सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के चेयरमैन और प्रबंध निदेशकों को लिखे पत्र में कहा गया है कि वित्तीय सेवा विभाग को शिकायतें मिली हैं कि बैंक और जीवन बीमा कंपनियों द्वारा बैंक ग्राहकों को पॉलिसी की बिक्री के लिए धोखाधड़ी वाले और अनैतिक तरीके अपनाए जा रहे हैं। ऐसे उदाहरण भी सामने आए हैं, जहां दूसरी और वित्तीय बाज़ार क्या हैं? तीसरी श्रेणी के शहरों में 75 वर्ष से अधिक आयु के ग्राहकों को जीवन बीमा पॉलिसी बेची गई है। आमतौर पर, बैंकों की शाखाएं अपनी अनुषंगी बीमा कंपनियों के उत्पादों का प्रचार-प्रसार करती हैं। जब ग्राहकों द्वारा पॉलिसी लेने से इनकार किया जाता है, तो शाखा अधिकारी बड़ी शिद्दत से समझाते कि उनपर ऊपर से दबाव है। जब ग्राहक किसी प्रकार का ऋण लेने या सावधि जमा खरीदने जाते हैं, तो उन्हें बीमा उत्पाद लेने को कहा जाता है।

क्यूएसबी के लिए तय होगी नेटवर्थ की सीमा

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) उन पात्र शेयर ब्रोकरों (क्यूएसबी) के लिए अ​धिक नेटवर्थ सीमा तय कर सकता है, जो बड़ी तादाद में ग्राहकों, फंडों और कारोबार का प्रबंधन करते हैं।सेबी बोर्ड ने निर्णय लिया है कि क्यूएसबी को बढ़ते जो​खिम प्रबंधन मानकों पर अमल करने की जरूरत होगी और वे नियामक तथा बाजार इन्फ्रास्ट्रक्चर संस्थानों द्वारा सख्त निगरानी के अधीन होंगे। सेबी के अनुसार, 16 ब्रोकर ऐसे क्यूएसबी मानकों के अधीन आएंगे जिन्हें अलग से जारी किया जाएगा। एक अ​धिकारी ने कहा, ‘यदि कोई ब्रोकर दैनिक आधार पर व्यापक कारोबार और ग्राहक कोष का प्रबंधन करता है, तो इसमें परिचालन के लिए उसके पास उस अनुपात में पूंजी भी होनी चाहिए।

क्यूएसबी के लिए नेटवर्थ सीमा की जरूरत से जो​खिम दूर करने में मदद मिल सकती है।’क्यूएसबी के लिए सेबी के दृ​ष्टिकोण को आरबीआई द्वारा नियामकीय ढांचा क्रियान्वयन के लिए निर्धारित गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के वि​भिन्न मानकों में से एक के तौर पर देखा जा रहा है। सेबी ने अपनी बोर्ड द्वारा लिए गए निर्णयों में कहा, ‘बाजार में खास शेयर ब्रोकर बड़ी संख्या में ग्राहकों, ग्राहक कोषों, और बड़ी मात्रा में कारोबार का प्रबंधन करते हैं। ऐसे ब्रोकरों की संभावित विफलता से निवेशकों पर बड़ा प्रभाव पड़ने और भारतीय प्रतिभूति बाजार को साख संबं​धित नुकसान पहुंचने वित्तीय बाज़ार क्या हैं? की आशंका है।’

पूँजी बाजार (Capital market)

पूंजी बाजार क्या है, पूंजी बाजार से क्या आशय है, पूंजी बाजार का अर्थ, पूंजी बाजार के प्रकार आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं। पूँजी बाजार (Capital market) notes in Hindi for UPSC and PCS.

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पूँजी बाजार

पूंजी बाजार वह बाजार है जहां पर अंश पूँजी (Share) एवं प्रतिभूतियों (Securities) का लेन-देन किया जाता है। पूंजी बाजार का नियंत्रण सेबी (SEBI-Securities and Exchange Board Of India) करता है। SEBI की स्थापना 12 अप्रैल,1988 में हुई थी, इसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है। सेबी की स्थापना के वर्ष (1988) इसकी प्रारंभिक पूंजी 7.5 करोड़ थी जो कि प्रवर्तक कंपनियों (IDBI, ICICI, IFCI) द्वारा प्रदान की गयी थी।

पूँजी बाजार एवं मुद्रा बाजार के बीच में प्रमुख भिन्नता यह है कि मुद्रा बाजार एक अल्पावधि की वित्तीय व्यवस्था वाला बाजार है जबकि पूंजी बाजार में मध्यम तथा दीर्घकाल के कोषों का आदान प्रदान किया जाता है।

भारतीय पूँजी बाजारों को दो भागों में बांटा जाता है –

1. संगठित पूँजी बाजार,
2. असंगठित पूंजी बाजार

संगठित पूँजी बाजार (Organized capital market)

संगठित पूँजी बाजार से आशय ऐसे बाजार से है जोकि किसी न किसी प्रकार से नियंत्रित होता है। इसमें पूंजी की मांग करने वाले प्रमुख पक्ष संयुक्त पूँजी वाली कंपनियों एवं सरकारी संस्थाएं होती हैं।

संगठित पूंजी बाजार को भी दो भागों में बांटा गया है –

I. गिल्ट एज्ड बाजार (Gilt Edged Market)

गिल्ट एज्ड बाजार (Gilt Edged Market) में भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से केवल सरकारी व अर्ध सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय विक्रय किया जाता है। इस बाजार को सबसे सुरक्षित बाजार माना जाता है (प्रतिभूतियों का मूल्य स्थिर रहता है)। इस बाजार में जोखिम कम होता है जिस कारण निवेशकों की पूंजी यहां सुरक्षित रहती है।

II. औद्योगिक प्रतिभूति बाजार (Industrial Security Market)

औद्योगिक प्रतिभूति बाजार (Industrial Security Market) में औद्योगिक कंपनियों की इक्विटियों और ऋण-पत्रों को बेचा और खरीदा जाता है। औद्योगिक प्रतिभूति बाजार में नए अथवा पहले से स्थापित औद्योगिक उपक्रमों के शेयरों (अंश पूँजी) की बिक्री (क्रय-विक्रय) की जाती है। इस बाजार में निजी प्रतिभूतियों को कंपनियों द्वारा बेचा जाता है। इनका पंजीकरण भारतीय कंपनी एक्ट 2013 (Indian Company Act 2013) के अंतर्गत होता है।

कोरोना से डरा शेयर बाजार, 635 अंक लुढ़का

मुंबई। दुनिया में एक बार फिर कोरोनो का साया मंडराने से बुधवार को भारतीय शेयर बाजार में भय का माहौल रहा। चीन में कोरोना संक्रमण बढ़ने और दुनिया पर मंदी के खतरे की आशंका से निवेशक हतोत्साहित हुए। स्थानीय स्तर पर हुई चौतरफा बिकवाली के दबाव में बुधवार को शेयर बाजार में एक प्रतिशत से अधिक की गिरावट रही। बीएसई का सेंसेक्स 635.05 अंक अर्थात 1.03 प्रतिशत का गोता लगाकर 61067.24 अंक और एनएसई का निफ्टी 186.20 अंक यानी 1.01 प्रतिशत की गिरावट लेकर 18199.10 अंक पर आ गया।

बीएसई की दिग्गज कंपनियों की तुलना में मझौली और छोटी कंपनियों में बिकवाली का दबाव अधिक रहा। इससे मिडकैप 1.40 प्रतिशत गिरकर 25,480.94 अंक और स्मॉलकैप 2.18 प्रतिशत लुढ़ककर 28,949.96 अंक पर रहा। इस दौरान बीएसई में कुल 3665 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हुआ, जिनमें से 2765 में बिकवाली जबकि 786 में लिवाली हुई वहीं 114 में कोई बदलाव नहीं हुआ। इसी तरह एनएसई में 38 कंपनियां गिरावट पर जबकि 12 तेजी पर रही। विश्लेषकों के अनुसार, चीन में कोविड के एक बार फिर से पांव पसारने से दुनिया पर आर्थिक मंदी का वित्तीय बाज़ार क्या हैं? खतरा मंडराने को लेकर निवेशक खासे हताश हैं, जिसका असर दुनिया के सभी बाजारों पर देखा जा रहा है।

एक नहीं अनेक, घाटा 20% के पार नहीं

किसी कंपनी के शेयर में किया गया निवेश साल-दर-साल अगर बैंक एफडी या सरकारी बॉन्ड से ज्यादा रिटर्न दे रहा है तो मतलब कि आपने सही वक्त पर सही कंपनी पकड़ ली। लेकिन न तो हमेशा ऐसा होता है और न ही सही कंपनी चुनने का कोई अचूक सूत्र वित्तीय बाज़ार क्या हैं? है। यकीनन, हमें हर कोण से देखने-परखने के बाद कंपनी चुननी चाहिए। लेकिन पोर्टफोलियो में कुछ कंपनियां शानदार रिटर्न देती हैं तो कुछ फिसड्डी और घाटे का सबब बन जाती हैं। इस सच्चाई के दो सबक हैं। पहला यह कि हमेशा पोर्टफोलियो बनाकर चलें। अलग-अलग उद्योग व तासीर वाली 20-25 कंपनियों में निवेश करें। दूसरा यह है कि जैसे ही किसी कंपनी का शेयर 20% से ज्यादा घाटा देने लगे, बिना हिचके उसे बेचकर निकल लें। अब तथास्तु में आज की कंपनी…

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निवेश – तथास्तु

किसी कंपनी के शेयर में किया गया निवेश साल-दर-साल अगर बैंक एफडी या सरकारी बॉन्ड से ज्यादा रिटर्न दे रहा है तो मतलब कि आपने सही वक्त पर सही कंपनी पकड़ ली। लेकिन न तो हमेशा ऐसा होता है और न ही सही कंपनी चुनने का कोई अचूक सूत्र है। यकीनन, हमें हर कोण से देखने-परखने के बाद कंपनी चुननी चाहिए। लेकिन पोर्टफोलियो में कुछ कंपनियां शानदार रिटर्न देती हैं तो कुछ फिसड्डी और घाटे का सबब […]

क्या आप जानते हैं?

जर्मन मूल की ग्लोबल ई-पेमेंट कंपनी वायरकार्ड ने बैंकिंग और इसके नजदीकी धंधों में अपने हाथ-पैर पूरी दुनिया में फैला रखे थे। फिर भी उसका कद ऐसा नहीं है कि इसी 25 जून को उसके दिवाला बोल देने से दुनिया के वित्तीय ढांचे पर 2008 जैसा खतरा मंडराने वित्तीय बाज़ार क्या हैं? लगे। अलबत्ता, जिस तरह इस मामले में …

भारतीय अर्थव्यवस्था बढ़ रही है और आगे भी बढ़ेगी। लेकिन कहा जा रहा है कि इसका लाभ आम आदमी को पूरा नहीं मिलता। अमीर-गरीब की खाईं बढ़ रही है। बाज़ार को आंख मूंदकर गालियां दी जा रही हैं। लेकिन बाज़ार सचेत लोगों के लिए आय और दौलत के सृजन ही नहीं, वितरण का काम भी …

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