हाल ही में सुप्रीमकोर्ट भी इस तस्वीर में दिखाई देने लगी है जब इसने कहा: ‘‘यह मुद्दा बहुत ही महत्वपूर्ण है। तत्कालिक रूप में हम महसूस करते हैं कि आप लोग गलत दिशा में जा रहे हैं। किसान बैंकों से ऋण लेते हैं और जब वे इसे लौटा नहीं पाते तो आत्महत्या कर लेते हैं। इस समस्या का समाधान यह नहीं कि आत्महत्या के बाद किसानों को पैसा दिया जाए बल्कि आपके पास इसे रोकने के लिए योजनाएं होनी चाहिएं। किसानों की आत्महत्याएं कितने ही दशकों से हो रही हैं फिर भी हैरानी की बात यह है कि आत्महत्या के पीछे कार्यशील कारणों को दूर करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई।’’
Money Guru: सोना या चांदी, कहां प्रॉफिट सही?, इस त्योहार मुनाफा बेशुमार! एक्सपर्ट्स से जानें कैसे बढ़ेगी पोर्टफोलियो की चमक
Money Guru: एक्सपर्ट्स का मानना है कि महंगाई से बचाव के लिए सोने में निवेश पहली पसंद है. चांदी का मुद्रास्फीति की स्थिति से सोने जितना ठोस संबंध नहीं है.वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है
Money Guru: पैसे से ही पैसा (Money) बनता है. लेकिन इसके लिए बेहतर निवेश विकल्पों में पैसा लगाना जरूरी है. बात अगर सोना या चांदी में निवेश की करें तो निवेशकों के मन में एक सवाल होता है कि आखिर निवेश सोने (Gold) में करना ज्यादा सही होगा या चांदी (Silver) में. साथ ही किस फॉर्मेट में किया जाए. इसके अलावा, निवेशक के पोर्टफोलियो में क्या सही और क्या नहीं, इसे समझना भी बेहद जरूरी है. गोल्ड ETF में निवेश के फायदे वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है क्या हैं? सोने-चांदी (Gold-Silver investment) में निवेश को लेकर ऐसे ही कुछ सवाल हैं जिस पर रेलिगेयर ब्रोकिंग के वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी)सुगंधा सचदेवा और आनंदराठी वेल्थ मैनेजमेट के डिप्टी सीईओ फिरोज अजीज यहां चर्चा कर रहे हैं. आइए इन्हें समझते हैं.
सोने और चांदी में निवेश
- बुलियन
- फ्यूचर्स
- ETF (gold ETF)
- माइनिंग स्टॉक्स
महंगाई से बचाव के लिए सोने में निवेश पहली पसंद
बाजार के उतार-चढ़ाव में सोने में निवेश बढ़ता है
चांदी का मुद्रास्फीति की स्थिति से सोने जितना ठोस संबंध नहीं
महंगाई की वजह से अस्थिरता के बावजूद चांदी ज्यादा स्थिर
बाजार में मांग
सोने (gold) की ज्यादातर मांग संपत्ति की वृद्धि या निवेश के लिए
चांदी की मांग औद्दोगिक गतिविधियों में ज्यादा
चांदी निवेश के लिए छोटे, खुदरा निवेशकों की पसंद
सोने की मांग का 90% हिस्सा निवेश संबंधिंत
औद्दोगिक गतिविधियों में सोने की खपत 10% के बराबर
सोने की तुलना में चांदी अधिक स्थिर
चांदी में निवेश डायवर्सिफिकेशन के लिए अच्छा
कभी-कभी छोटी अवधि में चांदी में बढ़ती है अस्थिरता
बाजार में कम लिक्विडिटी के समय,चांदी में अधिक जोखिम
दोनों की तुलना में सोने का रिकॉर्ड चांदी से बेहतर
वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है
मोदी ने कोलकाता को 'सिटी ऑफ फ्यूचर' बनाने का वादा किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंगाल चुनाव के दौरान शुक्रवार को वर्चुअल रैली को संबोधित किया
कोलकाता| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंगाल चुनाव के दौरान शुक्रवार को वर्चुअल रैली को संबोधित किया। वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सूरी, मालदा, बरहामपुर और भवानीपुर में राजनीतिक रैलियों में मतदाताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह वादा किया कि राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार बनने के बाद कोलकाता को सिटी ऑफ फ्यूचर यानी भविष्य के शहर के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए उन्होंने प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर भी जोर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आभासी संबोधन की शुरुआत में कहा, देश में कोविड-19 की स्थिति के कारण, मैं आज सुबह से ही महत्वपूर्ण बैठकों में व्यस्त हूं। मैं अब आपके साथ प्रौद्योगिकी के माध्यम से जुड़ रहा हूं। यह (भाजपा सरकार) कोलकाता शहर को भविष्य के शहर के रूप में परिवर्तित करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करेगी।
आम आदमी पार्टी पर अरविंद केजरीवाल का कब्जा?
अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी को पूरी तरह से अपने कब्जे में ले रखा है. इसका सबूत एक या दो बार नहीं बल्कि बारंबार सामने आ चुका है. जिन-जिन नेताओं ने AAP को मजबूत करने में अपना खून-पसीना बहाया. जनाब केजरीवाल ने उन सारे नेताओं को दरकिनार कर दिया. चाहें वो योगेद्र यादव हों, वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है आशुतोष, कुमार विश्वास या फिर कपिल मिश्रा जैसे नेता. ऐसे नेताओं की कतार बड़ी लंबी है.
अरविंद केजरीवाल ने जिन-जिन बड़े मुद्दों को भुनाकर अपनी सरकार बनाई और सत्ता के सिंहासन तक वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है पहुंचे वो सारे मुद्दे उन्होंने भुला दिए. मुद्दों की सूची भी बड़ी लंबी है. आपको कुछ मुख्य मुद्दों से रूबरू करवाते हैं. अरविंद केजरीवाल ने अपने विधायकों को टिकट देने से पहले ये दावा किया था कि किसी भी भ्रष्टाचारी या अपराधी को टिकट नहीं बांटा जाएगा. चुनाव हुए, शानदार जीत हुई. लेकिन एक-एक करके केजरीवाल के झूठ की परत खुलती गई. केजरीवाल सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन आय से अधिक संपत्ति के मामले में फंस चुके हैं. साल 2013 में दिल्ली के पश्चिम विहार इलाके में एक रेप का मामला सामने आया था, जिसके बाद सत्येंद्र जैन पर दंगा भड़काने का मामला सामने आया था. वो इसके लिए तिहाड़ जेल भी गए थे. हालांकि उन्हें पटियाला हाउस कोर्ट ने इस मामले में बरी कर दिया. लेकिन, सवाल यही ही कि क्या केजरीवाल झूठे हैं. अगर वो पलटू नहीं हैं तो उन्होंने चुनाव से पहले बड़े बड़े वायदे और दावे क्यों किए थे. ये सिर्फ एक मामला है जिससे हमने आपको रूबरू करवाया लेकिन कतार बड़ी लंबी है. आम आदमी पार्टी के 67 में से 23 विधायक दागी हैं. उनके दो-दो पूर्व कानून मंत्रियों पर न जाने कितने मामले दर्ज हैं. सोमनाथ भारती, जितेंद्र सिंह तोमर, मनोज कुमार, जगदीप सिंह, महेंद्र यादव जैसे कई नाम हैं जिनका अपराध से कोई न कोई नाता रहा ही है. यानी इस मामले में तो केजरीवाल पूरी तरह से झूठे साबित होते हैं.
क्या है मनीष सिसोदिया की खासियत?
मनीष सिसोदिया ने अपने करियर की शुरुआत एक पत्रकार के तौर पर की थी. इसके बाद उन्होंने एक NGO में काम किया. इसके अलावा सिसोदिया ने सीएम केजरीवाल के साथ RTI के लिए संघर्ष किया था. सिसोदिया ने अन्ना आंदोलन के दौरान भ्रष्ट मंत्रियों की संपत्ति की जांच के लिए एसआईटी गठित किए जाने की मांग को लेकर उन्होंने 10 दिन का अनशन भी रखा था. अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में सिसोदिया प्रमुख सदस्य रहे. लेकिन जब अरविंद केजरीवाल ने आंदोलन छोड़ राजनीति में आने का फैसला किया तो मनीष ने उनका साथ दिया.
मनीष सिसोदिया दिल्ली की पटपड़गंज विधानसभा सीट से विधायक और दिल्ली राज्य वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है सरकार में मंत्री के साथ-साथ प्रदेश के उप मुख्यमंत्री हैं. उनके पास शिक्षा, उच्च शिक्षा, स्थानीय निकाय, भूमि एवं भवन, जन निर्माण विभाग (पी डब्ल्यू डी), शहरी विकास और रेवेन्यू विभाग हैं. जिसमें उन्होंने अच्छा काम किया है.
तो सिसोदिया को भी पार्टी से निकाल देंगे केजरीवाल?
माना जाता वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है है कि बड़े से बड़े फैसले के लिए मनीष सिसोदिया अरविंद केजरीवाल को सुझाव देते हैं. यानी दिल्ली सरकार के हर अहम और खास कदम के पीछे सिसोदिया की रणनीति होती है. रण में तो अरविंद केजरीवाल फ्रंटफुट पर निकलकर बल्लेबाजी करते हैं और स्कोरकार्ड पर अपना नंबर बढ़ाते हैं. लेकिन मनीष सिसोदिया को अपने बल्ले के तौर पर चलाते हैं. ऐसे में आखिर मनीष सिसोदिया को नेतृत्व के तौर पर क्यों नहीं आगे किया जा रहा है? जब वो इतने काबिल हैं, तो आखिर बल्लेबाजी के लिए सिर्फ केजरीवाल को ही क्यों मैदान पर सेहरा बांधकर भेजा जाता है. क्या आम आदमी पार्टी पूरी तरह से AAP = अरविंद अकेला पार्टी के रूप वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है में परिवर्तित हो चुकी है? सवाल ये है कि अगर मनीष सिसोदिया को सीएम बनाने की चर्चा तेज होने लगेगी तो क्या उन्हें भी बाकी नेताओं की तरह पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा?
आमजन के मुद्दों पर बात नहीं कर रहे दिल्ली की तीनों पार्टियों को नकारने की अपील
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स्वराज इंडिया
प्रेस नोट : 20 अप्रैल 2019
आमजन के मुद्दों पर बात नहीं कर रहे दिल्ली की तीनों पार्टियों को नकारने की अपील
लोकसभा चुनाव में विकल्प की कमी के कारण NOTA का बटन दबाएं
स्वराज इंडिया ने दिल्ली की वोटरों से आमजन के मुद्दों पर बात न कर रहे दिल्ली की तीनों पार्टियों को नकारने की अपील की है। राष्ट्रव्यापी मुहिम “देश मेरा, वोट मेरा, मुद्दा मेरा” चला रहे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में दिल्ली की जनता के पास चुनने लायक कुछ नही है। इसलिए स्वराज इंडिया के कार्यकर्ता दिल्ली में मुहिम चलाएंगे कि इन लोकसभा चुनावों में बेहतर विकल्प की कमी के कारण नोटा का बटन दबाएं।
कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए ‘सदाबहार क्रांति’ अपनाना एक बेहतर विकल्प
हरित क्रांति के पितामह प्रो. एम.एस. स्वामीनाथन ने गत सप्ताह ट्वीट किया था: ‘‘यदि कृषि के मामले में गलती होती है तो अन्य कोई चीज भी सही नहीं रह पाएगी। इसी कारण ञ्च एग्रीगोल को किसानों के जीवन में बेहतरी को ही सभी प्रोग्रामों और नीतियों का केन्द्र बिन्दु बनाना होगा।’’ विश्व विख्यात कृषि विशेषज्ञ ने मंदसौर (मध्य प्रदेश) में किसानों द्वारा फसलों के बेहतर मूल्यों तथा ऋण माफी पर दबाव बनाने के लिए 1 जून को व्यापक आगजनी किए जाने और इसके फलस्वरूप 5 किसानों के मारे जाने और कइयों के घायल हो जाने के जल्दी ही बाद सोशल मीडिया पर दस्तक दी।
2006 की स्वामीनाथन समिति रिपोर्ट ने भूमि सुधारों के अधर में लटके एजैंडे के साथ-साथ जल की मात्रा और गुणवत्ता, टैक्नोलॉजी फैटीग (जब कोई निश्चित टैक्नोलॉजी उत्पादन में एक सीमा के बाद वृद्धि नहीं कर पाती), संस्थागत ऋण तक पहुंच, ऋण की पर्याप्त मात्रा और समय पर उपलब्धि तथा लाभदायक एवं यकीनी मार्कीटिंग के अवसरों की कमी को कृषि क्षेत्र के संकट के मुख्य कारणों के रूप में बयान किया है। इसने यह भी सिफारिश की है कि कृषि को संविधान की समवर्ती सूची में डाला जाए और प्रादेशिक स्तर पर किसानों की समस्याओं से निपटने के लिए किसान आयोग गठित किए जाएं। गौरतलब है कि समवर्ती सूची में शामिल विषयों के बारे में केन्द्र और राज्य सरकारें दोनों ही कानून बना सकती हैं। 2014 के आम चुनावों से पूर्व भाजपा ने वायदा किया था कि वह किसानों को उनके उत्पादन के न्यूनतम समर्थन मूल्य की बढ़ी हुई अदायगी करने के मुद्दे पर एम.एस. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करेगी।
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