Forex Reserves: विदेशी मुद्रा भंडार 547.25 अरब डॉलर पर पहुंचा, जानें कितने का हुआ इजाफा?
18 नवंबर को समाप्त हुए सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2.54 अरब डॉलर बढ़कर 547.25 अरब डॉलर हो गया है। आरबीआई ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार 18 नवंबर को समाप्त सप्ताह में लगातार दूसरे हफ्ते भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2.537 अरब डॉलर बढ़कर 547.252 अरब डॉलर हो गया। पिछले रिपोर्टिंग सप्ताह में अगस्त 2021 के बाद से उच्चतम साप्ताहिक वृद्धि के बाद यह 14.721 बिलियन अमरीकी डालर बढ़कर 544.715 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया था।
उल्लेखनीय है कि अक्टूबर 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। उसके बाद केंद्रीय बैंकों की ओर से लगातार ब्याज दरें बढ़ाने और वैश्विक दबाव के कारण इसमें लगातार गिरावट दर्ज की गई। बता दें कि केंद्रीय रिजर्व बैंक (RBI) रुपये की रुपये को मजबूत बनाए रखने के लिए फॉरेक्स रिजर्व का इस्तेमाल करता है।
शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी साप्ताहिक सांख्यिकीय अनुपूरक के अनुसार विदेशी मुद्रा संपत्ति (एफसीए) जो कुल भंडार का एक प्रमुख घटक है 1.76 बिलियन अमरीकी डालर बढ़कर 484.288 बिलियन अमरीकी डालर हो गया है। डॉलर की तुलना में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी इकाइयों में आई मजबूती या महंगाई के अपेक्षाकृत नरम पड़ने से इसमें वृद्धि दर्ज की गई है।
इस दौरान देश का स्वर्ण भंडार 315 करोड़ डॉलर बढ़कर 40.011 अरब डॉलर हो गया। आरबीआई ने कहा है कि उक्त सप्ताह में विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 35.1 करोड़ डॉलर बढ़कर 17.906 अरब डॉलर हो गया है।
रुपये के कमजोर या मजबूत होने का मतलब क्या है?
अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी इसलिए माना जाता है, क्योंकि दुनिया के अधिकतर देश अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में इसी का प्रयोग करते हैं
विदेशी मुद्रा भंडार के घटने और बढ़ने से ही उस देश की मुद्रा पर असर पड़ता है. अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी का रुतबा हासिल है. इसका मतलब आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा है कि निर्यात की जाने वाली ज्यादातर चीजों का मूल्य डॉलर में चुकाया जाता है. यही वजह है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत से पता चलता है कि भारतीय मुद्रा मजबूत आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा है या कमजोर.
अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी इसलिए माना जाता है, क्योंकि दुनिया के अधिकतर देश अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में इसी का प्रयोग करते हैं. यह अधिकतर जगह पर आसानी से स्वीकार्य है.
इसे एक उदाहरण से समझें
अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में भारत के ज्यादातर बिजनेस डॉलर में होते हैं. आप अपनी जरूरत का कच्चा तेल (क्रूड), खाद्य पदार्थ (दाल, खाद्य तेल ) और इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम अधिक आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा मात्रा में आयात करेंगे तो आपको ज्यादा डॉलर खर्च करने पड़ेंगे. आपको सामान तो खरीदने में मदद मिलेगी, लेकिन आपका मुद्राभंडार घट जाएगा.
मान लें कि हम अमेरिका से कुछ कारोबार कर रहे हैं. अमेरिका के पास 68,000 रुपए हैं और हमारे पास 1000 डॉलर. अगर आज डॉलर का भाव 68 रुपये है तो दोनों के पास फिलहाल बराबर रकम है. अब अगर हमें अमेरिका से भारत में कोई ऐसी चीज मंगानी है, जिसका भाव हमारी करेंसी के हिसाब से 6,800 रुपये है तो हमें इसके लिए 100 डॉलर चुकाने होंगे.
अब हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में सिर्फ 900 डॉलर बचे हैं. अमेरिका के पास 74,800 रुपये. इस हिसाब से अमेरिका के विदेशी मुद्रा भंडार में भारत के जो 68,000 रुपए थे, वो तो हैं ही, आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा लेकिन भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में पड़े 100 डॉलर भी उसके पास पहुंच गए.
अगर भारत इतनी ही राशि यानी 100 डॉलर का सामान अमेरिका को दे देगा तो उसकी स्थिति ठीक हो जाएगी. यह स्थिति जब बड़े पैमाने पर होती है तो हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में मौजूद करेंसी में कमजोरी आती है. इस समय अगर हम अंतर्राष्ट्रीय बाजार से डॉलर खरीदना चाहते हैं, तो हमें उसके लिए अधिक रुपये खर्च करने पड़ते हैं.
कौन करता है मदद?
इस तरह की स्थितियों में देश का केंद्रीय बैंक RBI अपने भंडार और विदेश से खरीदकर बाजार में आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर की आपूर्ति सुनिश्चित करता है.
आप पर क्या असर?
भारत अपनी जरूरत का करीब 80% पेट्रोलियम उत्पाद आयात करता है. रुपये में गिरावट से पेट्रोलियम उत्पादों का आयात महंगा हो जाएगा. इस वजह से तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़ा सकती हैं.
डीजल के दाम बढ़ने से माल ढुलाई बढ़ जाएगी, जिसके चलते महंगाई बढ़ सकती है. इसके अलावा, भारत बड़े पैमाने पर खाद्य तेलों और दालों का भी आयात करता है. रुपये की कमजोरी से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और दालों की कीमतें बढ़ सकती हैं.
यह है सीधा असर
एक अनुमान के मुताबिक डॉलर के भाव में एक रुपये की वृद्धि से तेल कंपनियों पर 8,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ता है. इससे उन्हें पेट्रोल और डीजल के भाव बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ता है. पेट्रोलियम आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा उत्पाद की कीमतों में 10 फीसदी वृद्धि से महंगाई करीब 0.8 फीसदी बढ़ जाती है. इसका सीधा असर खाने-पीने और परिवहन लागत पर पड़ता है.
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रिकॉर्ड लेवल तक फिसली भारतीय मुद्रा, डॉलर के मुकाबले 82.70 के करीब पहुंचा रुपया
नई दिल्ली। रुपये में गिरावट (rupee depreciation) का सिलसिला लगातार जारी है। भारतीय मुद्रा (Indian currency) डॉलर के मुकाबले (against dollar) कमजोरी का दिन प्रति दिन नया रिकॉर्ड बना रही है। इस कारोबारी सप्ताह के पहले दिन ही आज एक बार फिर भारतीय मुद्रा ने गिरने का नया रिकॉर्ड (new record) बनाया। रुपये ने आज रिकॉर्ड कमजोरी के साथ कारोबार की शुरुआत की और अभी भी सबसे निचले स्तर के करीब ही कारोबार कर रहा है।
इंटर बैंक फॉरेन सिक्योरिटी एक्सचेंज में भारतीय मुद्रा ने आज 82.67 रुपये प्रति डॉलर के स्तर से कारोबार की शुरुआत की। हालांकि बाजार खुलने के बाद शुरुआती कारोबार में मुद्रा बाजार में डॉलर का प्रवाह बढ़ता नजर आया, जिसकी वजह से एक बार भारतीय मुद्रा मजबूत होकर 82.32 रुपया प्रति डॉलर के स्तर तक भी पहुंची। उसके बाद डॉलर की मांग में तेजी आने के आशंका से रुपया एक बार फिर फिसल कर निचले स्तर पर पहुंच गया। शुरुआती 2 घंटे के कारोबार के बाद भारतीय मुद्रा 82.69 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर कारोबार कर रही थी।
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मार्केट एक्सपर्ट मयंक मोहन के मुताबिक अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से सख्त मौद्रिक नीतियों का अनुपालन करने की आशंका बनी हुई है, जिसकी वजह से दुनिया भर के बाजारों में दबाव बना हुआ है। इसके साथ ही 10 साल की अवधि वाले बॉन्ड यील्ड पिछले 8 सत्रों में 7 बार बढ़े हैं और फिलहाल ये 7.483 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच कर कारोबार कर रहे हैं। बॉन्ड यील्ड के स्तर में बढ़ोतरी होने की वजह से भी रुपया समेत दुनिया भर की तमाम मुद्राएं डॉलर के मुकाबले दबाव में काम कर रही हैं।
मयंक मोहन का मानना है कि अमेरिका में महंगाई को नियंत्रित करने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में बढ़ोतरी करना जारी रख सकता है। खुद फेडरल रिजर्व के गवर्नर क्रिस्टोफर वॉलर ने भी पिछले सप्ताह इस बात के संकेत दिए थे कि महंगाई दर पर काबू पाने के लिए अमेरिकी केंद्रीय बैंक के सामने ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने के अलावा अभी कोई और विकल्प नहीं है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने का एक असर डॉलर इंडेक्स की मजबूती के रूप में भी सामने आएगा, जिसकी वजह से रुपये पर दबाव और बढ़ जाएगा। इसके अलावा ओपेक कंट्रीज द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती करने का ऐलान करने के बाद से आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में जैसी मजबूती आई है, उसकी वजह से भी भारत जैसे कच्चे तेल के आयातक देशों पर दबाव बना है। कच्चे तेल के महंगे होने का मतलब भारत से डॉलर की अधिक निकासी होना भी है। ऐसा होने से रुपया डॉलर की तुलना में और भी अधिक गिर सकता है। जानकारों का मानना है कि अगर वैश्विक हालात में जल्द ही सुधार नहीं हुआ, तो भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले गिरकर 83.75 रुपये के स्तर तक भी जा सकती है। (एजेंसी, हि.स.)
डॉलर मजबूत हो रहा है आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा या रुपया कमजोर ? जानिए इस खास रिपोर्ट में
अमेरिका में दिया गया वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन का आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा एक बयान इन दिनों सुर्खियों में है. सोशल मीडिया पर तो उनका ये बयान काफ़ी छाया हुआ है. ट्विटर से लेकर फ़ेसबुक तक उन्हीं के चर्चे हैं. हर कोई उनसे उनके इस बयान का मतलब पूछ रहा है. अब तो आप समझ ही गए होंगे कि, आख़िर हम किस मुद्दे की बात कर रह हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं डॉलर के मुक़ाबले कमज़ोर होती रुपये की सेहत की.
A statement by Finance Minister Nirmala Sitaraman given in America is in the headlines these days. This statement of his has been quite shadowed on social media.
रुपया कमजोर नहीं, डॉलर हो रहा है मजबूत : सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इस वर्ष भारतीय मुद्रा रुपये में आई आठ फीसदी की गिरावट को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हुए कहा है कि कमजोरी रुपये में नहीं आई बल्कि डॉलर में मजबूती आई है। अंतर्राष्ट्रीय आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की सालाना बैठकों में शामिल होने के बाद सीतारमण ने संवाददाताओं से बातचीत में भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद को मजबूत बताते हुए कहा कि अमेरिकी डॉलर की मजबूती के बावजूद भारतीय रुपया में स्थिरता बनी हुई है। सीतारमण ने कहा, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद अच्छी है। मैं बार-बार कह रही हूं कि मुद्रास्फीति भी इस स्तर पर है जहां उससे निपटना संभव है।’
ईडी का बदले की भावना से इस्तेमाल नहीं
सीतारमण ने ईडी के इस्तेमाल के आरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा, ‘ईडी स्वतंत्र है, जो दर्ज हो चुके अपराधों की जांच करती है।’
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