=> प्रस्‍तावित पेशकश:-
✓ ✓ वित्‍तीय साक्षरता को समर्थन
✓ ✓ जमीनी स्‍तर के संस्‍थानों को समर्थन एवं संवर्द्धन
✓ ✓ ‘ लघु व्‍यवसाय वित्‍त इकाइयों ’ के लिए संरचना का सृजन
छोटे व्यापारियों के लिए जेटली की योजना ✓ राष्‍ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के साथ समन्‍वय
✓ ✓ राष्‍ट्रीय कौशल विकास निगम के साथ समन्‍वय
✓ ✓ ऋण ब्‍यूरो के साथ काम करना
✓ ✓ साख निर्धारण एजेंसियों के साथ काम करना

बाजारों तक कैसे पहुंचेंगे छोटे और सीमांत किसान, हाट बाजारों को अपग्रेड करने में लक्ष्य से पीछे है सरकार

मुद्रा बैंकः लघु उद्यमों का वित्तपोषण

- मुद्रा बैंक का उद्देश्य छोटे उद्यमों को आसान दरों पर 10 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध करवाना तथा सूक्ष्म वित्तीय संस्थाओं पर नियंत्रण एवं उनका विकास है , जिससे अंतत: देश की उत्पादकता में वृद्धि होगी और रोजगार के अधिक अवसरों का सृजन होगा।

- वित्‍त वर्ष 2015-16 के बजट भाषण में केन्‍द्रीय वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने 20,000 करोड़ रुपये की राशि तथा 3,000 करोड़ रुपये की ऋण गारंटी राशि के साथ एक सूक्ष्‍म इकाई विकास पुनर्वित्‍त एजेंसी (मुद्रा) बैंक ( The Micro Units Development and Refinance Agency, known as the MUDRA Bank) के सृजन का प्रस्‍ताव रखा था।

- मुद्रा बैंक की स्थापना वैधानिक संस्था के तौर पर हुई है। मुद्रा बैंक को संसद के एक अधिनियम के तहत स्थापित किया जाना है पर इस संबंध में कानून बनने तक इसे भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) की इकाई छोटे व्यापारियों के लिए जेटली की योजना के रूप में चलाया जाएगा। यह एक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी ( NBFC) छोटे व्यापारियों के लिए जेटली की योजना के तौर पर काम करेगी।

वित्त मंत्रालय ने जीएसटी की उपलब्धियां गिनाईं, कहा- कारोबारियों को मिली कई सुविधाएं

वित्त मंत्रालय ने जीएसटी की उपलब्धियां

वित्त मंत्रालय ने कहा कि जीएसटी से व्यापारियों को ढेर सारा फायदा हुआ है और इसलिए सरकार ने कई सुविधाएं दी हैं। व्यापारियों को दी बड़ी राहत, साल में एक बार 40 लाख रुपये तक के कारोबार वाले कारोबारियों को जीएसटी से छूट मिलेगी। इसी तरह, सरकार ने कंपोजिट स्कीम चुनकर 1.5 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाले व्यवसायों पर सिर्फ एक टैक्स देने का विकल्प चुना है।

छोटे और सीमांत किसानों को लाभ पहुंचाने का था उद्देश्य

इसका उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को लाभ पहुंचाना था, ताकि ऐसे भी अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त कर सके जो कृषि उत्पाद विपणन समितियों (APMCS) या थोक विनियमित बाजारों तक नहीं पहुंच सकते थे. हालांकि सरकार द्वारा दिए गए आंकड़े निराशाजनक हैं क्योंकि ग्रामीण हाटों का उन्नयन थोक विनियमित बाजारों की संख्या के विस्तार का एक विकल्प था. सरकार ने कहा था कि थोक विनियमित बाजारों का विस्तार संभव नहीं है, क्योंकि यह पूंजी-गहन और समय लेने वाला था.

अभी भी छोटे और सीमांत किसानों के लिए बाजारों तक पहुंच एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. ऐसे किसानों की संख्या देश के कुल किसानों की संख्या का 86 प्रतिशत है उससे भी अधिक हो सकते हैं. वे हमेशा एपीएमसी और छोटे व्यापारियों के लिए जेटली की योजना अन्य थोक बाजारों में सीधे लेन-देन करने की स्थिति में नहीं होते हैं क्योंकि ऐसे बाजारों की पर्याप्त संख्या नहीं होती है. जो किसान एपीएमसी तक नहीं पहुंच सकते हैं, उन्हें या तो अपनी उपज को एग्रीगेटर्स / स्थानीय व्यापारियों को उनके द्वारा निर्धारित कीमतों पर बेचने के छोटे व्यापारियों के लिए जेटली की योजना लिए मजबूर किया जाता है या आसपास के ग्रामीण हाटों में बेचने के लिए मजबूर किया जाता है , जो एपीएमसी की तरह विकसित नहीं होते हैं.

किसानों की आय दोगुनी करने वाली समिति की सिफारिश

यह बात तब सामने आई थी जब सरकार 2020 में अब निरस्त किए गए कृषि कानूनों को लेकर आई थी. इन कानूनों ने मंडियों के बाहर कृषि उपज की बिक्री की अनुमति दी. डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट के अनुसार 31 मार्च, 2017 तक देश में 6,630 विनियमित थोक बाजार थे, जिनका औसत घनत्व 496 वर्ग किमी प्रति बाजार था. किसानों की आय़ दोगुनी करने संंबंधी समिति द्वारा भी मौजूदा ग्रामीण हाटों को विकसित करने की सिफारिश भी की गई थी. साथ ही यह भी सिफारिश की गयी है कि निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों के तहत एकत्रीकरण बाजार प्लेटफार्मों की सह-मेजबानी करने के साथ-साथ सार्वजनिक निजी भागीदारी मॉडल को अपनाने के लिए राज्यों में मौजूदा 22,000 (लगभग) हाटों के परिसर का लाभ उठा सकते हैं.

हाट ग्रामीण स्तर कृषि बाजार प्लेटफार्मों में उन्नत किया जा सकता है. उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कृषि के थोक के साथ राज्य विपणन अधिनियम के दायरे के बाहर रखकर जोड़ा जा सकता था. इसका लाभ यह होगा कि ये किसानों और उपभोक्ताओं के बीच स्थानीय खुदरा और टर्मिनल बाजारों में खुदरा आवश्यकताओं की आपूर्ति के लिए प्रत्यक्ष विपणन का भी समर्थन करेंगे. जेटली ने बजट भाषण के दौरान कहा था: “इन ग्रामों में, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण छोटे व्यापारियों के लिए जेटली की योजना रोजगार गारंटी अधिनियम और अन्य सरकारी योजनाओं का उपयोग करके भौतिक बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाएगा. ये ग्राम, इलेक्ट्रॉनिक रूप से ई-एनएएम से जुड़े हुए हैं और एपीएमसी के नियमों से मुक्त हैं, किसानों को उपभोक्ताओं और थोक खरीदारों को सीधे बिक्री करने की सुविधा प्रदान करेंगे.

LOKSABHA ELECTION: बीजेपी ने जारी किया ‘संकल्प पत्र’, जनता से किये यह छोटे व्यापारियों के लिए जेटली की योजना बड़े वादे

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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है| पार्टी ने इसे ‘संकल्प पत्र’ नाम दिया है| ले भारतीय जनता पार्टी ने दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित अपने मुख्यालय में इस संकल्प पत्र को प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, घोषणा पत्र कमेटी के अध्यक्ष और गृहमंत्री राजनाथ सिंह के अलावा छोटे व्यापारियों के लिए जेटली की योजना विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और वित्त मंत्री जेटली ने जारी किया है।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि हमने 6 करोड़ लोगों के साथ चर्चा कर इस संकल्प पत्र को तैयार किया है| उन्होंने कहा कि हम 75 बड़े संकल्पों के साथ चुनाव में जा रहे हैं| मोदी सरकार के कार्यकाल में भारत एक विश्वशक्ति बनकर उभरा है। पहले कई छोटे व्यापारियों के लिए जेटली की योजना बड़े फैसलों में दुनिया भारत को अलग रखती थी लेकिन अब ऐसा नहीं है। 2014-19 तक जो यात्रा चली है, इसमें देश का चहुमुंखी विकास हुआ है। देश की आशा अब अपेक्षा में बदल चुकी हैं। मोदी जी के नेतृत्व में सरकार ने आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब दिया। छोटे व्यापारियों के लिए जेटली की योजना सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के माध्यम से आतंकवाद को जवाब दिया और बताया कि देश की सीमाओं से कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकता। देश का गौरम आसमान छू रहा है। मोदी जी के नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर हुई और दुनिया ने इस बात को स्वीकार किया। सरकार देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लेकर आई।

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इसकी जानकारी देते हुए कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि देश की सभी सरकारों ने विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के आगे घुटने टेक दिए हैं। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले दो वर्षों से विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सार्वजनिक रूप से ई-कॉमर्स कंपनियों को चेतावनी देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसके साथ ही नियम न मानने पर कानून अपना काम करेगा, की बात भी जोर-शोर से कही। लेकिन, अभी तक देशभर के व्यवसायी कड़े कानून के क्रियान्वित होने का इंतजार कर रहे हैं।

कैट महामंत्री का कहना है कि छोटे व्यापारियों के लिए जेटली की योजना आखिर क्या कारण है कि नियम एवं कानून की अवहेलना करने वाली ई-कॉमर्स कंपनियां गांजा सहित अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं की खुलेआम बिक्री कर रही हैं। केंद्र एवं राज्य सरकारों को ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा जीएसटी राजस्व की क्षति पहुंचाने के सबूत दिए जाने के बाद भी सरकार चुप है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र और राज्य सरकार विदेशी दबाव में हैं, इसलिए ये विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां खुलकर अपनी मनमानी कर रही हैं।

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