बनेगा सोशल स्टॉक एक्सचेंज, कोविड-19 से पीड़ित सहित इन लोगों को होगा फायदा

टाइम्स नाउ डिजिटल

Social Stock Exchange: सोशल स्टॉक एक्सचेंज के जरिए कोविड-19 से पीड़ित लोगों, इसके अलावा समाज के वंचित और गरीब आबादी तक सेवाएं पहुंचाना आसान और सस्ता हो सकेगा।

Social Stock Exchange

  • दुनिया में अभी केवल 7 देशों में सोशल स्टॉक एक्सचेंज मौजूद है। अब भारत भी इस कैटेगरी में शामिल होगा।
  • सोशल स्टॉक एक्ससेंज का उद्देश्य ऐसी कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने में सहयोग करना है जो सामाजिक क्षेत्र में काम करती हैं।
  • सोशल स्टॉक एक्सचेंज से फॉर प्रॉफिट सोशल एंटरप्राइजेज (FPE) और नॉट फॉर प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन (NPO) पूंजी जुटा सकेंगे।

नई दिल्ली: सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज का रास्ता साफ कर दिया है। इसके लिए सेबी ने 28 सितंबर को एक्सचेंज के फ्रेम वर्क को मंजूर कर लिया है। सोशल स्टॉक एक्सचेंज की परिकल्पना एक दम नई है। और इसके बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019-20 के बजट में ऐलान किया था। दुनिया में अभी केवल 7 देशों में सोशल स्टॉक एक्सचेंज मौजूद है। ऐसे में भारत के लिए भी यह नया मॉडल है। ऐसे सोशल स्टॉक एक्सचेंज सोशल स्टॉक एक्सचेंज में सवाल उठता है कि सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है और यह कैसे काम करेगा।

सोशल स्टॉक एक्ससेंज का उद्देश्य ऐसी कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने में सहयोग करना है जो सामाजिक क्षेत्र में काम करती हैं। भारत में सोशल स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करेगा, इसके लिए सेबी ने एक टेक्निकल ग्रुप बनाया था। जिसकी सिफारिशों के आधार पर फ्रेमवर्क तैयार किया गया है।

आम लोगों को क्या फायदा

भूख, गरीबी, कुपोषण और असमानता का उन्मूलन, शिक्षा, रोजगार और आजीविका को बढ़ावा देना, लैंगिक समानता, महिलाओं के सशक्तिकरण और एलजीबीटीक्यूआईए+ समुदायों को बढ़ावा देना, पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन, वन और वन्यजीव संरक्षण ,गैर-कृषि क्षेत्र में छोटे और सीमांत किसानों और श्रमिकों की आय बढ़ाना, ग्रामीण और शहरी गरीबों के लिए आजीविका को बढ़ावा देना, किफायती आवास जैसे 15 क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनियां इसके दायरे में आ सकती है। ऐसे में देश के एक बड़ी वंचित और गरीब आबादी तक सेवाएं पहुंचाना आसान और सस्ता हो सकेगा। खास तौर से कोवड-19 के बाद खड़ी हुई परिस्थितियों में पीड़ित लोगों तक लाभ पहुंचना आसान होगा।

सेबी चेयरमैन ने क्या कहा

सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा कि सोशल स्टॉक एक्सचेंज (एसएसई) का गठन मौजूदा प्लेटफॉर्म से अलग किया जाएगा। इसके तहत सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों को स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होने का मौका मिलेगा। जिसमें नॉन प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन और फॉर प्रॉफिट सोशिल इंटरप्राइजेज कंपनियां होंगी। सेबी चेयरमैन के बयान से साफ है कि सोशल स्टॉक एक्सचेंज सामान्य कंपनियों के लिए नहीं होगा।

किस तरह की कंपनियों को मिलेगा मौका

नाबार्ड के चेयरमैन हर्ष भानवाला की अध्यक्षता में गठित टेक्निकल ग्रुप की सिफारिशों के अनुसार राजनीतिक दल, धार्मिक संगठनों, व्यापारिक संगठनों के साथ-साथ कॉरपोरेट फाउंडेशनों को एसएसई के माध्यम से पूंजी जुटाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। साथ ही फॉर प्रॉफिट सोशल एंटरप्राइज (FPE) और नॉट फॉर प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन (NPO) तभी एसएसई से फंड जुटा सकेंगे, जब वह साबित करेंगे कि उनका काम सामाजिक स्तर पर वंचितों के लिए काम करना है। और उनके काम का ऐसे लोगों पर असर हो रहा है। ये कंपनियां जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल बांड, डेवलपमेंट इम्पैक्ट बांड, सोशल इम्पैक्ट बांड, निवेशकों द्वारा म्यूचुअल फंड के माध्यम से दान देने आदि तरीके से फंड जुटा सकेंगी। साथ ही विदेशी फंडिंग पर निर्भरता कम होगी।

अभी इन देशों में है सोशल स्टॉक एक्सचेंज

इंटरनेशनल सेंटर फॉर नॉट प्रॉफिट लॉ (आईसीएनएल) और सोशल स्टॉक एक्सचेंज समहिता सोशल वेंचर्स की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में ब्राजील, पुर्तगाल, दक्षिण अफ्रीका, जमैका, यूनाइटेड किंगडम, सिगापुर और कनाडा में सोशल स्टॉक एक्सचेंज मौजूद हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारत में एक अनुमान के अनुसार 2011 में 31.7 लाख एनजीओ थे। इसी तरह आयकर विभाग के अनुसार 220,000 औपचारिक रूप से कर-मुक्त संगठन और नीति आयोग के पोर्टल पर 94,000 पंजीकृत गैर सरकारी संगठन थे।

आर्थिक विकास के लिए सोशल स्टॉक एक्सचेंज बनाएगा सेबी, स्पॉट मार्केट के जरिये सोने के आयात पर विचार

SEBI to create social stock exchange for economic development

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पूंजी बाजार नियामक सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा है कि कैपिटल मार्केट अर्थव्यवस्था के विकास में काफी अहम भूमिका निभाने सोशल स्टॉक एक्सचेंज जा रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए सेबी कैपिटल मार्केट को और मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रहा है। पूंजी बाजार नियामक सेबी के पूर्णकालिक निदेशक जी. महालिंगम ने देश में एक अलग गोल्ड स्पॉट एक्सचेंज का विचार रखा है। उन्होंने भविष्य में सभी तरह के स्वर्ण आयात सिर्फ स्पाट एक्सचेंज के माध्यम से करने की सलाह दी है।

उद्योग संगठन फिक्की के कार्यक्रम में बुधवार को त्यागी ने बताया कि सामाजिक क्षेत्र के विकास के लिए फंड जुटाने को आसान बनाने के लिए सेबी की तरफ से अलग से कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत सोशल स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना की जाएगी ताकि सामाजिक क्षेत्र के विकास से जुड़ी वित्तीय व्यवस्था के लिए एक पूरा वातावरण तैयार हो सके।

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उन्होंने बताया कि सेबी ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज स्टार्ट-अप्स को एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने में सहूलियत के लिए इनोवेटर्स ग्रोथ प्लेटफार्म का गठन किया है। प्रतिभूति बाजार में घरेलू बचत के तहत होने वाले निवेश की हिस्सेदारी बढ़ रही है और इससे कैपिटल मार्केट के साथ अर्थव्यवस्था को भी प्रोत्साहन मिलेगा। इसी कार्यक्रम में त्यागी ने यह भी कहा कि नियामक को सोशल स्टॉक एक्सचेंज जरूरी जानकारियां मुहैया कराने में कई कंपनियों का रवैया उदासीन सा रहा है। वे इस महत्वपूर्ण काम को खानापूर्ति के अंदाज में कर रही हैं, जो ठीक नहीं है।

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उन्होंने कहा कि सूचीबद्ध कंपनियों के लिए नियामक और बाजारों को जानकारियां देने के दो प्रारूप हैं। एक के तहत उन्हें नियमित अंतराल पर कुछ जानकारियां देनी होती हैं। इसके अलावा उन्हें दूसरे के तहत समय-समय पर वे जानकारियां देनी होती हैं जो निदेशक बोर्ड द्वारा लिए जाते हैं और निवेशकों के लिए अनिवार्य हैं। इन दोनों ही प्रारूपों के मामले में कई कंपनियों का रवैया बेहद उदासीन रहा है।

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स्पॉट मार्केट के माध्यम से सोने के आयात पर विचार

पूंजी बाजार नियामक सेबी के पूर्णकालिक निदेशक जी. महालिंगम ने देश में एक अलग गोल्ड स्पॉट एक्सचेंज का विचार रखा है। उन्होंने भविष्य में सभी तरह के स्वर्ण आयात सिर्फ स्पाट एक्सचेंज के माध्यम से करने की सलाह दी है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस विचार को अभी तक सेबी ने किसी भी दस्तावेज का हिस्सा नहीं बनाया है। वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में वित्त मंत्री ने नियमन के अधीन गोल्ड एक्सचेंज का सोशल स्टॉक एक्सचेंज विचार पेश किया था। इस वर्ष फरवरी में पेश बजट में उन्होंने सेबी को ऐसे एक्सचेंज का नियामक घोषित किया। सेबी ने इस तरह के एक्सचेंज की स्थापना के लिए विभिन्न पक्षों से विचार आमंत्रित किए हैं। लेकिन इसमें स्वर्ण आयात को स्पाट एक्सचेंज के माध्यम से अंजाम देने की बात नहीं है।

सेबी ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज को दी मंजूरी, जानिए क्या है ये और कैसे करेगा काम?

SSE यानी सोशल स्टॉक एक्सचेंज के जरिए नॉन-प्रॉफिट या नॉन-गवर्नमेंट ऑर्गनाइजेशंस खुद को स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट करा पाएंगे.

  • Money9 Hindi
  • Publish Date - September 28, 2021 / 07:38 PM IST

सेबी ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज को दी मंजूरी, जानिए क्या है ये और कैसे करेगा काम?

बाजार नियामक सेबी (SEBI) के बोर्ड ने मंगलवार को कई सुधारों का ऐलान किया है. इसमें गोल्ड एक्सचेंज के साथ ही सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों के लिये पूंजी जुटाने का रास्ता खोलते हुए सोशल स्टॉक एक्सचेंज (Social stock exchange) खोलने के लिए फ्रेमवर्क को मंजूरी दे दी है. सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि सोशल स्टॉक एक्सचेंज को लाने के प्रस्ताव को सेबी के बोर्ड ने मंजूरी दे दी है. इस दरवाजे के खुलने से सामाजिक सेक्टर में काम करने वाली कंपनियां आसानी से बाजार से पैसा जुटा सकेंगी.

यहां हम आपको इस बारे में बताने जा रहे हैं कि आखिर ये सोशल स्टॉक एक्सचेंज कैसा होगा और किस तरह से काम करेगाः

क्या है सोशल स्टॉक एक्सचेंज?

SSE यानी सोशल स्टॉक एक्सचेंज के जरिए नॉन-प्रॉफिट या नॉन-गवर्नमेंट ऑर्गनाइजेशंस खुद को स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट करा पाएंगे. इस तरह से इन संगठनों को पैसे जुटाने का एक वैकल्पिक तरीका मिल जाएगा. इन्हें बीएसई या नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट किया जा सकता है. कनाडा, यूके और ब्राजील जैसे देशों में SSE हैं.

मार्केट साइज

सेबी के मुताबिक, भारत में कम से कम 31 लाख NPO हैं. ये संख्या देश में मौजूद कुल स्कूलों का तकरीबन दोगुना है और सरकारी हॉस्पिटलों का करीब 250 गुना है. हर 400 भारतीयों पर करीब एक NPO मौजूद है.

मकसद

ड्राफ्ट रिपोर्ट के मुताबिक, SSE सोशल सोशल स्टॉक एक्सचेंज कैपिटल के एक बड़े पूल का इस्तेमाल कर पाएंगे और इससे एक ब्लेंडेड फाइनेंस स्ट्रक्चर को बढ़ावा मिलेगा ताकि परंपरागत पूंजी सोशल कैपिटल के साथ मिलकर कोविड19 की मौजूदा चुनौती का सामना करने में इस्तेमाल हो सके.

ये कैसे काम करेगा?

सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) मौजूदा स्टॉक एक्सचेंजों के तहत एक अलग सेगमेंट होगा. इसका मतलब है कि SSE न सिर्फ एक ऐसी जगह होगी जहां सिक्योरिटीज या दूसरे फंडिंग स्ट्रक्चर्स लिस्टेड होंगे, सोशल स्टॉक एक्सचेंज बल्कि इसमें कई प्रक्रियाएं भी शामिल होंगी.

टैक्स बेनेफिट

पिछले साल ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया था कि SSE कॉरपोरेट्स और सामाजिक कामों में लगे संगठनों को योगदान देने के लिए आमंत्रित कर सकता है. इस तरह से इन्हें 80G के तहत टैक्स के फायदे मिल सकते हैं.

नया एक्सचेंज: सोशल स्टॉक एक्सचेंज को लेकर वर्किंग ग्रुप ने सेबी को रिपोर्ट सौंपी, एनजीओ भी स्टॉक एक्सचेंज पर हो सकेंगे लिस्ट

बीएसई की तरह ही नया एक्सचेंज बनेगा। एसएसई पर जो भी संस्थान पैसे जुटाने का प्रस्ताव रखेंगे, उनके लिए न्यूनतम रिपोर्टिंग स्टैंडर्ड होगा - Dainik Bhaskar

सेबी द्वारा गठित वर्किंग ग्रुप ने भारतीय स्टॉक एक्सचेंज पर गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के लिस्ट को लेकर अपनी रिपोर्ट सेबी को सौंप दी है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारतीय स्टॉक एक्सचेंज पर आनेवाले दिनों में एनजीओ जैसे संगठन लिस्ट हो सकेंगे। इसे सोशल स्टॉक एक्सचेंज (एसएसई) के नाम से जाना जाएगा।

2019-20 में बजट भाषण में किया गया था प्रस्ताव

बता दें कि वित्तमंत्री ने वित्त वर्ष 2019-20 में अपने बजट भाषण में सोशल स्टॉक एक्सचेंज के निर्माण को लेकर एक प्रस्ताव दिया था और इस दिशा में सेबी को कदम उठाने को कहा था। सेबी ने इसी आधार पर सोशल एंटरप्राइज और वॉलेंटरी संस्थानों को लिस्ट कराने के लिए एक वर्किंग ग्रुप का गठन किया था। सेबी ने इसके लिए सितंबर 2019 में इशात हुसैन के चेयरमैनशिप के रूप में शेयरधारकों के साथ एक वर्किंग ग्रुप का गठन किया था। इस ग्रुप में सोशल वेलफेयर, सोशल इंपैक्ट, निवेश, वित्त मंत्रालय, स्टॉक एक्सचेंज और एनजीओ के प्रतिनिधियों का समावेश था।

भारत में यह एक नॉवेल कांसेप्ट है

भारत में सोशल स्टॉक एक्सचेंज एक नॉवेल कांसेप्ट है। वर्किंग ग्रुप ने तमाम शेयरधारकों के साथ मिलकर एक बातचीत की सिरीज चलाई थी। इस ग्रुप ने पूंजी जुटाने, दान करने जैसी मुश्किलों को समझा और उसी आधार पर इसने अपनी रिपोर्ट सेबी को सौंप दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एनजीओ डायरेक्ट एसएसई पर बांड्स जारी कर लिस्ट हो सकेंगे। इसी तरह एसएसई पर जो भी संस्थान पैसे जुटाने का प्रस्ताव रखेंगे, उनके लिए न्यूनतम रिपोर्टिंग स्टैंडर्ड होगा।

लाभ कमाने वाले भी संगठन लिस्ट हो सकेंगे

रिपोर्ट के अनुसार, वे सामाजिक संगठन जो लाभ कमाते हैं, वे भी एसएसई पर लिस्ट हो सकेंगे। इनके लिए रिपोर्टिंग की जरूरतें थोड़ी ज्यादा होंगी। इसी तरह गिविंग कल्चर यानी देने की संस्कृति को कुछ टैक्स इंसेंटिव की भी सिफारिश की गई है। इस रिपोर्ट को सेबी की वेबसाइट पर देखा जा सकता है। आम जनता इसके लिए 30 जून तक अपना कमेंट दे सकती है।

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