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foreign exchange market
form of exchange for the global decentralized trading of international currencies
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उद्देश्य : विदेश व्यापार और भुगतान को सुविधाजनक बनाना और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार का क्रमिक विकास करना और उसे बनाए रखना।
Their objective is to facilitate external trade and payment and promote orderly development and maintenance of foreign exchange market in India.
लंदन के विदेशी मुद्रा बाजार में रेनमिनबी बॉन्ड़ों का आकार गत वर्ष के शून्य से बढ़ कर 2 बिलियन अ. डॉलर से अधिक के समतुल्य है।
आर्थिक क्षेत्र में यह संबंध वित्तीय बाजारों से अधिक स्पष्ट और कहीं नहीं है जिसमें विदेशी मुद्रा बाजारों का औसत दैनिक कारोबार लगभग 4 ट्रिलियन अमरीकी डालर का होता है।
In the economic arena, this connectivity is nowhere visible more than world financial markets, where average daily turnover in foreign exchange markets alone is estimated at about US$ 4 trillion.
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 6 अरब डॉलर गिरा, अक्टूबर 2020 के बाद से सबसे कम
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 6.687 अरब डॉलर गिरकर 564.053 अरब डॉलर हो गया है.
Published: August 27, 2022 8:52 PM IST
मुंबई: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 6.687 अरब डॉलर गिरकर 564.053 अरब डॉलर हो गया है. प्रभुदास लीलाधर में अर्थशास्त्री और क्वांट विश्लेषक ऋतिका छाबड़ा ने कहा, “भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 19 अगस्त को घटकर 564 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जो अक्टूबर 2020 के बाद सबसे कम है. आरबीआई (Reserve अर्थव्यवस्था में विदेशी मुद्रा बाजार का महत्व Bank of India) के साप्ताहिक सांख्यिकीय आंकड़ों से पता चलता है कि 19 अगस्त को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 6.687 अरब डॉलर गिरकर 564.053 अरब डॉलर हो गया. इस गिरावट का मुख्य कारण विदेशी मौजूदा परिसंपत्तियों में गिरावट है, जिसका उपयोग आरबीआई विदेशी मुद्रा बाजार में रुपये में गिरावट को कम करने के लिए कर रहा है.”
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इससे पहले के सप्ताह में 12 अगस्त को समाप्त सप्ताह के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.238 डॉलर घटकर 570.74 अरब डॉलर रह गया था. जुलाई के अंतिम सप्ताह में वृद्धि को छोड़कर हर एक सप्ताह में रिजर्व में गिरावट आई है. फरवरी के अंत में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद से यह 26 सप्ताहों में से 20 के लिए गिर गया है.
समीक्षाधीन सप्ताह में एफसीए 5.779 अरब डॉलर गिरकर 501.216 अरब डॉलर हो गया. आगे बढ़ते हुए, छाबड़ा ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार निकट अवधि में दबाव में रहने की संभावना है क्योंकि डीएक्सवाई जुलाई के मध्य में अपने उच्च स्तर पर वापस आ गया है और तेल की कीमतें ऊंची रहने की उम्मीद है.
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विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार में इस बार भी दर्ज हुई बढ़त
राज एक्सप्रेस। देश में जमा होने वाले विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार जमा के आंकड़े समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जारी करता आया हैं। इस साल इन आंकड़ों में ज्यादातर गिरावट ही देखने को मिलती रही है। इस साल की शुरुआत में 2 बार बढ़त के बाद इसमें लगातार गिरावट बनी हुई है।वहीँ, पिछली बार दर्ज हुई बढ़त के बाद इस बार इसमें फिर से बढ़त दर्ज हुई है। इसके अलावा यदि स्वर्ण भंडार की बात की जाए तो उसका हाल भी कुछ कुछ विदेशी मुद्रा भंडार जैसा ही रहा है। इस बार RBI द्वारा जारी हुए आंकड़ो के मुताबिक, विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार दोनों में बढ़त दर्ज हुई है।
RBI के ताजा आंकड़े :
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा शुक्रवार अर्थव्यवस्था में विदेशी मुद्रा बाजार का महत्व को जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 11 नवंबर 2022 को समाप्त सप्ताह में 14.73 अरब डॅालर बढ़कर 544.72 अरब डॅालर पर पहुंच गया है। जबकि, 4 नवंबर को खत्म हुए सप्ताह में 529.99 अरब डॅालर पर था। उससे पिछले सप्ताह यानी 28 अक्टूबर 2022 को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 6.56 अरब डॉलर बढ़कर 561.08 अरब डॉलर पर पहुंच गया था।विदेशी मुद्रा भंडार में यह बढ़त लगभग लगातार दर्ज हो रही है,गिरावट के बाद पहली बार बढ़त अर्थव्यवस्था में विदेशी मुद्रा बाजार का महत्व दर्ज हुई। उस समय दर्ज हुई बढ़त से पहले दर्ज हुई गिरावट पर विदेशी मुद्रा भंडार 2 साल के न्यूनतम स्तर पर अर्थव्यवस्था में विदेशी मुद्रा बाजार का महत्व पहुंच गया था।
गोल्ड रिजर्व की वैल्यू :
बताते चलें, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत के गोल्ड रिजर्व की वैल्यू में भी पिछले कुछ समय से गिरावट दर्ज की गई थी, वहीं, अब समीक्षाधीन सप्ताह में गोल्ड रिजर्व की वैल्यू 2.64 अरब डॅालर बढ़कर 39.70 अरब डॅालर पर जा पहुंची हैं। रिजर्व बैंक ने बताया कि, आलोच्य सप्ताह के दौरान IMF के पास मौजूद भारत के भंडार में मामूली वृद्धि हुई। बता दें, विदेशी मुद्रा संपत्तियों (FCA) में आई गिरावट के चलते विदेशी मुद्रा भंडार में भी गिरावट दर्ज होती है, लेकिन अब जब FCA में बढ़त दर्ज हुई है तो विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ा है। RBI के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा परिस्थितियों में बढ़त दर्ज होने की वजह से कुल विदेशी विनिमय भंडार में बढ़त हुई है और विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का एक अहम भाग मानी जाती है।
आंकड़ों के अनुसार FCA और SDR :
रिजर्व बैंक (RBI) के साप्ताहिक आंकड़ों पर नजर डालें तो, विदेशीमुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होती हैं। बता दें, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में बढ़त होने की वजह से मुद्रा भंडार में बढ़त दर्ज की गई है। FCA को डॉलर में दर्शाया जाता है, लेकिन इसमें यूरो, पौंड और येन जैसी अन्य विदेशी मुद्रा सम्पत्ति भी शामिल होती हैं। आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (FCA) 11.8 अरब डॅालर बढ़कर 482.53 अरब डॅालर रह गई है।
क्या है विदेशी मुद्रा भंडार ?
विदेशी मुद्रा भंडार देश के रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इसका उपयोग आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में भी किया जाता है। कई लोगों को विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी का मतलब नहीं पता होगा तो, हम उन्हें बता दें, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी अच्छी बात होती है, इसमें करंसी के तौर पर ज्यादातर डॉलर होता है, यानि डॉलर के आधार पर ही दुनियाभर में कारोबार किया जाता है। बता दें, इसमें IMF में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार के फायदे :
विदेशी मुद्रा भंडार से एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति आसानी से की जा सकती है।
अच्छा विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है।
यदि भारत के पास भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है तो, सरकार जरूरी सैन्य सामान को तत्काल खरीदने का निर्णय ले सकती है।
विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार की प्रभाव पूर्ण भूमिका होती है।
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विदेशी मुद्रा भंडार क्या है? | Foreign Exchange Reserves – UPSC Notes
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में एक बार फिर से गिरावट हुई है.
विदेशी मुद्रा भंडार क्या होता है?
विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक में रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, ताकि आवश्यकता पड़ने पर वह अपनी देनदारियों का भुगतान कर सकें। विदेशी मुद्रा भंडार को एक या एक से अधिक मुद्राओं में रखा जाता है। अधिकांशत: डॉलर और बहुत बा यूरो में विदेशी मुद्रा भंडार रखा जाता है। कुल मिलाकर विदेशी मुद्रा भंडार में केवल विदेशी बैंक नोट, विदेशी बैंक जमा, विदेशी ट्रेजरी बिल और अल्पकालिक और दीर्घकालिक विदेशी सरकारी प्रतिभूतियां सम्मिलित होनी चाहिए। हालांकि, सोने के भंडार, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर), और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जमा राशि भी विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा होता हैं।
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में शामिल हैं –
- विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (FCA)
- स्वर्ण भंडार
- विशेष आहरण अधिकार (SDR)
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ रिज़र्व ट्रेंच
FCA
- FCA ऐसी संपत्तियाँ हैं जिनका मूल्यांकन देश की स्वयं की मुद्रा के अतिरिक्त किसी अन्य मुद्रा के आधार पर किया जाता है.
- FCA विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक है। इसे डॉलर के रूप में व्यक्त किया जाता है।
- FCA में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्रा की कीमतों में उतार-चढ़ाव या मूल्यह्रास का असर पड़ता है।
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विदेशी मुद्रा भंडार का अर्थव्यवस्था के लिए महत्व
- विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी सरकार और RBI को आर्थिक विकास में गिरावट के कारण पैदा हुए किसी भी बाहरी या अंदरुनी वित्तीय संकट से निपटने में सहायता करती है.
- यह आर्थिक मोर्चे पर संकट के समय देश को आरामदायक स्थिति उपलब्ध कराती है।
- वर्तमान विदेशी भंडार देश के आयात बिल को एक वर्ष तक संभालने के लिए पर्याप्त है।
- विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी से रुपए को डॉलर के मुकाबले स्थिति दृढ़ करने में सहायता मिलती है।
- वर्तमान समय में विदेशी मुद्रा भंडार सकल घरेलू उत्पाद (अर्थव्यवस्था में विदेशी मुद्रा बाजार का महत्व GDP) अनुपात लगभग 15% है।
- विदेशी मुद्रा भंडार आर्थिक संकट के बाजार को यह भरोसा देता है कि देश बाहरी और घरेलू समस्याओं से निपटने में सक्षम है।
विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन कौन करता है?
- आरबीआई विदेशी मुद्रा भंडार के कस्टोडियन और मैनेजर के रूप में कार्य करता है। यह कार्य सरकार से साथ मिलकर तैयार किए गए पॉलिसी फ्रेमवर्क के अनुसार होता है।
- आरबीआई रुपए की स्थिति को सही रखने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का प्रयोग करता है। जब रुपया कमजोर होता है तो आरबीआई अर्थव्यवस्था में विदेशी मुद्रा बाजार का महत्व डॉलर की बिक्री करता है। जब रुपया मजबूत होता है तब डॉलर की खरीदारी की जाती है। कई बार आरबीआई विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए बाजार से डॉलर की खरीदारी भी करता है।
- जब आरबीआई डॉलर में बढ़ोतरी करता है तो उतनी राशि के बराबर रुपया निर्गत करता है। इस अतिरिक्त तरलता (liquidity) को आरबीआई बॉन्ड, सिक्योरिटी और एलएएफ ऑपरेशन के माध्यम से प्रबंधन करता है।
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उच्चतम स्तर पर देश का विदेशी मुद्रा भंडार, पहुंचा 633 अरब डॉलर के पार
नई दिल्ली। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। यह आयात को समर्थन देने के लिए अर्थव्यवस्था में विदेशी मुद्रा बाजार का महत्व आर्थिक संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्था को बहुत आवश्यक मदद उपलब्ध कराता है। 27 अगस्त 2021 को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 16.663 अरब डॉलर बढ़कर 633.558 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
इसलिए आई तेजी
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इससे पहले 20 अगस्त 2021 को समाप्त सप्ताह में इसमें 2.47 करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था में विदेशी मुद्रा बाजार का महत्व गिरावट आई थी और यह 616.895 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया था। विदेशी मुद्रा भंडार में यह वृद्धि विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) होल्डिंग में वृद्धि से हुई है।
आलोच्य सप्ताह में भारत की एसडीआर हिस्सेदारी 17.866 अरब डॉलर से बढ़कर 19.407 अरब डॉलर पर पहुंच गई। मालूम हो कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) अपने सदस्यों को बहुपक्षीय ऋण देने वाली एजेंसी में उनके मौजूदा कोटा के अनुपात में सामान्य एसडीआर का आवंटन करता है।
विदेशी मुद्रा संपत्तियों (एफसीए) 1.409 अरब डॉलर घटकर 571.6 अरब डॉलर रह गया। विदेशी मुद्रा संपत्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखी यूरो, पाउंड और येन जैसी दूसरी विदेशी मुद्राओं के मूल्य में वृद्धि या कमी का प्रभाव भी शामिल होता है।
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स्वर्ण भंडार में भी बढ़त
इस दौरान देश का स्वर्ण भंडार 19.2 करोड़ डॉलर बढ़ा और 37.441 अरब डॉलर पर पहुंच गया। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास मौजूद देश का आरक्षित भंडार 1.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 5.11 अरब डॉलर रह गया।
जानें क्या है विदेशी मुद्रा भंडार
विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। इसमें आईएमएफ में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार के फायदे
साल 1991 में देश को पैसा जुटाने के लिए सोना गिरवी रखना पड़ा था। तब सिर्फ 40 करोड़ डॉलर के लिए भारत को 47 टन सोना इंग्लैंड के पास गिरवी रखना पड़ा था। लेकिन मौजूदा स्तर पर, भारत के पास एक वर्ष से अधिक के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त मुद्रा भंडार है। यानी इससे एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति सरलता से की जा सकती है, जो इसका सबसे बड़ा फायदा है।
अच्छा विदेशी मुद्रा भंडार आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है और व्यापारिक साझेदारों का विश्वास अर्जित करता है। इससे वैश्विक निवेशक देश में और अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं। सरकार जरूरी सैन्य सामान की तत्काल खरीद का निर्णय भी ले सकती है क्योंकि भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार प्रभावी भूमिका निभा सकता है।
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