बढ़ते व्यापार और चालू खाता घाटा तथा इस साल चुकाये जाने वाले विदेशी कर्ज की मात्रा बढ़ने जैसे चिंताजनक संकेतों को देखते हुए ऐसे उपायों की जरूरत थी. भारत का कुल विदेशी कर्ज 620 शेयर बाजार और विदेशी मुद्रा अरब डॉलर है और इसमें से 267 अरब डॉलर आगामी नौ माह में चुकाना है. कम अवधि के कर्ज का यह अनुपात 44 प्रतिशत है और खतरनाक रूप से अधिक है.

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रुपये पांच पैसे और टूटकर 81.79 प्रति डॉलर पर

मुंबई, 21 नवंबर (भाषा) घरेलू शेयर बाजार में कमजोरी के रुख और विदेशी बाजारों में डॉलर के मजबूत होने से अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया पांच पैसे की गिरावट के साथ 81.79 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

कोविड-19 के बढ़ते मामले और उसके पश्चात चीन में लगाये गये प्रतिबंधों के कारण सुरक्षित निवेश के रूप में मांग बढ़ने से विदेशी बाजारों में डॉलर में तेजी आई।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया तेजी के साथ 81.84 पर खुला। कारोबार के दौरान रुपया 81.74 के दिन के उच्चस्तर और 81.91 के निचले स्तर को छूने के बाद अंत में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले पांच पैसे की गिरावट के साथ 81.79 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

रुपया शुक्रवार को 10 पैसे की गिरावट के साथ 81.74 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

बीएनपी पारिबा बाय शेयरखान में अनुसंधान विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि कमजोर घरेलू बाजारों और मजबूत डॉलर के कारण रुपये में गिरावट आई। विदेशी संस्थागत निवेशकों की निकासी से रुपये पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

SHARE MARKET : शुरुआती कारोबार में रुपया 12 पैसे फिसलकर 82.71 प्रति डॉलर पर

SHARE MARKET : Rupee slips 12 paise to 82.71 per dollar in early trade

मुंबई : घरेलू शेयर बाजार में नकारात्मक रुख के बीच बुधवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी मुद्रा की तुलना में 12 पैसे फिसलकर 82.71 प्रति डीलर पर आ गया। विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि अमेरिका के केंद्रीय बैंक फ़ेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति के फैसले से पहले रुपया बिना किसी घटबढ़ के खुला।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 82.64 पर खुला और फिर गिरकर 82.71 पर आ गया, जो पिछले बंद भाव के मुकाबले 12 की गिरावट दर्शाता है। रुपया मंगलवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 82.62 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। इस बीच छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.23 प्रतिशत गिरकर 111.22 पर आ गया।

चार सप्ताह बाद विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा में इजाफा, जानें कितना है स्वर्ण भंडार

मुंबई: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने एक बार फिर से भारतीय बाजार का रूख किया है। इसका असर देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर भी दिखा। 29 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत के विदेशी मुद्रा शेयर बाजार और विदेशी मुद्रा भंडार में 2.4 अरब डॉलर का इजाफा हुआ। इससे पहले लगातार चार सप्ताह तक इसमें कमी हुई थी।

चार सप्ताह बाद आई यह खबर

29 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान शेयर बाजार में लगभग हर रोज तेजी रही। उस सप्ताह फॉरेन पोर्टफोलियो इंस्वेस्टर्स (FII) नेट इनवेस्टर (Net Investor) थे। रिजर्व बैंक से मिली सूचना के अनुसार 29 जुलाई 2022 को समाप्त सप्ताह के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार 573.875 अरब डॉलर पर पहुंच गया। बीते 15 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान अपना विदेशी मुद्रा भंडार 7.541 अरब डॉलर घटा था। यदि शेयर बाजार और विदेशी मुद्रा 22 जुलाई को समाप्त सप्ताह की बात करें तो यह 571.5 अरब डॉलर पर था। आठ जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान, विदेशी मुद्रा भंडार 8.062 अरब डॉलर घटकर 580.252 अरब डॉलर रह शेयर बाजार और विदेशी मुद्रा गया था। इसी महीने एक जुलाई को भी विदेशी मुद्रा भंडार 5.008 अरब डॉलर घटा था। उस समय अपना विदेशी मुद्रा भंडार 588.314 अरब डॉलर पर था।

29 जुलाई को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में जो बढ़ोतरी हुई, उसमें फॉरेन करेंसी असेट का बढ़ना भी शामिल है। यह कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके अलावा स्वर्ण आरक्षित भंडार बढ़ने से भी विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक के शुक्रवार को जारी किये गये भारत के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (FCA) 1.121 अरब डॉलर बढ़ कर 511.257 अरब डॉलर पर पहुंच। बीते 22 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान इसमें 1.426 अरब डॉलर में कमी हुई थी। अमेरिकी डॉलर में अभिव्यक्त विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्यवृद्धि अथवा मूल्यह्रास के प्रभावों को शामिल किया जाता है।

स्वर्ण भंडार में भी इ़़जाफा

आंकड़ों के अनुसार, आलोच्य सप्ताह में स्वर्ण भंडार का मूल्य भी 1.140 अरब डॉलर बढ़ कर 39.642 अरब डॉलर पर पहुंच गया। समीक्षाधीन सप्ताह में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (SDR) भी 2.2 करोड़ डॉलर बढ कर 17.985 अरब डॉलर पर चला गया। आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार भी 3.1 करोड़ डॉलर बढ़ कर 4.991 अरब डॉलर पर पहुंच गया।

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विदेशी मुद्रा का प्रबंधन जरूरी

विदेशी मुद्रा का प्रबंधन जरूरी

बीते आठ महीनों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने शेयर और बॉन्ड की बिकवाली कर लगभग 40 अरब डॉलर भारत से निकाल लिया है. इसी अवधि में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 52 अरब डॉलर की कमी हुई है. अमेरिकी डॉलर की तुलना में भारतीय रुपये के मूल्य में गिरावट जारी है. निर्यात की अपेक्षा आयात में तेजी से वृद्धि हो रही है. इसका मतलब है कि हमें भुगतान के लिए निर्यात से प्राप्त डॉलर से शेयर बाजार और विदेशी मुद्रा कहीं अधिक डॉलर की जरूरत है.

सामान्य परिस्थितियों में भी भारत के पास डॉलर की संभालने लायक कमी रहती आयी है, जो अमूमन सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) का एक से दो प्रतिशत होती है. आम तौर पर यह 50 अरब डॉलर से कम रहती है और आयात से अधिक निर्यात होने पर इसमें बढ़ोतरी होती है. इस कमी की भरपाई शेयर बाजार में विदेशी निवेश, विदेशी कर्ज, निजी साझेदारी या बॉन्ड खरीद से की जाती है.

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार तीसरे हफ्ते तेजी, 550 अरब डॉलर हुआ फॉरेक्स रिजर्व

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार तीसरे हफ्ते तेजी. (फोटो- न्यूज18)

नई दिल्ली. देश का शेयर बाजार और विदेशी मुद्रा विदेशी मुद्रा भंडार 25 नवंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान लगातार तीसरे हफ्ते बढ़त में रहा. सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 2.9 अरब डॉलर बढ़कर 550.14 अरब डॉलर पर पहुंच गया. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. आरबीआई के आंकड़ों शेयर बाजार और विदेशी मुद्रा के अनुसार, 18 नवंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.54 अरब डॉलर बढ़कर 547.25 अरब डॉलर पर पहुंच गया था. अगस्त, 2021 के बाद देश के विदेशी मुद्रा भंडार में इस सप्ताह सबसे तेज वृद्धि हुई है.

गौरतलब है कि अक्टूबर, 2021 में विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया था. हालांकि, इसके बाद वैश्विक घटनाक्रमों के कारण कच्चे तेल की बढ़ी हुई कीमतों, आयात महंगा होने व रुपये के मूल्य में कमजोरी से विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से नीचे की ओर लुढ़का था. आरबीआई ने इसके बाद रुपये में गिरावट को थामने के लिए हस्तक्षेप किया और साथ ही कच्चे तेल के दाम भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी नीचे आ गए. इससे फॉरेक्स रिजर्व को अब कुछ राहत मिलती दिख रही है.

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