट कैपिटलाइलेशन के बारे में इन बातों को आपको जानना चाहिए

अहम है मार्केट कैपिटलाइजेशन

किसी शेयर को खरीदने में जानकार उसके मार्केट कैपिटलाइजेशन (M-Cap) यानी बाजार पूंजीकरण को देखने की सलाह देते हैं. इसका शेयर की कीमत पर असर पड़ता है. क्या है मार्केट कैपिटलाइजेशन और शेयरों को खरीदने में क्यों पड़ती है इसे देखने की जरूरत, आइए यहां इन तमाम बातों का जवाब जानते हैं.

क्या है मार्केट कैपिटलाइजेशन?

क्या है मार्केट कैपिटलाइजेशन?

मार्केट कैपिटलाइजेशन किसी कंपनी के आउटस्टैंडिंग शेयरों के मूल्य को दिखाता है. शेयर की खरीद-फरोख्त के साथ कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन बढ़ता-घटता रहता है. आउटस्टैंडिंग शेयर का मतलब उन सभी शेयरों से है जो कंपनी ने जारी किए हैं. यानी जो बाजार में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध हैं. इस तरह मार्केट कैपिटलाइजेशन किसी कंपनी का कुल मूल्य होता है.

इसे कैसे निकालते हैं?

इसे कैसे निकालते हैं?

इसे कंपनी के कुल आउटस्टैंडिंग शेयरों (बाजार में जारी शेयर) के साथ शेयर के मौजूदा बाजार भाव को गुणा करके निकाला जाता है. मान लेते हैं कि एक कंपनी के 2 करोड़ आउटस्टैंडिंग शेयर हैं. एक शेयर का बाजार भाव 100 रुपये है. इस तरह कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 200 करोड़ रुपये होगा.

क्यों यह महत्वपूर्ण है?

क्यों यह महत्वपूर्ण है?

यह लिक्विडिटी को नापने का पैमाना भी है. यह कंपनी के शेयर का वह मूल्य है जिसे कभी भी भुनाया जा सकता है. शेयर के मार्केट कैपिटलाइजेशन को देखकर उससे मिलने वाले रिटर्न और उस शेयर से जुड़े जोखिम का अंदाजा लगाया जा सकता है.

एम-कैप के आधार पर कंपनियों का वर्गीकरण कैसे होता है?

एम-कैप के आधार पर कंपनियों का वर्गीकरण कैसे होता है?

बीएसई सेंसेक्स में मार्केटकैप के लिहाज से टॉप 30 शेयर शामिल होते हैं. वहीं, निफ्टी टॉप 50 कंपनियों के शेयरों से बना सूचकांक है. वैसे, तो किसी शेयर में निवेश से पहले मार्केट कैपिटलाइजेशन को देखना अहम है. लेकिन, केवल इस पैमाने को देखकर ही किसी शेयर को चुनना सही नहीं है. इसमें अन्य पहलुओं को भी देखना चाहिए.

(इस पेज की सामग्री सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (सीआईईएल) के सौजन्य से. गिरिजा गादरे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता का योगदान.)

Web Title : these things you should know about market capitalization
Hindi News from Economic Times, TIL Network

Explained : जानिए क्या होता है बाजार पूंजीकरण और फ्री फ्लोट मार्केट कैप

कोरोना संकट के बीच विदेशी निवेशकों ने भारतीय पूंजी बाजारों में जमकर निवेश किया.

कोरोना संकट के बीच विदेशी निवेशकों ने भारतीय पूंजी बाजारों में जमकर निवेश किया.

मार्केट कैप (Market Capitalization) के जरिए पता लगाया जाता है कि निवेशक अपने स्टॉक के लिए क्या भुगतान करने वाला है. साथ . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 19, 2020, 20:51 IST

नई दिल्ली. आप आए दिन खबरों में पढ़ते या देखते होंगे​ कि किसी कंपनी का बाजार पूंजीकरण घट गया या बढ़ गया. शेयर बाजार से जुड़े या ट्रेडिंग करने वाले लोग तो इस शब्द का मतलब जानते होंगे, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसका क्या मतलब है. अगर आप बाजार पूंजीकरण या मार्केट कैपिटलाइजेशन का मतलब नहीं जानते हैं तो चिंता न करें. आज हम आपको इस बारे में पूरी जानकारी देते हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में.

बाजार पूंजीकरण (Market Capitalization) किसी कंपनी के मौजूदा शेयर मूल्यों (Stock Values) और बकाया शेयरों (Outstanding Shares) की कुल संख्या के आधार पर एक मूल्यांकन होता है. यह बकाया शेयरों की संख्या का एक शेयर की कीमत से गुणनफल के बराबर होता है, चूंकि बकाया स्टॉक (Outstanding stock) सार्वजनिक बाजारों में खरीदा और बेचा जाता है, इसलिए पूंजीकरण का उपयोग किसी कंपनी के कुल मूल्य (Net Worth) पर सार्वजनिक राय के संकेतक (Indicators) के रूप में किया जा सकता है. इसे मार्केट कैप (Market Cap) के नाम से भी जाना जाता है. मार्केट कैप किसी कंपनी के मूल्य को आंकने का काम करता है.

बाजार पूंजीकरण चेन
बाजार पूंजीकरण में मार्केट कैप के जरिए पता लगाया जाता है कि निवेशक अपने स्टॉक के लिए क्या भुगतान करने वाला है. साथ ही साथ निवेशकों को एक कंपनी को दूसरे कंपनी के सापेक्ष आकार को समझाने में मदद करता है. बाजार पूंजीकरण को तीन श्रेणियों बड़े कैप, मिड कैप और छोटी कैप में बांटा गया है. प्रत्येक श्रेणी के लिए बाजार में अलग-अलग मार्केट कैप कटऑफ होती है. लेकिन इन तीनों श्रेणियों का बाजार स्वरूप अलग-अलग होता है.

लार्ज कैप स्टॉक
मार्केट कैप वाली कंपनियों को आमतौर पर लार्ज कैप के रूप में पहचाना जाता है. ये कंपनियां वो फर्म हैं जिन्होंने देश के बाजारों में खुद को अपने दम पर स्थापित किया है और आज यह बाजार में अग्रणी कंपनियों में से एक हैं. बाजार में खुद की स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए इनके पास नियमित रूप से लाभांश का भुगतान करने का एक बेहतरीन ट्रैक रिकॉर्ड होता है. भारतीय स्टेट बैंक, भारती एयरटेल, एक्सिस बैंक, कोल इंडिया, इंफोसिस कंप्यूटर, मारुति सुजुकी, आईसीआईसीआई बैंक, महिंद्रा बॉक्स, एचडीएफसी आदि भारत में कुछ लार्ज कैप कंपनियां हैं.

मार्केट कैप इक्विटी मूल्य को दर्शाता है
बता दें कि मार्केट कैप केवल एक कंपनी के इक्विटी मूल्य ( Equity Value) को दर्शाता है. एक फर्म की पूंजी संरचना (Capital Structure) चयन इस बात पर महत्वपूर्ण प्रभाव छोड़ता है कि उस कंपनी का कुल मूल्य इक्विटी और ऋण के बीच कैसे आवंटित किया जाएगा. एक अधिक व्यापक उपाय उद्यम मूल्य (Enterprise Value) है, जो बकाया ऋण, पसंदीदा स्टॉक और अन्य कारकों को सकारात्मक प्रभाव देता है. बीमा फर्मों के लिए, इम्बेडेड मूल्य नामक मूल्य का उपयोग किया जाता है.

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