F & O Future option tutorial
Future & Option Part 1, Anil Singhvi, Zee Biz, Capital ji – फ्यूचर एंड ऑप्शन Part 1, अनिल सिंघवी, Zee Biz, कैपिटल जी
Futures and options on stocks and indices offered by exchanges such as NSE and BSE. A stock futures contract facilitates purchase or sale of a stock at a preset price for delivery on a later date. A call option on a stock allows you to purchase the underlier at a preset price on a future date, while, a put option allows you to sell the underlier. Normally, delivery is not taken or given on F&O segment, only the difference in buy or sell price at squaring off to when position was initiated is exchanged between buyers and sellers.
F&O की पाठशाला के इस एपिसोड़ में जानिए – फ्यूचर्स और ऑप्शन्स क्या है? कैसे करते हैं F&O ट्रेडिंग? फ्यूचर्स ट्रेडिंग में रिस्क क्या है? ट्रेडर्स और निवेशकों में फर्क?
F & O Intraday Trading? Part 2, Anil Singhvi, Zee Biz, Capital ji – एफ एंड ओ इंट्राडे ट्रेडिंग? Part 2, अनिल सिंघवी, Zee Biz, कैपिटल जी
What is F & O Intraday Trading?
Intraday means “within the day.” In the financial world, the term is shorthand used to describe securities that trade on the markets during regular business hours. These securities include stocks and exchange-traded funds (ETFs). Intraday also signifies the highs and lows that the asset crossed throughout the day. Intraday price movements are particularly significant to short-term or day traders looking to make multiple trades over the course of a single trading session. These busy traders will settle all their positions when the market closes.
F&O की पाठशाला में जानिए – इंट्रा-डे ट्रेडिंग क्या होती है? पोज़ीशनल ट्रेडिंग में कितना रिस्क? ट्रेड पर लक्ष्य कैसे तय करें? स्टॉपलॉस रखने का क्या फायदा?
F & O What is Expiry? Part 3, Anil Singhvi, Zee Biz, Capital ji – एफ एंड ओ एक्सपायरी क्या है? Part 3, अनिल सिंघवी, Zee Biz, कैपिटल जी
Future and options contracts expire on the last Thursday of the expiry month. If the last Thursday is a trading holiday, the contracts expire on the previous trading day.
F&O की पाठशाला में जानिए – एक्सपायरी क्या होती है? एक्सपायरी कहां होगी, कैसे पता चले? नई सीरीज़ कब और कैसे शुरू होगी? क्या होता है फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट क्या है रोलओवर?
F & O What is Nifty? Part 4, Anil Singhvi, Zee Biz, Capital ji – एफ एंड ओ निफ्टी क्या है? Part 4, अनिल सिंघवी, Zee Biz, कैपिटल जी
What is Nifty?
NIFTY 50 index National Stock Exchange of India’s benchmark broad based stock market index for the Indian equity market. Full form of NIFTY is National Index Fifty. It represents the weighted average of 50 Indian company stocks in 13 sectors and is one of the two main stock indices used in India, NIFTY and BSE Sensex.
F&O की पाठशाला में जानिए: निफ्टी क्या है? निफ्टी की वैल्यू कैसे निकलती है?, निफ्टी की शुरुआत कहां से हुई? ब्लू चिप शेयर्स क्या होते हैं? निफ्टी के शेयरों का चयन कैसे?, सभी इंडेक्स फ्यूचर्स लिक्विड क्यों नहीं?
F & O What is Nifty Futures & Bank Nifty Futures? Part 5, Anil Singhvi, Zee Biz, Capital ji – एफ एंड ओ निफ्टी वायदा और बैंक निफ्टी वायदा क्या है? Part 5, अनिल सिंघवी, Zee Biz, कैपिटल जी
What is Nifty Futures?
Nifty Futures is the most widely फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट क्या है traded futures instrument, thus making it the most liquid contract in the Indian derivative markets. In fact you may be surprised to know that Nifty Futures is easily one of the top 10 index futures contracts traded in the world and Bank Nifty Future is a derivative contract traded on National Stock Exchange of India (NSE) whose underlying is Bank Nifty Index
F&O की पाठशाला में जानिए: निफ्टी फ्यूचर्स क्या होता है?, निफ्टी बैंक फ्यूचर्स क्या होता है? कैसे बनता है निफ्टी बैंक? निफ्टी बैंक की एक्सपायरी अलग कैसे? मुनाफे की कैलकुलेशन समझिए
F & O Target & Stop Loss Part 6, Anil Singhvi, Zee Biz, Capital ji – एफ एंड ओ लक्ष्य और स्टॉप लॉस Part 6, अनिल सिंघवी, Zee Biz, कैपिटल जी
Target & Stop Loss
F & O Target & Stop Loss Part 6, Anil Singhvi, Zee Biz, Capital ji
F&O की पाठशाला में जानिए – क्या है वायदा बाज़ार ? ट्रेड पर लक्ष्य कैसे तय करें? स्टॉपलॉस रखने का क्या फायदा? क्या स्टॉपलॉस बार-बार बदल सकते हैं?
F & O Expiry and Rollover Part 7, Anil Singhvi, Zee Biz, Capital ji – एफ एंड ओ एक्सपायरी और रोलओवर Part 7 अनिल सिंघवी, Zee Biz, कैपिटल जी
What Is Expiry and Rollover?
F & O Expiry and Rollover Part 7, Anil Singhvi, Zee Biz, Capital ji
F&O की पाठशाला में जानिए – एक्सपायरी क्या होती है? और क्या होता है रोलओवर
F & O Expiry Action Part 8, Anil Singhvi, Zee Biz, Capital ji – एफ एंड ओ एक्सपायरी एक्शन फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट क्या है Part 8, अनिल सिंघवी, Zee Biz, कैपिटल जी
What is Expiry Action?
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F&O की पाठशाला में जानिए – एक्सपायरी के दिन एक्शन क्यों? एक्सपायरी कहां हो, कैसे पता चले?
F & O New Series, Premium and Discount Part 9, Anil Singhvi, Zee Biz, Capital ji – एफ एंड ओ नई श्रृंखला, प्रीमियम और छूट Part 9, अनिल सिंघवी, Zee Biz, कैपिटल जी
F & O New Series, Premium and Discount Part 9, Anil Singhvi, Zee Biz, Capital ji
F&O की पाठशाला में जानिए – नई सीरीज़ कब और कैसे शुरू होगी? रोलओवर कॉस्ट का मतलब? क्या है प्रीमियम और डिस्काउंट?अगली सीरीज़ का सौदा कब बनाएं?
F & O Nifty Value Part 10, Anil Singhvi, Zee Biz, Capital ji – एफ एंड ओ निफ्टी वैल्यू Part 10, अनिल सिंघवी, Zee Biz, कैपिटल जी
F & O Nifty Value Part 10, Anil Singhvi, Zee Biz, Capital ji
F&O की पाठशाला में जानिए : क्या है वायदा बाज़ार की ABCD? निफ्टी क्या है और इसकी वैल्यू कैसे निकलती है?
सेबी ने गेहूं सहित 7 कमोडिटीज़ के वायदा कारोबार पर लगाया प्रतिबंध, जानिए आप पर क्या होगा असर
धान (गैर-बासमती), गेहूं, सोयाबीन, कच्चे पाम तेल और मूंग के लिए नए अनुबंधों की शुरूआत पर नियामक ने अगले आदेश तक रोक लगा दी है।
Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: December 20, 2021 13:14 IST
Photo:PTI
सेबी ने गेहूं सहित 7 कमोडिटीज़ के वायदा कारोबार पर लगाया प्रतिबंध, जानिए आप पर क्या होगा असर
Highlights
- गेहूं, कच्चे पाम तेल, मूंग में नए डेरिवेटिव अनुबंध शुरू नहीं करने का निर्देश
- एग्री कमोडिटी के वायदा कॉन्ट्रैक्ट में कारोबार को एक साल के लिए निलंबित
- सरकार चाहती है कि दलहन फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट क्या है और तिलहन की कीमतें काबू में रहें
नयी दिल्ली। बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को शेयर बाजारों को अगले आदेश तक गेहूं, कच्चे पाम तेल, मूंग और कुछ अन्य जिंसों में नए डेरिवेटिव अनुबंध शुरू नहीं करने का निर्देश दिया। इसके साथ सरकार की कोशिश महंगाई पर काबू पाने की है। वित्त मंत्रालय ने कुछ एग्री कमोडिटी के वायदा कॉन्ट्रैक्ट में कारोबार को एक साल के लिए निलंबित कर दिया है।
एक विज्ञप्ति के अनुसार ये निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। धान (गैर-बासमती), गेहूं, सोयाबीन, कच्चे पाम तेल और मूंग के लिए नए अनुबंधों की शुरूआत पर नियामक ने अगले आदेश तक रोक लगा दी है। सूची में चना, और सरसों के बीज और इसके डेरिवेटिव भी शामिल हैं। इन जिंसों में डेरिवेटिव अनुबंधों को इस साल की शुरुआत में निलंबित कर दिया गया था। सेबी के आदेश के तहत पहले से चल रहे अनुबंधों के संबंध में कोई भी नया सौदा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी और केवल सौदे को पूरा करने की अनुमति होगी। बयान के मुताबिक ये निर्देश एक साल के लिए लागू होंगे।
किन जिंसों के वायदा पर प्रतिबंध
सरकार ने 7 एग्री कमोडिटी के वायदा पर रोक लगाई है। इसके तहत सोयाबीन और इसके डेरिवेटिव प्रोडक्ट्स पर प्रतिबंध, मूंग, चना, क्रूड पाम तेल सरसों, धान (गैर-बासमती), गेहूं पर 1 साल तक रोक, 20 दिसंबर से नई पोजीशन लेने पर रोक लगी है। निवेशकों के पास मौजूदा सौदे को सिर्फ खत्म करने की इजाजत है। अगले आदेश तक फ्यूचर्स-ऑप्शंस के नए कॉन्टैक्ट लॉन्च नहीं होंगे।
क्यों लगा प्रतिबंध?
महंगाई के आंकड़ सरकार को परेशान करने वाले हैं। सरकार चाहती है कि दलहन और तिलहन की कीमतें काबू में रहें। इसके चलते सरकार ने यह कदम उठाया है। इनकी कीमतों को काबू में करने के लिए सरकार ने इन कमोडिटीज के वायदा कारोबार पर रोक लगाई है। सरकार के इस फैसले से वायदा बाजार का संतुलन कमजोर होगा।
सोना वायदा(गोल्ड फ्यूचर्स) में निवेश करने से पहले जानने योग्य बातें
वायदा अनुबंध भविष्य की तारीख पर एक सहमत मूल्य पर किसी वस्तु को खरीदने या बेचने के लिए एक कानूनी समझौता होता है। मान्यता प्राप्त वायदा अनुबंध मानकीकृत होते हैं और वस्तुओं या वित्तीय साधनों के लिए हो सकते हैं। सोना उन वस्तुओं में से है, जिनका एक्सचेंज-ट्रेडेड, औपचारिक समझौतों के रूप में वायदा अनुबंधों के माध्यम से कारोबार किया जाता है।
सदियों से सोना सिक्कों, बार और आभूषणों के रूप में खरीदा और बेचा जाता रहा है। पिछले कुछ वर्षों में, सोने का कारोबार गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड, गोल्ड बॉन्ड, डिजिटल गोल्ड जैसे रूपों में होने लगा है। वायदा बाजार में काम करने वाले निवेशक मोटे तौर पर सट्टेबाज या हेजर्स होते हैं। सट्टेबाज बाजार का जोखिम लाभ कमाने की उम्मीद से लेते हैं, जबकि हेजर्स मूल्य गिरने के जोखिम का प्रबंधन करने के लिए वायदा अनुबंधों में निवेश करते हैं। उद्देश्य चाहे जो हो, वायदा कारोबार केवल वित्तीय और कमोडिटी बाजार के अच्छे ज्ञान वाले निवेशकों द्वारा ही कुशलतापूर्वक किया जा सकता है। यह ज्ञान न केवल उन्हें बाजार जोखिम का प्रबंधन करने में मदद करता है बल्कि वायदा अनुबंध की लागत और विशेषताओं को भी समझने में सहायक होता है।
भारत में सोने के वायदा कारोबार के विभिन्न पहलू
भारत में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) के माध्यम से सोने का वायदा कारोबार किया जा सकता है। सोने का वायदा कारोबार सोने को भौतिक रूप से लिए बिना सोने में निवेश करना है। सोने के वायदा कारोबार के निवेशकों का उद्देश्य सोना लेना या उसमें निवेश करना नहीं होता। वे अपने जोखिमों को हेज करने के लिए सोने की कीमत में उतार-चढ़ाव को एक माध्यम के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
सोने के वायदा कारोबार के प्रकार: MCX में सोने का वायदा कारोबार कई आकार के लॉट में होता है। लॉट का आकार आपके लेन-देन की कीमत तय करता है। 1 किलो लॉट आकार के सोने के अलावा, गोल्ड मिनी, गोल्ड पेटल और गोल्ड ग़िनीया अनुबंध हैं जो भारत में वायदा कारोबार में आ सकते हैं। मिनी अनुबंध 100 ग्राम का, गिनीया अनुबंध 8 ग्राम का और पेटल अनुबंध 1 ग्राम सोने का होता है। हालांकि, 1 किलो सोने का ट्रेड लोकप्रिय है, इसलिए यह सबसे ज्यादा लिक्विड है।
सोने के वायदा कारोबार का अनुबंध: सोने का वायदा कारोबार MCX में उपलब्ध है जो कॉन्ट्रैक्ट लॉन्च कैलेंडर के अनुसार होता है। वर्तमान में MCX गोल्ड अनुबंध हर दूसरे महीने लॉन्च होता है जिसकी एक्सपायरी 12 महीने की होती है। अनुबंध लॉन्च के महीने की 16 तारीख को शुरु होती है और इसमें एक्सपायरी वाले महीने की 5 तारीख तक कारोबार किया जा सकता है। सोने की बोली 10 ग्राम के लिए लगाई जाती है, जहां ट्रेडिंग इकाई 1 किलो है, और अधिकतम ऑर्डर आकार 10 किलो हो सकता है।
निपटान(सेटलमेंट) प्रक्रिया: सोने के वायदा कारोबार के अनुबंध में, अनुबंध का निपटान हर महीने की 5 तारीख को किया जाता है। आप या तो अनुबंध का निपटान कर सकते हैं (सोने की डिलीवरी ले सकते हैं) या महीने की 1 तारीख के पहले अपनी स्थिति को स्क्वायर ऑफ कर सकते हैं। यदि आप अनुबंध को निपटाने का विकल्प चुनते हैं तो यह 995 शुद्धता के साथ नंबर किए गए सोने के बार के रूप में होगा।
मार्जिन: हालांकि वास्तविक मार्जिन में उतार-चढ़ाव हो सकता है, फरवरी 2022 के सोने के अनुबंध में शुरुआती मार्जिन 6% या स्पैन मार्जिन में से जो भी अधिक हो, पर सेट किया गया था। इसका मतलब है कि यदि आपके पास वायदा अनुबंध में 1 लाख रुपए की स्थिति है, तो मार्जिन भुगतान 6,000 रुपए का होगा। मात्र 6,000 रुपए का भुगतान करके 1 लाख रुपए के एक्सपोजर का मतलब अधिक लाभप्रदता की संभावना है। यदि आप अनुबंध का निपटान करते हैं, तो आपको लागू होने वाले करों सहित अंतर्निहित सोने की पूरी कीमत चुकानी होगी।
भौतिक सोना: MCX में सोने के वायदा कारोबार में भौतिक रूप से सोने को लंदन बुलियन मर्चेंट एसोसिएशन-प्रमाणित रिफाइनरियों द्वारा शुद्धता के लिए प्रमाणित किया जाता है। MMTC-PAMP भारत में ऐसी ही एक LMBA प्रमाणित रिफाइनरी है। सिक्कों सहित सोने को MCX के क्लियरिंग कॉरपोरेशन के COMRIS सिस्टम में इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में रखा जा सकता है। डिलीवर किए गए या रखे गए सोने का एक व्यक्तिगत परख प्रमाणपत्र और एक उल्लिखित मेकिंग चार्ज होता है। इस तरह से इलेक्ट्रॉनिक रूप से रखे गए सोने का कारोबार और लिक्विडेशन आसानी से किया जा सकता है।
एक उदाहरण के माध्यम से वायदा अनुबंधों को समझना:
- मान लीजिए कि आप अभी सोने के वायदा अनुबंध में प्रवेश करते हैं। यदि सोने का आखिरी कारोबार मूल्य रु. 50,000 प्रति 10 ग्राम था तो 1 मिनी लॉट के लिए आपके अनुबंध की कीमत रु 50 लाख होगी।
- MCX टिक आकार या न्यूनतम मूल्य 1 रुपए/ प्रति ग्राम है। तो, इस अनुबंध में, आपको प्रत्येक रुपए में वृद्धि या कमी के साथ 100 रुपये का लाभ या हानि होगी। इस अनुबंध से आपको यही लाभ या हानि होगी।
सोने के वायदा कारोबार में ट्रेड करने की क्या प्रक्रिया है?
- सबसे पहले, आपको MCX में पंजीकृत ब्रोकर के साथ कमोडिटी ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होगा। अकाउंट खोलने के लिए एक फॉर्म भरने और बुनियादी KYC दस्तावेज जैसे पहचान और निवास का प्रमाण, पासपोर्ट साइज फोटो, बैंक विवरण आदि प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है।
- आपका अकाउंट खुल जाने के बाद, आपको मार्जिन मनी को ब्रोकर के पास एक मार्जिन अकाउंट में जमा करना होगा। सोने के वायदा कारोबार के अनुबंध दस्तावेज में आपको मार्जिन दर मिल जाएगी। यदि ट्रेडिंग में घाटे के कारण आपकी प्रारंभिक मार्जिन राशि कम हो जाती है, तो आपको एक रखरखाव मार्जिन राशि जमा करना होगा। यह वह राशि है जिसका भुगतान करना प्रारंभिक मार्जिन को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
इस राशि को जमा करने के बाद आप लॉग इन कर सकते हैं और सोमवार से शुक्रवार तक सोने के वायदा कारोबार में सुबह 9 बजे से रात के 11:30 बजे के बीच ट्रेड कर सकते हैं।
सोने के वायदा निवेशक को सोने के निवेश, उस पर अर्थव्यवस्था के प्रभाव और सोने के ट्रेडिंग की अच्छी समझ होनी चाहिए। चूंकि वायदा अनुबंध में जोखिम के साथ-साथ लाभ भी काफी अधिक होता है, इसलिए उपरोक्त पहलुओं की गहन समझ की अत्यधिक अनुशंसा की जाती है।
रिलायंस के खिलाफ अमेजन की जीत,फ्यूचर ग्रुप डील को लेकर क्यों छिड़ा'युद्ध'?
समझिए कि रिलांयस और फ्यूचर ग्रुप की डील का पेंच कहां फंसा है
कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि फ्यूचर रिटेल लिमिटेड के रिलायंस रिटेल के साथ 24,731 करोड़ रुपए की मर्जर डील पर रोक लगाने का सिंगापुर के आर्बिट्रेटर का फैसला भारतीय कानूनों के तहत वैध और लागू करने लायक है. वही फैसला अब भारत में भी लागू होगा. US की ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन ने अपने भारत स्थित पार्टनर फ्यूचर ग्रुप को अक्टूबर महीने की शुरुआत में कानूनी नोटिस भेजा था और आरोप लगाया था कि फ्यूचर ग्रुप (Future Group) ने रिलायंस के साथ डील करके कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों का उल्लंघन किया है.
अब आपको एक-एक करके समझाते हैं कि इस केस का पेंच कहां फंसा है. अमेजन को रिलायंस-फ्यूचर ग्रुप डील से क्या दिक्कत है. अब रिलायंस रिटेल की आगे की क्या योजना है.
मुकेश अंबानी की RIL और किशोर बियानी के फ्यूचर ग्रुप में क्या डील हुई थी?
इसी साल अगस्त महीने में मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिडेट की सब्सिडियरी रिलायंस रिटेल फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट क्या है और किशोर बियानी के नेतृत्व वाली फ्यूचर ग्रुप के बीच 27,513 करोड़ रुपये की डील हुई थी. इस डील के तहत फ्यूचर ग्रुप ने अपना सारा रिटेल कारोबार, होलसेल कारोबार, लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउस रिलायंस को बेचने दिया था. इस डील में फ्यूचर रिटेल सुपरमार्केट चेन बिग बाजार, फूड सप्लाई यूनिट फूडहॉल, फैशन एंड क्लोद्स रिटेल फैक्टरी रिटेल रिलायंस के बेचने का ऐलान हुआ था.
फ्यूचर ग्रुप को ये डील करने की नौबत क्यों आई?
फ्यूचर ग्रुप अपने कर्जदारों के भारी दबाव में था. फ्यूचर ग्रुप चाह रहा था कि कैसे भी करके उसका कर्ज कम हो. इस डील से फ्यूचर ग्रुप को उम्मीद जागी कि उसका कर्ज चुकता हो सकता है. अगस्त में होने वाली रिलायंस-फ्यूचर डील से पहले किशोर बियानी कई कंपनियों में शेयर बेचने की कोशिश कर रहे थे ताकि उनका कर्ज कम हो सके. लेकिन बियानी को इसमें ज्यादा सफलता नहीं मिल सकी.
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए मार्च महीने में लगे लॉकडाउन के बाद से फ्यूचर रिटेल पर दबाव बढ़ता चला गया. फ्यूचर ग्रुप के कई सारे स्टोर्स में बिक्री बंद हो गई और कंपनी नए संकट में फंस गई.
अमेजन को रिलायंस-फ्यूचर ग्रुप डील से क्या दिक्कत है?
पिछले साल किशोर बियानी के फ्यूचर रिटेल ने ई-कॉमर्स में दुनियाभर में मशहूर कंपनी अमेजन के साथ एक डील की थी. इस डील के मुताबिक अमेजन ने फ्यूचर रिटेल की प्रमोटर कंपनी फ्यूचर कूपंस में 49% हिस्सा खरीदा था. अमेजन और फ्यूचर ग्रुप के बीच ये डील करीब 2000 करोड़ रुपये में हुई थी. इस डील के तहत ये भी तय हुआ था कि फ्यूचर रिटेल अपने प्रोडक्ट अमेजन के ऑनलाइन मार्केट प्लेस पर बेच पाएगा.
शेयर होल्डर एग्रीमेंट के तहत अमेजॉन को कॉल ऑप्शन दिया गया था जिसमें कंपनी के पास विकल्प था कि वो फ्यूचर रिटेल की प्रमोटर शेयरहोल्डिंग पूरी या फिर उसका कुछ हिस्सा खरीद सकते थे. ये तीसरे और दसवें साल के बीच में किया जा सकता था.
अमेजन का क्या दावा था?
अमेजन का मानना है कि रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप के बीच जो डील हुई है उससे अमेजन और फ्यूचर ग्रुप के बीच हुई डील की शर्तों का उल्लंघन हुआ है. कंपनी का मानना है कि रिलायंस के साथ डील किए जाने से पहले अमेजन को सूचित किया जाना चाहिए था.
बहुत जल्द एक्सचेंज पर हो सकती है पेट्रोल-डीज़ल की ट्रेडिंग, जानिए आम लोगों पर क्या असर होगा
बाजार नियामक सेबी पेट्रोल-डीज़ल की फ्यूचर ट्रेडिंग (Petrol-Diesel Future Trading) को मंजूरी दे सकता है. पेट्रोलियम मंत् . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : July 11, 2020, 18:46 IST
नई दिल्ली. बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) बहुत जल्द ही देश में
पेट्रोल-डीज़ल की फ्यूचर ट्रेडिंग (Future Trading) को मंजूरी दे सकता है. SEBI की इस अनुमति के बाद कंज्यूमर्स को बाजार में अचानक आने वाले फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट क्या है तेज उतार-चढ़ाव से निपटने में आसानी हो सकेगी. सूत्रों ने बताया है कि पेट्रोलियम मंत्रालय (Petroleum Ministry) ने पेट्रोलियम उत्पादों की फ्यूचर ट्रेडिंग को लेकर एक प्लान को मंजूरी दे दी है. ऐसे में अगर सेबी अंतिम मंजूरी दे देता है तो डेरिवेटिव मार्केट (Derivative Market) और कमोडिटी एक्सचेंज पर पेट्रोल और डीज़ल का वायदा कारोबार हो सकेगा.
फ्यूचर ट्रेडिंग एक तरह का फाइनेंशियल कॉन्ट्रैक्ट होता है, जिसमें खरीदार व विक्रेता भविष्य की किसी एक तारीख पर पहले से तय किए गए भाव पर ट्रेडिंग करते हैं. पेट्रोल-डीज़ल के मामले में, डेरिवेटिव प्रोडक्ट को भविष्य के किसी एक तय तारीख पर डिलीवरी के लिए खरीदा जा सकेगा.
कैसे मिलेगा फायदा?
मौजूदा समय में, जब ईंधन के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, फ्यूचर प्रोडक्ट की मदद से खरीदार या विक्रेता को नुकसान नहीं होगा क्योंकि इन फाइनेंशियल प्रोडक्ट से जोखिम कम होगा. साथ ही, कमोडिटी की यूनिफॉर्म प्राइसिंग भी सुनिश्चित हो सकेगी.
ऑयल सेक्टर के एक एनलिस्ट का कहना है कि यह एक सही दिशा में उठाया गया कदम साबित हो सकता है, क्योंकि इंडस्ट्रियल और बल्क कंज्यूमर्स के लिए जोखिम कम होगा. लेकिन बाजार की मौजूदा परिस्थिति में, पिक अप के नदारद होने की वजह से तेल की कीमतों में या तो कम हैं या फिर गिर रही हैं. ऐसे में हेजिंग पार्टिसिपेंट्स की रुचि के विपरित काम करेगा. इससे उनके हेजिंग का कॉस्ट बढ़ जाएगा.
क्या है वर्तमान में व्यवस्था?
वर्तमान में फ्यूचर ट्रेडिंग केवल क्रुड ऑयल के लिए की जाती है, जिसमें फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट क्या है फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट क्या है रिफाइनर्स के पास मौका होता है कि वो तेल की कीमतों में लगातार उतार-चढ़ाव से खुद को होने वाले नुकसान को कम कर सकें. ऐसे में, अब पेट्रोल-डीज़ल में भी फ्यूचर ट्रेडिंग शुरू होने पर उनके पास अपनी रिफाइनिंग मार्जिन को हेज करने का एक और तरीका मिल सकेगा.
सूत्रों ने यह भी कहा कि पेट्रोलिमय उत्पादों के लिए बाजार की मौजूदा स्थिति उचित नहीं है. ऐसे में इन नये प्रोडक्ट्स को देर से भी लाया जा सकता है.
आम लोगों पर इससे क्या असर पड़ेगा?
खुदरा ग्राहकों के नजरिए से देखें तो पेट्रोल-डीज़ल की फ्यूचर ट्रेडिंग से उन्हें कोई फायदा नहीं मिलेगा. खुदरा ग्राहक बेहद कम मात्रा में ईंधन खरीदते हैं. संभव है सेबी पेट्रोल-डीज़ल के डेरिवेटिव प्रोडक्ट्स की फ्लोर 100 लीटर तय कर सकती है. खुदरा ग्राहकों के लिए फ्यूचर मार्केट में हिस्सा करने के लिए यह अमाउंट बहुत ज्यादा होगा. पेट्रोल-डीज़ल का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट से रिफानर्स, ट्रांसपोर्ट कंपनियों, पेट्रोल पंप मालिकों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. इसके अलावा, रेलवे, एविएशन, फ्लीट मालिकों और इंडस्ट्रियल कंज्यूमर्स के लिए भी फायदेमंद होगा. दरअसल, अपनी जरूरत के लिए बड़े मात्रा में ईंधन की जरूरत होती है.
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