theme export
Liabilities क्या होता है?
Liabilities Ke बारे Me Yeh हम सभी Ko पता Hai Ki Accounting Me Use Hone Wala बहुत Ki Common Word Hai.
Kisi Bhi व्यवसाय Ke साथ-साथ हमारे दैनिक जीवन Me Bhi Liabilities Ka महत्वपूर्ण रोल Hota Hai.
इसमें Aap जानेंगे Ki Liabilities Kya Hai ? Liabilities Ke प्रकार , Current Liabilities Kya Hota Hai? Non-Current डेरिवेटिव के प्रकार Liabilities Kya Hota Hai? Non-Current Liabilities Example.
Liabilities Kya Hai?
What Is Liabilities Meaning.
Liabilities जिसका अर्थ दायित्व , कर्ज Ya ऋण Bhi Hota Hai.
Is शब्द Se Hi पता चलता Hai Ki Aapke ऊपर Kisi Bhi चीज Ka Ek डेरिवेटिव के प्रकार दायित्व Ya उत्तरदायित्व Hai.
वह धन Jo Kisi दुसरे Ko Dena Hai Liabilities कहलाता Hai.
Kisi Se कर्ज लेना , Koi Bhi सामान उधार लेकर बाद Me पैसे Dena, बैंक Se लोन लेना इत्यादी. ये सभी Liabilities Ke अंतर्गत आता Hai.
यानि पैसे चुकाने Ki प्रक्रिया Ek दायित्व Hota Hai.
Liabilities Ke प्रकार
Types Of Liabilities
Liabilities दो प्रकार Ke होते Hai
Current डेरिवेटिव के प्रकार Liabilities Kya Hota Hai?
Current Liabilities Meaning
Current Liabilities Ko हम Short Term Liabilities Bhi Kahte Hai.
कुछ सीमित समय Me डेरिवेटिव के प्रकार डेरिवेटिव के प्रकार पैसे Ko चुकाना Current Liabilities Ke अंतर्गत आता Hai.
ऐसे कर्ज Ko हमें Ek फाइनेंसियल ईयर Ya Isse Kam अवधि Me चुकाना Hota Hai.
Current Liabilities Example
Or, Short Term Liabilities Example
Example Of Current Liabilities
- Light Or Electricity Bill
- Payments To Employees
- Tax Paying
- Bank Overdraft
- Outstanding Expenses
- Short Term Loan
- Other Current Liabilities
Non-Current Liabilities Kya Hota Hai?
Non-Current Liabilities Meaning
भारतीय संविधान – लिखित संविधान
भारतीय संविधान एक लिखित संविधान है। इसका अर्थ है कि भारत के संविधान को लिखने के लिए एक समर्पित संविधान सभा का गठन किया गया था, जिसका कार्य मुख्य रूप से आपसी विचार विमर्श के माध्यम से भारत का संविधान लिखना था। कई देशों में संविधान तो होता है, लेकिन उस संविधान को लिखित संविधान नहीं कहा जा सकता है। उदाहरण के लिए, ब्रिटेन में संविधान तो है, लेकिन वह लिखित संविधान नहीं है। इसका अर्थ यह है कि ब्रिटिश संविधान को लिखने के लिए विधिवत तरीके से किसी संविधान सभा का गठन नहीं हुआ था, बल्कि विभिन्न परंपराओं, न्यायिक निर्णयों और संसद के द्वारा पारित कानूनों के माध्यम से वहाँ का संविधान निर्मित हुआ है। इसलिए ब्रिटेन के संविधान को अलिखित संविधान कहा जाता है।
भारत का संविधान एक अत्यंत विशाल संविधान है। इसका कारण यह है कि भारतीय संविधान में विभिन्न प्रावधानों को काफी सहज से तरीके से विस्तृत रूप में लिखा गया है, ताकि संविधान का पालन करने के दौरान शासन प्रशासन को अधिक कठिनाइयों का सामना ना करना पड़े। यही कारण है कि भारतीय संविधान में वर्तमान में कुल 395 अनुच्छेद 25 भाग और 12 अनुसूचियां विद्यमान है। संख्यात्मक दृष्टि से भारतीय संविधान में अनुच्छेदों की संख्या बेशक 395 नजर आती है, लेकिन वास्तव में भारतीय संविधान में लगभग 450 के आसपास अनुच्छेद मौजूद हैं। इसीलिए कुछ विद्वान इसे दुनिया का सबसे विस्तृत संविधान भी कहते हैं।
भारतीय संविधान – लचीलेपन और कठोरता का मिश्रण
भारतीय संविधान के लचीले होने का अर्थ यह है कि भारतीय संविधान के कुछ प्रावधान ऐसे हैं, जिन्हें भारतीय संसद साधारण बहुमत के माध्यम से संशोधित कर सकती है। उदाहरण के लिए, राज्यों के नाम, उनकी सीमा इत्यादि में संशोधन भारतीय संसद साधारण बहुमत के माध्यम से ही कर सकती है। जबकि भारतीय संविधान के कठोर होने का अर्थ यह है कि इस संविधान के कुछ ऐसे प्रावधान भी हैं, जिन्हें संशोधित करना भारतीय संसद के लिए डेरिवेटिव के प्रकार आसान नहीं होता है। इन प्रावधानों के लिए न सिर्फ संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है, बल्कि देश के आधे राज्यों के विधान मंडल के समर्थन की आवश्यकता भी होती है। देश की संघीय व्यवस्था से संबंधित तमाम प्रावधान इसी प्रक्रिया के माध्यम से संशोधित किए जा सकते हैं। इस प्रकार भारतीय संविधान लचीलेपन और कठोरता का सुंदर मिश्रण है।
भारतीय संविधान संघात्मक व्यवस्था और एकात्मक व्यवस्था दोनों का एक सुंदर मिश्रण है। भारतीय संविधान डेरिवेटिव के प्रकार को संघात्मक संविधान इस आधार पर कहा जाता है कि यह एक लिखित संविधान है, इसमें सर्वोच्च व स्वतंत्र न्यायपालिका का प्रावधान किया गया है तथा इसमें केंद्र व राज्यों के मध्य शक्तियों का स्पष्ट विभाजन किया गया है। जबकि भारतीय संविधान एकात्मक व्यवस्थाओं को भी समेटे हुए हैं, जो आपातकाल संबंधी प्रावधानों, केंद्र सरकार द्वारा राज्यों में राज्यपालों की नियुक्तियों, वित्तीय प्रणाली पर केंद्र सरकार के प्रभावी नियंत्रण इत्यादि के माध्यम से परिलक्षित होती हैं।
भारतीय संविधान – लोकतांत्रिक गणराज्य
भारत के संविधान की प्रस्तावना में भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने का लक्ष्य घोषित किया गया है। इसका अर्थ यह है कि भारत एक गणराज्य होगा और उसके राज्याध्यक्ष का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से किया जाएगा। गणराज्य होने का अर्थ यह है कि भारत का कोई सामान्य व्यक्ति भी अपनी योग्यता के दम पर देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति तक पहुंच सकता है। यानी राष्ट्रपति बनने के लिए देश के किसी भी नागरिक को नहीं रोका जा सकता डेरिवेटिव के प्रकार है। हालांकि संसद इसके लिए कुछ सामान्य शर्तें निर्धारित कर सकती है।
भारतीय संविधान भारत के नागरिकों के लिए एकल नागरिकता निर्धारित करता है। इसका अर्थ यह है कि भारत का नागरिक सिर्फ भारत का ही नागरिक होता है, वह किसी भी अन्य देश का नागरिक नहीं हो सकता है। यदि कोई भारतीय नागरिक किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण करता है, तो जिस समय वह अन्य देश की नागरिकता ग्रहण करता है, ठीक उसी समय से वह भारत का नागरिक नहीं रहता है। इसके अलावा, एकल नागरिकता का एक अर्थ यह भी है कि भारत का नागरिक सिर्फ भारत का ही नागरिक होता है, वह किसी प्रांत का नागरिक नहीं होता है। यानी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही स्तर पर भारत में एकल नागरिकता को स्वीकार किया गया है।
भारतीय संविधान – संसदीय व्यवस्था
भारतीय संविधान में शासन की संसदीय प्रणाली को स्वीकार किया गया है। इसका अर्थ है कि भारत में मंत्रिपरिषद विधानमंडल के प्रति उत्तरदाई होती है। इसके अलावा, सरकार तब तक ही अपना अस्तित्व बनाए रखती है, जब तक वह लोकसभा में अपना बहुमत रखती है। जिस क्षण सरकार लोकसभा में बहुमत खो देती है, उसी क्षण सरकार अपना अस्तित्व खो देती है। यानी सरकार को अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए लोकसभा में साधारण बहुमत की आवश्यकता होती है और किसी असमंजस की स्थिति में विपक्ष के द्वारा सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। यदि अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो सरकार को अनिवार्य रूप से इस्तीफा देना होता है।
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में घोषित किया गया है कि भारत एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न राज्य होगा। इसका अर्थ है कि भारत की सरकार किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव के अंतर्गत कार्य नहीं करेगी। भारत की सरकार भारत के हित से संबंधित निर्णय लेने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र होगी। कोई भी अंतरराष्ट्रीय संस्था या संगठन या अन्य देश की सरकार भारत पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं बना सकते हैं।
WordPress Theme Export कैसे करें
WordPress Theme को Export करना एक successful website बनाने और उसे बनाए रखने का एक अनिवार्य हिस्सा है। यह न केवल आपको किसी भी प्लेटफ़ॉर्म पर साइट को customize करने की क्षमता देता है, बल्कि कुछ गलत होने पर यह आपकी website डिज़ाइन के लिए backup भी प्रदान करता है। इस लेख में, हम पता लगाएंगे कि वर्डप्रेस थीम क्यों और कब export करें।
- आप अपनी वेबसाइट को customize करने से पहले theme का backup ले सकते हैं ताकि किसी भी प्रकार की दिक्कत आने पर आप उसे restore कर सके।
- एक ही theme customization को बहुत सी websites पर इस्तेमाल करने के लिए आप wordpress theme export कर सकते हैं।
- Custom theme को share करने के लिए भी आप wordpress theme को export कर सकते हैं।
- अगर आप एक new domain पर theme उपयोग करना चाहते हैं तो आप theme export कर सकते हैं।
Method 1:- WordPress Theme Manually Export कैसे करें
इस तरीके का उपयोग कर आप आसानी से manually wordpress theme export कर सकते हैं। यह theme आपके कंप्यूटर में zip file के रूप में save हो जाएगी।
- सबसे पहले अपनी वेबसाइट के एडमिन एरिया में लॉगिन करें।
- इसके बाद appearance पर क्लिक करने के बाद themes पर क्लिक करें।
- अब आप जिस theme को zip file में export करना चाहते हैं उसे एक्टिवेट करें।
- इसके बाद theme के ऊपर hangover करें और customize पर क्लिक करें।
theme export
- अब आपको राइट साइड में three dot दिखाई देंगे उन पर क्लिक करें।
- अब आपको यहां पर tools का ऑप्शन दिखाई देगा उसके नीचे export पर क्लिक करें और आपके कंप्यूटर में zip file के रूप में wordpress theme export हो जाएगा।
Method 2:- Plugin का उपयोग कर theme export करें
UpdraftPlus Plugin का उपयोग कर आप theme को zip file में export कर सकते हैं वह भी बिल्कुल आसान steps को follow कर।
- सबसे पहले अपनी वेबसाइट में UpdraftPlus Plugin install और activate करें।
- अब setting पर क्लिक करने के बाद UpdraftPlus Backup पर क्लिक करें।
- अब आपको यहां पर backup now का बटन दिखाई देगा उस पर क्लिक करें।
- इसके बाद एक popup open होगा इसमें आपको “Include your files in the backup” option के नीचे केवल theme के समय बने box में tick करना है।
- इसके बाद backup now button पर क्लिक कर दें।
- अब एक बैकअप क्रिएट हो जाएगा और आपको उस बैकअप के ऊपर क्लिक कर उसे अपने कंप्यूटर में डाउनलोड कर ले।
Method 3:- Customizer Export/Import Plugin का उपयोग करें
अगर आप ऊपर दिए गए तरीके नहीं अपनाना चाहते तो आप Customizer Export/Import plugin का उपयोग कर बिल्कुल आसानी से theme import और export कर सकते हैं।
इस तरीके का उपयोग कर आप केवल वर्डप्रेस थीम colors, layout settings और header media को एक्सपोर्ट कर सकते हैं। आप navigation menus, widgets, डेरिवेटिव के प्रकार और site title को एक्सपोर्ट नहीं कर सकते।
Customizer Export/Import Plugin का उपयोग करने के लिए नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करें।
सबसे पहले अपनी वेबसाइट में Customizer Export/Import Plugin install और activate करें। अगर आपको plugin install करना नहीं आता तो आप हमारा यह लेख पढ़ सकते हैं। how to install plugin in wordpress site?
इसके बाद appearance पर क्लिक करने के बाद customize पर क्लिक करें और यहां पर आपको left side में थोड़ा नीचे scroll करने पर import/export का ऑप्शन दिखाई देगा उस पर क्लिक करें।
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शोधकर्ता बताते हैं कि रिसेप्टर्स पुराने आंत दर्द, स्वास्थ्य समाचार, ईटी हेल्थवर्ल्ड का इलाज कैसे करते हैं
एडिलेड, ऑस्ट्रेलिया: हमारे स्पर्श और गर्मी की भावना को नियंत्रित करने वाले रिसेप्टर को लक्षित करके गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्थितियों जैसे इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से जुड़े पुराने दर्द का इलाज करना जल्द ही संभव हो सकता है, जो शोधकर्ताओं ने अब हमारे कोलन में मौजूद होने की खोज की डेरिवेटिव के प्रकार है।
अध्ययन के नतीजे न्यूरॉन जर्नल में प्रकाशित हुए थे। वाशिंगटन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर होंगजेन हू और फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के प्रोफेसर निक स्पेंसर के नेतृत्व में कोलन शोधकर्ताओं की एक टीम ने पीजो 2 की उपस्थिति की पहचान की है, जो फिजियोलॉजी या मेडिसिन विजेता में 2021 का नोबेल पुरस्कार है, जिसे अब हल्के स्पर्श की धारणा के लिए जिम्मेदार माना डेरिवेटिव के प्रकार डेरिवेटिव के प्रकार जाता है। त्वचा। हमारी त्वचा।
प्रोफेसर स्पेंसर कहते हैं, “इस खोज के साथ कि यह रिसेप्टर हमारे आंत में भी पाया जाता है, ऐसी संभावना है कि इन चैनलों को चुनिंदा रूप से लक्षित करने से आंतरिक अंगों से लंबे समय तक दर्द को दबाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।” , कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ में मैथ्यू फ्लिंडर्स प्रोफेसर।
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