परनामी उस सोने की बात कर रहे हैं, जो भौतिक रूप से सोना नहीं है बल्कि जैसे आप अपने डिमैट खाते में शेयर्स को रखते हैं उसी तरह डिमैट खाते में आप एसजीबी को रख सकते हैं. लॉकर्स में जहां बैंक आपका भौतिक सोना संभालकर रखने के बदले आपसे एक निश्चित रकम भी वसूलते हैं, उसके इतर एसजीबी में सोना कहीं भी सुरक्षित रखा जा स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना सकता है. इन गोल्ड बॉन्ड के साथ सरकार की गारंटी जुड़ी है जिसका अर्थ है कि भुगतान में किसी प्रकार के हेर-फेर की कोई गुंजाइश ही नहीं.
शेयर बाजार से आप भी कर सकते हैं मोटी कमाई, अपनाएं एक्सपर्ट के ये टिप्स
स्टॉक के जरिए पैसा बनाने के लिए यह कुछ आसान सरल कदम है और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आप निवेश शुरू करने से पहले रिसर्च करें। जब आप बाजार में काम करना जानते हैं तो शेयरों में निवेश करने से आपको भारी मुनाफा मिल सकता है।
नई स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना दिल्ली, हर्ष जैन। यदि आपके मन में कभी यह सवाल उठता है कि 'क्या शेयरों में निवेश करने से पैसा बनता है?' तो इसका जवाब जोरदार हां है! शेयर बाजार में किए गए निवेश पर मिलने वाला रिटर्न बैंक खातों या बॉन्ड पर मिलने वाले रिटर्न से कहीं अधिक है। लेकिन स्टॉक या शेयर के माध्यम से कैसै पैसा कमाया जाए, इसे समझने की जरूरत है। आपको आश्चर्य हो सकता है कि कई लोग स्टॉक में निवेश करते हुए भी पैसा क्यों नहीं कमा पाते हैं। इसके तीन मुख्य कारण हैं और उसके बाद इस पर विचार करेंगे कि कैसे आप शेयरों से बेहतर रिटर्न कमा सकते हैं।
किसी निवेशक को स्टॉक से पैसा कमाने कौन-सी चीज रोकती है?
क्या आप जानते हैं कि शेयर बाजार ही एक ऐसी जगह है जहां भारी बिक्री होती है और लोग खरीदारी से डरते हैं। तो आइए उन बिंदुओं की जांच करें, जो एक निवेशक को शेयरों से अच्छा पैसा बनाने की राह में बाधा हैं।
'मैं निवेश शुरू करने के लिए स्टॉक के पूरी तरह से सुरक्षित होने तक इंतजार करूंगा।'
अगर आपने खुद से यह कहा है, तो क्या वाकई यह सही बात है? यह बहाना हमेशा निवेशकों के बीच तब आता है जब वे देखते हैं कि शेयरों में गिरावट आई है। यूं कहें कि शेयरों में कुछ दिनों से गिरावट आ रही है, या शायद यह लंबी गिरावट रही है। कुछ निवेशकों का कहना है कि वे इसके सुरक्षित होने का इंतजार करेंगे, यानी कीमतों के फिर से बढ़ने का इंतजार करेंगे। इसका मतलब है कि आप अल्पकालिक नुकसान से बचने के साथ-साथ दीर्घकालिक लाभ के मौके को भी गंवा रहे हैं। तो बस इसके बारे में सोचें। कीमतों के बढ़ने की प्रतीक्षा करने का अर्थ यह भी है कि आप अधिक भुगतान करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
स्टॉक से पैसे कैसे कमाएं ?
1.परिभाषित करें कि आप किस प्रकार के ट्रेडर हैं
बाजार में मुख्य रूप से दो तरह के ट्रेडर होते हैं। एक ट्रेडर बुनियादी निवेश का अनुसरण करता है, और दूसरा स्पेकुलेटर है। ये दोनों का स्टॉक की कीमत देखने का तरीका अलग-अलग होता है। स्पेकुलेटर्स की तुलना में पहले प्रकार के निवेशक आम तौर पर कीमतों को कम महत्व देते हैं।
2. क्या आप भीड़ का अनुसरण करने की योजना बना रहे हैं?
जब स्टॉक की बात आती है तो बहुत से लोग झुंड का अनुसरण करने की गलती करते हैं। वे उन शेयरों को खरीदते हैं, स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना जो हर किसी के द्वारा खरीदे जाते हैं, और ज्यादातर उन शेयरों को खरीदते हैं, जिसे दूसरे लोग अच्छा बताते हैं। लेकिन नहीं, उस तरह से काम नहीं करना चाहिए, इसे अपने तरीके से करें। देखें कि कौन सा स्टॉक आपके लिए सबसे उपयुक्त है, उसके बाद स्टॉक खरीदें। सब जो कर रहे हैं, उसका अनुसरण करने के बजाय खुद की जरूरत के अनुसार स्टॉक खरीदने स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना पर विचार करना बेहतर विकल्प है। जब आप ऐसा करेंगे तो यह आपके वित्तीय उद्देश्य से मेल खाएगा।
अनिश्चितता के दौर में गोल्ड बॉन्ड होल्ड करना कैसे है फायदेमंद? यहां डिटेल में पढ़ें सबकुछ
सोने की बढ़ती-घटती कीमतों का असर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर होता है। वहीं, अगर आज भारतीय बाजारों में सोने और चांदी की कीमत की बात करें तो यहां गिरावट दर्ज की गई। एमसीएक्स पर सोना वायदा 0.03 फीसदी गिरकर 46,580 रुपये प्रति 10 ग्राम रहा, जबकि चांदी वायदा 0.15 फीसदी गिरकर 66,884 रुपये प्रति किलोग्राम रही। पिछले सत्र में सोना 0.5 फीसदी लुढ़का था, लेकिन पूरे सप्ताह में इसमें तेजी आई।
इन उतार-चढ़ाव को देखते हुए मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि गोल्ड बॉन्ड में पैसा लगा चुके निवेशकों के लिए क्या सही है और क्या गलत। साथ ही सोने के दाम निकट भविष्य में कैसे रहेंगे?भारत सरकार की सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम के तहत पूरे साल समय-समय पर सस्ता गोल्ड बेचा जाता है। भारत सरकार की इस स्कीम को रिजर्व बैंक संचालित करती है।
विस्तार
सोने की बढ़ती-घटती कीमतों का असर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर होता है। वहीं, अगर आज भारतीय बाजारों में सोने और चांदी की कीमत की बात करें तो यहां गिरावट दर्ज की गई। एमसीएक्स पर सोना वायदा 0.03 फीसदी गिरकर 46,580 रुपये प्रति 10 ग्राम रहा, जबकि चांदी वायदा 0.15 फीसदी गिरकर 66,884 रुपये प्रति किलोग्राम रही। पिछले सत्र में सोना 0.5 फीसदी लुढ़का था, लेकिन पूरे सप्ताह में इसमें तेजी आई।
इन उतार-चढ़ाव को देखते हुए मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि गोल्ड बॉन्ड में पैसा स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना लगा चुके निवेशकों के लिए क्या सही है और क्या गलत। साथ ही सोने के दाम निकट भविष्य में कैसे रहेंगे?भारत सरकार की सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम के तहत पूरे साल समय-समय पर सस्ता गोल्ड बेचा जाता है। भारत सरकार की इस स्कीम को रिजर्व बैंक संचालित करती है।
बेच सकते हैं गोल्ड बॉन्ड
बता दें कि निवेश सीमा के अधीन निवासी व्यक्ति, हिंदू अविभाजित परिवार, ट्रस्ट, विश्वविद्यालय और साथ ही धर्मार्थ संस्थान अपने फंड को गोल्ड बॉन्ड में डाल सकते हैं। बॉन्ड पांच साल के बाद एग्जिट ऑप्शन के साथ आठ साल की अवधि के लिए है। भारतीय रिजर्व बैंक ने बाय-बैक स्कीम की घोषणा की है। ऐसे में आप स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना अपना पांच साल पुराना बॉन्ड रिजर्व बैंक को वापस बेच सकते हैं। यह आप उस वक्त कर सकते हैं जब बॉन्ड का स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना ब्याज मिलता हो (जो साल में दो बार होता है), और बेचने के लिए आप उसी चैनल का इस्तेमाल करें जिसके जरिए आपने बॉन्ड खरीदा था।
स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना
- Post author: धन महोत्सव
- Post category: स्टॉक मार्केट
- Reading time: 2 mins read
भारत सरकार ने 16 जुलाई 2022 को जीरो-कूपन जीरो-प्रिंसिपल (ZCZP) बॉन्ड को सिक्योरिटीज के रूप में घोषित कर दिया है, जिसे निर्दिष्ट एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध किया जा सकता है।
जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल बॉन्ड स्कीम में ब्याज के साथ मूलधन भी नहीं मिलता है और इसे फेस वैल्यू पर जारी किया जाता है। इन्हें सोशल स्टॉक एक्सचेंजों पर प्रतिभूतियों के रूप में सूचीबद्ध किया जा सकता है।
जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल (ZCZP) बॉन्ड क्या है?
ये ऐसे फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट है जिसे कोई भी नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन जारी करके फंड प्राप्त कर सकती है। सामान्य तौर पर ये संस्थाएं इंडिविजुअल व्यक्तियों और कॉरपोरेशन से डोनेशन प्राप्त करती है लेकिन अब ये जेडसीजेडपी बॉन्ड को सोशल स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध करके धन जुटा सकती है।
ऑफिशियल गजट अधिसूचना के अनुसार, “जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल इंस्ट्रूमेंट” एक गैर-लाभकारी संगठन (not-for-profit organisation) द्वारा जारी किया गया एक उपकरण है जो भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) रेगुलेशन के अनुसार किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के सोशल स्टॉक एक्सचेंज सेगमेंट के साथ पंजीकृत होगा।
देश में जीरो कूपन-जीरो प्रिंसिपल बॉन्ड की शुरुआत कैसे हुई?
वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2019-20 के आम बजट में सोशल स्टॉक एक्सचेंज के गठन का प्रस्ताव किया था। सितंबर 2021 में सेबी ने इस एक्सचेंज के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। अब सोशल स्टॉक एक्सचेंज पर पंजीकृत नॉन फॉर प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन ये बॉन्ड जारी करके फंड जुटा सकती है।
सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है?
सेबी ने सितंबर 2021 को गैर-लाभकारी और लाभकारी संगठनों को धन जुटाने में सक्षम बनाने के लिए एक सामाजिक स्टॉक एक्सचेंज के निर्माण को मंजूरी दी।
ये सामाजिक संस्थान इक्विटी, जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, सोशल इम्पैक्ट फंड और डेवलपमेंट इम्पैक्ट बॉन्ड के जरिए फंड जुटा सकते हैं।
- एक सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) गैर-लाभकारी या गैर-सरकारी संगठनों को स्टॉक एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध करने की अनुमति देता है।
- उन्हें एक वैकल्पिक फंड-राइजिंग संरचना प्रदान करता है।
- इसे बीएसई या एनएसई पर लिस्ट किया जा सकता है।
- वर्तमान में यूके, कनाडा, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील जैसे देशों में एसएसई काम करते हैं।
यह एक तरह से सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले संगठनों (एनजीओ) को बाजार से फंड जुटाने में मदद करेगा। इसका मतलब यह हुआ कि निजी कंपनियों की तरह अब सामाजिक उद्यम (एनजीओ और ऐसे अन्य संस्थान) भी खुद को शेयर बाजार में सूचीबद्ध करा सकेंगे और धन जुटाने में सक्षम होंगे।
क्या है भारत बॉन्ड ETF? क्या इस ETF में करना चाहिए निवेश? हां, तो कैसे, जानिए सबकुछ
गाजियाबाद के रहने वाले अजय को पता चला कि, 3 दिसंबर से भारत बॉन्ड ETF 32 निवेशकों के लिए खुल चुका है, लेकिन अजय को यह समझ नहीं आ रहा है कि, क्या उन्हें अपने पोर्टफोलियो में यह बॉन्ड रखना चाहिए या नहीं. दरअसल इस बात को लेकर कन्फ्यूजन है कि, क्या यह बॉन्ड उनके लिए फायदेमंद रहेगा. अगर आप भी अजय के तरह ही इन सवालों के जवाब ढूंढ रहे हैं, तो आज हम आपको बताएंगे कि, क्या आपको इस ETF में निवेश करना चाहिए और कैसे ?
दरअसल, भारत बॉन्ड ETF सब्सक्रिप्शन के लिए ओपन हो चुका है और इसके तहत आप 9 दिसंबर तक इसे सब्सक्राइब भी कर सकते हैं, बता दें, यह लॉन्ग टर्म यानी की10 साल की लंबी अवधि का निवेश है, तो क्या इसे चुनना सही रहेगा, इससे जुड़े जवाब देने से पहले हम आपको बताते हैं भारत बॉन्ड ETF 2032 है क्या?
भारत बॉन्ड ETF 2032 क्या है?
भारत सरकार ने केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के लोन की जरूरतों को पूरा करने के लिए 2019 में सबसे पहले भारत बॉन्ड ETF को पेश किया था. इसमें निवेशकों को अप्रैल 2032 में 6.87 फीसदी ब्याज सहित पूरा पैसा वापस मिल जाएगा. बता दें, भारत बॉन्ड ETF के जरिए सरकार का लक्ष्य खुदरा और संस्थागत निवेशकों से पैसा हासिल करना है. भारत बॉन्ड ETF स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होने वाला फंड है, जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट है, यानी इसे कंपनियों के शेयर्स की तरह खरीदा और बेचा जा सकता है.
बता दें, यह सरकारी ऋण पत्रों में निवेश करता है और फंड की एक तय परिपक्वता भी होती है, जब निवेशक को रिटर्न के साथ अपना निवेश वापस मिलेगा. फंड अवधि के दौरान, इसकी यूनिट को किसी भी समय एनएसई पर खरीद या बेच सकते हैं.
क्या आपको खरीदना चाहिए भारत बॉन्ड ETF?
भारत बॉन्ड ETF म्यूचुअल फंड, ETF और बॉन्ड का बेहतर मिश्रण है, यह देश का सबसे सस्ता म्यूचुअल फंड उत्पाद है, इसकी लागत बहुत कम है. इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि, 2 लाख रुपये के निवेश पर इसकी लागत केवल एक रुपये है. दरअसल ETF बहुत लचीला है, इसे आप एक्सचेंज पर कारोबार अवधि के दौरान इसे आसानी से खरीद या बेच सकते हैं. इसके अलावा इसमें जोखिम भी बहुत कम है क्योंकि इसमें केवल AAA रेटिड बॉन्ड में ही निवेश किया जाता है. साथ ही टैक्स लाभ और रीइनवेस्टमेंट का ध्यान भी फंड हाउस की तरफ से रखा जाता है.
वहीं, भारत बॉन्ड ETF 1 लाख रुपये के निवेश पर 6.73 प्रतिशत तक का रिटर्न देता है. इसके अतंर्गत न्यूनतम 1000 रुपये से निवेश किया जा सकता है. बता दे, निवेशक नेट बैंकिंग और यूपीआई के माध्यम से निवेश कर सकते हैं. साथ ही फंड में कोई लडक-इन पीरियड नहीं है. हालांकि फंड ऑफ फंड में अगर आप 30 दिन के अंदर अपने यूनिट स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना का बेचते हैं, तो आपको 0.110 प्रतिशत शुल्क देना होगा जबकि 30 दिन बाद बाहर निकलने पर कोई शुल्क नहीं लगेगा.
इनवेस्ट करने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
रेटिंग एजेंसियों के डाउनग्रेड या डिफॉल्ट करने पर ETF की वैल्यू पर असर पड़ेगा. गौरतलब स्टॉक और बॉन्ड के साथ काम करना है कि, इसमें निवेश की अवधि 10 साल की है, ऐसे में इतने लॉन्ग टर्म के लिए क्या आप इनवेस्टमेंट के लिए तैयार हैं? वहीं भारत बॉन्ड ETF का नेट एसेट वैल्यू ब्याज दरों में होने वाले उतार चढ़ाव से प्रभावित भी होता है. यानी की जब ब्याज दरें बढ़ती है तब लंबी अवधि वाले फंड के एनएवी घटती है. इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि, मेच्यूरिटी से पहले बाहर निकलने वाले लोगों पर इसका ज्यादा असर पड़ेगा.
उधर इनवेस्टोग्राफी की संस्थापक श्वेता जैन के मुताबिक, शॉर्ट पीरियड में जिन्हें पैसा चाहिए या जो हाई रिटर्न हासिल करना चाहते हैं, उन्हें इस फंड से दूर रहना चाहिए.
सोने से बेहतर है सोने में ये निवेश
- नई दिल्ली,
- 06 जून 2018,
- (अपडेटेड 06 जून 2018, 8:15 PM IST)
उन लोगों में से क्या आप भी हैं जो त्योहारों, शादियों या कोई खास मौका न हो तो भी, प्रियजनों को उपहार के रूप में सोना देना ही पसंद करते हैं? या फिर ऐसे व्यक्ति हैं जिसे निवेश के लिए सोने की पट्टी (गोल्ड बार) और सिक्के खरीदना सबसे अच्छा लगता है?
यदि हां, तो आप सोने में निवेश के दौरान ज्यादा सूझबूझ का परिचय दे सकते हैं. साल 2015 से सरकार ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड या सरकारी गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) शुरू किया जो न केवल भौतिक रूप से सोने के मूल्य के बराबर है बल्कि किसी भी अन्य फिक्स्ड इनकम बॉन्ड की तरह इस पर भी ब्याज मिलता है.
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