घट रहा है शेयरों में प्रत्यक्ष खुदरा निवेश
साल 2022 में शेयरों में प्रत्यक्ष खुदरा निवेश घट रहा है क्योंकि बाजार में कमजोरी का असर अवधारणा पर पड़ रहा है। कैलेंडर वर्ष 2021 में वैयक्तिक निवेशकों ने एनएसई में नकदी बाजार में शुद्ध रूप से 1.4 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया, जो देश का सबसे बड़ा एक्सचेंज है। मार्च 2022 की तिमाही में शुद्ध खुदरा निवेश 49,700 करोड़ रुपये रहा। यह जानकारी एक्सचेंज के आंकड़ों से मिली। हाल में समाप्त जून 2022 की तिमाही में हुए शुद्ध निवेश के आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं हैं।
हालांकि मोटे तौर पर संकेत मिल रहे हैं कि वैयक्तिक निवेशकों का निवेश धीमा पड़ा है। नकदी बाजार में औसत रोजाना कारोबार फरवरी 2020 के बाद पहली बार घटकर 40,000 करोड़ रुपये के नीचे चला गया है। इसके अलावा नकदी बाजार के कारोबार में वैयक्तिक निवेशकों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 22 में घटकर 40.7 फीसदी रह गई, जो वित्त वर्ष 21 में 45 फीसदी पर पहुंच गई थी।
साथ ही नए डीमैट खाते खुलने की रफ्तार भी धीमी हुई है। येस सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक व सीईओ ई. प्रशांत प्रभाकरण ने क हा, खुदरा निवेशक स्वभाव से तेजडि़ये होते हैं। ऐसे में जब तक बाजार बढ़त की राह पर न हो, खुदरा निवेशकों की भागीदारी घटती है। यह साल मुश्किल भरा होगा क्योंकि उतार-चढ़ाव काफी ज्यादा होगा।
क्या है प्रत्यक्ष विदेशी निवेश/ FDI?
किसी एक देश की कंपनी का दूसरे देश में किया गया निवेश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई कहलाता है.
एफडीआई दो तरह के हो सकते हैं-इनवार्ड और आउटवार्ड। इनवार्ड एफडीआई में विदेशी निवेशक भारत में कंपनी शुरू कर यहां के बाजार में प्रवेश कर सकता है। इसके लिए वह किसी भारतीय कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम बना सकता है या पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी यानी सब्सिडियरी शुरू कर सकता है। अगर वह ऐसा नहीं करना चाहता तो यहां इकाई का विदेशी कंपनी का दर्जा बरकरार रखते हुए शेयर मार्किट प्रत्यक्ष निवेशक भारत में संपर्क, परियोजना या शाखा कार्यालय खोल सकता है। आमतौर पर यह भी उम्मीद की जाती है कि एफडीआई निवेशक का दीर्घावधि निवेश होगा। इसमें उनका वित्त के अलावा दूसरी तरह का भी योगदान होगा।
एफडीआई के क्या फायदे हैं?
एफडीआई से शेयर मार्किट प्रत्यक्ष निवेशक विदेशी निवेशक और निवेश हासिल करने वाला देश, दोनों को फायदा होता है। निवेशक को यह नए बाजार में प्रवेश करने और मुनाफा कमाने का मौका देता है। विदेशी निवेशकों को टैक्स छूट, आसान नियमों, लोन पर कम ब्याज दरों और बहुत सी बातों से लुभाया जाता है। एफडीआई से घरेलू अर्थव्यवस्था में नई पूंजी, नई प्रौद्योगिकी आती है और रोजगार के मौके बढ़ते हैं और इस तरह के बहुत से फायदे होते हैं।
क्या देश में एफडीआई संबंधी खास नियम कानून हैं?
सरकार शेयर मार्किट प्रत्यक्ष निवेशक ने एफडीआई के लिए सेक्टर विशेष और कारोबारी गतिविधियों की प्रकृति के हिसाब से नियम बनाए हुए हैं। उदाहरण के लिए, हीरे और बहुमूल्य पत्थरों के उत्खनन (माइनिंग) में एफडीआई के लिए सरकार से पूर्व अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। इसमें रिजर्व बैंक को निवेश की रकम हासिल होने के 30 दिन के भीतर एक अधिसूचना भेजनी पड़ती है। इसके साथ ही संबंधित दस्तावेज विदेशी निवेशक को शेयर जारी किए जाने के 30 दिन के भीतर सौंपना पड़ता है। प्रसारण जैसे क्षेत्र में एफडीआई के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से मंजूरी लेनी पड़ती है। कुछ खास क्षेत्रों में विदेशी निवेश की ऊपरी सीमा को लेकर भी कुछ नियम लागू हैं। निवेश के ये नियम एफडीआई और एफआईआई दोनों पर लागू होते हैं।
एफडीआई और एफआईआई निवेश में क्या अंतर है?
एफडीआई में किसी विदेशी कंपनी द्वारा देश में प्रत्यक्ष निवेश होता है जबकि एफआईआई यानी विदेशी संस्थागत निवेशक शेयरों, म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। एफआईआई पार्टिसिपेटरी नोट, सरकारी प्रतिभूतियों, कमर्शियल पेपर वगैरह को निवेश माध्यम बनाते हैं। ज्यादातर एफडीआई की प्रकृति स्थायी होती है लेकिन बाजार में उथल-पुथल की स्थिति बनने पर एफआईआई जल्दी से बिकवाली कर निकल जाते हैं।
DCX Systems: 500 करोड़ का IPO खुला, ग्रे मार्केट में क्रेज हाई, क्या मुनाफे के लिए शेयर मार्किट प्रत्यक्ष निवेशक करना चाहिए निवेश?
DCX Systems का आईपीओ के जरिए बाजार से 500 करोड़ रुपये जुटाने की योजना है. इसमें 400 करोड़ रुपये फ्रेश इश्यू के जरिए जुटाया जाएगा.
DCX Systems के आईपीओ में एक लॉट साइज में 72 शेयर हैं.
DCX Systems IPO GMP: अगर आप आईपीओ मार्केट में कमाई के मौके खोज रहे हैं तो आपके पास मौका है. बंगलुरू बेस्ड केबल्स और वायर हारनेस एसेंबलीज मैन्युफैक्चरिंग कंपनी डीसीएक्स सिस्टम्स (DCX Systems) का आईपीओ (IPO) आज यानी 31 अक्टूबर को खुल गया है. आईपीओ को लेकर ग्रे मार्केट में क्रेज बना हुआ है. ग्रे मार्केट में कंपनी का शेयर करीब 40 फीसदी प्रीमियम पर लिस्ट होने के संकेत दे रहा है. इस इश्यू को 2 नवंबर तक सब्सक्राइब किया जा सकता है. अगर शेयर मार्किट प्रत्यक्ष निवेशक आप इसमें निवेश का मन बना रहे हैं तो पहले इसके पॉजिटिव और निगेटिव चेक कर लें.
कंपनी के साथ क्या है पॉजिटिव?
Swastika Investmart Ltd. के सीनियर टेक्निकल एनालिस्ट प्रवेश गौर का कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन-ताइवान संघर्ष जैसे जियो पॉलिटिकल इश्यू ने ग्लोबल लेवल पर डिफेंस पर बढ़ते खर्च के लिए एक मजबूत प्रोत्साहन पैदा किया है. इसके अलावा, घरेलू लेवल पर मैन्युफैक्चरिंग पर भारत सरकार का फोकस है. वहीं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं के चलते भारतीय डिफेंस सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में बढ़ोतरी का अनुमान है. वहीं इंपोर्ट पर कुछ प्रतिबंधों से भी घरेलू कंपनियों को फायदा होगा. DCX Systems लीडिंग भारतीय ऑफसेट पार्टनर्स (IOP) में से एक है और रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक सब-सिस्टम और केबल हार्नेस के निर्माण के लिए टॉप भारतीय कंपनियों में शामिल है.
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किसे करना चाहिए निवेश?
उनका कहना है कि कंपनी को लेकर कुछ कंसर्न भी हैं. जैसे कुछ खास ग्राहकों पर उच्च निर्भरता, इंडस्ट्री का रेगुलेटेड नेचर, लो र्जिन से अधिकांश राजस्व, हाई डेट टु इक्विटी और हाई वर्किंग कैपिटल की जरूरत. हालांकि, इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग सर्विसेज (ईएमएस), शेयर मार्किट प्रत्यक्ष निवेशक केबल हार्नेस, एमआरओ और ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी जैसे हाई-मार्जिन और हाई ग्रोथ वाले वर्टिकल में कंपनी की विस्तार योजना कुछ चिंताओं को कम करती है. वहीं पियर्स की तुलना में बेहतर वैल्युएशन भी पॉजिटिव फैक्टर है. फिर भी इस आईपीओ में उन निवेशकों को ही पैसे लगाने की सलाह है, जो लंबी अवधि का नजरिया रखते हैं.
क्या है प्राइस बैंड और लॉट साइज
इश्यू का साइज 500 करोड़ है. जबकि कंपनी ने इसके लिए प्राइस बैंड 197 से 207 रुपये प्रति शेयर तय किया है. DCX Systems के आईपीओ में एक लॉट साइज में 72 शेयर हैं. इसमें एक लॉट खरीदना जरूरी है. इस लिहाज से कम से कम 14,904 रुपये निवेश करना होगा. अधिकतम 13 लॉट या 936 शेयर खरीद सकते हैं. यानी अधिकतम करीब 193752 लाख के करीब निवेश कर सकेंगे.
IPO के साइज की डिटेल
DCX Systems का आईपीओ के जरिए बाजार से 500 करोड़ रुपये जुटाने की योजना है. इसमें 400 करोड़ रुपये फ्रेश इश्यू के जरिए जुटाया जाएगा. वहीं 100 करोड़ रुपये का ऑफर फॉर सेल है. कंपनी के प्रोमोटर्स एनसीबीजी होल्डिंग (NCBG Holdings Inc ) और वीएनजी टेक्नोलॉजी (VNG Technology) ऑफर फॉर सेल में अपनी हिस्सेदारी बेचेंगे.
किसके लिए कितना रिजर्व
DCX Systems के आईपीओ में 75 फीसदी कोटा संस्थागत निवेशकों के रिजर्व रखा गया है. 15 फीसदी कोटा गैर-संस्थागत निवेशकों के लिए और 10 फीसदी रिटेल निवेशकों के लिए रिजर्व रखा गया है.
कहां होगा फंड का इस्तेमाल
DCX Systems आईपीओ से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल कर्ज चुकाने में करेीग. इस फंड के जरिए वर्किंग कैपिटल जरुरतों को पूरा किया जाएगा. साथ ही सब्सिडियरी रैनियल एडवांस सिस्टम्स में निवेश, कैपिटल एक्सपेंडिचर खर्च और जनरल कॉरपोरेट जरुरतों को पूरा करने पर फंड खर्च किया जाएगा.
कंपनी के कैसे हैं फाइनेंशियल
DCX Systems का रेवेन्यू 2019-20 में 449 करोड़ रुपये था जो 56.64 फीसदी बढ़कर 2021-22 में बढ़कर 1102 करोड़ रुपये रहा है. कंपनी का आर्डर बुक मार्च 2020 को 1941 करोड़ रुपये था जो 31 मार्च 2022 को बढ़कर 2369 करोड़ रुपये पर जा पहुंचा है.
बुक रनिंग लीड मैनेजर्स
एडलवाइज फाइनेंशियल सर्विसेज, एक्सिस कैपिटल और सैफ्रॉन कैपिटल आईपीओ के बुक रनिंग लीड मैनेजर्स हैं. आईपीओ की लिस्टिंग बीएसई और एनएसई शेयर मार्किट प्रत्यक्ष निवेशक पर होगी.
कब होगी शेयर की लिस्टिंग
आईपीओ में शेयर अलॉटमेंट 7 नवंबर को हो सकता है. वहीं जिन्हें शेयर नहीं मिलेंगे, उन्हें 9 नवंबर तक पैसे रिफंड होंगे. सफल आवेदकों के डीमैट अकाउंट में 10 नवंबर को शेयर आएंगे. जबकि 11 नवंबर को DCX Systems की शेयर बाजार में एंट्री हो सकती है.
(Disclaimer: यहां IPO में निवेश को लेकर सलाह एक्सपर्ट के द्वारा दी गई है. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के विचार नहीं हैं. शेयर बाजार में रिस्क होते हैं, इसलिए निवेश से पहले एडवाइजर से सलाह लें.)
वाणिज्य मंत्रालय को उम्मीद है कि भारत चालू वित्त वर्ष में 100 अरब डॉलर का एफडीआई होगा
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय को उम्मीद है कि भारत 2022-23 में 100 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित करेगा। वाणिज्य मंत्रालय ने 24 सितंबर 2022 को कहा कि देश में जारी आर्थिक सुधार और व्यापार की सुगमता के कारण , भारत को इस लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगी।
मंत्रालय के अनुसार, 2014-2015 में भारत में एफडीआई, 45.15 बिलियन डॉलर था और यह 2021-22 में 83.6 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड उच्चतम "एफडीआई" दर्ज किया गया।
यह एफडीआई 101 देशों से आया है और भारत में 31 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों तथा 57 सेक्टर में निवेश किया गया है। यह एफडीआई 101 देशों से आया है और भारत में 31 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों तथा 57 सेक्टर में निवेश किया गया है।
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, सरकार ने एक उदार और पारदर्शी नीति बनाई है जिसमें अधिकांश क्षेत्र वैश्विक निवेश को आकर्षित करने के लिए स्वचालित मार्ग के तहत एफडीआई के लिए खुले हैं।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई)
विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम 1999 (फेमा) मेंविदेशी निवेश को परिभाषित किया गया है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भारत के बाहर, निवासी व्यक्ति द्वारा पूंजी लिखतों के माध्यम से किया गया निवेश है जो ;
- (1) एक गैर-सूचीबद्ध भारतीय कंपनी में; या
- (2) किसी सूचीबद्ध भारतीय कंपनी की चुकता इक्विटी पूंजी के 10 प्रतिशत या उससे अधिक में हों ।
- असूचीबद्ध कंपनी का अर्थ है कि कंपनी का पूंजी लिखत किसी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध नहीं है और इसे बाजार में खरीदा और बेचा नहीं जा सकता है।
- सूचीबद्ध कंपनी का मतलब है कि कंपनी का पूंजी लिखत किसी भी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध है और इसे बाजार में खरीदा और बेचा जा सकता है।
- पूंजी लिखत या कैपिटल इंस्ट्रूमेंट का अर्थ है किसी कंपनी द्वारा जारी किया गया एक शेयर मार्किट प्रत्यक्ष निवेशक पूंजीगत प्राप्तियां जो व्यापार / निवेश उद्देश्यों के लिए बाजार से पूंजी (धन) जुटाने के लिए जारी किया जाता है। इसमें शेयर (इक्विटी) या डिबेंचर या बांड दोनों शामिल हैं।
भारतमें एफडीआई के दो मार्ग
भारत में दो मार्ग हैं जिनके तहत एफडीआई की अनुमति है। एक स्वचालित मार्ग है और दूसरा अनुमोदन मार्ग है। सरकार कुछ क्षेत्रों को स्वचालित सूची में और कुछ को अनुमोदन मार्ग सूची में रखती है।
स्वचालित मार्ग
विदेशी निवेशक को इन क्षेत्रों में निवेश करने से पहले भारत सरकार या भारतीय रिजर्व बैंक से पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है। उदाहरण के लिए थर्मल पावर प्लांट, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम आदि।
स्वीकृति मार्ग
विदेशी निवेशक को इन क्षेत्रों में निवेश करने से पहले भारत सरकार से अनुमति की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, प्रिंट मीडिया आदि।
भारत में मॉरीशस से ज्यादा अमेरिका ने किया प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, जानिये कौन है नंबर वन
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से सितंबर के दौरान भारत को अमेरिका से 7.12 अरब डॉलर का निवेश हासिल हुआ है
आंकड़ों के अनुसार, सिंगापुर 8.30 अरब डॉलर एफडीआई के साथ शीर्ष पर बना रहा. इस दौरान केमैन आइलैंड से 2.1 अरब डॉलर का एफडीआई मिला. इस दौरान भारत में नीदरलैंड से 1.5 अरब डॉलर, ब्रिटेन से 1.35 अरब डॉलर, फ्रांस शेयर मार्किट प्रत्यक्ष निवेशक से 1.13 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हासिल हुआ.
इसी तरह जापान से 65.3 करोड़ डॉलर, जर्मनी से 20.2 करोड़ डॉलर और साइप्रस से 4.8 करोड़ डॉलर का एफडीआई आया है. विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका से बढ़ते एफडीआई से दोनों देशों के मजबूत होते आर्थिक संबंध का पता चलता है.
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