कल हो सकता है इस IPO के शेयरों का अलॉटमेंट, GMP देख निवेशक गदगद

5 साल में रेवेन्यू दोगुना करना Astral Poly Technik का लक्ष्य, क्या निवेशकों को मिलेगा फायदा?

कंपनी अपनी ग्रोथ और भारत की मजबूती पर भरोसा जता रही है. पाइप से शुरुआत करने के बाद, अब कंपनी पेंट, फॉसेट, और सैनिटरी कैटेगरी में एंट्री लेकर अपने रेवेन्यू की रफ्तार बढ़ाने पर फोकस कर रही है.

10 साल तक दुनिया में भारत का डंका बजेगा, इसका पूरा भरोसा है Astral Poly Technik के CFO हीरानंद सवलानी को. पाइप बनाने वाली इस बड़ी कंपनी का मानना है कि भले ही ग्लोबल लेवल पर हलचल हो, लेकिन भारत अब भी मजबूत स्थिति में खड़ा है और ये दौर आगे भी चलता रहेगा. ग्रोथ की इसी उम्मीद पर आगे बढ़ते हुए, कंपनी अपने एक्सपैंशन के प्लान पर काम कर रही है. CFO के मुताबिक पिछले 3 साल में कंपनी ने 70-80 हजार मीट्रिक टन की कैपेसिटी बढ़ाई है. साथ ही, पाइप कैटेगरी में नाम बनाने के बाद, अब कंपनी पेंट, फॉसेट और सैनिटरी कैटेगरी को टारगेट कर रही है. हीरानंद सवलानी का कहना है कि शुरुआत में ही उनके नए प्रोडक्ट्स को अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है.

एस्ट्रल का लक्ष्य अगले 5 साल के अंदर अपने रेवेन्यू को दोगुना करना है. कंपनी का मानना है कि ये लक्ष्य वो आसानी से हासिल कर लेगी और हो सकता है कि समय से पहले ही इस आंकड़े तक पहुंच जाए. भविष्य के लिए क्या तैयारी कर रही है कंपनी और निवेशकों को क्या उम्मीदें रखनी चाहिए, जानने के लिए पूरी बातचीत यहां देखें.

निवेश करना सीखें

निवेश खरीदने के लिए बहुत सारे साहित्य और रणनीतियाँ हैं और खरीदने के लिए सही निवेश क्या हैं। हालांकि, निवेशकों को अक्सर यह जानना मुश्किल होता है कि किसी उपकरण से बाहर कब निकलना है। इस प्रकार का निर्णय उन निवेशकों को लेना है जिन्होंने निम्नलिखित उपकरणों में निवेश किया है:

वायदा, विकल्प, स्वैप

निवेश कब बेचना है?

बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि निवेशक कब किसी साधन से बाहर निकलने का फैसला करता है। निवेशकों को लाभ कमाने के लिए उत्सुक होने के साथ-साथ निवेश करने में नुकसान उठाना पड़ता है। यह विपरीत व्यवहार किसी निवेशक के लिए यह भविष्यवाणी करना मुश्किल बनाता है कि निवेश कब बेचा जाना चाहिए।

निवेश बेचने के लिए कोई सही समय निर्धारित नहीं है। जब निवेशक निवेश बेचेंगे तो उसके कुछ कारण हैं:

नुकसान करने वाले निवेश से बाहर निकलें

निवेश अपने लक्ष्य पर पहुँच गया है

आइए इन तीन बिंदुओं की और विस्तार से जाँच करें:

किसी अपराध बोध के बिना नुकसान करने वाले निवेश को बेचें:

आपके द्वारा किए गए सभी निवेश लाभदायक नहीं होंगे। यदि आपने कुछ निवेशों के अच्छा नहीं करने पर ध्यान दिया है, तो अपने नुकसान को कम करना और वसूली की उम्मीद में उन्हें जमा करने के बजाय बाहर निकल जाना बेहतर है। इस तरह आप अपने नुकसान को रोकते हैं। निवेशकों के साथ समस्या यह है कि वे भविष्य में वसूली की उम्मीद में नुकसान करने वाले निवेश को रोके रखते हैं।

भावनाओं पर आधारित निर्णय लेने के बजाय, नियमित अंतराल पर अपने पोर्टफोलियो का विश्लेषण करना बेहतर है। यह आपको किसी विशेष निवेश की निवेश संभावनाओं को समझने में मदद करेगा। विशेष रूप से इक्विटी शेयरों और म्यूचुअल फंड के मामले में ऐसा है। यदि कंपनी के पास मध्यम से लंबी अवधि के लिए अच्छी संभावनाएं नहीं हैं, तो आप शेयर से बाहर निकल सकते हैं और अपने नुकसान में कटौती कर सकते हैं।

किसी निवेशक को बेचने से जो रोकता है वह उसका नुकसान के बारे में अपराध बोध है। हालांकि, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि ये नुकसान बढ़ गए होंगे अगर आपने निवेश को लंबे समय तक रखा होगा।

इक्विटी शेयर या म्यूचुअल फंड जैसी संपत्ति बेचना बेहद आसान है क्योंकि यह एक उच्च विनियमित बाजार है। हालांकि, यदि आप अचल संपत्ति से बाहर निकलना चाहते हैं, तो यह प्रक्रिया थोड़ा अधिक समय लेने वाली हो सकती है क्योंकि जब बाजार सुस्त होता है तो खरीदार विशेष रूप से कम होते हैं।

कई बार जब आपके पोर्टफोलियो में पूँजीगत लाभ होता है, तो इससे उस पूँजीगत लाभ को सेट ऑफ करने के लिए नुकसान देने वाले निवेश को सेट ऑफ करना समझदारी है। बजट 2018 ने सूचीबद्ध इक्विटी शेयरों और म्यूचुअल फंडों को कर योग्य बनाया। निवेशकों को क्या जानना चाहिए? इसका मतलब है कि इक्विटी शेयर और इक्विटी म्यूचुअल फंड पर नुकसान अब अन्य पूंजीगत लाभों के मुकाबले बंद हो सकता है।

नुकसान देने वाले निवेश से बाहर निकलने का एक कारण लाभदायक निवेशों पर कुछ पूंजीगत लाभ को सेट ऑफ करना है। यह न केवल आपको टैक्स बचाने में मदद करेगा बल्कि लाभहीन निवेश से आपके नुकसान को भी रोकेगा।

जब आपको कोष की जरूरत हो तो निवेश बेचना लोगों के बेचने का सबसे आम कारण है। कि लोग क्यों बेचते हैं। हालांकि, समय की एकअवधि के बाद उपकरणों को बेचना महत्वपूर्ण है। यदि आप एक सेवानिवृत्त व्यक्ति हैं, तो आप अपने खर्चों का उपयोग करने के लिए धीरे-धीरे अपने निवेश बेच सकते हैं। एक बार में अपने सभी निवेशों को बेचने का कोई मतलब नहीं है।

यदि आप किसी आपातकाल के लिए धन जुटाने के लिए निवेश बेच रहे हैं, तो लाभदायक निवेशों में से अपनी हिस्सेदारी का हिस्सा बेच दें। यह आपको अतिरिक्त आय देगा और आपको बेचने के लिए आवश्यक निवेशों की संख्या को कम करेगा।

प्राप्त किए गए निवेश लक्ष्य:

सभी निवेश लंबी अवधि के लिए नहीं किए जाते हैं। कभी-कभी, कुछ निवेशक छोटी अवधि के लिए इक्विटी शेयरों में निवेश करते हैं। एक बार जब शेयर अपने लक्ष्य पर पहुंच गया है, तो इससे बाहर निकलना बेहतर होता है जब तक कि शेयर कीमत में और वृद्धि के संकेत नहीं दिखाता है। कभी-कभी, शेयर असाधारण रूप से बढ़ते हैं और फिर गिर जाते हैं इसलिए इस उतार-चढ़ाव का लाभ उठाना और मूल्य से जल्दी बाहर निकलना सबसे अच्छा है। यदि आप अल्पावधि के लिए निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप अपने निकास लक्ष्य से चिपके रहते हैं, भले ही कीमतों में अधिक उतार-चढ़ाव हो। कागज पर असंगठित लाभ के बारे में बुरा महसूस करने की तुलना में हाथ में मुनाफे का एहसास होना बेहतर है।

निवेश कैसे बेचें:

इक्विटी शेयर और म्यूचुअल फंड बेचना बेहद आसान है। चूंकि बाजार अत्यधिक विनियमित है, इसलिए खरीद और बिक्री एक ब्रोकर या ऑनलाइन के माध्यम से आसानी से की जा सकती है।

जब सोने जैसी संपत्ति की बात आती है, तो इसे बेचने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक जौहरी के पास होती है। आप किसी अवसर के लिए या तो सोने को आभूषण में परिवर्तित करवा सकते हैं या उसे नकद बेच सकते हैं। चूंकि सोना मूल्य से पहचाना जाता है, सोने के लिए मूल्य की खोज आसान है। यदि आपने सोने के बांड में निवेश किया है, तो रिडेम्पशन निर्दिष्ट नियमों के अनुसार होगा। फिर से, चूंकि यह विनियमित है, कीमत की खोज आसान है।

अचल संपत्ति बेचना चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि एक खरीदार को ढूंढना आर्थिक स्थिति, संपत्ति के मूल्य आदि सहित कई शर्तों पर निर्भर करता है। हालांकि, यदि आप अचल संपत्ति बेचना चाहते हैं, तो आप कोई एजेंट पा सकते हैं या आप अपनी संपत्ति को विभिन्न बाजारों में सूचीबद्ध कर सकते हैं। यदि आपको संपत्ति बेचना मुश्किल लग रहा है, तो इसे किराये में बदलने और संपत्ति पर निष्क्रिय आय की एक स्थिर धारा अर्जित करने पर विचार करें। अपार्टमेंट और मकान बेचने की तुलना में भूखंड और जमीन बेचना आसान है।

निष्कर्ष: निवेश बेचने का कोई सही समय नहीं है। बेचना कई कारकों पर निर्भर करता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने निवेशकों को क्या जानना चाहिए? पोर्टफोलियो का विश्लेषण करते रहें और निवेश के आधार पर बेचें।

शेयर मार्केट में करते हैं निवेश? सुन लीजिए सेबी प्रमुख की यह सलाह

बुच ने विश्व निवेशक सप्ताह के अवसर पर सेबी की वेबसाइट पर एक संदेश में कहा, ''कुछ मूलभूत सिद्धांतों जैसे नियमित बचत और एक विविधता वाले पोर्टफोलियो में निवेश को हमेशा ध्यान में रखा जाना चाहिए।”

शेयर मार्केट में करते हैं निवेश? सुन लीजिए सेबी प्रमुख की यह सलाह

भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधबी पुरी बुच ने निवेशकों को सावधान रहने और निवेश करने से पहले पर्याप्त सतर्कता बरतने की सलाह दी है। उन्होंने निवेशकों को सलाह देते हुए कहा कि वे बाजार की अटकलों के आधार पर निवेश न करें और केवल सेबी के पास पंजीकृत मध्यस्थों के जरिये ही कारोबार करें।

उन्होंने सोमवार को कहा कि निवेशकों को अपनी वित्तीय योजना बनानी चाहिए और अपने वित्तीय लक्ष्यों के अनुरूप निवेश के लिए वित्तीय उत्पादों का चयन करना चाहिए। बुच ने विश्व निवेशकों को क्या जानना चाहिए? निवेशक सप्ताह (डब्ल्यूआईडब्ल्यू) के अवसर पर सेबी की वेबसाइट पर एक संदेश में कहा, ''कुछ मूलभूत सिद्धांतों जैसे नियमित बचत और एक विविधता वाले पोर्टफोलियो में निवेश को हमेशा ध्यान में रखा जाना चाहिए।''

कल हो सकता है इस IPO के शेयरों का अलॉटमेंट, GMP देख निवेशक गदगद

डब्ल्यूआईडब्ल्यू दरअसल अंतरराष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन (आईओएससीओ) द्वारा आयोजित किया जाता है और यह 10 से 16 अक्टूबर के बीच चलेगा।

पर्सनल फाइनेंस: आप शेयर बाजार में रिटेल और नए निवेशक हैं तो आपको यस बैंक जैसे स्टॉक को जरूर समझना चाहिए, जानिए आपका पैसा कैसे खत्म हुआ

यस बैंक के हाल में आए एफपीओ में भी निवेशकों की दिलचस्पी नहीं रही। यह एफपीओ महज 95प्रतिशत ही भर पाया था - Dainik Bhaskar

आप अगर बाजार में रिटेल निवेशक हैं। आपने हाल में या पहले से भी निवेश किया है तो आपको यस बैंक जैसे शेयरों को जरूर जानना चाहिए। एक ऐसा बैंक जो देश में निजी क्षेत्र में चौथा बड़ा बैंक था। कभी 400 रुपए इसका शेयर हुआ करता था। लेकिन महज एक दो साल में इस शेयर ने निवेशकों की सारी कमाई गंवा दी। बीच-बीच में मौका मिला तो निवेशकों की लालच बढ़ी और इसी लालच में जो भी मिला वो भी गंवा दिए।

किसी शेयर में कैसे नफा और नुकसान का आंकलन करें?

शेयर बाजार में विश्लेषकों की एक बहुत प्रसिद्ध राय है। राय यह कि आप उन कंपनियों में निवेश करें जिनका मैनेजमेंट, बैलेंसशीट और गवर्नेंस अच्छा हो। साथ ही आप लालच मत करें। यानी आपको एक औसत रिटर्न मिला तो आपको निकल जाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि आप जितना ज्यादा रिटर्न की उम्मीद करेंगे, उतना ही उसमें जोखिम भी होगा। लेकिन देखा ऐसा जाता है कि ज्यादातर निवेशक लालच में फंस जाते हैं। आज अगर कोई शेयर 10 रुपए पर है तो वे उसे 12 रुपए पर देखते हैं।

साथ ही वे निवेश तब करते हैं जब शेयर काफी महंगे स्तर पर पहुंच जाते हैं। या फिर रातों रात दोगुना की लालच में सस्ते 5-10 रुपए वाले शेयरों पर दांव लगाते हैं। जैसा कि हाल में देखा गया है। नए और रिटेल निवेशकों ने इन्हीं स्टॉक पर दांव लगाए हैं।

यस बैंक का शेयर कैसा रहा?

यह शेयर एक महीने पहले 28 रुपए पर था और आज 11.10 रुपए पर है। इसने पिछले हफ्ते एफपीओ के जरिए करीबन 13,000 करोड़ रुपए जुटाए। एफपीओ का मूल्य 12 से 13 रुपए था। अब यह शेयर उससे नीचे है। यानी जिन लोगों ने एफपीओ में खरीदा, वो भी नुकसान में हैं। जिन्होंने उससे पहले जब भी खरीदा होगा वो भी नुकसान में हैं। तो फायदा किसे हुआ? यह भी जानिए।

यस बैंक के एफपीओ में फायदा किसने कमाया

सबसे ज्यादा फायदा एसबीआई ने कमाया है। यह इसलिए क्योंकि जब यस बैंक का शेयर मार्च में टूटकर 5.55 रुपए के निचले स्तर पर पहुंचा तो एसबीआई के कंसोर्टियम में कई बैंकों ने इसमें पैसे लगाए। एसबीआई को सबसे ज्यादा 48 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी मिली। साथ में एक्सिस, आईसीआईसीआई और अन्य बैंक भी थे। एफपीओ में एसबीआई ने अपनी होल्डिंग घटाकर 30 प्रतिशत कर दी। इसने मार्च में 10 रुपए प्रति शेयर पर 7,250 करोड़ रुपए लगाया था।

अब चार महीने बाद एसबीआई ने एफपीओ में 18 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी 13 रुपए में बेच दी। यानी उसे चार महीने में 20-25 प्रतिशत का रिटर्न मिल गया। हालांकि इसके साथ ही अन्य बैंकों ने भी हिस्सेदारी बेची है।

यस बैंक में नुकसान किसे हुआ?

यस बैंक में मुख्य रूप से नुकसान रिटेल निवेशकों को हुआ है। बहुत सारे निवेशकों ने उस समय इसमें पैसे लगाए जब यह शेयर 400 रुपए या 300 रुपए तक था। वहां से जब शेयर टूटना शुरू हुआ तो काफी निवेशकों ने यह सोचकर निवेश किया कि अब आधा कीमत पर मिल रहा है और रिटर्न मिलेगा। इस तरह से निवेशक लगातार इसमें निवेश करते गए। यहां तक कि 30 रुपए,50 रुपए, 80 रुपए पर भी खरीदी होती गई। लेकिन बात तब पलटी, जब एसबीआई ने इसमें हिस्सेदारी खरीदी। यहां पर 5 रुपए का शेयर एक बार निवेशकों को क्या जानना चाहिए? फिर 89 रुपए तक 10 दिन में पहुंचा। यहीं पर निवेशक फिर फंसे।

निवेशकों को लगा कि अब यह शेयर फिर से 200 जाएगा। लेकिन जिन लोगों ने शेयर को 5 से 89 तक पहुंचाया, वे तुरंत बेचकर निकल गए। शेयर फिर से आज उसी स्तर पर आ गया है।

शेयर में इतना उतार-चढ़ाव क्यों होते गया

यस बैंक को शुरू से ही पैसे की जरूरत थी ताकि वह आरबीआई के नियमों के मुताबिक काम कर सके। जब इसकी पैसे की जरूरत अब एफपीओ के जरिए पूरी हो गई तो फिर शेयर क्यों टूट रहा है? विश्लेषकों के मुताबिक इसमें सेबी को जांच करना चाहिए कि यह 5 रुपए का शेयर किस आधार पर 89 रुपए पर गया और फिर किस आधार पर 11 निवेशकों को क्या जानना चाहिए? रुपए पर आ गया है। अगर एसबीआई के नाम पर यह 89 तक गया तो एसबीआई अब भी इसमें है। पर शेयर क्यों टूट रहा है?

सेबी का क्या नजरिया है

वैसे खबर है कि सेबी एफपीओ में कुछ ब्रोकरों की जांच कर रही है। कारण कि एफपीओ खुलने से पहले ही इसमें काफी शेयर बेचे गए थे। एक महीने पहले यह 28 रुपए पर शेयर था। 10 दिन पहले यह 18 रुपए पर था। आखिर क्यों यह शेयर एफपीओ के बाद भी टूटकर 11 रुपए पर आ गया।

सात कारोबारी दिन से लगातार टूट रहा है शेयर

यस बैंक के शेयरों में लगातार सातवें कारोबारी सत्र में गिरावट आई है। यस बैंक का शेयर गिरकर एफपीओ प्राइस से नीचे आ गया है। इसमें हर दिन लोअर सर्किट लग रहा है। इस साल अब तक यस बैंक के शेयर 76 फीसदी गिर चुके हैं। एफपीओ का फ्लोर प्राइस जारी होने के बाद यस बैंक के शेयर 56 फीसदी गिर चुके हैं।

जून तिमाही में महज 45 करोड़ का लाभ हुआ

बैंक को जून तिमाही में महज 45 करोड़ रुपए का लाभ हुआ है। एक साल पहले समान तिमाही में हुए 114 करोड़ रुपए के लाभ की तुलना में यह 60 प्रतिशत कम है। बैंक का ग्रॉस एनपीए इसी दौरान 16.8 से बढ़कर 17.3 प्रतिशत हो गया है। शुद्ध एनपीए 5.03 से घटकर 4.96 प्रतिशत रहा है। इनमें सॉल्वेंसू, कैपिटल एडेक्वेसी रेशियो और रेगुलेटरी जरूरतें भी शामिल हैं। इससे पहले गुरुवार को भी यस बैंक के शेयरों में 20 फीसदी का लोअर सर्किट लगा।

यस बैंक के एफपीओ के लिए जिन संस्थागत निवेशकों (क्यूआईबी) ने बोली लगाई थी उनमें एसबीआई, एलआईसी, आईआईएफएल, एचडीएफसी लाइफ, पंजाब नेशनल बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, एचडीएफसी म्यूचुअल फंड, यूनियन बैंक, बजाज होल्डिंग्स, एवेंडस वेल्थ मैनेजमेंट, इफ्फको टोकियो जनरल इंश्योरेंस आदि हैं।

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