★ भोजन ( bhojan / khana ) करते समय माता-पिता, मित्र, वैद्य, रसोईया, हंस, मोर, सारस या चकोर पक्षी की दृष्टि उत्तम मानी जाती है । किंतु गरीब, सामान्य, भूखे, पापी, पाखंडी या रोगी मानव, मुर्गा और कुत्ते की नजर अच्छी नहीं मानी जाती ।

shastron mein bhojan karne ke niyam

मकर राशि Makar Rashi परिचय और स्वाभाव के बारे में जानिये

मकर राशि (Makar Rashi) का स्वामी शनि है इस राशि में जन्म लेने वाले जातक का मध्यम कद, नयन नक्श तीखे, सुंदर मुखाकृति, काले घने बाल वाले होंगे। जातक गंभीर, भावुक हृदय, संवेदनशील, अभिलाषी, सेवा धर्मी, मननशील एवं धार्मिक प्रवृत्ति वाला होगा।

बुध व शुक्र शुभ होने पर व्यवहार कुशल, गहन विचार एवं विश्लेषण के पश्चात ही महत्वपूर्ण निर्णय प्रवृत्ति पहचाननेवाला लेने वाला होगा। क्षमाशील प्रायः कम होते हैं तथा इन्हें बदले एवं शत्रुताकी भावना भुला पाना अत्यंत कठिन होता है।

चर राशि एवं लग्न होने से जातक की मानसिक एवं आत्मिक शक्ति प्रबल होगी गुरु-शनि शुभ हो तो जातक नरम स्वभाव, विनय शील, मित्रता स्थापित करने में अत्यंत सावधान तथा इमानदार होंगे। खांसी तथा वायु रोग से सावधानी बरतें

इस राशि के जातक जन्म स्थान छोड़ने के पश्चात भी उन्हें वही पहुंचने को उत्सुक रहते हैं। मकर राशि के जातकों की प्रतिभा में विवाह के बाद ही निखार आता है।

प्रवृत्ति पहचाननेवाला

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  • Post published: August 31, 2019
  • Post category: Health
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शास्त्रों में भोजन करने के नियम :

अधिकांश मानव सही भोजन विधि नहीं जानते हैं । इससे उनकी जठराग्नि बिगडती है ।

★ मनुष्य को सुबह और शाम दो बार भोजन करना चाहिए । दो समयों के बीच में भोजन नहीं करना चाहिये । दोनों भोजनों के बीच में बार-बार चाय पीना, नाश्ता (तामस पदार्थ) आदि करने से पाचनशक्ति कमजोर होती है; ऐसा व्यवहार में मालूम पडता है । दोनों भोजनों के बीच में कम से कम छः से आठ घंटों का अन्तर रखना चाहिए ।

★ सही भूख को पहचाननेवाले मानव बहुत कम हैं । इससे, भूख न लगी हो फिर भी भोजन करने से रोगों की संख्या बढती जाती है । सुबह भोजन किया हो और शाम को शुद्ध डकार आये, आलस तथा बेचैनी न रहें, मल, मूत्र, वायु, योग्य ढंग से होता रहे, शरीर हलका रहे , भोजन के प्रति रुचि हो तब समझना चाहिए कि भोजन पच गया है । पूर्व किया हुआ भोजन पच जाय तभी फिर भोजन करना चाहिए ।

★ व्यवहार में हम देखते हैं कि पाँच मिनट पहले भोजन की अरुचि बतानेवाला व्यक्ति पाँच मिनट बाद भोजन करने को तैयार हो जाता है । तब वह व्यक्ति इन्द्रियगत संयम न होने के कारण भोजन करने तैयार हो जाता है । सचमुच उस व्यक्ति का पूर्व किया हुआ भोजन पचा नहीं है; फिर भी आहार करता है, इससे उसके शरीर में अनेक रोग घर कर जाते हैं । रोग का कारण पाचनशक्ति का मंद पडना ही है ।

UN और दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण पर जताया विरोध, कहा- बेकाबू हो रहे हालात

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संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने उत्तर कोरिया द्वारा किए गए नए मिसाइल परीक्षण की कड़ी आलोचना की है और उससे कहा है कि वह ‘‘अस्थिरता लाने वाले ऐसे कदमों से परहेज करे. ’’गुतारेस ने कल एक बयान में कहा, ‘‘यह सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का स्पष्ट उल्लंघन और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साझा विचार के प्रति पूरी तरह उपेक्षा दर्शाता है. ’’ उत्तर कोरिया ने तड़के एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया. जापान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि यह मिसाइल उसके विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र में आकर गिरी.

मकर राशि ( CAPRICORN ) की सामान्य विशेषताएं, स्वभाव व परिचय

सामान्य विशेषताएं, स्वभाव व परिचय

मकर कालचक्र की दसवीं राशि है। यह राशि पृथ्वी तत्व , तमोगुण , चर स्वभाव और शनि ग्रह से प्रभावित होती है। आपकी राशि का प्रतीक चिह्न आधा भाग मृग और शेष भाग मछली का आकार है, जोकि श्रम का परिचायक है । मकर राशि का स्वामी शनि है। इस राशि में जन्म लेने वाले जातक का मध्यम कद नयन नक्श तीखे सुन्दर मुखाकृति, काले घने बाल एवं पतली कमर वाला होगा। जातक गम्भीर भावुक हृदय, संवेदनशील, उच्चाभिलाषी, सेवाधर्मी मननशील और धार्मिक प्रवृत्ति प्रवृत्ति पहचाननेवाला वाला होगा। बुध व शुक्र शुभ होने पर व्यवहार कुशल , गहन विचार एवं सूक्ष्म विश्लेषण के पश्चात् ही महत्वपूर्ण निर्णय लेते हैं। क्षमाशील प्रायः कम ही होते हैं और इन्हें बदले व शत्रुता को भावना भुला पाना अत्यन्त कठिन होता है। चर राशि और लग्न होने से जातक की मानसिक और आत्मिक शक्ति प्रबल होगी। गुरु – शनि शुभ हों तो , जातक नर्म स्वभाव विनम्र विनयशील , मित्रता स्थापित करने में अत्यन्त सावधान ( Selective ) और ईमानदार होंगे। खाँसी तथा वायु रोग से सावधानी बरतें। इस राशि के जातक जन्म स्थान छोड़ने के बाद भी पुन : वहीं पहुंचने को उत्सुक रहते हैं। मकर जातकों की प्रतिभा में विवाह के बाद ही निखार आता है।

मकर राशि के पुरुष

  • गम्भीर, उदासीन, परिश्रमी और योजनाबद्ध रंग से कार्य करने वाले होते हैं।
  • आप धैर्यवान् विचारवान् और महत्वाकांक्षी होते हैं।
  • आपकी सफलता का मूल मन्त्र आपकी रचनात्मकता और दूरदर्शिता है।
  • प्रायः आप व्यसनों और अपव्यय के कारण आर्थिक संकट से जूझते हैं।
  • आप स्वार्थी स्वभाव प्रवृत्ति पहचाननेवाला एवं लापरवाही के कारण असफलता और अपकीर्ति के शिकार होते है।
  • आप अपने सिद्धान्तों एवं बातों को सर्वोपरि मानते हैं, इसीलिए किसी के विश्वासी एवं आत्मीय नहीं बन पाते हैं।
  • प्राय : आप गृहस्थ जीवन से असन्तुष्ट रहते हैं।
  • आपके जीवन में अनेक बार उत्थान – पतन आते हैं।
  • जिम्मेदारी बढ़ने पर खीजते हैं और कतराने की कोशिश करते हैं।
  • मनन करते हैं और रहस्यवादी हैं।
  • लोभ में आकर गलत काम करते हैं।
  • दूसरों की निन्दा एवं आलोचना करते हैं, जिसके कारण मित्रों , बिरादरी या माज द्वारा बहिष्कृत किए जाते हैं।

शास्त्रों में भोजन करने के नियम :shastron mein bhojan karne ke niyam

★ मनुष्य को सुबह और शाम दो बार भोजन करना चाहिए । दो समयों के बीच में भोजन नहीं करना चाहिये । दोनों भोजनों के बीच में बार-बार चाय पीना, नाश्ता (तामस पदार्थ) आदि करने से पाचनशक्ति कमजोर होती है; ऐसा व्यवहार में मालूम पडता है । दोनों भोजनों के बीच में कम से कम छः से आठ घंटों का अन्तर रखना चाहिए ।

★ सही भूख को पहचाननेवाले मानव बहुत कम हैं । इससे, भूख न लगी हो फिर भी भोजन करने से रोगों की संख्या बढती जाती है । सुबह भोजन किया हो और शाम को शुद्ध डकार आये, आलस तथा बेचैनी न रहें, मल, मूत्र, वायु, योग्य ढंग से होता रहे, शरीर हलका रहे , भोजन के प्रति रुचि हो तब समझना चाहिए कि भोजन पच गया है । पूर्व किया हुआ भोजन पच जाय तभी फिर भोजन करना चाहिए ।

★ व्यवहार में हम देखते हैं कि पाँच मिनट पहले भोजन की अरुचि बतानेवाला व्यक्ति पाँच मिनट बाद भोजन करने को तैयार हो जाता है । तब वह व्यक्ति इन्द्रियगत संयम न होने के कारण भोजन करने तैयार हो जाता है । सचमुच उस व्यक्ति का पूर्व किया हुआ भोजन पचा नहीं है; फिर भी आहार करता है, इससे उसके शरीर में अनेक रोग घर कर जाते हैं । रोग का कारण पाचनशक्ति का मंद पडना ही है ।

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