मार्जिन ट्रेडिंग - margin trading
विदेशी मुद्रा बाजार सबसे बड़ा विकेन्द्रीकृत बाजार जहां अरबों डॉलर के लिए दैनिक लेनदेन की मात्रा बराबर होती है। इंटरबैंक बाजार में लेन-देन मार्जिन स्तर क्या है? की न्यूनतम मात्रा बहुत अधिक है और विश्वासपूर्वक छोटे का मतलब है मालिक निजी निवेशकों के लिए पहुँच योग्य नहीं है। व्यक्तिगत निवेशकों के व्यापार मार्जिन के कारण विभिन्न मुद्रा जोड़े के साथ ऑनलाइन लेनदेन करने के लिए एक मौका पास है।
मार्जिन ट्रेडिंग क्या है
तो क्या मार्जिन ट्रेडिंग है? यह निवेशक के फंड के स्तर जो की मात्रा से अधिक है बस लेन देन है। प्रक्रिया निम्नलिखित है: ग्राहक धन $100 केवल, उदाहरण के लिए किया जा सकता है
कि निवेश और ऋण (उत्तोलन) ब्रोकरेज कंपनी है जो उसे बड़े खंडों का लेन-देन निष्पादित करने के लिए और उच्च मुनाफा बनाने के लिए सक्षम बनाता है से प्राप्त करता है। एक का लाभ उठाने लेने के बिना व्यापारी या तो अतिरिक्त धन का निवेश या बस छोटी मात्रा के साथ व्यापार करने के लिए होगा।
परिभाषा मार्जिन ट्रेडिंग, काफी सरल है। शब्द "मार्जिन" आम तौर पर निश्चित मात्रा के पदों को खोलने के लिए ग्राहक की जमा से प्रतिज्ञा है कि दलाल अस्थायी रूप से धारण करने के लिए संदर्भित किया जाता है।
मार्जिन जमा है कि क्रेडिट (उत्तोलन) की एक निश्चित राशि प्राप्त करने के लिए एक आवश्यक पूर्व शर्त है कभी कभी कहा जाता है। मार्जिन पर ट्रेडिंग खोलने और एक व्यापार की स्थिति बंद दो विपरीत लेन-देन के लगातार प्रदर्शन का अर्थ विदेशी मुद्रा बाजार व्यापारियों रहे हैं वास्तव में खरीद नहीं मुद्राओं, वे सिर्फ वे कयासबाजी कर रहे हैं जिस पर दर में अंतर, रुचि रखते हैं और या तो एक लाभ या नुकसान में यह परिणामा मार्जिन ट्रेडिंग उदाहरण
एक बेहतर समझने के लिए हमें एक उदाहरण लाने कैसे सभी यह लेता दो जगह.
हमें लगता है कि आप 10.000 वॉल्यूम के साथ EURUSD मुद्रा जोड़ी के साथ एक स्थिति खोलने का फैसला किया है। बाजार में मौजूदा कीमत 1.09111.0912 है।
इसका मतलब यह है कि तुम लगभग $11.000 ऐसी स्थिति खोलने के लिए है करने के लिए की जरूरत है। मार्जिन ट्रेडिंग के कारण तुम सिर्फ $200 की राजधानी है, 1: 100 उत्तोलन विदेशी मुद्रा ले और खोल सकते हैं क्योंकि आप इस मामले में अपने ट्रेडिंग खाते पर $20,000 संतुलन की कुल होगा इस स्थिति। मार्जिन ट्रेडिंग की अनुमति देता है अपनी दिशा की परवाह किए बिना बाजार पर अटकलें के बाद से आप स्थिति दोनों लंबी और छोटी, खोल सकते हैं।
उदाहरण ऊपर लाया से यह कैसे व्यापार मार्जिन ट्रेडिंग की प्रमुख विशेषता है जो में विदेशी मुद्रा का लाभ उठाने के कारण हर किसी के लिए आसान है और उपलब्ध हो जाता है स्पष्ट हो जाता है।
का लाभ उठाने के दलाल के क्रेडिट का आकार करने के लिए ग्राहक की धन के अनुपात के रूप में परिभाषित किया गया है। यह चालाकी का उपयोग करके यह सकारात्मक व्यापार परिणाम पर, और प्रतिकूल प्रभावित कर सकते हैं। यह कभी के बाद से बाजार एक अलग दिशा में चला जाता है के मामले में यह एक क्षण में पूरे धन खोने में परिणाम हो सकता है एक एकल खाता खोलने में पूरे संतुलन का उपयोग करने के लिए अनुशंसा की जाती है।
शेयर क्या है और शेयर बाजार क्या है के शब्दों के प्रयोग से Google पर शेयर व शेयर बाजार के बारे में जानना चाहते हैं और हम भारतीय करोड़पति बनने का सपना देखते हैं !
यह तो जानते हैं कमाने के बहुत सारे तरीके हैं उनमें से शेयर भी एक बहुत अच्छा विकल्प हो सकता है! आपको सबसे पहले शेयर क्या होता है यह बताऊंगा उसके बाद शेयर बाजार क्या होता है!
शेयर क्या है, आसान शब्दों में कह दूं कि कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने जैसा है! शेयर अंग्रेजी का शब्द है जिसका मतलब हिस्सा होता है और इसे कुछ लोग स्टॉक भी कहते हैं! हर कंपनी को शुरू करने के लिए बड़ी धन की आवश्यकता होती है ! उसके लिए कंपनी बैंकों से कर्ज नहीं लेकर उसकी जगह मार्केट में शेयर जारी करता है! अगर किसी कंपनी ने अपने 100 शेयरों को मार्केट में जारी करता है और आप उनमें से 10 शेयरों को खरीद लेते हैं।
! इसका सीधा मतलब यह हुआ कि कंपनी का 10% हिस्सेदारी आपके पास आ गया ! कंपनी द्वारा कमाया गया कुल मुनाफे और घाटे में आपकी 10% का हिस्सेदारी रहेगा !
अगर कंपनी 100 कमाता है तो उसमें से आप का हिस्सा 10 का होगा और इस तरह से आप के शेयर का दाम
D10 बढ़ जाएगा! अगर कंपनी को 100 का घाटा होता है तो कंपनी आपके शेयर का दाम 10 कम कर देगा ! शेयर बाजार कोटेशन क्या होते हैं
शेयर बाजार कोटेशन क्या होते हैं, बताने से पहले मैं आपको यह बताना चाहता हूं
कि बाजार क्या होता है ! हम आम भाषा में यह कर सकते हैं कि बाज़ार वह स्थान है जहां पर निर्माता अपने सामान को ग्राहकों को बेच देता है ! शेयर बाजार भी उसी तरह का एक बाजार है जहां पर कंपनियां अपनी शेयरों को बेचता है! जहां पर ग्राहक या निवेशक अपनी सुविधा अनुसार शेयरों की खरीद और बिक्री कर सकते हैं उसे शेयर बाजार कहते हैं !
शेयर बाजार कैसे काम करता है ? शेयर बाजार को व्यवस्थित रखने के लिए भारत में BSE यानी मुंबई स्टॉक एक्सचेंज और NSE यानी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज है ! भारत के BSE और NSE रजिस्टर कंपनियाँ निवेशकों के लिए शेयर मार्केट में उतार सकता है! कोई भी निवेशक जिसके पास डीमैट अकाउंट को वह मुंबई स्टॉक एक्सचेंज या नेशनल स्टॉक एक्सचेंज या दोनों से शेयरों की खरीद फरोख्त ऑनलाइन कर सकता है!
शेयर मार्केट की उछाल पर सेबी का हाई अलर्ट, उठाए सुरक्षा के कदम
शेयर बाजार पर जारी उछाल ने मार्केट और मार्केट रेगुलेटर सेबी को हाई एलर्ट कर दिया है. मौजूदा रिकॉर्ड स्तर के बाद सेबी के निर्देश पर शेयर बाजार ने ब्रोकरों को बड़े और विदेशी संस्थागत निवेशकों से बड़ी मार्जिन एकत्र करने को कहा है.
राहुल मिश्र
- मुंबई,
- 29 जनवरी 2018,
- (अपडेटेड 29 जनवरी मार्जिन स्तर क्या है? 2018, 11:41 AM IST)
बजट सत्र के सप्ताह की शुरुआत भारतीय शेयर बाजार ने रिकॉर्ड उछाल के साथ की है. जहां दिन के कारोबार की शुरुआत में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर प्रमुख इंडेक्स 36,284 के नए कीर्तिमान स्तर पर पहुंच गया वहीं नैशनल स्टॉक एक्सचेंज पर प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 50 भी 11,123 के नए स्तर पर पहुंच गया. शेयर बाजार पर जारी उछाल ने मार्केट और मार्केट रेगुलेटर सेबी को हाई एलर्ट कर दिया है. मौजूदा रिकॉर्ड स्तर के बाद सेबी के निर्देश पर शेयर बाजार ने ब्रोकरों को बड़े और विदेशी संस्थागत निवेशकों से बड़ी मार्जिन एकत्र करने को कहा है.
बाजार में जारी उछाल से सेबी को डर है मार्जिन स्तर क्या है? कि सेंसेक्स और निफ्टी के रिकॉर्ड स्तर से बाजार में सिस्टेमिक रिस्क बढ़ा है. लिहाजा, सेबी के निर्देश पर शेयर मार्केट ने सभी ब्रोकरों को ऐसे निवेशकों से अधिक डिपॉजिट लेने का निर्देश दिया है जिनका शेयरों में बड़ा निवेश है. जहां सेबी का मानना है कि बाजार के मौजूदा स्तर में निहित खतरों के साथ-साथ चालू हफ्ते में बजट पेश किया जाना है लिहाजा निवेशकों को किसी बड़े उतार-चढ़ाव से बचाने के लिए अधिक डिपॉजिट कारगर होगा.
बीते कुछ महीनों में भारतीय शेयर बाजार ने लगातार रिकॉर्ड स्तर पर कारोबार किया है. शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक अकेले जनवरी के दौरान सेंसेक्स और निफ्टी 6 फीसदी की उछाल दर्ज कर चुके हैं. बीते हफ्ते सेंसेक्स ने 35,000 और निफ्टी ने 11,000 के स्तर को पहली बार पार किया था. बाजार की इस उछाल ने शेयर मार्केट के साथ-साथ मार्गेट रेगुलेटर की परेशानी बढ़ा दी थी.
गौरतलब है कि भारतीय शेयर बाजार में 2008 में जारी तेजी के बीच आई गिरावट से शेयर बाजार निवेशकों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था. इस नुकसान के चलते कुछ ट्रेडर्स और ब्रोकर्स ने डिफॉल्ट किया था और बाजार की व्यवस्था पर खतरा पैदा हो गया था. लिहाजा, मौजूदा तेजी के बीच बाजार में निहित खतरों को कम करने के लिए बाजार ने निवेशकों से बड़ी मार्जिन का फैसला लिया है जिससे बड़ी गिरावट के बीच निवेशकों का नुकसान कम रखा जा सके. अपने फैसले के पक्ष में सेबी ने कहा है कि तेजी के बीच बाजार को सुरक्षित रखना उसकी अहम जिम्मेदारी है.
भारतीय शेयर बाजार का प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 11.23 बजे रिकॉर्ड स्तर 36,398 पर 348 अंकों की उछाल के साथ कारोबार कर रहा है. वहीं इसी समय तक निफ्टी 50 भी नए रिकॉर्ड स्तर 11,159 पर 89 अंकों की उछाल के साथ कारोबार करता देखा गया. निफ्टी 50 पर लिस्टेड 50 कंपनियों में 39 कंपनियों के शेयर हरे निशान में कारोबार कर रहे हैं वहीं महज 11 कंपनियों के शेयर में गिरावट देखने को मिली.
नए मार्जिन नियम: पूंजी बाजार को मजबूत करने में मदद मिलेगी
मुंबई- – ग्राहक स्तर पर मार्जिन स्तर क्या है? कोलैटरल के निगरानी और वर्गीकरण के मामले में सेबी (सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) के सर्कुलर को 2 मई 2022 से लागू कर दिया गया है। एंजेल वन के सीईओ नारायण गंगाधर ने बताया कि यह विनियमन निवेशकों, विशेष रूप से खुदरा प्रतिभागियों के हितों को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया एक और महत्वपूर्ण कदम है, जिससे पूंजी बाजार को मजबूत करने में मदद मिलती है।
इससे पहले ब्रोकर्स या मध्यस्थों को ग्राहकों से मार्जिन जमा करने और फिर एक्सचेंजों के साथ समेकित स्तर पर मार्जिन स्तर क्या है? कोलैटरल जमा करने की आवश्यकता होती थी। ग्राहक स्तर पर वर्गीकरण किए बिना कोई भी ट्रेडिंग करने वाला सदस्य या ब्रोकर स्तर का कोई भी व्यक्ति यह काम कर सकता था, जहां कुल कोलैटरल का कम से कम 50% हिस्सा नकदी या नकदी समतुल्य में होना आवश्यक था। 2 मई 2022 के बाद से नए नियमन के मुताबिक अब ग्राहकों के स्तर पर ग्राहक के फंड और ब्रोकर्स के फंड्स को नकदी और गैर नकदी में अलग करना जरूरी होगा और फिर उसकी जानकारी एक्सचेंजों को देनी होगी।
मौजूदा नियमन के तहत यदि कोई ग्राहक प्रतिभूतियों के रूप में मार्जिन प्रदान करता है, जो कुल मार्जिन के 50% के अधिकतम स्वीकार्य अनुपात से अधिक है, तो 50% की सीमा तक जो अंतर है, उसकी भरपाई ब्रोकर को अपने फंड से करनी होती है। इसका मतलब यह है कि ग्राहक अभी भी मार्जिन कोलैटरल के रूप मार्जिन स्तर क्या है? में प्रतिभूतियों के अधिक अनुपात के साथ ट्रेड कर सकते हैं। हालांकि, कम से कम 50% तक के नकद घटक की फंडिंग ब्रोकर द्वारा की जाएगी।
यदि स्टॉक ब्रोकर अपने ग्राहकों को मार्जिन कोलैटरल के रूप में प्रतिभूतियों के बदले नकदी फंडिंग की अनुमति देता है तो ऐसे ब्रोकर्स के लिए कार्यशील पूंजी की जरूरत में बढ़ोतरी होगी और उन्हीं ब्रोकर्स को इस तरह की इंक्रीमेंटल पूंजी तक पहुंच मिलेगी जिनके पास बेहतर पूंजी उपलब्ध हैं और जिनकी रेटिंग बेहतर है।
हालांकि, एंजेल वन में कुछ भी नहीं बदला है, क्योंकि न केवल हम अच्छी तरह से पूंजीकृत हैं, बल्कि हमारी फंडिंग आवश्यकताओं के लिए हमारे पास एक अच्छी रेटिंग भी है। इसलिए, हम अपने ग्राहकों को ट्रेड करने की अनुमति देना जारी रखेंगे, भले ही उनके पास अनिवार्य 50% नकद मार्जिन उपलब्ध न हो। यह हमारे ग्राहकों के लिए नकद कोलैटरल की कमी को तत्काल पूरा किए बिना ट्रेडिंग की अनुमति देता है और यह अन्य प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले हमारी मुख्य खासियत भी है।
जानें इन खास शेयरों पर क्या सलाह दे रहे ब्रोकरेज हाउस, निवेश में नहीं होगा कन्फ्यूज़न
Stock market : डॉएश बैंक की सीमेंट को लेकर रिपोर्ट आई है. इसमें वह मानकर चल रही है कि वॉल्यूम में करीब 2-3 प्रतिशत की कमी आने की आशंका है. इंडस्ट्री के मार्जिन सालाना आधार पर 48 प्रतिशत बढ़ सकते हैं. मार्जिन दस साल के ऊपरी स्तर पर रह सकते हैं.
डी-मार्ट को मॉर्गन स्टैनली ने अंडरवेट रेटिंग देते हुए इसका लक्ष्य 1120 दिया है. (रॉयटर्स)
शेयर बाजार में कौन सा शेयर कितना सही, ये किसी पहेली से कम नहीं. लेकिन कुछ मार्जिन स्तर क्या है? खास शेयरों पर आज ब्रोकरेज कंपनियों ने निवेशकों को विशेष सलाह दी है. ऐसे में इनकी सलाह आपके काम आ सकती है. आज के लिए सबसे पहले यहां बात करते हैं येस बैंक की. एजीएम मीटिंग के बाद ब्रोकरेज कंपनी यूबीएस और भी निगेटिव हो गया है. बिकवाली की राय तो पहले से थी ही, अब इस शेयर के लिए लक्ष्य में भी भारी-भरकम कमी कर दी है. यूबीएस ने येस बैंक के लक्ष्य को 170 से घटाकर 90 रुपये कर दिया है.
यूबीएस ने पूरे बैंकिंग सेक्टर के लिए अपनी रिपोर्ट जारी की है. इसमें उसने इंडसइंड बैंक की रेटिंग को भी डाउनग्रेड कर दिया है. दोनों के लिए वो ये मानकर चलते हैं कि जो क्रेडिट कॉस्ट है वो आने वाले एक से दो साल में काफी बढ़ सकती है. इसी के चलते उन्होंने लक्ष्य घटा दिए हैं. यूबीएस का येस बैंक के लिए मानना है कि बैंक का एनपीए का जो रिस्क है वह उसके अनुमान से भी ज्यादा हो सकता है. इंडसइंड बैंक को लेकर यूबीएस ने लक्ष्य को 1700 से घटाकर 1400 कर दिए हैं. क्रेडिट कॉस्ट बढ़ने की आशंका में उन्होंने इंडसइंड बैंक की रेटिंग भी घटा दी है. इसे डाउनग्रेड किया है और इस शेयर की बिकवाली की सलाह दी है.
इसी तरह, एक शेयर डी-मार्ट को मॉर्गन स्टैनली ने अंडरवेट रेटिंग देते हुए इसका लक्ष्य 1120 दिया है. उसे लग रहा है कि इस सेक्टर की बाकी कंपनियों से जो कॉम्पिटीशन बढ़ती दिख रही है. इसके मुकाबले कीमत बाकी कंपनियों की थोड़ी कम दिख रही है. वैल्यूएशन काफी महंगे आते दिख रहे हैं तो इस वजह से यह शेयर अब उतना आकर्षक नहीं है. इसी शेयर को लेकर एक अन्य ब्रोकरेज कंपनी जेफरीज ने शेयर को अंडर परफॉर्मर बताते हुए इसका लक्ष्य 1230 रखा है.
डॉएश बैंक की सीमेंट को लेकर रिपोर्ट आई है. इसमें वह मानकर चल रही है कि वॉल्यूम में करीब 2-3 प्रतिशत की कमी आने की आशंका है. इंडस्ट्री के मार्जिन सालाना आधार पर 48 प्रतिशत बढ़ सकते हैं. मार्जिन दस साल के ऊपरी स्तर पर रह सकते हैं. नोमुरा ने आज एसीसी सीमेंट, श्री सीमेंट और अंबुजा सीमेंट तीनों को डाउनग्रेड कर दिया है. एससीसी पर उन्होंने लक्ष्य 1700 से बढ़ाकर 1750 कर दिया है. श्री सीमेंट पर भी उन्होंने लक्ष्य को 18000 से बढ़ाकर 21500 कर दिया है. अंबुजा सीमेंट का 295 से घटाकर 240 तक के नए लक्ष्य वो दे रहे हैं.
भास्कर एक्सप्लेनर: आप शेयर ट्रेडिंग करते हैं तो यह जानना आपके लिए जरूरी है; एक सितंबर से बदल रहा है मार्जिन का नियम
शेयर बाजार में एक सितंबर से आम निवेशकों के लिए नियम बदलने वाले हैं। अब वे ब्रोकर की ओर से मिलने वाली मार्जिन का लाभ नहीं उठा सकेंगे। जितना पैसा वे अपफ्रंट मार्जिन के तौर पर ब्रोकर को देंगे, उतने के ही शेयर खरीद सकेंगे। इसे लेकर कई शेयर ब्रोकर आशंकित है कि वॉल्युम नीचे आ जाएगा। आइए समझते हैं क्या है यह नया नियम और आपकी ट्रेडिंग को किस तरह प्रभावित करेगा?
सबसे पहले, यह मार्जिन क्या है?
- शेयर मार्केट की भाषा में अपफ्रंट मार्जिन सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले शब्दों में से एक है। यह वह न्यूनतम राशि या सिक्योरिटी होती है जो ट्रेडिंग शुरू करने से पहले निवेशक स्टॉक ब्रोकर को देता है।
- वास्तव में यह राशि या सिक्योरिटी, बाजारों की ओर से ब्रोकरेज से अपफ्रंट वसूली जाने वाली राशि का हिस्सा होती है। यह इक्विटी और कमोडिटी डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग से पहले वसूली जाती है।
- इसके अलावा स्टॉक्स में किए गए कुल निवेश के आधार पर ब्रोकरेज हाउस भी निवेशक को मार्जिन देते थे। यह मार्जिन ब्रोकरेज हाउस निर्धारित प्रक्रिया के तहत तय होती थी।
- इसे ऐसे समझिए कि निवेशक ने एक लाख रुपए के स्टॉक्स खरीदे हैं। इसके बाद भी ब्रोकरेज हाउस उसे एक लाख से ज्यादा के स्टॉक्स खरीदने की अनुमति देते थे।
- अपफ्रंट मार्जिन में दो मुख्य बातें शामिल होती हैं, पहला वैल्यू एट रिस्क (वीएआर) और दूसरा एक्स्ट्रीम लॉस मार्जिन (ईएलएम)। इसी के आधार पर किसी निवेशक की मार्जिन भी तय होती है।
अब तक क्या है मार्जिन लेने की प्रक्रिया?
- मार्जिन दो तरह की होती है। एक तो है कैश मार्जिन। यानी आपने जितना पैसा आपके ब्रोकर को दिया है, उसमें कितना सरप्लस है, उतने की ही ट्रेडिंग आप कर सकते हैं।
- दूसरी है स्टॉक मार्जिन। इस प्रक्रिया में ब्रोकरेज हाउस आपके डीमैट अकाउंट से स्टॉक्स अपने अकाउंट में ट्रांसफर करते हैं और क्लियरिंग हाउस के लिए प्लेज मार्क हो जाती है।
- इस सिस्टम में यदि कैश मार्जिन के ऊपर ट्रेडिंग में कोई नुकसान होता है तो क्लियरिंग हाउस प्लेज मार्क किए स्टॉक को बेचकर राशि वसूल कर सकता है।
नया सिस्टम किस तरह अलग होगा?
- सेबी ने मार्जिन ट्रेडिंग को नए सिरे से तय किया है। अब तक प्लेज सिस्टम में निवेशक की भूमिका कम और ब्रोकरेज हाउस की ज्यादा होती थी। वह ही कई सारे काम निवेशक की ओर से कर लेते थे।
- नए सिस्टम में स्टॉक्स आपके अकाउंट में ही रहेंगे और वहीं पर क्लियरिंग हाउस प्लेज मार्क कर देगा। इससे ब्रोकर के अकाउंट में स्टॉक्स नहीं जाएंगे। मार्जिन तय करना आपके अधिकार में रहेगा।
- प्लेज ब्रोकर के फेवर में मार्क हो जाएगी। ब्रोकर को अलग डीमैट अकाउंट खोलना होगा- ‘टीएमसीएम- क्लाइंट सिक्योरिटी मार्जिन प्लेज अकाउंट’। यहां टीएमसीएम यानी ट्रेडिंग मेंबर क्लियरिंग मेंबर।
- तब ब्रोकर को इन सिक्योरिटी को क्लियरिंग कॉर्पोरेशन के फेवर में री-प्लेज करना होगा। तब आपके खाते में अतिरिक्त मार्जिन मिल सकेगी।
- यदि मार्जिन में एक लाख रुपए से कम का शॉर्टफॉल रहता है तो 0.5% पेनल्टी लगेगी। इसी तरह एक लाख से अधिक के शॉर्टफॉल पर 1% पेनल्टी लगेगी। यदि लगातार तीन दिन मार्जिन शॉर्टफॉल रहता है या महीने में पांच दिन शॉर्टफॉल रहता है तो पेनल्टी 5% हो जाएगी।
नई व्यवस्था में आज खरीदो, कल बेचो (बीटीएसटी) का क्या होगा?
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