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Global Market- ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर लगाम लगने की उम्मीद बढ़ी, ग्लोबल मार्केट में चौतरफा हरियाली
रिजर्व बैंक ऑस्ट्रेलिया ने ब्याज दरों में उम्मीद से कम बढ़ोतरी करके सबको आश्चर्य में डाल दिया है। रिजर्व बैंक ऑस्ट्रेलिया पहला ऐसा केंद्रीय बैंक है जिसने यह माना है कि अब ब्याज दरों में बढ़ोतरी की स्पीड को कम करने की जरूरत है
मंगलवार को अमेरिकी बाजारों में अच्छी तेजी देखने को मिली। S&P 500 इंडेक्स में पिछले 2 साल की सबसे बड़ी एक दिन की रैली नजर आई। अमेरिका के नरम इकोनॉमी आंकड़ों और ऑस्ट्रेलिया में ब्याज दरों में उम्मीद से कम हुई बढ़ोतरी ने एक बार फिर इस बात की उम्मीद बढ़ा दी है कि यूएस फेड की मौद्रिक नीति बहुत आक्रामक नहीं रहेगी।
अमेरिका में लेबर की डिमांड काफी मजबूत रही है। जबकि अगस्त में जॉब ओपनिंग लगभग 2.5 साल के निचले स्तर पर आ गई है। यह इस बात का संकेत है कि यूएस फेड की तरफ से महंगाई पर नकेल कसने के लिए जो कदम उठाए जा रहे हैं। उससे इकोनॉमी में मंदी आ रही है।
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मंगलवार के कारोबार में Dow Jones 825.43 अंक यानी 2.8 फीसदी की बढ़त के साथ 30,316.32 के स्तर पर बंद हुआ था। जबकि S&P 500 112.5 अंक यानी 3.06 फीसदी की बढ़त के साथ 3,790.93 के स्तर पर बंद हुआ था। वहीं Nasdaq Composite 360.97 अंक यानी 3.34 फीसदी की बढ़त के साथ 11,176.41. के स्तर पर बंद हुआ था।
इसी तरह एशियाई बाजारों पर नजर डालें तो बुधवार 5 अक्टूबर को इसमें तेजी देखने को मिल रही है। निवेशकों में इस बात की उम्मीद बड़ी है कि दुनिया के कई बड़ी इकोनॉमी में अब ब्याज दरों में आक्रामक बढ़ोतरी का दौर थमता नजर आ रहा सकता। इस उम्मीद के बीच MSCI का इंडेक्स 0.5 फीसदी की बढ़त दिखा रहा है। वहीं ऑस्ट्रेलियाई बाजार में शुरुआती कारोबार में 1.35 फीसदी की बढ़त देखने को मिली। जबकि जापान का निक्केई 0.34 फीसदी की बढ़त दिखा रहा है। इसी तरह Hang Seng में 3.76 फीसदी की बढ़त देखने को मिल रही थी। जबकि चाइना का शांघाई आज बंद है।
Dow Jones Vs S&P 500 vs Nasdaq 100 : विदेशी बाजारों का हाल कैसा - शोमेश कुमार
चाहे डॉव जोंस हो या एस ऐंड पी 500 या नैस्डैक सभी प्रमुख बाजार मंदी की आशंका से सहमे हुए नजर आ रहे हैं। फेड के फैसले से भी बाजार की चाल पर असर पड़ता है। ऐसे में इन बाजारों का भारतीय बाजार पर कैसा असर होगा? इस विषय पर देखिये बाजार विश्लेषक शोमेश कुमार के साथ निवेश मंथन के संपादक राजीव रंजन झा की S&P500 किसके लिए है? बातचीत।
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US Stock Market: अमेरिकी शेयर बाजार में पूरे साल तेजी के आसार, S&P 500 ETF में निवेश दे सकता है बेहतर रिटर्न
S&P 500 Index में इस साल यानी जनवरी 2021 से अब तक 19.22% का उछाल आ चुका है.
Investing in US Market, S&P 500 Index: भारतीय निवेशक अगर अमेरिकी शेयर बाजार की तेजी का फायदा उठाना चाहते हैं तो इसके लिए उन्हें क्या करना होगा? इस सवाल का सबसे सीधा जवाब है, S&P 500 ETF में निवेश करके वे अपने इस लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं. जैसा कि इसके नाम से भी पता चलता है, S&P 500 इंडेक्स में अमेरिका के न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड टॉप 500 कंपनियां शामिल हैं. जाहिर है, S&P 500 इंडेक्स को ट्रैक करने वाले किसी ईटीएफ में निवेश का मतलब है, आपका निवेश इस इंडेक्स में आने वाली तेजी के साथ-साथ बढ़ने की पूरी संभावना रहेगी.
S&P 500 पर फंड मैनेजर्स को क्यों है इतना भरोसा?
अमेरिका की टॉप कंपनियों के शेयर्स की चाल को दर्शाने वाले S&P 500 इंडेक्स में जनवरी से अब तक 19.22 फीसदी की तेजी दर्ज की जा चुकी है. इसके मुकाबले भारत के Nifty 50 इंडेक्स में इसी दौरान 12.86 फीसदी की तेजी देखने को मिली है. फंड मैनेजर्स का मानना है कि S&P 500 में 2021 के अंत तक अभी और 10 फीसदी की तेजी आ सकती है.
बैंक ऑफ अमेरिका के जुलाई महीने के फंड मैनेजर सर्वे के मुताबिक 82 फीसदी निवेशकों को उम्मीद है कि S&P 500 इंडेक्स इस साल के अंत तक कम से कम 10 फीसदी और बढ़ेगा. इतना ही नहीं, कई निवेशक तो यह उम्मीद भी कर रहे हैं कि अगरे छह महीने में अमेरिकी बाजार में बुल रन यानी शानदार तेजी का दौर भी देखने को मिल सकता है.
ETF के जरिए आसान है S&P 500 इंडेक्स में निवेश
सवाल यह है कि अमेरिकी कंपनियों के S&P 500 इंडेक्स में शानदार तेजी की संभावना का फायदा भारतीय निवेशक कैसे उठा सकते हैं? इसका एक आसान रास्ता एक अच्छे S&P 500 ETF में निवेश करना हो सकता है. यानी एक ऐसा एक्सचेंज ट्रेडेड फंड जो न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड टॉप 500 कंपनियों के S&P 500 इंडेक्स को ट्रैक करता हो. एक्सचेंज ट्रेडेड फंड के रिटर्न आम तौर पर उस इंडेक्स की चाल के साथ ही चलते हैं, जिसे वे ट्रैक करते हैं. हालांकि इसमें कई बार थोड़ा-बहुत ट्रैकिंग एरर आ सकता है.
S&P 500 में शामिल कंपनियों में निवेश करने वाले तीन सबसे बड़े ETF हैं :
Vanguard S&P 500 ETF: 753 अरब अमेरिकी डॉलर के नेट एसेट्स वाला Vanguard सबसे बड़ा S&P 500 ETF है. इसका औसत ट्रेडिंग वॉल्यूम 39.8 लाख है. जनवरी 2021 से अब तक इसमें 19.27 फीसदी का इजाफा हो चुका है.
Share Market Today: कैसा रहेगा शेयर मार्केट, किस IPO और शेयर्स पर रखे नजर
एक दिन पहले भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) हरे निशान के साथ बंद हुए. बीएसई (BSE) का सेंसेक्स (Sensex) 241 अंक या 0.39% की गिरावट के साथ 60,826.22 पर बंद हुआ. इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी इंडेक्स (NSE Nifty 50) 71.75 अंक या 0.39% गिरकर 18,127.35 अंक पर बंद हुआ.
विदेशी बाजारों का क्या हाल?
प्रमुख अमेरिकी बाजारों में बड़ी गिरावट देखने को मिली-
S&P 500 में 1.5 फीसदी की गिरावट
NASDAQ में 2.2 फीसदी धड़ाम हुआ
Dow Jones 1.1% फिसदी गिर गया
एशियाई बाजार कर रहे अच्छा प्रदर्शन-
सिंगापुर स्टॉक एक्सचेंज में सुबह 7 बजकर 50 मिनट पर 82 अंक या 0.45% फीसदी की गिरावट दर्ज हुई
जापान का निक्केई में 1.07 फीसदी गिरा
ताइवान का शेयर बाजार 1.30 फीसदी फिसला
साउथ कोरिया के कॉस्पी में 1.52 फीसदी गिरा
एनएसई पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, 22 दिसंबर को, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) S&P500 किसके लिए है? ने 2,206.59 करोड़ रुपये के शेयर्स खरीदे, वहीं घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने भी 928.63 करोड़ रुपये के शेयर्स खरीदे हैं.
खबरों में हैं ये स्टॉक्स
आज शेयर बाजार में इन स्टॉक्स पर नजर रख सकते हैं जो खबरों में बने हुए हैं-
जुबिलियंट फूड वर्क्स, विजिया डाइग्नोस्टिक, ज्योति लैब्ज, एबोट इंडिया.
इसके अलावा लैंडमार्क कार्स लिमिटेड (IPO) के शेयर्स बीएसई और एनएसई पर आज लिस्ट होने जा रहे हैं.
डिस्क्लेमर: यहां दिए गए किसी भी तरह के इन्वेस्टमेंट टिप्स या सलाह एक्सपर्ट्स और एनालिस्टस के खुद के हैं. और इसका क्विंट हिंदी से कोई लेना-देना नहीं है. कृपया कर किसी भी तरह के इन्वेस्टमेंट डिसिजन लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य ले.
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आने वाला है मंदी का सबसे बुरा दौर, 2008 संकट की सटीक भविष्यवाणी करने वाले अर्थशास्त्री ने चेताया
अमेरिका समेत दुनिया भर में मंदी का सबसे लंबा और बुरा दौर आने वाला है। ये आशंका अर्थशास्त्री नूरील रूबिनी को है। ये वही अर्थशास्त्री हैं, जिन्होंने साल 2008 के आर्थिक संकट की सही भविष्यवाणी की थी। इस मंदी के बाद दुनिया भर के शेयर बाजार क्रैश हो गए थे और बड़े पैमाने पर नौकरियां जाने लगी थीं। अब एक बार फिर S&P500 किसके लिए है? नूरील रूबिनी ने मंदी की आहट पहचान ली है।
क्या कहा नूरील रूबिनी ने: रूबिनी का मानना है कि अमेरिका और वैश्विक स्तर पर मंदी की शुरुआत इस साल के अंत में होगी, जो 2023 के आखिर तक चल सकती है। यह एक लंबा वक्त होगा, इस दौरान दुनियाभर की इकोनॉमी तबाही के मंजर देख सकती है।
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