Editorial Analysis

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली, समाजिक न्याय तथा अंतराष्ट्रीय संबंध
(खंड- 18: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)

1980 के दशक में भारत ने विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए दोहरे कराधान से सम्बंधित समस्या के समाधान की दिशा में पहल करते हुए मॉरिशस के साथ दोहरे कराधान से बचाव के लिए समझौता (DTAA)संपन्न किया.यह समझौता संसाधनों के साथ-साथ विदेशी मुद्रा के अभाव का सामना कर रही भारतीय अर्थव्यवस्था की ज़रुरत था. इसके जरिये विदेशी निवेश को गति प्रदान कर संसाधनों की किल्लत को दूर करने की कोशिश की गयी.

प्रमुख प्रावधान:

  1. इस समझौते के तहत् मॉरिशस में पंजीकृत निवेशकों द्वारा भारत में अर्जित पूंजीगत लाभ से होने वाली आय का आकलन मॉरिशस में होता है जहाँ पूंजीगत लाभ को आयकर से मुक्त रखा गया है. अत: मॉरिशस के निवेशकों को भारत में अर्जित पूंजीगत लाभ पर आयकर नहीं देना पड़ताहै।
  2. इस व्यवस्था का लाभ उठाने के लिए आवश्यक है कि वह फर्म मॉरिशस के फर्म के रूप में पंजीकृत हो. मॉरिशस की उदार अर्थव्यवस्था के अंतर्गत कोई भी विदेशी वहां के किसी नागरिक के साथ मिलकर एक नया फर्म बना सकता है. ऐसे फर्म को मॉरिशस का फर्म माना जाता है और इसके लिए टैक्स-रेजीडेंसी सर्टिफिकेट जारी किया जाता है जिसके आधार पर DTAA के लाभों का दावा किया जा सकता है.
  3. इस व्यवस्था का लाभ उठाकर विदेशी निवेशकों के साथ-साथ भारतीयों निवेशकों ने अपनी पूंजी को मॉरिशस के रास्ते भारतीय पूँजी बाज़ार में निवेश करना शुरू किया।

समझौते से सम्बद्ध समस्या:राउंड ट्रिपिंग(भारतीय पूंजी का ही चक्कर लगाकर मॉरिशस या किसी देश के रास्ते भारत पहुंचना) को बढ़ावा मिला, वरन भारतीय कर-संरचना पर व्यापक प्रभाव (Cascading Effect) भी पड़ा. इसका अंदाज़ा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि 2012-13 में 90,000 करोड़ की आय लॉन्गटर्म कैपिटल गेन्स के मद में हुई जिसमें 10,000 करोड़ की आय महज एक सौ लोगों के खाते में गयी जो इस बात का संकेत देता है कि यह भारतीय समाज में आय की विषमता को भी बढा रहा है. इसकी भरपाई के लिए सरकार ने अप्रत्यक्ष कर में वृद्धि की है,

2-इस समझौते ने कर-संरचना में जो विकृति उत्पन्न की, उसे दुरूस्त करने के लिए सूचीबद्ध कम्पनियों के शेयरों में निवेश को इस आधार पर 2004 में ही लॉन्गटर्म कैपिटल-गेन्स टैक्स से छूट दिया जा रहा है ताकि मॉरिशस-रूट से निवेश करने वालों के साथ घरेलू निवेशकों को लेवल प्लेइंग फील्ड उपलब्ध करवाया जा सके.अब इसी तर्क के आधार पर जनवरी,2016 में सेबी द्वारा नारायणमूर्ति की अध्यक्षता में गठित समिति ने असूचीबद्ध निजी कम्पनियों के शेयरों में किये गए दीर्घकालिक निवेश (एक साल से अधिक समय के लिए किये गए निवेश) को लॉन्गटर्म कैपिटल-गेन्स टैक्स से छूट देने का सुझाव दिया. ध्यातव्य है कि इन छूटों के कारण होनेवाली राजस्व-हानि की भरपाई के लिए प्रतिभूति लेन-देन कर (Security Transiction Tax) लगाया गया

3-STT की वजह से निवेश की प्रकृति बदली, परिणामस्वरूप निवेशकों का रूझान शेयरों से जोखिम वाले डेरिवेटिव्स की ओर बढ़ा. फलतः 2016 के बजट के जरिये डेरिवेटिव्स के लेन-देन पर लगने वाले कर में वृद्धि की गयी ताकि शेयरों के साथ लेवल प्लेइंग फील्ड सृजित की जा सके.

मतलब यह कि 1983 में मॉरिशस के साथ संपन्न समझौते ने घरेलू कर-संरचना में जो विकृतियाँ उत्पन्न की, उसे दुरूस्त करने की कोशिशें अबतक जारी हैं, पर उन्हें अबतक दुरूस्त नहीं किया जा सका है. यही वह पृष्ठभूमि है जिसमें मॉरिशस के साथ DTAA की समीक्षा की मांग लम्बे समय से की जा रही है. हाल में भारत सरकार द्वारा कालेधन के विरुद्ध चलाये गए अभियान ने इस दबाव को बढाया. परिणामतः मई,2016 में इस समझौते में संशोधन की दिशा में पहल करनी पडी.

मॉरिशस के साथ दोहरे कराधान से बचाव के लिए समझौते (DTAA) की समीक्षा:

इस समझौते के इस दुरुपयोग को रोकने के लिए भारत सरकार ने हाल में इसकी समीक्षा की है। इस समीक्षा के जरिये अब यह व्यवस्था की गई है कि:

  1. इस समझौते के तहत् भारत में किए जाने वाले निवेश पर कैपिटल गेन्स टैक्स एक प्रतिभूति खाते का कराधान क्या है? में छूट के लिए मॉरिशस स्थित कंपनी को यह साबित करना होगा कि उसने पिछले साल में मॉरीशस में कम–से–कम27 लाख रुपये का खर्च किया है।
  2. मॉरीशस का पता, दफ्तर और मॉरीशस में कुछ लेन-देन करना अनिवार्य हो जाएगा।
  3. इस संशोधन से फर्जी कंपनी बनाकर मॉरीशस के रास्ते भारतीय पूंजी की राउंड ट्रिपिंग पर अंकुश लगेगा और कालेधन के उत्पादक निवेश की सम्भावना भी सीमित होगी.

विश्लेषण:

भारत द्वारा मॉरिशस के साथ दोहरे कराधान से बचाव समझौते, 1983 , जिसके तहत् भारत में किये जानेवाले निवेश पर प्राप्त पूंजीगत लाभों पर कर लगाने का एकमात्र अधिकार मॉरिशस को दिया गया, में कार्यपालिका के आदेशों के जरिये किया गया संशोधन आनेवाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज के लिए दूरगामी प्रभाव वाला साबित साबित होगा. इसे केवल कालेधन और राउंड ट्रिपिंग के परिप्रेक्ष्य में देखे जाने के बजाय भारत के विकृत कर-संरचना और इसके कारण आय-विषमता के परिप्रेक्ष्य में होने वाली वृद्धि के आलोक में देखे जाने की जरूरत है.

जहाँ तक इस समीक्षा के कारण निवेश-प्रवाह पर पड़ने वाले असर का प्रश्न है, तो वर्ष 2015 की पहली छमाही में भारत ने 31 अरब अमेरिकी डॉलर का विदेशी निवेश हासिल किया था, जो कि अमेरिका एवं चीन द्वारा हासिल किए गए विदेशी निवेश से अधिक एक प्रतिभूति खाते का कराधान क्या है? था, लेकिन इसमें राउंड-ट्रिपिंग की महत्वपूर्ण भूमिका थी। लेकिन, अब कैपिटल गेन्स टैक्स से बचना आसान नहीं होगा.इसीलिये मॉरिशस के साथ समझौते की समीक्षा के बाद विदेशी निवेश में भारी गिरावट आयेगी, इसकी संभावना कम है क्योंकि दीर्घावधिक निवेश का प्रवाह मूल रूप से अर्थव्यवस्था के फण्डामेंटल्स को ध्यान में रखता है, न कि टैक्स-आर्बिट्रेज को। फिर भी, मॉरीशस के साथ एग्रीमेंट में संशोधन सही दिशा में उठाया गया कदम है।

डेली न्यूज़

(a) अचल संपत्ति की खरीद और लक्जरी आवास में निवेश के लिए संसाधनों का डायवर्जन।
(b) अनुत्पादक गतिविधियों में निवेश और कीमती पत्थरों, आभूषणों, सोने आदि की खरीद।
(c) राजनीतिक दलों को बड़ा चंदा और क्षेत्रवाद का विकास।
(d) कर चोरी के कारण राज्य के राजकोष को राजस्व की हानि।

क्या है AIS? नए इनकम टैक्स पोर्टल से ऐसे करें डाॅउनलोड

आयकर विभाग हाल ही में एक नई सुविधा शुरू की है। इसके तहत करदाता अब ई-फाइलिंग पोर्टल पर आय, निवेश और टैक्स के अपने वार्षिक सूचना विवरण (AIS) को हासिल कर सकते हैं। इसे बेहद आसानी से घर बैठे आयकर पोर्टल.

क्या है AIS? नए इनकम टैक्स पोर्टल से ऐसे करें डाॅउनलोड

आयकर विभाग हाल ही में एक नई सुविधा शुरू की है। इसके तहत करदाता अब ई-फाइलिंग पोर्टल पर आय, निवेश और टैक्स के अपने वार्षिक सूचना विवरण (AIS) को हासिल कर सकते हैं। इसे बेहद आसानी से घर बैठे आयकर पोर्टल से डाउनलोड कर सकते हैं। टैक्स रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 31 दिसंबर नजदीक आ गई है। ऐसे में रिटर्न से पहले अपना एआईएस जरूर जांच लें ताकि कोई गलती न रह जाए। इसमें यदि किसी तरह का अंतर दिखता है या कोई गलती नजर आती है तो आयकर विभाग को इसकी सूचना जरूर दें।

इस तरह डाउनलोड हो जाएगा एआईएस

अब पैन कार्ड, आधार कार्ड या यूजर आईडी से लॉग इन करें।
अब 'सर्विसेज' सेक्शन में ' एन्यूअल इन्फॉर्मेशन सिस्टम यानी एआईएस पर क्लिक करें।

पीडीएफ फॉर्मेट में एआईएस डाउनलोड करने के लिए पीडीएफ विकल्प को चुनें और 'डाउनलोड' पर क्लिक करें।
अब एआईएस का पीडीएफ खोलें और इसमें अपना पैन कार्ड और जन्मतिथि पासवर्ड के रूप में डाल दें।

क्या है एआईएस

एआईएस एक व्यापक विवरण है, जिसमें एक वित्तीय वर्ष में आपके द्वारा किए गए सभी वित्तीय लेन-देन का विवरण होता है। नए एआईएस में वेतन और अन्य स्रोत से आय, बचत खाता और एफडी पर ब्याज, लाभांश, प्रतिभूति लेनदेन, म्यूचुअल फंड, से संबंधित जानकारी होती है। साथ ही इसमें टीडीएस, टीसीएस और टैक्स की मांग या रिफंड से संबंधित जानकारी भी होती है। यह दो भागों में होता है। पहले भाग में सामान्य जानकारी होती है जैसे पैन, आधार नंबर, करदाता का नाम, जन्म तिथि आदि। वहीं दूसरे भाग में आय, निवेश और टैक्स से जुड़ी जानकारी होती है।

PMS में निवेश करने से पहले ध्‍यान में रखें ये बातें, बढ़ सकता है आपका मुनाफा

पीएमएस (PMS) मैनेजर्स अलग से प्रबंधित खातों के माध्यम से सीधे वित्तीय प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं। वे तरलता प्रदर्शन-आधारित शुल्क संरचनाओं व्यापक निवेश कराधान एनएवी पर रिडेम्पशन के एक प्रतिभूति खाते का कराधान क्या है? प्रभाव आदि के संबंध में फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करते हैं

नई दिल्‍ली, प्रतीक पंत। पिछले कुछ वर्षों में पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेस (PMS) उद्योग तेजी से विकसित हुआ है। अक्टूबर 2020 के अंत में, पीएमएस उद्योग द्वारा प्रबंधित एयूएम 19.2 लाख करोड़ रुपये था, जो पिछले 5 वर्षों में बढ़कर लगभग दोगुना हो गया (स्रोत: सेबी की वेबसाइट) है। इस वृद्धि के लिए नियमों में बदलाव बहुत बड़ा कारक था जो म्युचुअल फंड और पीएमएस उद्योग दोनों में हुआ। म्‍युचुअल फंड विनियमनों ने निवेश के लिए सख्त नियम बनाएं और इसलिए अधिकांश एक्टिव मैनेजर्स ने बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन करना चुनौतीपूर्ण पाया। बेहतर निवेशक जागरूकता, पीएमएस रणनीतियों द्वारा दिए गए लगातार उच्च रिटर्न्स, कई नए "स्टार मैनेजर्स" के उद्भव के साथ, पीएमएस उद्योग के लिए यह तेजी जारी रहने की उम्मीद है।

सेबी (SEBI) ने पीएमएस में निवेश की सीमा बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दी थी, जिससे खुदरा ग्राहकों को गलत बिक्री से बचाया जा सके। पीएमएस निवेशक मुख्य रूप से हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल (HNI) के जानकार निवेशक होते हैं जिनमें अधिक जोखिम उठाने की क्षमता होती है। पीएमएस मैनेजर्स अलग से प्रबंधित खातों के माध्यम से सीधे वित्तीय प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं। वे तरलता, प्रदर्शन-आधारित शुल्क संरचनाओं, व्यापक निवेश, कराधान, एनएवी पर रिडेम्पशन के प्रभाव, आदि के संबंध में फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करते हैं।

पोर्टफोलियो मैनेजर का चयन करना केवल पिछले प्रदर्शन का विश्लेषण करने से कहीं अधिक है। इसमें मात्रात्मक और गुणात्मक दोनों कारकों की जांच करना ताकि यह समझा जा सके कि निवेश के परिणाम कैसे प्राप्त हुए और भविष्य में इसके जारी रहने की संभावना का आकलन करना शामिल है। ध्यान रखने योग्य कुछ प्रमुख कारकों में शामिल हैं:

फंड मैनेजमेंट

प्रत्येक पीएमएस फर्म अलग होता है जहां संस्थापक और निवेश टीम ने व्यापक संगठन रणनीति और निवेश दर्शन की व्याख्या की है। विचार करने के लिए महत्वपूर्ण बिंदु होंगे यदि निवेश निर्णय लेने में "स्टार मैनेजर" प्रभाव या टीम दृष्टिकोण है। निवेश टीम की बेंच स्ट्रेंथ एक प्रतिभूति खाते का कराधान क्या है? और उनकी ओर से दी जाने वाली कवरेज संगठन की चौड़ाई और गहराई को समझने में मदद करते हैं।

निवेश ढांचा

पोर्टफोलियो मैनेजर विभिन्न निवेश प्रबंधन दृष्टिकोण और शैलियों का उपयोग करते हैं। कुछ मैनेजर्स एक निश्चित शैली जैसे मूल्य, विकास या गति अपनाते हैं, और कुछ उत्पादों और शैलियों के संयोजन की पेशकश करते हैं। निवेशकों को यह आकलन करना चाहिए कि क्या मैनेजर अपने लेबल के प्रति सही है। एक अच्छा संकेतक तब होगा जब बदलते बाजार चक्र के दौरान पोर्टफोलियो टर्नओवर रेशिओ या पोर्टफोलियो में मंथन अचानक बढ़ जाए। गलत धारणाओं में से एक यह है कि पीएमएस को केवल केंद्रित रणनीतियां चलानी चाहिए।

शुल्क संरचना

पोर्टफोलियो मैनेजर्स उन संपत्तियों पर प्रबंधन शुल्क लेते हैं जिनका वे प्रबंधन करते हैं। फिक्स्ड फी, परफॉर्मेंस फी या हाइब्रिड विकल्प हो सकते हैं। आम तौर पर, निवेशक बाजारों में तेजी के चरणों में फिक्स्ड फी और मंदी की अवधि के दौरान परफॉर्मेंस फी का चयन करते हैं। हालांकि, जब बाजार चक्र बदल जाता है (जैसा कि 2020 में), वे प्रदर्शन विकल्प में महत्वपूर्ण शुल्क का भुगतान करते हैं क्योंकि फिक्स्ड हडल रेट के प्रति समान शुल्क लिया गया है। कुछ फंड मैनेजर केवल मार्केट बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन पर प्रदर्शन शुल्क चार्ज करने की पेशकश करते हैं।

प्रदर्शन से मार्गदर्शन हो सकता है लेकिन भविष्य के रिटर्न का संकेतक नहीं

प्रदर्शन अक्सर निवेश प्रक्रिया का परिणाम होता है और यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि जेनरेटेड रिटर्न्स मैनेजर के अवसर या कौशल के कारण हुआ है। रिटर्न के स्रोत और रिटर्न्स (रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न्स) उत्पन्न करने हेतू लिए गए जोखिम के परिमाण को समझने के लिए उपकरण उपलब्ध हैं। ट्रेंडिंग अप और डाउन मार्केट दोनों में पोर्टफोलियो की भागीदारी को समझना भी महत्वपूर्ण है। आपके वित्तीय सलाहकार के साथ उपरोक्त सभी वित्तीय अनुपातों की समीक्षा से भविष्य के प्रदर्शन की स्थिरता को समझने में मदद मिलेगी।

कुछ अन्य सोच-विचार शायद प्रवेश और निकासी शुल्‍क, तरलता की उपलब्धता, पोर्टफोलियो की रिपोर्टिंग में पारदर्शिता, आदि हो सकते हैं। स्मार्ट मनी पीएमएस को एलोकेट किया जा रहा है, लेकिन यह कई निवेशकों के लिए उनके कोर इक्विटी पोर्टफोलियो के लिए एक सैटेलाइट एलोकेशन बना हुआ है।

(लेखक वाइटओक कैपिटल एसेट मैनेजमेंट के चीफ बिज़नेस ऑफिसर हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)

ODDO BHF my WEALTH

ODDO BHF my WEALTH मोबाइल एप्लिकेशन आपको किसी भी समय और पूरी सुरक्षा में अपनी संपत्ति का प्रबंधन करने की अनुमति देता है:

- कनेक्शन: बायोमेट्रिक्स (चेहरे या डिजिटल पहचान) या गतिशील संख्यात्मक कीपैड के लिए एक सरल और सुरक्षित कनेक्शन धन्यवाद
- होम पेज: आपके खातों और अनुबंधों का सारांश, आपके खातों और अनुबंधों के समेकन तक पहुंच (धन पैनोरमा), अधिसूचना केंद्र (सामान्य बैठकें और प्रतिभूति लेनदेन), एक खाते का विवरण (स्थिति, विकास, वितरण, ऑर्डर बुक, मूवमेंट) और कराधान)
- दस्तावेज़: नवीनतम दस्तावेज़ देखें, फ़ोल्डरों द्वारा सभी इतिहास तक पहुँचें और दस्तावेज़ खोजें
- बाजार: एक सुरक्षा की खोज करें, वास्तविक समय में इसके बाजार डेटा से परामर्श करें, शेयर बाजार के आदेश दें, धन के चयन में निवेश करें और प्रतिभूतियों की सूची बनाएं
- समाचार: हमारे कर और विरासत समाचार पढ़ें, अनुसंधान विभाग तक पहुंचें * (* उन ग्राहकों के लिए जिनके पास सलाहकार समझौता है)
- अधिक: अपने ओडीडीओ बीएचएफ संपर्कों, एप्लिकेशन सेटिंग्स और कानूनी जानकारी के संपर्क विवरण तक पहुंचें

डेटा की सुरक्षा

आपके डेटा की सुरक्षा, इस बात पर निर्भर करती है कि डेवलपर, डेटा को कैसे इकट्ठा और शेयर करते हैं. डेटा को निजी और सुरक्षित रखने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं. ये आपकी जगह, उम्र, और ऐप्लिकेशन के इस्तेमाल के हिसाब से तय किए जाते हैं. यह जानकारी डेवलपर उपलब्ध कराता है और समय-समय पर इस जानकारी को अपडेट भी किया जा सकता है.

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