इस चार्ट पर से आप देख सकते है की FD में निवेश किए हुए पैसो की कीमत हमेशा मूल राशि (10 हज़ार) से ज़्यादा ही है।

कोरोना संकट: म्यूचुअल फंड में निवेश का अभी सही समय क्यों है?

हाल के हफ्तों में पूरी दुनिया के शेयर बाजार में अप्रत्याशित तबाही दिखी है. बरसों की कमाई कुछ दिनों में स्वाहा हो गई. बाजार में बिकवाली का ऐसा दबाव रहा है कि दुनिया के सेंट्रल बैंक के ऐतिहासिक कदम भी इस गिरावट को रोक नहीं पाए.

अब सबके मन में यही सवाल है कि क्या ऐसी तबाही के माहौल में बाजार में एंट्री करनी चाहिए? क्या बाजार ने निचले स्तर को छू लिया है और रिकवरी शुरू होने वाली है? क्या म्यूचुअल फंड में पैसा डालने का समय आ गया है? और जिनका पैसा लगा हुआ है वो सोच रहे हैं कि और भी गिरावट हो इससे पहले अपना पैसा बाजार से निकाल लिया जाए?

क्या यही समय है कहने का कि म्यूचुअल फंड सही है?

पिछले 40 सालों में शेयर बाजार ने जितना रिटर्न दिया है वो किसी भी एसेट क्लास से काफी ज्यादा रहा है. मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर आपने 10-10 हजार रुपए 1979 में बैंक के फिस्क्ड डिपॉजिट, सोना और सेंसेंक्स में लगाए होते तो 2019 तक वो बढ़कर क्रमश: 2.68 लाख रुपए, 4.08 लाख रुपए और 45.28 लाख रुपए हो जाते.

इस 40 साल के दौरान बाजार ने कई हिचकोले भी खाए हैं. नब्बे के दशक में हर्षद मेहता स्कैम के बाद बाजार में भारी गिरावट देखी गई.

डॉटकॉम बर्स्ट के बाद बाजार धड़ाम से गिरा था और 2008 में ग्लोबल मंदी के बाद तो उस साल सिंतबर-अक्टूबर के महीने में बाजार 33 परसेंट गिरा था. लेकिन उसके कुछ ही महीने बाद बाजार में शानदार रिकवरी देखी गई.

इन आंकड़ों को देखकर यही लगता है कि हिचकोलों के बावजूद शेयर बाजार ने लंबे समय में निवेशकों को निराश नहीं किया है. और जिनके पास समय का अभाव हो, टेक्निकल-फंडामेंटल जानकारी की कमी हो और जो एक्सपर्ट को अपनी कमाई सौंप पर निश्चिंत हो जाना चाहते हों, उनके लिए शेयर बाजार में एंट्री का सही रास्ता म्यूचुअल फंड ही है. रिसर्च के मुताबिक कई फंड बेंचमार्क इंडाइसेज से ज्यादा रिटर्न देते हैं.

क्यों मान लें कि बाजार का कोहराम खत्म होने वाला है?

इसके लिए यह जानना जरूरी है कि बाजार में कोहराम की वजह कोरोना वायरस के बाद हेल्थ की चिंताओं को लेकर है. उसके बाद हुए लॉकडाउन की वजह से सारे आर्थिक काम ठप पड़े हुए हैं. लेकिन किसी भी आर्थिक एसेट की बर्बादी नहीं हुई है. ना ही किसी बड़ी कंपनी का दिवाला हुआ है जिससे सिस्टम में रिस्क बढ़े.

आर्थिक गतिविधियों के ठप होने से नई चुनौतियां सामने आएंगी जिसका कंपनी की कमाई पर असर होगा और उसके शेयर प्राइस पर भी. लेकिन हमे यह मान लेना चाहिए कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद अर्थव्यवस्था को ऑक्सीजन मिलना फिर से चालू हो जाएगा. डिमांड डिस्ट्रक्शन हुआ है.

कितने की रिकवरी होगी इसके बारे में ठीक से कहा नहीं क्या म्यूच्यूअल फंड्स में रोज़ निवेश करना चाहिए? जा सकता है. लेकिन रिकवरी तय है और उसकी वजह से शेयर बाजार में फिर से रौनक लौटना भी तय है.

लेकिन रिकवरी अगर धीमी रफ्तार से होती है और शेयर बाजार महीनों तक एक ही स्तर पर रहता है तो यह काफी मुश्किल सवाल है. लेकिन इतिहास को देखें तो शेयर बाजार में रिकवरी अर्थव्यवस्था में रिकवरी से पहले होती है. साथ ही हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि दुनिया के सेट्रल बैंक ने बाजार में अरबों डॉलर की नकदी डाली है. अकेले अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने बाजार में रिकॉर्ड 6 ट्रिलियन डॉलर डाला है. इसके अलावा ब्याज दर में रिकॉर्ड 1.5 परसेंट की कटौती की गई है. साथ ही यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने भी बाजार में 800 अरब डॉलर की नकदी डाली है.

जानकारों का यह भी मानना है कि जब कोरोना पर थोड़ा कंट्रोल होता दिखेगा, अरबों डॉलर का निवेश भारत के शेयर बाजार में लौटेगा.

क्या है SIP के जरिए Mutual Fund में निवेश का सही तरीका? कैसे बनें स्मार्ट इन्वेस्टर

Mutual Fund में SIP या दूसरे तरीकों से निवेश का मतलब यही है कि बुरे वक्त में निवेश जारी रखा जा सके। स्मार्ट इन्वेस्टर इस बात का अनुमान नहीं लगाते कि मार्केट किस दिशा में जा रहे हैं। वो निवेश का सही जरिया तलाश लेते हैं।

धीरेंद्र कुमार, नई दिल्ली। कंपनी की बुनियादी बातों पर ध्यान देने वाले उनके लाभ, वृद्धि, मूल्यांकन जैसी बातों को अच्छी तरह से जानते हैं। यह सब जानना-समझना ही कई साल के निवेश में सही नतीजे देता है। यह बातें किसी एक दिन का नंबर तय नहीं करतीं। स्क्रीन पर नजर आने वाले नंबर मौजूदा दामों पर होने वाली सप्लाई और डिमांड के आधार पर तय होते हैं।

डिमांड ज्यादा होने पर दाम तब तक ऊपर जाते हैं जब तक दोनों एक ही स्तर पर नहीं आ जाते। यही माइक्रो-इकोनमिक्स की सबसे बुनियादी बात है। शेयर मार्केट एक शानदार प्रयोगशाला है जिसमें इसी का अध्ययन होता है।

Investment lesson for investors from football (Jagran File Photo)

शेयर मार्केट में बदलाव अचानक क्यों होते हैं

असल अर्थव्यवस्था में सप्लाई-डिमांड और धन की सप्लाई में मायने रखने वाला बदलाव कई महीनों या वर्षों में आता है। शेयर मार्केट में यह कुछ ही दिनों, घंटों या मिनटों और सेकेंडों में हो जाता है। बुनियादी कारकों के आधार पर चलने वाले निवेशक जिन बातों पर भरोसा करते हैं वो केंद्र में बनी रहती हैं, मगर शार्ट-टर्म के बदलावों का चक्र अलग होता है।

आखिर इन शार्ट-टर्म बदलावों को क्या ड्राइव करता है? कभी आप टीवी पर कोई बिजनेस चैनल खोलें या किसी न्यूज वेबसाइट को देखें तो पाएंगे कि हाल ही के किसी आकंड़े या घटना का कारण बताया जाएगा। इसमें, तेल के दाम, ब्याज दर, राजनीतिक घटनाएं या कुछ भी हो सकता है।

बाजार कैसे अपनी दिशा बदलता है

असल में ज्यादातर को इन बदलावों के कारण और तर्क पता नहीं होते। सच तो ये है कि इनका पता नहीं लगाया जा सकता। जो कारण आपको मीडिया और सोशल मीडिया से पता चलते हैं, वो घटना के बाद की ईजाद होते हैं। जो स्टाक में निवेश करते हैं उनके पास दूसरी कई तरह की जानकारियों पर आधारित विश्लेषण होते हैं, जो इससे भी विस्तृत होते हैं। आप कैसे अनुमान लगाएंगे कि मार्केट ऊंचाई पर हैं या नीचे।

अनुमान पर आधारित आंकड़े या मान्यताओं पर बने नियमों को यह कह कर प्रमोट किया जाता है कि मार्केट इतना ऊंचा है कि वो अब जल्द ही गिरने वाला है या फिर इतने नीचे है कि अब बढ़ना शुरू हो जाएगा। मिसाल के तौर पर- रिकार्ड हाई वैल्युएशन, इक्विटी में बड़ी संख्या में नए निवेशकों का आना, इक्विटी मार्केट में वाल्यूम का ज्यादा होना और इसी तरह की दूसरी स्थितियां मार्केट के शीर्ष पर होने के संकेत माने जाते हैं। मार्केट का नीचे होना इन सब बातों का उलटा होना होता है। आपको क्या लगता है कि ये संकेत काम आते हैं। काम आने से मतलब है कि इन संकेतों से आप जान क्या म्यूच्यूअल फंड्स में रोज़ निवेश करना चाहिए? सकें कि मार्केट अपनी दिशा बदलेगा।

एसआईपी से मार्केट क्रैश की चिंता नहीं

सच तो ये है कि आप ऐसा नहीं कर सकते। जैसे टीवी एंकर हर रोज के बदलावों के कारण बताते हैं, वैसे ही क्या म्यूच्यूअल फंड्स में रोज़ निवेश करना चाहिए? ये भी बाद में दिए गए स्पष्टीकरण हैं। हालांकि अपवाद हमेशा ही होते हैं। सही होगा, अगर आप मार्केट की चाल को लेकर अपने (या दूसरों के) विश्वास के आधार पर कभी निवेश न करें।

निवेशकों को अपना निवेश, भविष्य के अनुमान पर न करके इन्वेस्टमेंट की क्वालिटी पर, और उस दाम पर करना चाहिए, जो सही आंतरिक कारकों पर आधारित हो। म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर्स के लिए समस्या से निबटना और भी आसान है। उन्हें दो या तीन इक्विटी फंड चुनने चाहिए, जिनका लंबे अर्से का अच्छा रिकार्ड हो। उन्हें अपना निवेश एसआइपी के जरिये किस्तों में करना चाहिए और मार्केट क्रैश की चिंता नहीं करनी चाहिए।

(लेखक वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के सीईओ हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)

म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में SIP के जरिए शुरू करें निवेश, लॉन्ग टर्म में होगा बड़ा फायदा

Mutual Fund SIP

Coronavirus (Covid-19): कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Epidemic) की वजह से दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं (Global Economy) में भारी गिरावट का माहौल है. ग्लोबल इकोनॉमी में मंदी की वजह से शेयर बाजार (Share Market) में भी भारी उठापटक देखने को मिल रही है. जानकारों का कहना है कि शेयर बाजार में उठापटक का फायदा निवेशकों को उठाना चाहिए और इसके लिए निवेशकों को म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश शुरू कर देना चाहिए. जानकारों के मुताबिक निवेशकों को म्यूचुअल फंड (MF) में SIP के जरिए निवेश करने से लॉन्ग टर्म में काफी बड़ा फायदा हो सकता है.

म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए SIP अच्छा ऑप्शन
म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश करने के लिए SIP को सबसे अच्छा तरीका माना जाता है. SIP के जरिए निश्चित रकम को तय समय के अंतराल में निवेश किया जाता है. SIP म्यूचुअल फंड (MF) में निवेश करने का सबसे बढ़िया तरीका है, इसके जरिए निवेशकों में बचत की आदत पड़ती है. SIP से लॉन्ग टर्म में अच्छा खासा फंड बनाया जा सकता है.

सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए निवेश से कई फायदे
सिप (SIP) में पैसा बैंक से हर माह सीधे बैंक से चला जाता है. इसके अलावा हर महीने SIP के लिए कई तारीखों में किसी को भी चुनने का मौका मिलता है. निवेशक सिप अमाउंट में कभी भी कमी या बढ़ोत्‍तरी कर सकता है. अगर निवेशक को पैसों की जरूरत हो तो बीच में कुछ पैसा निकाल भी सकता है. ऐसा करने से सिप पर फर्क नहीं पड़ता है और वह चलती रहती है. यही नहीं SIP को कितने भी समय के लिए किया जा सकता है. SIP में कंपनियां न्‍यूनतम 500 रुपए या 1 हजार रुपए से शुरू कर सकते हैं, लेकिन अधिकतम की कोई सीमा नहीं है. निवेशक को जब भी जरूरत हो स्‍टेटमेंट ले सकता हैं. यह स्‍टेटमेंट उसी दिन तक का अपडेट भी होता है.

निवेशक अपने निवेश की वैल्‍यू रोज जान सकता है. सभी म्‍युचुअल फंड (Mutual Funds) कंपनियां अपनी हर योजना की नैट आसेट वैल्‍यू (NAV) रोज रोज घोषित करती हैं. निवेशक चाहे तो म्‍युचुअल फंड (Mutual Fund) स्‍कीम्‍स में डिविडेंड (Mutual Fund Dividend) के विकल्प का भी चुनाव कर सकते हैं.

(Disclaimer: निवेशक निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की सलाह जरूर लें. न्यूजनेशनटीवीडॉटकॉम की खबर को आधार मानकर निवेश करने पर हुए लाभ-हानि का newsnationtv.com से कोई लेना-देना नहीं होगा. निवेशक स्वयं के विवेक के आधार पर निवेश के फैसले लें)

Kis karan apko Mutual Funds me pahli baar me hi nuksan hua?

Mutual Funds me nuksan kyu hota hai?

म्यूच्यूअल फंड में निवेशकों की यात्रा से परिचित न होना।

जब भी कोई निवेशक पहली बार म्यूच्यूअल फंडस में निवेश करता है तो वो यह बात सुनके निवेश करता है की म्यूच्यूअल फंड्स में सालाना 15 प्रतिशत का औसतम रिटर्न मिलता है जोकि सच भी है।

इस लिए निवेशक ये सोचता है की म्यूच्यूअल फंड में भी फिक्स्ड डिपाजिट की तरह साल के अंत में 15 प्रतिशत का ब्याज जमा हो जाएगा।

अगर आप भी ये सोच रहे है तो

म्यूच्यूअल फंड कोई फिक्स्ड डिपाजिट की तरह नहीं है जो उसमे आपके पैसे पर हर साल ब्याज जमा होता रहे।

म्यूच्यूअल फंड पैसे को शेयर में निवेश करते है जिनका दाम हर समय बदलता रहता है इसी लिए म्यूच्यूअल फंड में जमा कीए गए पैसे का मूल्य भी बढ़ता और घटता रहता है।

नए निवेशक हर रोज अपने म्यूच्यूअल फंड की NAV को देखते रहते है।

उसी वजह से उनकी भावनाएं भी अपने पैसो के मूल्य के अनुसार रोज बदलती रहती है शुरू शुरू में तो उनके म्यूच्यूअल फंड्स का दाम बढ़ता है तब तो वे बहुत खुश होते है।

जब म्यूच्यूअल फंड की NAV कम होने लगती है और उन्हें नुकसान होने लगता है तब वे परेशान हो जाते है और वे हो रहें नुकसान के बारे में सोचते रहते है।

धीरे धीरे बाज़ार के गिरने की वजह से म्यूच्यूअल फंड में उनका नुकसान बहोत ही बढ़ जाता है और आखिर कार वो परेशान हो कर फैसला करते है कि अब जितना मिले उतने में निकल जाना चाहिए।

और वे यह सोचने लग जाते है की

‘ये सब कुछ मेरे लिए नहीं है और अब में फिर से कभी म्यूच्यूअल फंड में निवेश नहीं करूँगा। ‘
अगर उन्होंने पहले ही म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश की सच्ची यात्रा के बारे में जान क्या म्यूच्यूअल फंड्स में रोज़ निवेश करना चाहिए? लिया होता तो वो ऐसा कभी न करते और उनको भी

म्यूच्यूअल फंड्स में अच्छा रिटर्न मिलता।

म्यूच्यूअल फंड में निवेश की सच्ची यात्रा के बारे में।

सोचिए की आपने साल 2013 में 10 हजार रूपए फिक्स्ड डिपाजिट में 7 प्रतिशत ब्याज पर निवेश किए होते तो आपके पैसो पर मिला हुआ रिटर्न और मूल रही का चार्ट कुछ इस तरह होता।

फिक्स्ड डिपाजिट रिटर्न


इस चार्ट पर से आप देख सकते है की FD में निवेश किए हुए पैसो की कीमत हमेशा मूल राशि (10 हज़ार) से ज़्यादा ही है।

इसी वजह से लोग फिक्स्ड डिपाजिट में निवेश करने से डरते नहीं है और उन्हें नुकसान नहीं होता।

अब सोचिए की अगर आपने वो ही 10 हजार कोई स्मॉल कैप म्यूच्यूअल फंड में निवेश किए होते तो आपके पैसो का मूल्य 2013 की हर तिमाही के अंत में कुछ इस क्या म्यूच्यूअल फंड्स में रोज़ निवेश करना चाहिए? तरह होता।

म्यूच्यूअल फण्ड रिटर्न चार्ट


म्यूच्यूअल फंड रिटर्न (Q)

चार्ट को देख कर आप बता सकते है की साल 2013 की पहली तिमाही के अंत में आपका पैसा बढ़ने के बजाए कम हो गया होता।

यह देख कर नए निवेशक डर जाते है क्योकि उनका पैसा तो कम होने लगा है ऐसे ही अगर ज्यादा नुकसान दिखने लगे तो वे परेशान हो कर म्यूच्यूअल फंड से निकल जाते है।

म्यूच्यूअल फण्ड एनुअल रिटर्न

लेकिन अगर उन्होंने कम से कम 5 साल तक पैसे निवेशित रखे होते तो उनके पैसो का मूल्य क्या होता वो हम म्यूच्यूअल फंड के सालाना रिटर्न के चार्ट पर से देख सकते है।

चार्ट देख कर आप समझ गए होंगे की अगर निकलने के बजाए वे निवेशित रहते तो उनके पैसो पर उन्हें कितना रिटर्न मिला होता।

यही म्यूच्यूअल फंड के निवेशक की सच्ची यात्रा है की म्यूच्यूअल फंड में निवेश किए हुए पैसो का मूल्य बहोत बढ़ भी सकता है और बहोत कम भी हो सकता है लेकिन

अब तक ये देखा गया है की कम से कम 5 साल निवेशित रहने से निवेशक को अच्छा रिटर्न मिलता है।

अब आप समझ गए होंगे म्यूच्यूअल फंड के निवेशक की सच्ची यात्रा के बारे में।

इस लिए अब जब भी आप म्यूच्यूअल फंड में निवेश करे तो हमेशा लम्बे समय के लिए ही करे और म्यूच्यूअल फंड के रिटर्न को हररोज़ न देखे।

तभी आप म्यूच्यूअल फंड में मिलने वाले अच्छा रिटर्न का लाभ उठा सकते है।

निष्कर्ष :

तो दोस्तो उम्मीद करता हु आपको यह पता चल गया होगा की आपको Mutual Funds मे निवेश करने पर नुकसान किस वजह से होता है। तो आगे से इस बारे मे सोच कर ही अपना निवेश करे।

अगर आप शेयर बाज़ार से जुड़ी एसी ही जानकारी की Update free मे चाहते है, तो नीचे दिए गए Blue Color के (Subscribe to Updates) के Button को Click करके जो स्क्रीन खुलेगी उसमे yes का विकल्प select कर दीजिए।

Mutual Fund kya hai kaise kam karta hai

दरसल इसमे निवेशक के समुह मिलकर स्टाॅक या अन्य किसी सिक्युरिटीज मे निवेश करते है| म्यूचुवल फंड मे एक फंड प्रबंधक होतो है जो की फंड को किसमे निवेश करना है यह निर्धारित करता है| उनमे होनेवाले लाभ और हानी की जानकारी रखता है| होनेवाले लाभ और हानी को निवेशको मे बाटता है|

स्टाॅक मार्केट मे जानकारी नहीं होनेवालो को या उसमे निवेश करने की इच्छा रखनेवालो को म्यूचुअल फंड एक बेहतरीन जरिया है|

Mutual fund

म्यूचूवल फंड मॅनेजर कौन होता है?

दरसल म्यूचूवल फंड चलानेवाला फंड मॅनेजर एक प्रोफेशनल, एक्स्पर्ट और अनुभवी पर्सन होतो है| इसमे निवेशको को इस बात की चिंता करने की जरुरत नहीं पडती की शेअर खरिदना है या बेचना है, म्यूचुवल फंड मे यह सब चिंता फंड मॅनेजर की होती है|

फंड कंपनी को चलाने के लिये फंड मॅनेजर के निचे एक टिम भी काम करती है जो की फंड मे बदलाव करने पर रिसर्च करती रहती है|

म्युचूवल फंड मे निवेश करने के क्या फायदे है ?

आपको अगर स्टाॅक मार्केट की जानकारी नहीं है तो आप इन-डायरेक्टली म्यूचुवल फंड की मदत से स्टाॅक मार्केट मे निवेश कर सकते हैं|

जादातर लोग अपने पैसे बॅक एफडी मे निवेश करते है| बॅक मे निवेश करने से आपको जादा से जादा ५ से ६% रिटर्न मिलता है पर अगर आप म्यूचुवल फंड मे निवेश करते है तो कम से कम बॅक से तो अच्छे रिटर्न्स आपको मिलेंगे ही मिलेंगे|

अगर आप डायरेक्टली स्टाॅक मार्केट मे निवेश करते है तो आपको हर एक स्टाॅक किंमत पर नजर रखनी होती है कब कौनसा स्टाॅक बेचना है कब कौनसा स्टाॅक खरिदना है यह आपको देखना पडता है और अगर आपको शेअर मार्केट (स्टाॅक मार्केट) की अच्छे से जानकारी नहीं है तो आप आपका सारा पैसा गवा सकते हैं |

शेअर मार्केट की जगह आप म्यूचुवल फंड मे निवेश करते है तो आपको यह सब नहीं देखना पडता वो सब फंड मॅनेजर को देखना पडता है आपको सिर्फ एक अच्छे फंड मॅनेजर और उस फंड कंपनी की रेटिंग देखके उस फंड मे इनवेस्ट कर करना होता है|

म्यूचुवल फंड के प्रकार ?

१. इक्विटी फंड:

इसमे कंंपनी सब निवेशको के पैसै इकठ्ठा करके इक्विटी शेअरो मे लगा देती ही| यह फंड हाईली रिस्की माना जाता है|

२. डेब्ट फंड:

३. बैलेंन्स फंड:

इसमे फंंड कंपनी निवेशको का पैसा इक्विटी और डेब्ट दोनो मे इनवेस्ट करती है|

४. गिल्ट फंड:

यह फंड सबसे सुरक्षित माना जाता है| इसका सारा पैसा कंपनी सरकारी योजनांचा मे लगा देती है| इसमे सरकार का बॅकअप भी रहने के कारण यह फंड सबसे जादा सुरक्षित और अच्छा माना जाता है|

मै कौन से म्यूचवल फंड मे निवेश करु?

भारत मे बहुत सारे म्यूचवल फंड मौजुद है| आप म्यूचूवल फंड की पिछले सब रेकाॅर्ड यांनी कितनी साल में कितना निचे या उपर गया है यह देखके भी निवेश कर सकते हैं|

आप अलग अलग म्यूचुवल फंड संस्था द्वारा दि गई रेटींग के आधार पर आप किसी अच्छे म्यूचुवल फंड मे निवेश कर सकते हैं| पर जादातर रेटिंग बदलती रहती है| आप फंड मॅनेजर को कौन चला रहा है उसे कितना अनुभव है इसके आधार पर भी म्यूचुवल फंड मे निवेश कर सकते हैं | या आप अपने पसंद अनुसार किसी फंड मे निवेश कर सकते हैं जैसे आपको ऑटो सेक्टर जानकारी जादा है तो आप ऑटो सेक्टर के किसी फंड मे इनवेस्ट कर सकते है|

आपको फार्मा सेक्टर का भविष्य आगे जाके अच्छा लग रहा है तो आप फार्मा सेक्टर के किसी फंड मे आप अपना पैसा इन्वेस्ट कर सकते हैं| किसी को सोने और चांदी की समज जादा हो तो वह किसी असेट्स म्यूचुवल फंड मे अपना पैसे इनवेस्ट कर सकते हैं| आपके हिसाब से आप किसी भी म्यूचुवल फंड मे अपना पैसा लगा सकते हैं|

म्युच्यूवल फंड मे इनवेस्ट करने के लिये सुरुवात कहा से करे ?

म्यूचुवल फंड के कई सारे संस्था से आप सिधे संपर्क करके आप अपना अकाऊंट निकाल सकते हैं| अगर आपको ऑनलाईन प्रक्रिया की थोडी बहोत भी जानकारी है तो आप म्युच्यूवल फंड कंपनी मे घर बैठे ही रजिस्टर करके क्या म्यूच्यूअल फंड्स में रोज़ निवेश करना चाहिए? इनवेस्ट कर सकते हैं|

म्यूचुवल फंड मे इनवेस्ट करने के लिये बेहतरीन ऐप्स कौनसी है?

निचे दिये गये लिंक से आप किसी भी एक ऐप मे रजिस्टर ( आधार ऑनलाईन केवायसी) करके आप म्यूचुवल फंड मे इनवेस्टमेंट चालु कर सकते हैं|

क्या आपने अभी तक म्यूचुवल फंड मे इनवेस्टमेंट करना चालु नहीं किया तो जल्द से जल्द उपर दिये गये लिंक कि मदत से अपना अकाऊंट खोल दिजीए और इनवेस्ट चालु कर दिजीए|

Mutual Fund सिप में कितना रिटर्न मिलता है?

ऐसी कोई फिक्स वैल्यू नहीं होती अलग-अलग में 56 के अलग-अलग रिटर्न्स होते हैं और डिपेंड करता है निकल पड़े कौन सा है इक्विटी है डेट है या और कोई है लेकिन मोटा मोटी पकड़े तो बैंक डिपॉजिट से ज्यादा ही मीटर फंड के रिटर्न होते हैं और अगर आप हाइब्रिड फंड में इन्वेस्टमेंट करते हैं तो आपकी रिस्क का कम हो जाती है

वैसे देखा जाए तो Bank के रिटर्न 6 से 8% के ऊपर नहीं होते, मुचल फंड की बात करें तो ज्यादातर यह बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट से ज्यादा ही होता है.

एसआईपी में कैसे निवेश करें?

इसके लिए आपको एक फिक्स रुपये हर महीने के किसी एक दिन निश्चित करनी होती है उस दिन आप उतने अमाउंट की राशी आपके अकांउट से आपके निर्धारित किए हुए दिन को कट जाती है अगर किसी महीने आपको रुपए का भुगतान नहीं करना तो आप उसे स्किप भी कर सकते हैं.

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