स्वैप क्या है?
Chocolate Swap Token in Hindi : यह एक डिलीशियस क्रिप्टोकरेंसी टोकन है। जो की Pinksale वेबसाइट पे 13 August, 2022 से प्री सेल के लिए निर्धारित की गई है। इसकी मिनिमम प्राइस 300 बीएनबी (BNB) पर सेट की गई है जिसमें कुल जुटाए गए फंड का 51% लिक्विडिटी में जाता है। इसके अलावा, तरलता का लॉकअप समय 365 दिन है। यह Chocolate Swap Ecosystem के ऊपर काम करेगा।
कॉन्ट्रैक्ट चेकर द्वारा किए गए ऑडिट के अनुसार चॉकलेट स्वैप SAFU कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए पिंकसेल डॉक्यूमेंटेशन पर सूचीबद्ध स्वैप क्या है? सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है। चॉकलेट स्वैप टोकन भी केवाईसी द्वारा सत्यापित है, जो कि पिंकसेल लॉन्चपैड के एक विश्वसनीय डेवलपर कॉन्ट्रैक्ट चेकर द्वारा सत्यापित है। यह टोकन पूर्ण रूप से डिसेंट्रिलाइज मतलब इस दुकान के ऊपर किसी का कंट्रोल नहीं है।
How to Buy Chocolate Swap Token in Hindi
Chocolate Swap Token खरीदने के लिए आपको कोई रजिस्ट्रेशन या अकाउंट नहीं खोलना पड़ेगा। आप चॉकलेट स्वैप टोकन को तुरंत स्वैप कर पाएंगे। आप अपने वॉयलेट थे इसे डायरेक्टली स्वैप कर सकते हैं। बीएनबी चेन पर बने होने के कारण चॉकलेट स्वैप टोकन खरीदने पर बिटकॉइन और एथेरियम के मुकाबले बहुत ही कम फीस लगती है।
यहां पर आपका जीरो परसेंट ट्रेडिंग फीस देना होगा। मतलब अगर आप यहां पर ट्रेडिंग करते हैं या खरीदते और भेजते हैं तो आपको कोई फीस नहीं देना होगा। चॉकलेट स्वैप आप को टोकन। खरीदने पर रिवार्ड के रूप में Baby Doge Coin देगी। आपने जितने Chocolate Swap Token रखा होगा उसका 2% आप को Baby Doge Coin आप को रिवार्ड के रूप में मिले गा
चॉकलेट स्वैप कंपनी का क्या है कहना
चॉकलेट स्वैप इकोसिस्टम को सहज और सुविधाजनक बनाने के बारे में बोलते हुए, कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, “हमने खाते बनाने या उपयोगकर्ताओं को पंजीकृत करने की आवश्यकता को समाप्त कर दिया है, जिसका अर्थ है कि उपयोगकर्ता पंजीकरण पर कोई समय बर्बाद किए बिना तुरंत टोकन की अदला-बदली शुरू कर सकते हैं।
अपने वॉलेट ऐप का उपयोग करके, कोई स्वैप क्या है? भी उपयोगकर्ता सीधे Chocolate Swap Token का व्यापार कर सकता है। उन्हें हमारे साथ कोई विवरण साझा करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि हम मानते हैं कि पैसा उपयोगकर्ता का है और वे इसके एकमात्र मालिक हैं।
Distribution of Chocolate Swap Token in Hindi
चाॅकलेट स्वैप टोकेन किन किन जगहों पर इनवेस्ट करता है, इससे संबंधित सभी जानकारी आपको आगे एक टेबल के माध्यम से उपलब्ध करवाई गयी है।
जानें क्या होता है मुद्रा विनिमय समझौता (Currency Swap Agreement) तथा इसके इस्तेमाल के क्या फायदे हैं?
नमस्कार दोस्तो! स्वागत है आपका जानकारी ज़ोन में जहाँ हम विज्ञान, प्रौद्योगिकी, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, अर्थव्यवस्था, ऑनलाइन कमाई तथा यात्रा एवं पर्यटन जैसे क्षेत्रों से महत्वपूर्ण एवं रोचक जानकारी आप तक लेकर आते हैं। आज इस लेख में हम बात करेंगें मुद्रा विनिमय समझौते या Currency Swap Agreement के बारे में, जानेंगे यह कैसे काम करता है तथा इसके क्या फायदे हैं।
मुद्रा विनिमय (Currency Swap)
मुद्रा विनिमय विभिन्न प्रकार के डेरिवेटिव वित्तीय उत्पादों में एक है, मुद्रा विनिमय से आशय मुद्राओं को अपास में बदलने से है। इसमें दो भिन्न देशों से संबंधित लोग अथवा संस्थाएं अपनी आवश्यकतानुसार किसी निश्चित राशि को एक निश्चित समय के लिए एक दूसरे की मुद्राओं में तत्कालीन विनिमय दर के अनुसार बदल देती हैं।
कोई भी दो लोग, संस्थाएं, कंपनियाँ आदि ऐसा करती हैं, क्योंकि उन्हें व्यापार आदि हेतु एक दूसरे की मुद्रा की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त इस प्रकार मुद्रा विनिमय के और भी फायदे हैं, जिनकी चर्चा नीचे की गई है।
मुद्रा विनिमय समझौते की प्रक्रिया
आइए इसकी कार्यप्रणाली को एक उदाहरण की सहायता से समझते हैं। मान लें “रमेश” जो कि, एक भारतीय उद्योगपति है को अमेरिका में अपनी एक फर्म के लिए एक लाख अमेरिकी डॉलर की पाँच वर्षों के लिए आवश्यकता है। एक डॉलर को 75 रुपयों के बराबर समझा जाए तो एक लाख अमेरिकी डॉलर की रुपयों में कीमत 75 लाख रुपये होगी। वहीं “स्टीव” जो कि, एक अमेरिकी उद्योगपति है को भारत में अपनी किसी कंपनी के खर्च के लिए 75 लाख भारतीय रुपयों की 5 वर्षों के लिए आवश्यकता है
रमेश यदि किसी अमेरिकी बैंक से ऋण लेता है तो उसे स्टीव की तुलना में अधिक ब्याज चुकाना पड़ेगा इसके अतिरिक्त यदि भविष्य में रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ तो रमेश को ब्याज तथा मूलधन के रूप में अधिक भुगतान करना पड़ेगा। इसके अलावा स्टीव को भी भारतीय बैंक से ऋण लेने पर रमेश की तुलना में अधिक ब्याज देना होगा। उदाहरण के तौर पर माना रमेश को भारत में 75 लाख रुपयों तथा अमेरिका में 1 लाख डॉलर का ऋण क्रमशः 10% तथा 8% की वार्षिक ब्याज दर पर मिलता है, जबकि स्टीव को यही ऋण 15% तथा 6% की सालाना ब्याज दर पर प्राप्त होता है।
यदि स्टीव अपने देश में किसी बैंक से एक लाख डॉलर का ऋण लेकर रमेश की अमेरिका स्थित फर्म को दे तथा बदले में रमेश किसी भारतीय बैंक से 75 लाख रुपयों का ऋण लेकर स्टीव की भारत स्थित कंपनी को दे दे, तो इस प्रकार दोनों को सस्ती ब्याज दरों में ऋण प्राप्त हो जाएगा। वर्ष के अंत में रमेश 75 लाख पर 10% के अनुसार 7,50,000 रुपयों का ब्याज अपने बैंक को अदा करेगा वहीं स्टीव एक लाख डॉलर पर 6% के अनुसार 6,000 डॉलर का भुगतान अपने बैंक को करेगा।
इसके पश्चात स्टीव की भारत स्थित कंपनी रमेश को 7,50,000 रुपयों का भुगतान करेगी जो उसने स्टीव स्वैप क्या है? को दिए गए ऋण की एवज़ में चुकाए हैं एवं रमेश की अमेरिका स्थित फर्म स्टीव को 6,000 डॉलर अदा करेगी जो उसने रमेश के लिए गए ऋण के ब्याज के रूप में दिए थे। इस प्रकार पाँच वर्षों की अवधि तक प्रत्येक वर्ष बैंकों को दिए गए ब्याज का भी दोनों कंपनियों द्वारा विनिमय कर लिया जाएगा।
पाँच वर्षों की अवधि के पश्चात रमेश एक लाख डॉलर का मूलधन स्टीव को लौटाएगा और स्टीव 75 लाख रुपयों का मूलधन रमेश को वापस करेगा। यह पूरी व्यवस्था मुद्रा विनिमय (Currency Swap) कहलाती है। मूलधन को लौटाने के समय रुपये तथा डॉलर की विनिमय दर पूर्व में भी निर्धारित की जा सकती है या तत्कालीन दर पर भी विनिमय किया जा सकता है।
इस प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण फायदा यह है कि, इसके द्वारा मुद्रा को देश के बाहर भेजने की आवश्यकता नहीं होती। इसके अतिरिक्त यदि रमेश भारत के बजाए अमेरिका से ऋण लेता तो उसे प्रतिवर्ष ब्याज के रूप में 8,000 डॉलर चुकाने पड़ते किन्तु यदि रुपया समय के साथ डॉलर के मुकाबले कमज़ोर हुआ तो इन 8,000 डॉलर के ब्याज हेतु रमेश को अधिक रुपयों की आवश्यकता पड़ेगी।
देशों के मध्य मुद्रा विनिमय समझौते
लोगों के अलावा विभिन्न देशों की सरकारें भी इसका उपयोग करती हैं। जैसा कि, आप जानते हैं वर्तमान में अमेरिकी डॉलर एक प्रमुख वैश्विक मुद्रा के रूप में प्रचलन में है। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए किसी भी देश को डॉलर की आवश्यकता होती है अतः सभी देशों के लिए विदेशी मुद्रा भंडार में अधिक मात्रा में डॉलर हो यह अहम हो जाता है। इस प्रकार माँग बड़ने के कारण अमेरिकी डॉलर अन्य देशों की घरेलू मुद्रा की तुलना में मजबूत होता जाता है तथा वैश्विक बाजार में अमेरिकी मुद्रा का प्रभुत्व एवं एकाधिकार बढ़ता है।
किसी आर्थिक संकट या व्यापार घाटे की स्थिति में देश के केंद्रीय बैंक को विदेशी मुद्रा भंडार से उसकी भरपाई करनी पड़ती है ताकि उस देश की घरेलू मुद्रा और डॉलर की विनिमय दर स्थिर बनी रहे। किंतु यदि आर्थिक संकट बड़ा हो अर्थात विदेशी मुद्रा भंडार में उपलब्ध डॉलर से भी जब घाटे की पूर्ति न कि जा सके तब ऐसी स्थिति में IMF जैसी संस्थाओं या किसी देश से ऋण लेने की आवश्यकता पड़ती है, साल 1991 में आया आर्थिक संकट इसका उदाहरण है।
समझौते की आवश्यकता
हमने आर्थिक संकट से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय ऋण की चर्चा की किन्तु विदेशी मुद्रा में ऋण लेने का एक मुख्य नुकसान यह है की भविष्य में यदि भारतीय रुपया डॉलर की तुलना में कमजोर हुआ तो भारत को ऋण में ली गई राशि से अधिक मूलधन चुकाना पड़ेगा। इसके अलावा उच्च ब्याज दर भी एक महत्वपूर्ण समस्या है।
इन्हीं समस्याओं के समाधान के रूप में मुद्रा विनिमय या Currency Swap समझौता सामने आया है। इसके तहत कोई दो देश यह समझौता करते हैं कि, किसी निश्चित सीमा तक वे देश निर्धारित विनिमय दर (Exchange Rate) तथा कम ब्याज पर एक दूसरे की घरेलू मुद्रा या कोई तीसरी मुद्रा जैसे डॉलर खरीद सकेंगे।
भारत की स्थिति
साल 2018 में भारत तथा जापान के स्वैप क्या है? मध्य 75 बिलियन डॉलर का मुद्रा विनिमय समझौता (Currency Swap Agreement in Hindi) हुआ है। इसके अनुसार भारत अल्पकालिक आवश्यकताओं की पूर्ति या व्यापार घाटे की परिस्थिति में अपनी मुद्रा देकर जापान से 75 बिलियन डॉलर तक की राशि के येन या डॉलर तय विनिमय दर पर एक निश्चित अवधि के लिए खरीद सकता है।
अवधि पूर्ण हो जाने पर जापान भारत को उसकी मुद्रा लौटाकर दिए गए डॉलर या येन वापस ले लेगा जैसा की हमने रमेश तथा स्टीव के उदाहरण में देखा। इसके अतिरिक्त सार्क देशों के साथ भी 2 बिलियन डॉलर का समझौता करने का लक्ष्य है, जिसके चलते जुलाई 2020 में श्रीलंका से 400 मिलियन डॉलर का मुद्रा विनिमय समझौता किया जा चुका है।
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SIM Swap Fraud: सावधान! सिम स्वैप फ्रॉड से बच कर रहें, सिर्फ मिस कॉल से हो जाता बैंक खाता खाली
SIM Swap Fraud: इस शख्स ने न तो कोई ओटीपी शेयर किया, न किसी लिंक पर क्लिक किया और न किसी से कोई बैंक डिटेल शेयर किए। इनके फोन पर सिर्फ कई मिस कॉल आईं और उसके बाद बैंक से पैसे निकल गए।
SIM Swap Fraud (Social Media)
SIM Swap Fraud: दिल्ली में एक बिजनेसमैन से 50 लाख की ठगी का मामला सामने आया है। इस शख्स ने न तो कोई ओटीपी शेयर किया, न किसी लिंक पर क्लिक किया और न किसी से कोई बैंक डिटेल शेयर किए। इनके फोन पर सिर्फ कई मिस कॉल आईं और उसके बाद बैंक से पैसे निकल गए। ये है ठगी का एक और तरीका जिसे सिम स्वैप फ्रॉड कहते हैं। सिम स्वैप फ्रॉड तब होता है जब स्कैमर्स टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन और वेरिफिकेशन में कमजोरी का फायदा उठाते हैं और आपके अकाउंट को एक्सेस करने के लिए आपके फोन नंबर का इस्तेमाल करते हैं।
सिम स्वैपिंग तब होती है जब स्कैमर आपके मोबाइल फोन के कैरियर से संपर्क करते हैं और कहते हैं कि उनका सिमकार्ड खराब हो गया है या खो गया है। ये धोखेबाज स्वैप क्या है? उसी नम्बर का एक सिमकार्ड निकलवा कर उसे एक्टिव करा लेते हैं।
एक बार ऐसा होने के बाद स्कैमर्स का आपके फोन नंबर पर नियंत्रण हो जाता है। इस नंबर पर कॉल या टेक्स्ट करने वाला कोई भी व्यक्ति आपके स्मार्टफोन की बजाय स्कैमर के डिवाइस से संपर्क में आ जाता है।
इसे सिम स्वैप फ्रॉड के रूप में जाना जाता है, और इसका मतलब है कि स्कैमर संभावित रूप से आपके बैंक की वेबसाइट पर लॉग-इन करते समय आपका यूजर नाम और पासवर्ड दर्ज कर सकते हैं।
इसके बाद बैंक आपके स्मार्टफोन नंबर पर टेक्स्ट - टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन - द्वारा एक कोड भेजेगा, एक कोड जिसे आपको अपने ऑनलाइन खाते तक पहुंचने के लिए दर्ज करना होगा।
समस्या ये है कि सिम स्वैप के बाद, वह नंबर अब स्कैमर्स के पास मौजूद स्मार्टफोन या अन्य डिवाइस में चला जाता है। फिर वे आपके बैंक खाते में प्रवेश करने के लिए उस कोड का उपयोग कर सकते हैं।
घोटाला तब होता है जब अपराधी आपके मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर को धोखा देकर आपके फोन नंबर को अपने कब्जे वाले सिम कार्ड से जोड़ने के लिए आपके फोन पर नियंत्रण कर लेते हैं।
सबसे पहले, स्कैमर्स आपके मोबाइल वाहक को कॉल करते हैं और यह दावा करते हैं कि उनका - वास्तव में आपका - सिम कार्ड खो गया है या क्षतिग्रस्त हो गया है। इसके बाद वे एक नया सिम कार्ड एक्टिवेट करने के लिए कहते हैं।
यह आपके टेलीफोन नंबर को अपराधी के डिवाइस में पोर्ट कर देता है, जिसमें स्कैमर का अपना सिम कार्ड होता है। एक बार जब आपका कैरियर इस अनुरोध को पूरा कर लेता है, तो आपके पास जाने वाले सभी फोन कॉल और टेक्स्ट इसके बजाय स्कैमर के डिवाइस पर चले जाएंगे।
आपकी निजी जानकारी
धोखेबाज़ आपके मोबाइल सेवा प्रोवाइडर द्वारा पूछे जाने वाले सुरक्षा प्रश्नों का उत्तर देने के लिए आपकी निजी जानकारी पहले से ही जुटा कर रख लेते हैं। इसके लिए वह फ़िशिंग ईमेल, मालवेयर या सोशल मीडिया रिसर्च के माध्यम से आपका डेटा एकत्र करते हैं।
ठग आपका आधार नम्बर, जन्म तिथि, फोन नम्बर, हासिल कर लेते हैं। लोग अपनी ये जानकारी जाने अनजाने में इतनी जगह बांटते हैं कि डेटा लीक होना कोई अचरज की बात नहीं है।
कई स्कैमर आपको ऐसे ईमेल लिंक पर क्लिक करने के लिए प्रेरित करते हैं जो आपके कंप्यूटर को मैलवेयर से भर देते हैं। इससे होता ये है कि आप जो कुछ टाइप करेंगे वह सब कीस्ट्रोक्स को रिकॉर्ड करता जाता है। फिर यह जानकारी ठगों को मिल जाती है।
इसके अलावा, जालसाज डार्क स्वैप क्या है? वेब पर आपकी व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी भी खरीद सकते हैं। जिनकी उन्हें अपने घोटाले को सफलतापूर्वक करने की आवश्यकता होती है।
संकेतों को पहचानें
पहला संकेत है कि आपके फोन कॉल और टेक्स्ट संदेश नहीं चल रहे हैं। इसका मतलब हो सकता है कि जालसाजों ने आपके सिम कार्ड को निष्क्रिय कर दिया है और आपके फोन नंबर का उपयोग कर रहे हैं।
दूसरा संकेत ये है कि अचानक आप अपने बैंक और क्रेडिट कार्ड खातों में लॉगिन न कर पाएं। संभव है कि स्कैमर ने आपके पासवर्ड और यूजर नाम बदल दिए हों। ऐसे में अपने बैंक को तुरंत सूचित करने के लिए उनसे संपर्क करें।
ऑनलाइन व्यवहार: फ़िशिंग ईमेल और अन्य तरीकों से सावधान रहें, हमलावर आपके व्यक्तिगत डेटा तक पहुँचने का प्रयास कर सकते हैं। जिन लोगों को आप नहीं जानते उनके ईमेल संदेशों के लिंक पर क्लिक न करें। और याद रखें, आपका बैंक, केबल प्रदाता, क्रेडिट कार्ड कंपनी, या अन्य सेवा प्रदाता ईमेल संदेश के माध्यम से आपकी व्यक्तिगत या वित्तीय जानकारी नहीं मांगते हैं।
एकाउंट सुरक्षा: अपने सेलफोन के एकाउंट सुरक्षा को एक यूनीक और मजबूत पासवर्ड और मजबूत सुरक्षा प्रश्नों और उत्तरों के साथ बढ़ाएं जो केवल आप जानते हैं।
पिन कोड: यदि आपका सर्विस प्रोवाइडर आपको एक अलग पासकोड या स्वैप क्या है? पिन सेट करने की अनुमति देता है, तो ऐसा करने पर विचार करें। यह सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत प्रदान कर सकता है।
प्रमाणीकरण ऐप: आप गूगल प्रमाणक जैसे प्रमाणीकरण ऐप का उपयोग कर सकते हैं, जो आपको दो लेयर प्रमाणीकरण देता है। ये आपके फ़ोन नंबर के बजाय आपके भौतिक उपकरण से जुड़ा होता है।
बैंक और मोबाइल वाहक अलर्ट: स्वैप क्या है? अपने बैंक और मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर के नोटिफिकेशन तथा अलर्ट ऑन रखें।
ऑपरेटिंग सिस्टम में स्वैपिंग क्या है | What is Swapping in OS in Hindi
क्या आप जानना चाहते है, ऑपरेटिंग सिस्टम में स्वैपिंग क्या है (What is Swapping in OS in Hindi), स्वैपिंग तकनीक में कितनी अवधारणाएॅ इस्तेमाल किया जाता है और ऑपरेटिंग सिस्टम में स्वैपिंग तकनीक के उपयोग करने के क्या लाभ हैं।
तो चलिए स्वैपिंग के बारे में बिस्तार से जानते है ।
Table of Contents
ऑपरेटिंग सिस्टम में स्वैपिंग क्या है (What is Swapping in OS in Hindi ) ?
स्वैपिंग का हिन्दी अर्थ अदला-बदली है ।
स्वैपिंग एक मेमोरी मैनेजमेंट तकनीक है और इसका उपयोग कंप्पूटर सिस्टम की मुख्य मेमोरी से निष्क्रिय प्रोग्राम को अस्थायी रूप से हटाने के लिए किया जाता है ।
किसी भी प्रक्रिया को इसके निश्पादन के लिए मेमोरी में होना चाहिए, लेकिन अस्थायी रूप से मेमोरी से बैकिंग स्टोर में स्वैप किया जा सकता है और फिर इसके निष्पादन को पूरा करने के लिए मेमोरी में वापस लाया जा सकता है ।
स्वैपिंग इसलिए की जाती है ताकि अन्य प्रक्रियाओं को उनके निष्पादन के लिए मेमोरी मिल जाए ।
स्वैपिंग प्रक्रिया को मेमारी संघनन की तकनीक के रूप में भी जाना जाता है । मूल रूप से, कम प्राथमिकता वाली प्रक्रियाओं की स्वैपिंग की जा सकती है ताकि उच्च प्राथमिकता वाली प्रक्रियाओं को लोड और निष्पादित किया जा सके ।
स्वैपिंग तकनीक में कितनी अवधारणाए इस्तेमाल किया जाता है ?
स्वैपिंग तकनीक में मुख्य रूप में दो अवधारणाएॅ स्वैप इन (Swap In) और स्वैप आउट (Swap Out) का इस्तेमाल किया जाता है ।
Swap In : वह प्रक्रिया जिसके द्वारा किसी भी प्रक्रिया को हार्ड डिस्क से हटा दिया जाता है और मुख्य मेमोरी या रैम में रखा जाता है उसे आमतौर पर स्वैप इन के रूप में जाना जाता है ।
Swap Out : स्वैप आउट मुख्य मेमोरी या रैम से एक प्रक्रिया को हटाने और फिर इसे हार्ड डिस्क में जोड़ने की विधि है ।
स्वैपिंग तकनीक के उपयोग करने के क्या लाभ है (Benefits of Swapping Technique ) ?
स्वैपिंग तकनीक के उपयोग का कोई लाभ है, जिसका मुख्य लाभ इस प्रकार है :-
- स्वैपिंग तकनीक मुख्य रूप से सीपीयू को एक ही मुख्य मेमोरी के भीतर कई प्रक्रियाओं को प्रबंधित करने में मदद करती है ।
- स्वैपिंग तकनीक वर्चुअल मेमोरी बनाने और उपयोग करने में मदद करती है ।
- इस तकनीक को अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए प्राथमिकता आधारित शेडयूलिंग पर आसानी से लागू किया जा सकता है ।
- इस तकनीक की मदद से सीपीयू एक साथ कई काम कर सकता है । इस प्रकार, प्रक्रियाओं को उनके निष्पादन से पहले बहुत अधिक प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है ।
निर्ष्कष – Conclusion
मुझे आशा है, इस पोष्ट से आपने ऑपरेटिंग सिस्टम में स्वैपिंग क्या है (What is Swapping in OS in Hindi), स्वैपिंग तकनीक में कितनी अवधारणाएॅ इस्तेमाल किया जाता है और स्वैपिंग तकनीक के उपयोग करने के क्या लाभ स्वैप क्या है? है, इसके बारे में अच्छे से सीख लिया हैं ।
अगर फिर Swapping के बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है तो आप हमें कमेंट करके पुछ सकते है ।
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