ह्यूगो लोरिस फ्रांस के सबसे कैप्ड खिलाड़ी हैं। वह काफी अनुभवी हैं और उन्होंने अतीत में फ्रांस को विश्व कप जीताने में अहम भूमिका निभाई है। उनका जन्म मिथुन राशि के साथ हुआ है क्योंकि उनका लग्न शासित था तुला राशि के साथ तेज-तर्रार बुध उनकी चंद्र राशि है। शनि की दशा चल रही है- बुध-राहु वर्तमान में शुभ फल दे रहे हैं। उन्हें नाम देने के दूरस्थ कार्य या फ्रीलांस लिए शनि और बुध उनके सबसे महत्वपूर्ण ग्रह हैं और
प्रसिद्धि, जबकि उनके चार्ट में मीन राशि में राहु उन्हें मिडास टच देता है। इनकी कुंडली में राहु प्रबल है
और प्रबल यश देने वाला बनता है।

अंक राशिफल: आय के नए स्रोत आपको नई संभावनाएं प्रदान करेंगे, जानिए अपना आज का अंक राशिफल

अंक 1
आय के नए स्रोत आपको नई संभावनाएं प्रदान करेंगे। निर्णय लेने में उपाय-कुशल और व्यावहारिक बनें। रिश्तों में सच्चे बनें, विशेष रूप से परिवार और दूसरे महत्वपूर्ण संबंधों में। आप ख़राब स्वास्थ्य का सामना कर सकते हैं।

अंक 2
परेशानियों से राहत पाने और मार्गदर्शन के लिए बुजुर्गों और प्रियजनों की मदद लें। आप मजबूत, ऊर्जावान और अपने जीवन में सार्थक बदलाव करने में सक्षम हैं। थोड़ा सा धीरज आपको प्रसिद्धि, शोभा और आकर्षण दिलाएगा।

अंक 3
हाल ही में हुई हानि या भाग्य में बदलाव आपकी चिंता या अवसाद का कारण बन सकता हैं। अपने विचारों के साथ अकेले रहने के लिए समय निकालें। योग-ध्यान, चिकित्सा या आध्यात्मिक उपाय इस समय आपका काम बनवा सकते है।

Year Ender 2022: भारत के स्पेस सेक्टर के लिए बेहद अहम रहा यह साल

भारत ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत 60 के दशक में डॉ. विक्रम साराभाई के विजन के साथ एक छोटे से रूप में की थी। छोटा इसलिए क्योंकि आज के समय की तुलना में उस समय रॉकेट के पार्ट्स को साइकिल पर ले जाया जाता था। उस शुरुआत से लेकर पिछले 6 दशकों की भारत की अंतरिक्ष कार्यक्रम की जो यात्रा रही है और आज देश इस क्षेत्र में जिस मुकाम पर खड़ा है आज उन्हीं उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

भारत ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम की एक छोटी सी शुरुआत से आज विश्व के सम्मुख एक विशाल उदाहरण स्थापित कर दिखाया है। अगर आप बीते 6 दशक पहले जब भारत ने इस यात्रा को शुरू किया था उस बारे में याद करें तो उस समय अमेरिका और तत्कालीन सोवियत यूनियन लगभग चंद्रमा की धरती पर उतरने की तैयारी कर रहे थे, उस समय हम गीत गाते थे चंदा मामा दूर के…

बीते 8 साल में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को मिला क्वांटम जंप

पिछले 8 साल में पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक क्वांटम जंप हुआ। इसके पीछे वे क्रांतिकारी निर्णय हैं जो पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा लिए गए। केंद्र सरकार ने पिछली कुछ रिवायतों और बंधनों को तोड़ते हुए अंतरिक्ष क्षेत्र को प्राइवेट प्लेस के लिए खोल दिया गया। साथ ही साथ अंतरिक्ष विज्ञान को रोजमर्रा की जिंदगी में नागरिक के जीवन में सरलीकरण लाने के लिए भी उपयोग का साधन बनाने का काम हुआ। हालांकि पहले यह धारणा रही थी कि इस क्षेत्र में गोपनीयता में ही कार्य हो, ऐसा होता भी रहा।

भारत ने हाल ही संसद सत्र के दौरान प्रश्नकाल में बताया था कि इसरो ने 19 देशों के 177 सैटेलाइट को लॉन्च किया। सबसे खास बात यह रही कि ये 19 देश विकसित देश थे। इनमें ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, फ्रांस, इजरायल, जापान शामिल हैं। भारत से विकसित देशों के इतनी बड़ी मात्रा में सैटेलाइट लॉन्च होने से साफ है कि पीएम मोदी ने इसे पिछली बंदिशों से मुक्त कर दिया। दूसरा यह कि विकसित देशों को भी भारतीय वैज्ञानिकों पर इतनी अधिक विश्वसनीयता है कि यदि उनके सैटेलाइट की लॉन्चिंग भारत से होती है तो उन्हें एक सामान्य ढंग से उनके लॉन्च होने की गारंटी मिल जाती है। भारत में अभी तक जितनी भी इस तरीके की लॉन्चिंग हुई है बड़े ही सफल ढंग से हुई है।

देश के पास 100 से अधिक स्टार्टअप्स

इन सबके बीच आने वाले समय में निश्चय ही इस प्रकार की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी तो अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदान भी अंतरिक्ष विज्ञान के माध्यम से होगा। बहुत कम ये बात सामने आती है कि अंतरिक्ष विज्ञान के विभाग को प्राइवेट प्लेयर्स के लिए खोल दिया गया, लेकिन इस थोड़े से अवधि काल में भी देश के पास 100 दूरस्थ कार्य या फ्रीलांस से अधिक स्टार्टअप्स हैं। भारत के इन स्टार्टअप्स की गिनती दुनिया के किसी भी स्टार्टअप ग्रुप के साथ की जा सकती है। हाल ही स्काई रूट ने जो लॉन्चिंग की है दुनिया के चंद एक प्राइवेट ग्रुप्स में से है जिन्होंने अपना रॉकेट विकसित किया हो।

तकरीबन 6 साल पहले 2016 में विज्ञान भवन में पीएम मोदी के निर्देश के बाद अंतरिक्ष विभाग और दूसरे मंत्रालयों की एक बैठक हुई थी जिसमें स्पेस एप्लीकेशंस की बात की गई थी, ताकि इसकी मदद से मंत्रालयों के इश्यूज को निपटाया जा सके। इस कड़ी में अंतरिक्ष विभाग के वैज्ञानिकों को बारी-बारी से अन्य मंत्रालयों और अन्य विभागों के साथ इस पर चर्चा की ताकि वे जानकारी साझा कर सकें कि कौन-कौन सी तकनीक इस्तेमाल में लाई जा सकती हैं। उदाहरण के तौर पर उस रेल को दुर्घटनाओं से बचाने के लिए स्पेस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा सकता है। यदि ट्रेन ट्रैक पर दौड़ रही है और उसके सामने यदि 10-15 किलोमीटर की दूरी पर कोई ऐसी ऑब्जेक्ट आ जाता है जिससे दुर्घटना होना संभव है तो ऐसे में स्पेस टेक्नोलॉजी के माध्यम से उसका पता लगाकर सूचना के माध्यम से सही समय पर ट्रेन को रोका जा सकता है और दुर्घटना होने से बचाया जा सकता है। इसी तरह अंतरिक्ष विभाग भारत के तमाम मंत्रालयों के साथ बातचीत करके उनकी समस्या का समाधान निकालने के लिए स्पेस तकनीक के इस्तेमाल कर रहा है।

भारत के अंतरिक्ष उद्योगों की उपलब्धियों की सूची काफी लंबी

उल्लेखनीय है कि भारत के अंतरिक्ष उद्योगों की उपलब्धियों की सूची काफी लंबी है। स्पेस प्रोग्राम में भारत अपनी ताकत और काबिलियत के बलबूते दुनिया को सिखाने की स्थिति में आ चुका है। तभी तो भारतीय अंतरिक्ष उद्योग आज विश्वसनीयता और अर्थव्यवस्था के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो चुका है। भारत अपने प्रमुख अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान- पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल या पीएसएलवी के लिए दुनिया में अधिकतम सफलता अनुपात अर्जित कर चुका है। अभी कुछ सप्ताह पहले ही भारत के पीएसएलवी ने विकसित और विकासशील दोनों देशों के 36 उपग्रह भी लॉन्च किए हैं।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अब तक कई उपग्रह लॉन्च किए हैं और जीसैट, पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों और अंतरिक्ष आधारित सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम के लिए व्यापक इन-हाउस उपग्रह निर्माण क्षमताएं हैं। भारत ने अपना जीपीएस भी विकसित कर लिया है, जिसे हम इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम या आईआरएनएसएस कहते हैं। 2013 में भारत के मार्स ऑर्बिटर मिशन के सफल लॉन्च के अलावा, भारत ने चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 के नाम से जाने जाने वाले अपने मिशन को चंद्रमा पर भेजने का दो बार प्रयास किया है। चंद्रमा के लिए तीसरा उपग्रह मिशन, चंद्रयान-3 अगले साल लॉन्च किया जाएगा।

सोमवार को भूलकर भी न करें ये कार्य, भगवान शिव हो जाएंगे आपसे नाराज

कोलकाता : सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है, इसके अलावा जिस भी व्यक्ति के कुंडली में चंद्र दोष होता है, उसे ठीक किया जा सकता है। चंद्र ग्रह हमारे मन का प्रतीक माना जाता है, इनके उपाय करने से शांति, सेहत और समृद्धि की प्राप्ति होती है। सोमवार के दिन जो व्यक्ति भगवान शिव की उपासना करता है और उनकी विधिवत पूजा करता है, उनकी सारी इच्छाएं पूरी होती है। खासकर जिन लोगों का स्वभाव क्रोधी होता है, उनको खासकर सोमवार के दिन उपवास रखना चाहिए। भगवान शिव लोगों की सारी मनोकामना पूरी करते हैं। कहते है, कोई कुंवारी लड़की भगवान शिव की सच्चे मन में व्रत रखकर उनकी पूजा करती हैं। उन्हें मनचाहा पति मिलता है। तो आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि सोमवार के दिन कौन से काम नहीं करना चाहिए।
सोमवार के दिन भूलकर भी न करें ये काम
1.सोमवार के दिन शक्कर नहीं खाना चाहिए।
2.इस दिन किसी को सफेद वस्त्र या दूध दान करने से बचना चाहिए।
3.सोमवार के दिन उत्तर, पूर्व और अग्नेय में यात्रा करने से बचना चाहिए। पूर्व दिशा में खासकर यात्रा करने से बचना चाहिए।
4.इस दिन मां से किसी भी बात पर बहस करने से बचें।
5.बैंगन, कटहल, सरसो का साग, काला तिल, उड़द, मसालेदार सब्जी खाना खाने से बचना चाहिए।
6.सोमवार के दिन नीले और जामुनी कपड़े नहीं पहनना चाहिए।
7.रात में कटोरी में पानी भरकर सिरहाने रख दें और दूरस्थ कार्य या फ्रीलांस सुबह पीपल के पेड़ में डाल दें, इससे आपके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे।
8.भगवान शिव को पीले मिठाई का भोग नहीं लगाना चाहिए।
9.सोमवार के दिन किसी से वाद-विवाद करने से बचें।
10.भगवान शिव को काले रंग के फूल कभी नहीं चढ़ाना चाहिए।

Shanivar Ke Upay: शनिवार के दिन करें ये अचूक उपाय, दुर्भाग्य होगा दूर और चमक जाएगी किस्मत

Sushma Kumari

Edited By: Sushma Kumari @ISushmaPandey
Published on: July 22, 2022 13:07 IST

Shanivar Ke Upay- India TV Hindi

Image Source : INDIA TV Shanivar Ke Upay

Shanivar Ke Upay: 23 जुलाई को श्रवण कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि और शुक्रवार का दिन है। नवमी तिथि 23 जुलाई सुबह 9 बजकर 33 मिनट तक रहेगी, उसके बाद दशमी तिथि लग जायेगी। 23 जुलाई दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक शूल योग रहेगा। शूल योग में किए गए कार्य से हर जगह दुख ही दुख मिलते हैं। वैसे तो इस योग में कोई काम कभी पूरा होता ही नहीं परंतु यदि अनेक कष्ट सहने पर पूरा हो भी जाए तो शूल की तरह हृदय में एक चुभन सी पैदा करता रहता है। इस योग में कोई भी कार्य न करें अन्यथा आप जिंदगी भर पछताते रहेंगे।

FIFA World Cup 2022: फ्रांस जीत सकता है फीफा विश्व कप 2022, सितारों का मिल रहा है साथ, ज्योतिषाचार्य से समझें पूरी गणित

FIFA World Cup 2022: फ्रांस जीत सकता है फीफा विश्व कप 2022, सितारों का मिल रहा है साथ, ज्योतिषाचार्य से समझें पूरी गणित

यह पृथ्वी पर सबसे बड़े शो का समय है: फीफा विश्व कप 2022 का फाइनल! तरह-तरह के मत और
इस बात को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि अंतत: ट्रॉफी लेकर घर कौन जाएगा - अर्जेंटीना
या फ्रांस? यह पहली बार होगा जब ये दोनों टीमें निर्णायक मुकाबले में आपस में भिड़ेंगी। इन दोनों फुटबॉल दिग्गजों ने दो बार विश्व कप जीता है और अब उनकी नजर तीसरी जीत पर है। तो, इस बार कतर में ट्रॉफी कौन उठाएगा? आइए जानते हैं, ज्योतिष गणनाओं के अनुसार कौन जीत सकता है इस साल का विश्व कप।
यहां प्रस्तुत ज्योतिषीय विश्लेषण दोनों टीमों के कप्तानों अर्जेंटीना के मेसी और फ्रांस के ह्यूगो लोरिस की कुंडली पर आधारित है।

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